Kaun se bhagwan rishi valmiki ke samne prakat hue aur unhen ramayan likhane ko kaha tha

  1. आइए जानें विष्णु भगवान की उत्पत्ति कैसे हुई? और उनसे जुड़े कुछ विशेष तथ्य – Buy Spiritual Products
  2. महा ऋषि वाल्मीकि आश्रम कहाँ पर है? » Maha Rishi Valmiki Ashram Kaha Par Hai
  3. भगवान राम का जन्म कब और किस युग में हुआ?
  4. वाल्मीकि जी ने किसके कहने से रामायण की रचना की थी? » Valmiki Ji Ne Kiske Kehne Se Ramayana Ki Rachna Ki Thi
  5. मुख्य द्वार पर किसकी फोटो लगाये
  6. ब्रह्मा


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आइए जानें विष्णु भगवान की उत्पत्ति कैसे हुई? और उनसे जुड़े कुछ विशेष तथ्य – Buy Spiritual Products

भगवान विष्णु की उत्पत्ति के संबंध में पुराणों में अलग-अलग कहानियां हमें पढ़ने-सुनने को मिलती है जिनमें से एक कहानी शिव पुराण में वर्णित है। आइये जानते हैं आखिर विष्णु जी का जन्म कैसे हुआ था : शिवपुराण ( Shiv Puran ) में भगवान विष्णु के जन्म से जुड़ी कहानी के अनुसार चिरकाल में भगवान शिव और देवी पार्वती भ्रमण कर रहे थे। तभी शिव जी के मन में यह विचार आया कि इस भूमण्डल में कोई दूसरा व्यक्ति भी होना चाहिए। यह सुनकर आदि शक्ति ने भगवान शिव से कहा कि हे! प्रभु आपको फिर अपने विचार में किस प्रकार का संशय है? आप इस संसार के पालनहार हैं जो समस्त संसार की भलाई के लिए विचार करते हैं। शिव जी ने आदि शक्ति के विचार को सुनकर अपने वामअंग पर अमृत से स्पर्श किया। अमृत स्पर्श करने के बाद एक पुरुष की उत्पत्ति हुई जिसने पूरे संसार को पलभर में ही प्रकाशमय कर दिया। इस तरह भगवान विष्णु की उत्पत्ति इस संसार में हुई। भगवान विष्णु को देख भोलेनाथ बोले कि हे! वत्स तुम्हारे होने से यह संसार प्रकाशमय हो गया अतः मैं तुम्हरा नाम विष्णु रखता हूँ। शिव जी की बात सुनकर विष्णु जी बोले हे! प्रभु मेरे क्या आज्ञा है? इसपर भगवान शिव ने उन्हें तप करने की आज्ञा दी। भगवान विष्णु के तप से संसार में जल की उत्पत्ति हुई जिससे ही जीवन संभव हो पाया। इस तरह ही विष्णु भगवान का जन्म हुआ था और तभी से वे सृष्टि के पालनहार के नाम से जाने जाते हैं। भगवान विष्णु के नाम का अर्थ में विश शब्द से तात्पर्य प्रवेश करने के अर्थ में लिया गया है। आदि शंकराचार्य ने ने भी अपने विष्णु सहस्रनाम-भाष्य में ‘विष्णु’ शब्द का अर्थ व्यापक (व्यापनशील) ही माना है। उन्होंने आगे लिखा है कि विश धातु का रूप ही विष्णु बनता है। इसे हम आसान तरीके से विशु पुराण ...

महा ऋषि वाल्मीकि आश्रम कहाँ पर है? » Maha Rishi Valmiki Ashram Kaha Par Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आप ने जानना चाहा है कि महर्षि वाल्मीकि आश्रम कहां पर है तो इसका उत्तर होना चाहिए कि महर्षि बाल्मीकि आश्रम उत्तर प्रदेश के बिठूर नामक स्थान पर स्थित है योगी कानपुर के नजदीक है धन्यवाद

भगवान राम का जन्म कब और किस युग में हुआ?

वैदिक प्रमाण द्वारा राम का जन्म राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। आदिकाव्य वाल्मीकीय रामायण में राम-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:- नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु। ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह॥1.18.9॥ अर्थात् चैत्र मास की नवमी तिथि में, पुनर्वसु नक्षत्र में, पाँच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा कर्क लग्न में चन्द्रमा के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर (श्रीराम का जन्म हुआ)। राम का जन्म त्रेता के अंत में हुआ था। वाल्मीकि जी लिखते है, हत्वा क्रूरम् दुराधर्षम् देव ऋषीणाम् भयावहम्। दश वर्ष सहस्राणि दश वर्ष शतानि च॥१-१५-२९॥ भावार्थ - देवताओं तथा ऋषियोंको भय देनेवाले उस क्रूर एवं दुर्घर्ष राक्षस का नाश करके मैं ग्यारह हजार वर्षोंतक इस पृथ्वीका पालन करता हुआ मन्युष्यलोकमें निवास करुँगा। अर्थात राम 11000 वर्षों तक पृथ्वी पर रहे। युग, वैदिक धर्म (हिन्दू धर्म) सभ्यता के अनुसार, एक निर्धारित संख्या के वर्षों की कालावधि है। ब्रह्माण्ड का काल चक्र चार युगों के बाद दोहराता है। जिसमे चार युग होते है। यह चारो योग में कुल कितने समय होते है इस बारे में हमने अपने लेख में बता दिया है। अवश्य पढ़े कलि युग - 432,000 मानव वर्ष का होता है। अभी-अभी कृष्ण द्वापर में हुए है। द्वापर युग - 864,000 मानव वर्ष का होता है। जब कृष्ण संसार से प्रस्थान किये तो कलियुग का प्रारम्भ हुआ। आज से लगबघ 5100वर्ष पहले कृष्ण प्रस्थान किये थे। और जब राम संसार से प्रस्थान किये तब द्वापर युग प्रारंभ हुआ। अतएव द्वापर 8,64,000 वर्ष का होता हैं। राम का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर से पहले हुआ था। राम रहे है 11000 वर्ष फिर द्वापर युग के अंत से अबतक कलियुग का 5100वर्ष बीत चू...

वाल्मीकि जी ने किसके कहने से रामायण की रचना की थी? » Valmiki Ji Ne Kiske Kehne Se Ramayana Ki Rachna Ki Thi

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। राम राम जी की दो कि आपका प्रश्न वाल्मीकि ने किसके कहने से रामायण की रचना की थी तो मैं आपको बता दूं नारद जी ने वाल्मीकि को जब मरा मरा का जाप करने का आदेश दिया उल्टा नाम जब-जब के अणुओं की संख्या में उन्होंने राम नाम का जाप किया तो इनका अंतर कम हो गया और यह संस्कृत भाषा के विश्व के आगे कभी हो गई तब इनके मन में राम नाम की सुमिरन से इनका अंतर करण राम में हो गया तब इनके मन में ख्याल आया कि प्रोग्राम के बारे में जीवन चरित्र के बारे में मैं कोई गम लिखूं नारद जी ने भी उनको इसे तू प्रेरणा दी ब्रह्मा जी ने भी उनको इस प्रेरणा दी और उनका संपूर्ण जीवन राम में भाजपा का वाल्मीकि का राम नाम की जबकि प्रभाव से अंतर्यामी हो गई थी उन्हें राम की जीवन के बारे में और उनके पूरे जीवन चरित के बारे में पूरा ज्ञान हो गया था तो वाल्मीकि ने राम नाम की विनाशी राम नाम से जो ब्रह्म ऋषि हुए थे उनका अंतर्गत हुआ था उस प्रेरणा से प्रेरित होकर रामचंद्र जी ने वाल्मीकि रामायण की रचना की थी ram ram ji ki do ki aapka prashna valmiki ne kiske kehne se ramayana ki rachna ki thi toh main aapko bata doon narad ji ne valmiki ko jab mara mara ka jaap karne ka aadesh diya ulta naam jab jab ke anuon ki sankhya me unhone ram naam ka jaap kiya toh inka antar kam ho gaya aur yah sanskrit bhasha ke vishwa ke aage kabhi ho gayi tab inke man me ram naam ki sumiran se inka antar karan ram me ho gaya tab inke man me khayal aaya ki program ke bare me jeevan charitra ke bare me main koi gum likhun narad ji ne bhi un...

मुख्य द्वार पर किसकी फोटो लगाये

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ब्रह्मा

Brahma|thumb|200px • sarvashreshth pauranik tridevoan mean brahma, • • puranoan ke anusar kshirasagar mean sheshashayi svayanbhoo kahalate haian. • ghor tapasya ke pashchath inhoanne • • • yadyapi brahm puranoan mean trimoorti ke antargat ye agragany aur pratham bane rahe, kintu dharmik sampradayoan ki drishti se inaka sthan • brahma ke mandir bhi tho de hi haian. sabase prasiddh brahma ka tirth ajamer ke pas • [[chitr:Brahma-Kund-Vrindavan-3.jpg|brahma ji, brahm kund, Brahma Ji, Brahma Kund, Vrindavan|thumb|220px|left]] • mahapralay ke bad bhagavan narayan dirgh kal tak yoganidra mean nimagn rahe. yoganidra se jagane ke bad unaki nabhi se ek divy kamal prakat hua. jisaki karnikaoan par svayambhoo brahma prakat hue. unhoanne apane netroan ko charoan or ghumakar shoony mean dekha. is cheshta se charoan dishaoan mean unake char mukh prakat ho gaye. jab charoan or dekhane se unhean kuchh bhi dikhalayi nahian p da, tab unhoanne socha ki is kamal par baitha hua maian kaun hooan? maian kahaan se aya hooan tatha yah kamal kahaan se nikala hai? • dirgh kal tak tap karane ke bad brahma ji ko sheshashayya par soye hue bhagavan vishnu ke darshan hue. apane evan vishv ke karan param purush ka darshan karake unhean vishesh prasannata huee aur unhoanne bhagavan vishnu ki stuti ki. bhagavan vishnu ne brahmaji se kaha ki ab ap tap:shakti se sampann ho gaye haian aur apako mera anugrah bhi prapt ho gaya hai. at: ab ap srishti karane ka prayatn kijiye. • bhagavan vishnu ki prerana se sarasv...