कबीर दासी

  1. Sant Kabir Das Biography (Hindi): कबीर दास जी से जुड़े अनसुलझे पहलू
  2. कबीर दास का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं
  3. कबीर दासी में समाज की धार्मिक स्थिति और उसकी अभिव्यक्तियों के बारे में अध्ययन


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Sant Kabir Das Biography (Hindi): कबीर दास जी से जुड़े अनसुलझे पहलू

Sant Kabir Das Biography (Hindi) | संत कबीर दास (कबीर परमात्मा) का प्राकट्य (गर्भ से जन्म नहीं) लगभग छह शताब्दियों पूर्व हुआ था। 120 वर्ष की आयु में उन्होंने रहस्यमय तरीके से सशरीर यह संसार छोड़ा। 600 वर्ष के बाद आज भी रहस्यवादी कवि संत कबीर प्रासंगिक बने हुए हैं। विभिन्न आयु, वर्ग (शिक्षित – अशिक्षित, अमीर – गरीब), धर्मों के लोगों के जीवन के हर आयाम को इस महान व्यक्तित्व और समाज सुधारक ने प्रभावित किया है। विरोध करने वाले भी सदैव असमंजस में रहे कि कैसे एक अनपढ़, दलित, गरीब हर विषय पर अधिकार पूर्वक बोल सकता है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Sant Kabir Das Biography (Hindi): संत कबीर दास (कबीर परमात्मा) का अनूठा मानवतावाद संत कबीर दास (कबीर परमात्मा) का मानवतावाद अनूठा था जो किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं था। जब अविभाजित भारतवर्ष की जनसंख्या 4 करोड़ के आसपास रही होगी उस समय कबीर दास के भक्तों की संख्या 64 लाख थी। आज भी भारत, नेपाल, पाकिस्तान समेत पूरे विश्व में उनके अनुयायियों की बड़ी संख्या है। हिंदू धर्म के भक्ति आंदोलन को प्रभावित करने वाले संत कबीर की ज्ञान गंगा से ही सिख पंथ की शाखा भी निकली। प्रमाण के तौर पर गुरुग्रंथसाहिब में भी उनकी कृतियां बड़ी मात्रा में हैं। जब हिन्दू मुस्लिम पूरी तरह विभाजित थे। उन्होंने दोनों की एकता के लिए कार्य किया। अपना प्रारंभिक जीवन एक ब्राह्मण से मुस्लिम बने परिवार में बिताया। दुनिया के लिए रामानंद उनके गुरू थे पर वास्तविकता में रामानंद ने उन्हें अपना सतगुरू मानकर उनसे सतज्ञान की शिक्षा और दीक्षा ली थी। आज भी समाज का प्रबुद्ध वर्ग विशेषकर शिक्षित – बुद्धिजीवी वर्ग उनकी दृढ़ता से प्रभावित है और व्यापक रूप से...

कबीर दास का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं

जब भी हम दोहों और पदों के बारे में बात करते हैं तो सबसे पहले कबीरदास का नाम ही हमारे मुख में आता है। कबीरदास ने अपने दोहों और पदों से समाज को एक नई दिशा दी है। हिंदी साहित्य के महान कवि होने के साथ ही कबीर दास विद्दंत विचारक, भक्तिकाल के प्रमुख कवि और अच्छे समाज सुधारक थे। कबीर दास की सधुक्कड़ी मुख्य भाषा थी। लेकिन हमें इनके पदों और दोहों में हिंदी भाषा की एक अलग ही झलक दिखाई देती है। कबीर दास की मुख्य रचनाओं में हमें पंजाबी, राजस्थान, अवधी, हरियाणवी, ब्रज, खड़ी बोली आदि देखने को मिलती है। इन्होंने अपनी सकारात्मक विचारों और कल्पना शक्ति से कई प्रसिद्ध रचनाएँ लिखी। kabir das ka parichay कबीर दास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने के लिए अपना अहम योगदान दिया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति को बहुत अच्छे तरीके से वर्णित किया है, जिसमें हमें उसका महत्व समझने को मिलता है। इन्होंने अपनी रचनाओं से लोगों को सकारात्मक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। कबीर दास भक्तिकाल की निर्गुण भक्ति धारा से बहुत प्रभावित थे। कबीर दास का प्रभाव हमें सिख, हिन्दू, मुस्लिम आदि धर्मों में देखने को मिलता है। इन्होंने अपने जीवन में समाज में व्याप्त ऊंच-नीच, जातिगत भेदभाव आदि जैसी भयंकर बुराईयों दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कबीर दास के दोहों, पदों और उनकी रचनाओं को पढ़कर कोई भी अपने जीवन को सफल बना सकता है और अपने जीवन को एक नई दिशा में अग्रेसित कर सकता है। यहां पर हम कबीर दास की जीवनी (Kabir Das ka Jivan Parichay) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने वाले है, जिसमें कबीर की शिक्षा कहां तक हुई थी, कबीरदास जी के गुरू कौन थे, उनकी पत्नी का नाम...

कबीर दासी में समाज की धार्मिक स्थिति और उसकी अभिव्यक्तियों के बारे में अध्ययन

ABSTRACT: संत कबीर दास को उत्तरी भारत में भक्ति और सूफी आंदोलन का सबसे प्रभावशाली और सबसे उल्लेखनीय कवि माना जाता है। वह पाखंड की प्रथा के सख्त खिलाफ थे और लोगों को दोहरा मापदंड बनाए रखना पसंद नहीं करते थे। उन्होंने हमेशा लोगों को अन्य जीवित प्राणियों के प्रति दयालु होने और सच्चे प्रेम का अभ्यास करने का उपदेश दिया। उन्होंने हमेशा मोक्ष के साधन के रूप में कर्मकांड और तपस्वी विधियों का विरोध किया। उन्होंने सभी संप्रदायों की खुले तौर पर आलोचना की और मानव अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर अपने सीधे आगे के दृष्टिकोण के साथ भारतीय दर्शन को एक नई दिशा दी। उन्होंने सभी अंधविश्वासों की बेकारता को उजागर किया, हर चीज जिसे अलौकिक कहा जा सकता है और वह सब कुछ जो सिद्धांत रूप में असत्यापित है। गौरतलब है कि कबीर किसी धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि धर्म के नाम पर लोगों द्वारा किए जा रहे पाखंड के खिलाफ प्रचार कर रहे थे। इस प्रकार, उन्होंने विभिन्न जातियों और धार्मिक संप्रदायों के बीच की खाई को पाटने का प्रयास किया। यही कारण है कि कबीर को पूरी दुनिया में बहुत सम्मान दिया जाता है। इस लेख में हम कबीर दासी में समाज की धार्मिक स्थिति और उसकी अभिव्यक्तियाँ के बारे में अध्ययन कर रहे हैं.