कबीर दास जी के भजन

  1. कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download
  2. कबीर दास का जीवन परिचय
  3. Kabir Das Biography In Hindi
  4. कहत कबीर : कबीर साहित्य
  5. कबीर दास
  6. भजन संग्रह
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कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download

Advertisements (1) (2) कबीर दास का जीवन परिचय 300 शब्दों में, (4) कबीर का जीवन परिचय Class 11 (3) कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download– कबीरदास जी के जन्म के बारे में स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि कबीर दास जी का जन्म कब हुआ था वैसे तो या फिर विद्वानों के अनुसार कबीर दास जी का जन्म 1398 – 1448 में हुआ था कबीर दास जी का जन्म 1440 में पूर्णिमा पर ज्वेष्ठ के महीने में हुआ था। Advertisements कबीरदास का जीवन परिचय हिंदी में PDF Download कबीरदास जी का जन्म कहां हुआ था कबीरदास जी काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे ब्राह्मणी ने नवजात शिशु को लहरतारा नामक तालब के पास छोड़कर चली गई थी। कबीर दास जी को वहां से नीरू नाम का जुलाहा अपने घर पर ले आया उसी ने उसका पालन पोषण किया और यही बालक बाद में कबीर दास जी के नाम से विख्यात हुआ। संत कबीर दास जी का जन्म 15 वी शताब्दी के मध्य यानी 1440 में काशी वाराणसी उत्तर प्रदेश में हुआ। कबीर दास जी का जन्म किस परस्थिति मे हुआ कबीर दास जी के जीवन के बारे में अलग – अलग विचार विपरीत तथ्य और कई कथाएं हैं ऐसा माना जाता है या फिर कहा जाता है कि कबीर दास जी का जन्म बड़े चमत्कारिक रूप से हुआ था उसकी माता एक ब्राह्मण विधवा थी जो अपने प्रेमी के साथ एक प्रसिद्ध तपस्वी के तीर्थ यात्रा पर गई थी उनके समर्पण से प्रभावित होकर तपस्वी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि जल्द ही एक बेटे को जन्म देगी। बेटे का जन्म होने के बाद बदनामी से बचने के लिए कबीर की मां ने उन्हें ( प्रेमी ) छोड़ दिया क्योंकि उनकी शादी नहीं हुई थी। कबीर दास जी के जीवन के बारे में कई किदवन्तीया अलग-अलग रूप से कबीर दास जी का जीवन दर्शाती है कबीरदास जी का जीवन के बारे में स्पष...

कबीर दास का जीवन परिचय

Table of Contents • • • • • • कबीर दास (about kabir das in hindi) एक संत, कवि और समाज सुधारक थें। यही वजह है कि उन्हें संत कबीर दास के नाम से जाना जाता है। यहां तक कि वह अपनी कविताओं में भी सत्य को उजागर करने की कोशिश किया करते थे। वह अपनी कविताओं में पाखंडियों के बारे में लिखते थे या फिर अन्याय या फिर लोगों को सत्य का मार्ग दिखाने की कोशिश किया करते थे। संत कबीर दास के बारे में या फिर उनकी कविताएं शायद आपने भी अपने स्कूल के समय में जरूर पढ़ी होंगीं। आज हम इस लेख में आपको संत कबीर का जीवन परिचय बताने वाले हैं। कबीर दास कौन थे संत कबीर दास ( कबीर के दोहे मीठी वाणी ) हिंदी साहित्य के ऐसे कवि हैं, जिन्होंने आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर लिखते रहे। वह कर्म को बहुत अहम मानते थे और इस वजह से वजह से वह कर्म प्रधान समाज के पैरवी थे और इसकी झलक उनकी रचनाओं में भी दिखाई देती है। मानो तो उन्होंने लोक कल्याण के नाम अपना पूरा जीवन कर दिया था। संत कबीर दास की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उनकी प्रतिभा में अबाध गति और अदम्य प्रखरता थी। कबीर दास (कबीर दास का जन्म कब हुआ था) के जीवन से संबंधित बहुत सी किंवदन्तियाँ हैं। कबीर पंथियों की माने तो उनका जन्म काशी में लहरतारा तालाब में मौजूद कमल के ऊपर बालक के रूप में हुआ था। वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि उनका जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ था और युवावस्था में उन्हें स्वामी रामानंद के प्रभाव से हिंदू धर्म के बारे में जानकारी मिली थी। एक दिन कबीर गंगा घाट की सीढ़ियों पर गिर गए थे। उस समय रामानंद जी गंगा स्नान के लिए सीढ़ियां उतर रहे थे और तभी उनका पांव कबीर के शरीर पर पड़ गया और उनके मुख से तुरंत राम-राम शब्द निकल पड़ा। माना जाता है...

Kabir Das Biography In Hindi

नमस्कार दोस्तों Kabir Das Biography In Hindi में आपका स्वागत है। आज हम एक महान समाज सुधारक, कवि और संत कबीर दास जी का जीवन परिचय बताने वाले है। संत कबीरदास हिन्दी साहित्य के भक्ति काल के ज्ञानमार्गी शाखा के कवि हैं। उन्होंने आजीवन लोगों पर समाज के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात किया था। कबीर दास के जन्म के संबंध में सभी लोगों द्वारा अनेक प्रकार की बातें कही जाती हैं। उनके दोहों और पदों में हिंदी भाषा की झलक दिखलाई पड़ती है। भारत देश के महान संत और आध्यात्मिक कवि कबीर दास का जन्म वर्ष 1440 में हुआ था। कबीर पन्थियों की मान्यता है कि कबीर का जन्म काशी में लहरतारा तालाब में उत्पन्न कमल के मनोहर पुष्प के ऊपर बालक के रूप में हुआ था। संत कबीर दास जी की रचनाओं में ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी, हरयाणवी और हिंदी खड़ी बोली की प्रचुरता देखने को मिलती है। आज हम Kabirdas jivan parichay में Saint के Kabir das ka jivan parichay संबंधित जानकारी बताने वाले है। Kabir Das Biography In Hindi पूरा नाम – संत कबीरदास अन्य नाम – कबीरा, कबीर साहब जन्म सन – सन 1398 (विक्रमी संवत 1455 अंदाजित) जन्म भूमि – लहरतारा ताल, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत मृत्यु – सन1518 (विक्रमी संवत 1551अंदाजित) मृत्यु स्थान – मगहर, उत्तर प्रदेश, भारत पिता का नाम – नीरू जुलाहे माता का नाम – नीमा जुलाहे गुरु – गुरु रामानंद जी पत्नी – लोई संतान – कमाल (पुत्र), कमाली (पुत्री) कर्म भूमि – काशी, बनारस, भारत कर्म-क्षेत्र – समाज सुधारक कवि, भक्त, (सूत कातकर) कपड़ा बनाना मुख्य रचनाएँ – साखी, सबद, रमैनी, बीजक विषय – सामाजिक, आध्यात्मिक भाषा – अवधी, सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी, हिन्दी शिक्षा – निरक्षर नागरिकता – भारतीय काल – भक्ति काल व...

कहत कबीर : कबीर साहित्य

कहत कबीर कबीरदास जी का नाम हिंदी भक्त कवियों में बहुत ऊँचा माना जाता है। आप निर्गुण भक्ति धारा की ज्ञानमार्गी शाखा में सर्वोपरि माने जाते हैं। कबीर हिंदी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व हैं। कबीर की रचनाओं को मुख्यत: निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाता है: रमैनी, सबद व साखी। 'रमैनी' और 'सबद' गाए जाने वाले 'गीत या भजन' के रूप में प्रचलित हैं। 'साखी' शब्द साक्षी शब्द का अपभ्रंश है। इसका अर्थ है - "आँखों देखी अथवा भली प्रकार समझी हुई बात।" कबीर की साखियाँ दोहों में लिखी गई हैं जिनमें भक्ति व ज्ञान उपदेशों को संग्रहित किया गया है। कबीर ने उलटबांसियाँ भी कही हैं। पहली बार सुनने में प्राय: ये चौंकाने वाली व निर्थक जान पड़ती हैं, लेकिन इनका गहन अध्ययन करने पर इनका गूढ़ अर्थ समझ आता है और ये सार्थक लगती हैं। कबीर को पढ़ने-लिखने का अवसर नहीं मिला था परंतु विद्वानों के सानिध्य में वे खूब रहे। "मसि कागद छूवो नहीं, कलम गही नहिं हाथ।" साधु-संतों के सत्संग से उन्होंने अनेक शास्त्रों तथा धर्म का समुचित ज्ञान अर्जित कर लिया था। कबीर ने कविता अपना काव्य पांडित्य दिखाने के लिए नहीं की। उनका काव्य भक्ति काव्य है और उनके काव्य में रहस्यवाद के भी दर्शन होते हैं। कबीर को स्वाधीन और सम्मानजनक जीवन प्रिय था। वो सूखी खाकर ठंडा पानी पीकर भी संतुष्ट थे। कबीर कहते हैं: खिचड़ी मीठी खांड है, मांहि पडै टुक लूण। पेड़ा पूरी खाय के, जाण बंधावै कूण ॥

कबीर दास

कबीर दास की जीवनी भारत के महान संत और आध्यात्मिक कवि कबीर दास का जन्म वर्ष 1440 में और मृत्यु वर्ष 1518 में हुई थी। इस्लाम के अनुसार ‘कबीर’ का अर्थ महान होता है। कबीर पंथ एक विशाल धार्मिक समुदाय है जिन्होंने संत आसन संप्रदाय के उत्पन्न कर्ता के रुप में कबीर को बताया। कबीर पंथ के लोग को कबीर पंथी कहे जाते है जो पूरे उत्तर और मध्य भारत में फैले हुए है। संत कबीर के लिखे कुछ महान रचनाओं में बीजक, कबीर ग्रंथावली, अनुराग सागर, सखी ग्रंथ आदि है। ये स्पष्ट नहीं है कि उनके माता-पिता कौन थे लेकिन ऐसा सुना गया है कि उनकी परवरिश करने वाला कोई बेहद गरीब मुस्लिम बुनकर परिवार था। कबीर बेहद धार्मिक व्यक्ति थे और एक महान साधु बने। अपने प्रभावशाली परंपरा और संस्कृति से उन्हें विश्व प्रसिद्धि मिली। ऐसा माना जाता है कि अपने बचपन में उन्होंने अपनी सारी धार्मिक शिक्षा रामानंद नामक गुरु से ली। और एक दिन वो गुरु रामानंद के अच्छे शिष्य के रुप में जाने गये। उनके महान कार्यों को पढ़ने के लिये अध्येता और विद्यार्थी कबीर दास के घर में ठहरते है। इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि उनके असली माता-पिता कौन थे लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनका लालन-पालन एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनको नीरु और नीमा (रखवाला) के द्वारा वाराणसी के एक छोटे नगर से पाया गया था। कबीर के माँ-बाप बेहद गरीब और अनपढ़ थे लेकिन उन्होंने कबीर को पूरे दिल से स्वीकार किया और खुद के व्यवसाय के बारे में शिक्षित किया। उन्होंने एक सामान्य गृहस्वामी और एक सूफी के संतुलित जीवन को जीया। कबीर दास का अध्यापन ये माना जाता है कि उन्होंने अपनी धार्मिक शिक्षा गुरु रामानंद से ली। शुरुआत में रामानंद कबीर दास को अपने शिष्य के रुप में लेने को तैयार नहीं...

भजन संग्रह

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kabir das bhajan

कबीर दासजी भजन - तूने रात गँवायी सोय तूने रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के। हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय॥ सुमिरन लगन लगाय के मुख से कछु ना बोल रे। बाहर का पट बंद कर ले अंतर का पट खोल रे। माला फेरत जुग हुआ, गया ना मन का फेर रे। गया ना मन का फेर रे। हाथ का मनका छाँड़ि दे, मन का मनका फेर॥ दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय रे। जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय रे। सुख में सुमिरन ना किया दुख में करता याद रे। दुख में करता याद रे। कहे कबीर उस दास की कौन सुने फ़रियाद॥ कबीर दास जी हिंदी भाषा के महान प्रसिद्ध कवि हे | संत Kabir Das जी ने अपने जीवनकाल में अनेक प्रकार की रचनाये की जैसे दोहे , भजन , अमृतवाणी आदि जो हम आज भी पढ़ते हे और सुनते हे | इनके द्वारा लिखी गयी कविताये दोहे आदि आम बोलचाल की भाषा में ही हे | इस भाषा का जानकार इनसे बढ़कर और कोई नहीं हे | संत कबीर दास जी के प्रत्येक दोहे ( Kabir Das ke Dohe ) का अपने आप में एक महत्वपूर्ण और अलग ही अर्थ है | इनके द्वारा रचित दोहो को आप सुनकर उसे अपने जीवन में अनुसरण करते है तो निश्चित ही आपको ईश्वर की प्राप्ति होगी | कबीर दासजी भजन - बहुरि नहिं आवना बहुरि नहिं आवना या देस॥ टेक॥ जो जो ग बहुरि नहि आ पठवत नाहिं सँस॥ सुर नर मुनि अरु पीर औलिया देवी देव गनेस॥ धरि धरि जनम सबै भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस॥ जोगी जंगम औ संन्यासी दिगंबर दरवेस॥ चुंडित मुंडित पंडित लो सरग रसातल सेस॥ ज्ञानी गुनी चतुर अरु कविता राजा रंक नरेस॥ को राम को रहिम बखानै को कहै आदेस॥ नाना भेष बनाय सबै मिलि ढूंढि फिरें चहुँदेस॥ कहै कबीर अंत ना पैहो बिन सतगुरु उपदेश॥ Kabir bhajan कबीर दासजी भजन - मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी म...