केतकी का फूल और पौधा

  1. Ketki ka phool kaisa hota hai
  2. Ketki ka phool : शिवजी को क्यों नहीं चढ़ाते केतकी का फूल
  3. Umbrella Tree Cursed
  4. केतकी का फूल: भारत का एक सुगंधित फूल
  5. Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai


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Ketki ka phool kaisa hota hai

हेलो दोस्तों आज की इस पोस्ट में केतकी के फूल (ketki ke phool)के बारे में जानने वाले हैं की Ketki ka phool kaisa hota hai? Ketki ka phool भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है या नहीं? केतकी के पौधे (ketki ke ped) में फूल कब लगते हैं? यह कहां कहां पाया जाता है? केतकी के फूल का उपयोग किस में किया जाता है? Ketki ka phool कितने प्रकार के होते हैं अगर आप भी यह सब जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें आइए अब जानते हैं कि Ketki ka phool kaisa hota haiहै। Ketki ka phool kaisa hota hai दुनिया भर में फूलों की कई प्रजातियां पाई जाती है सभी फूलों की जानकारी को याद रखवाला इंसानों के लिए असंभव है सभी फूलों का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है ketki ka phool एक प्राचीन फूल है जिसका धार्मिक कथाओ मे भी इसका उल्लेख किया गया है Ketki ka phool भगवान शिव जी की पूजा करने में इसका उपयोग नहीं किया जाता है इसके पीछे का कारण क्या है इसके बारे में भी आगे हम जानेंगे । केतकी को महकदार झाड़ी माना जाता है ketki ka phool एक बहुत ही सुगंधित फूल होता है इसकी पत्तियां लंबी, मुलायम, चिकना, नुकीला और चपटा होता है इसके पीछे की ओर कांटे भी पाए जाते हैं केतकी को केवड़ा के नाम से भी जानते हैं केतकी को फूलों की पत्तियों के रंग के आधार पर इसको दो प्रकार में बांटा गया है – • जिस केतकी के पौधे पर पत्तियों का रंग सफेद होता है उसे केवड़ा कहा जाता है। • जिस पौधे पर पत्तियों का रंग पीला होता है उसको सुवर्ण केतकी कहा जाता है अब आप Ketki ka phool kaisa hota hai के बारे में जान गए होंगे आइए अब जानते हैं ketki ka phool भगवान शिव शंकर पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता है। Ketki ka phool भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता भगवान शिव...

Ketki ka phool : शिवजी को क्यों नहीं चढ़ाते केतकी का फूल

सफेद रंग का यह Ketki ka phool देखने में काफी सुंदर होता है इसका आंतरिक भाग हल्के पीले सुनहरे रंग का दिखता है जो इसकी सुंदरता को काफी अधिक बढ़ा देता है केतकी के पौधे की पत्तियां का उपयोग छाते टोपिया चटाईया बनाने में किया जाता है कई जगह केतकी की नरम पत्तियों का प्रयोग सब्जियों के तौर पर भी किया जाता है इसकी सब्जी कफनाशक होती है यह ना केवल सुंदर दिखने वाला फूल है बल्कि बल्कि इसका पौधा अपने भीतर कई औषधीय गुण भी समेटे हुए है एक बार की बात है जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी अपनी अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करने के लिए भयंकर युद्ध छिड़ गया दोनों ही अपनी अपनी श्रेष्ठता को सर्वोच्च मानने लगे भगवान ब्रह्मा जी बोले हम सृष्टि के रचयिता है अतः हम श्रेष्ठ हैं तभी विष्णु जी बोले हम सृष्टि के पालन कर्ता है अतः हम श्रेष्ठ हैं तभी अचानक एक विशाल शिवलिंग प्रकट हुआ और ब्रह्मा विष्णु ने निश्चय किया यदि शिवलिंग का दूसरा सिरा जो कोई सबसे पहले ढूंढ लेगा वही श्रेष्ठ माना जाएगा लगभग 1000 सालों तक शिवलिंग का सिरा ना मिलने के बाद भगवान विष्णु लौट आए और ब्रह्मा जी से कहा हमें शिवलिंग का सिरा नहीं मिला भगवान ब्रह्मा जी को भी शिवलिंग का सिरा नहीं मिला था किंतु उन्होंने भगवान विष्णु से केतकी फूल को साक्षी मानकर कह दिया कि हमें शिवलिंग का सिरा मिल गया था तभी भगवान भोलेनाथ वहां क्रोध रूप में प्रकट हुए और भगवान ब्रह्मा की आलोचना की और उन्होंने केतकी के फूल को झूठ का साथ देने के लिए दंडित किया और कहा हे सुंदर केतकी तुम हमारी पूजा के कभी हिस्सा नहीं बन पाओगे अतः ध्यान रहे की पूजा में भगवान शिव पर केतकी का फूल शिव महापुराण के अनुसार वर्जित किया गया है

Umbrella Tree Cursed

वहीं, एक फूल ऐसा भी जिसे भगवान को चढ़ाने से घर में शुभता नहीं बल्कि अशुभता का वास होता है। वो फूल है केतकी का। आप में से अधिकतर लोगों को यह तो पता होगा कि केतकी का फूल भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता है लेकिन क्या आप इसके पीछे का कारण भी जानते हैं। अगर नहीं तो आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं। यानी कि जो भी पहले भगवा विष्णु के ज्योतिर्लिंग का आखिरी सिरा पहले ढूंढेगा उन्हें ही श्रेष्ठ माना जाएगा। जिसके बाद खंबे के ऊपरी भाग का छोर पता लगाने जहां एक ओर भगवान विष्णु गए तो निचले छोर का पता लगाने ब्रह्म देव ने अपनी यात्रा शुरू की। इसे जरूर पढ़ें: ब्रह्मा पर क्रोधित हुए महादेव लाख ढूंढने के बाद भी जब भगवान विष्णु को महादेव के ज्योतिर्लिंग का छोर नहीं मिला तो उन्होंने अपनी यात्रा रोक कर महादेव के समक्ष यह स्वीकार किया कि वह अंतिम सिरा नहीं ढूंढ पाए। वहीं, ब्रह्मा ने यात्रा समाप्त तो की लेकिन एक झूठ के साथ। दरअसल, जब ब्रह्म देव खंवे का दूसरा सिरा ढूंढने निकले तो उनके पीछे पीछे केतकी का फूल भी आने लगा। जब ब्रह्म देव ने यह देखा तो उन्होंने एक युक्ति के तहत महादेव के सामने झूठ बोल दिया कि उन्होंने सिरा ढूंढ लिया है और अपने इस झूठ में केतकी को शामिल करते हुए उन्हें गवाह बना लिया। इसे जरूर पढ़ें: केतकी को मिला महादेव से श्राप जहां एक तरफ महादेव के समक्ष बोले गए इस झूठ के चलते ब्रह्म देव को शिव शंकर के क्रोध का सामना करना पड़ा और महादेव ने उनका पंचम शीश काट दिया वहीं, भोलेनाथ ने केतकी फूल को भी श्राप देते हुए अपनी पूजा में वर्जित कर दिया। जिसके बाद से ही यह एक नियम बन गया कि जब भी महादेव की पूजा होती है तो उसमें केतकी के फूलों का कोई स्थान नहीं होता।

केतकी का फूल: भारत का एक सुगंधित फूल

केतकी का फूल, जिसे पांडनस फूल या स्क्रू पाइन के रूप में भी जाना जाता है, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया का एक सुगंधित फूल है। यह भारतीय संस्कृति में अपनी मीठी खुशबू के लिए अत्यधिक पूजनीय है और अक्सर इसका उपयोग धार्मिक समारोहों में और शादियों और अन्य विशेष आयोजनों के लिए सजावट के रूप में किया जाता है। इस लेख में, हम केतकी के फूल की अनूठी विशेषताओं और भारतीय संस्कृति में इसके महत्व का पता लगाएंगे। केतकी का फूल क्या है और यह कैसा दिखता है? Ketki Ka Phool केतकी का फूल एक मीठा, उष्णकटिबंधीय सुगंध वाला एक छोटा सफेद फूल है। यह पांडनस पौधे पर उगता है, एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार झाड़ी जिसमें लंबे, नुकीले पत्ते होते हैं जो आमतौर पर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य भागों में पाए जाते हैं। पौधा 10 मीटर तक लंबा हो सकता है और इसकी एक विशिष्ट हवाई जड़ प्रणाली होती है जो इसे मिट्टी से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करती है। फूल स्वयं छोटा होता है, जिसका व्यास केवल 2-3 सेमी होता है। इसकी लंबी, पतली पंखुड़ियों के साथ एक अनूठी उपस्थिति है जो फूल के केंद्र के चारों ओर एक सर्पिल पैटर्न में व्यवस्थित होती है। पंखुड़ियाँ पतली और नाजुक होती हैं, जो फूल को एक नाजुक, ईथर गुणवत्ता प्रदान करती हैं। Ketki Ka Phool Ketki ka phool को भारतीय संस्कृति में इसकी मीठी सुगंध के लिए अत्यधिक महत्व दिया जाता है और अक्सर इसका उपयोग धार्मिक समारोहों में और शादियों और अन्य विशेष आयोजनों के लिए सजावट के रूप में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि फूलों की सुगंध मन पर शांत प्रभाव डालती है और अक्सर शांतिपूर्ण और ध्यानपूर्ण वातावरण बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, केतकी का फूल भगवान शिव से ज...

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai :- आपने केतकी के फूल का नाम तो अवश्य सुना होगा, क्योंकि यह अत्यंत सुंदर दिखाई देता है। मगर कई सारे ऐसे लोग हैं, जो सिर्फ केतकी का नाम जानते हैं, उन्होंने आज तक केतकी की फूल नहीं देखी है, क्योंकि यह भारत में ज्यादा मात्रा में नहीं पाया जाता है मगर जो लोग नहीं देख पाए हैं। उनका यही इच्छा है, कि आखिर केतकी का फूल कैसा होता है और उसका महत्व क्या है ? तो अगर आप इन सभी चीजों के बारे में जानना चाहते हैं। तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे तो चलिए शुरू करते हैं। Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai | केतकी का फूल कैसा होता है ? केतकी का फूल देखने में बहुत ही सुंदर होता है। इसके नुकीले, लंबे, चपटे और मुलायम पत्ते होते हैं। केतकी के फूल को पत्तियों के आधार पर दो भागों में बांटा गया है। यह फूल पीले रंग और सफेद रंग, दो रंग में होते हैं। सफेद रंग वाले केतकी के फूल को केवड़ा के नाम से भी जाना जाता है। वह केतकी के फूल जिनका रंग पीला होते हैं, उन्हें स्वर्ण केतकी के नाम से जाना जाता है। केतकी के हर फूल में 5 पंखुड़ियों होती है और यह छूने में काफी मुलायम होती है। यह फूल देखने में बहुत ही मनमोहक होता है। केतकी का फूल कब आता है ? केतकी का फूल वर्षा के मौसम मे देखने को मिलता है। यह फूल प्राय सावन आने के साथ ही दिखाई देता है। केतकी का फूल पेड़ पर लगता है और यह इतना सुगंधित होता है, कि यह अपने आसपास के क्षेत्र के वातावरण को सुगंधमय कर देता है। यदि यह पेड़ कही मौजूद हो, तो थोड़ी दूर से भी पता लगाया जा सकता है, कि इस क्षेत्र में कोई केतकी का पेड़ है। केतकी का पेड़ कैसा दिखता है ? केतकी का पेड़ खजूर के समान दिखाई देता है। इसकी लंबाई 12 फीट यानी 4 मीटर तक हो सकती है। केतकी...