केवड़ा का फूल

  1. Flowers Name In Hindi & English [फूलों के नाम]
  2. केवड़ा
  3. केवड़ा की खेती कैसे करें (Kewada ki kheti in hindi )
  4. चमत्कारी औषधि केवड़ा के 10 लाजवाब फायदे
  5. केवड़ा फूल के फायदे
  6. आस्था:जानें किस भगवान को कौन से फूल और मंत्र होते हैं सबसे ज्यादा प्रिय
  7. केवड़ा (Kewda) Meaning In English Kewda in English इंग्लिश
  8. वे 10 फूल, जिन्हें देवी


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Flowers Name In Hindi & English [फूलों के नाम]

यह Post Flowers Name In Hindi And English फूलों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में और फूलों की जानकारी पर है। फूल सुंगन्धित और मनमोहक होते है। ये लाल, पीले, हरे, गुलाबी, नीले जैसे रंगों में मिल जाते है। हर फूल की सुगंध अलग होती हैं। बाग बागीचों में फूल देखने को मिल जाते है। धरती पर खिले हुए फूल सुंदरता को बढ़ाते है। फूल थल और जल दोनों जगह पाये जाते है। फूलों के नाम भी उनके गुणों को बताते है। कुछ सुप्रसिद फुलों में गुलाब, कमल, रात की रानी, चमेली, गुड़हल आते है। फूल जिन पौधों पर लगते है, वो बड़े, छोटे विभिन्न आकारों में होते है। फूलों के नाम पर यह आर्टिकल आपको जरूर पसंद आ रहा होगा। तो आइए फूलों के नाम English And Hindi Name Of Beautiful Flowers जानने का प्रयास करते है। Contents • • • सुगन्धित और सुंदर फूलों के नाम Flowers Name In Hindi And English (1 – 10) 1. गुलाब (Rose) – यह सबसे प्रिय और सुंदर फूल है। प्रेम का इजहार अक्सर गुलाब का फूल देकर किया जाता है। ये लाल, गुलाबी, सफेद रंग के होते है। इन फूलों का गुलदस्ता भी बनाया जाता है। 2. कमल (Lotus) – कमल का फूल सफेद, गुलाबी रंग में होता है। यह ताल तलैया में पानी के ऊपर तैरते हुए मिल जाते है। यह देवी सरस्वती का आसन भी है। 3. कुमुदनी “लिली” (Lily) – यह फूल कमल की ही प्रजाति है। इसका रंग लाल होता है। यह भी पानी में उगता है। 6. जूही फूल (Sweet Jasmine) – जूही एक सफेद रंग का फूल है। यह फूल झाड़ी पर लगता है। जूही आकार में छोटा और सुगन्धित होता है। 7. नीलकमल फूल (Blue Water Lilly) – नीलकमल का फूल बेहद सुंदर होता है। यह नीले रंग का होता है। पानी पर यह फूल अक्सर दिखाई देता है। 8. मोगरा (Arabian Jasmine) – यह फूल बेहद ही सुगन्धित होता है। मोगरा फू...

केवड़ा

केवड़ा केवड़ा सुगंधित फूलों वाले वृक्षों की एक प्रजाति है जो अनेक देशों में पाई जाती है और घने जंगलों मे उगती है। पतले, लंबे, घने और काँटेदार पत्तों वाले इस पेड़ की दो प्रजातियाँ होती है- सफेद और पीली। सफेद जाति को केवड़ा और पीली को केतकी कहते है। केतकी बहुत सुगन्धित होती है और उसके पत्ते कोमल होते है। इसमे जनवरी और फरवरी में फूल लगते हैं। केवड़े की यह सुगंध साँपों को बहुत आकर्षित करती... केवड़ा संज्ञा पुं० [सं० केविका ]१. सफेद केतकी का पौधा जो केतकीसे कुछ बड़ा होता है ।विशेष — इसके फूल और पतियाँ केतकी से बड़ी होती हैं । केतकी की पतियों की भाँति इसकी पतियाँ भी चटाइयाँ आदिबनाने के काम आती हैं और इसके फूल से भी अतर औरसुगंधित जल बनता तथा कत्था बसाया जाता है । इसमें भीकेतकी के प्रायः सब गुण हैं । इसके सिवा वैद्यक में इसकेकेसर को गरम कंडुनाशक माना है और इसके फल कोबात, प्रमेह मौर कफ का नाशक कहा है ।विशेष— दे० 'केतकी' ।२. इस पौधे का फूल ३. इसके फूल से उतारा हुआ सुगंधितजल या आसव । ४. एक पेड़ जो हरद्वार के जंगलों औरबरमा में होता है ।विशेष—यह गरमी के दिनों में फुलता है । इसकी लकड़ी सागवनअदि की तरह मजबूत होती है । जिसके तख्तो से मेज,कुरसी संदूक आदि बनाए जाते हैं ।

केवड़ा की खेती कैसे करें (Kewada ki kheti in hindi )

केवड़े का छिडकाव आज कई चीजों में किया जा रहा है इसमें खाने से लेकर पीने की वस्तुओं से लेकर खुशबूदार सभी पदार्थों में बड़ी मात्रा में किया जा रहा है |केवड़े की बहुत ही सौन्दर्य प्रसाधन जैसे नहाने का सुगन्धित साबुन,बालों में लगाने वाला केश तेल,लोशन,खाद्य पदार्थ के रूप में केवड़ा जल मिठाई के लिए,सीरप,शीतल पेय दर्थों में सुगंध लिए केवड़ा जल का प्रयोग किया जाता है | सिरदर्द व गठियावात के रोगियों के लिए केवड़ा तेल किसी वरदान से कम नही है सौन्दर्य प्रसाधन जैसे नहाने का सुगन्धित साबुन,बालों में लगाने वाला केश तेल,लोशन,खाद्य पदार्थ के रूप में केवड़ा जल मिठाई के लिए,सीरप,शीतल पेय दर्थों में सुगंध लिए केवड़ा जल का प्रयोग किया जाता है | सिरदर्द व गठियावात के रोगियों के लिए केवड़ा तेल किसी वरदान से कम नही है | केवड़ा की खेती कैसे करें (Kewada ki kheti in hindi ) केवड़ा की खेती कर किसान मालामाल हो रहे हैं | केवड़ा एक बहु उपयोगी पौधा है. इससे कई तरह के उत्पादन बनते हैं. इस कारण इसकी मांग हमेशा बनी रहती है | मांग के हिसाब से उत्पादन नहीं होने के कारण केवड़ा की खेती करने वालों को अच्छी कीमत मिलती है. केवड़ा सामान्यत: नदी, नहर, खेत और तालाब के आसपास उगता है. इसके अलावा समुद्री किनारों पर इसकी फसल अच्छी होती है | केवड़ा की खेती में ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ता. इसके खेतों में खर-पतवार नहीं होते, इसलिए किसानों को निराई कराने की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर बारिश अच्छी हो रही हो तो सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है. अच्छी वर्षा वाले क्षेत्र में ही इसकी खेती ज्यादातर होती है. वैसे भी केवड़ा जल स्रोत के आस-पास अपने आप उग जाता है। Kewde Ki Kheti? Kewde Ke Faayde, Kewde Ki Kamai,अश्वगंधा की खेती से कमाई, ...

चमत्कारी औषधि केवड़ा के 10 लाजवाब फायदे

4 केवड़ा के फायदे और उपयोग : health benefits of kevda in hindi केवड़ा का सामान्य परिचय : Kevda in Hindi केवड़े का फूल या भुट्टा सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। इसकी मनमोहिनी खुशबू भारतवर्ष में बहुत प्राचीन काल से लोकप्रिय रही है । इसका पौधा गन्ने के पौधे की तरह होता है जिसके लम्बे-लम्बे पत्ते रहते हैं । इन पत्तों के किनारे पर कांटे रहते हैं । इसका भुट्टा १५ से २५ सेंटीमीटर तक लम्बा रहता है । विविध भाषाओं में नाम : • संस्कृत – धूलिपुष्पिका, गन्धपुष्प, इन्दुकलिका, नृपप्रिया, केतकी । • हिन्दी – केवड़ा, केतकी । • बंगाल – केवरी, केतकी । • दक्षिण – केवड़ा । • गुजराती – केवड़ा । • तामील – केदगई, केदगी । • तेलगू – केतकी, गोजंगी ,उई-केवरा । • लेटिन – Pandanus Odoratissimus ( पेंडेनस ओडारेटिसिमस ) Pandanus Tectorius ( पेंडिनस टिवटोरियम ) । केवड़ा के औषधीय गुण और प्रभाव : आयुर्वेदिक मत – • आयुर्वेदिक मत से इसके पत्ते, तीक्ष्ण, कट और सुगन्धमय होते हैं । • ये विष नाशक कामोद्दीपक और पथरी तथा अबुद में लाभदायक होते हैं। • इसका फूल कड़वा, तीक्ष्ण और शरीर-सौन्दर्य को बढ़ानेवाला होता है । • इसकी केशर फेफड़े के ऊपर की झिल्ली ( Pruritus ) के प्रदाह मे उपयोगी होती है। • इसका फल वात, कफ और मूत्राशय की तकलीफों में फायदा करता है । • गाय के दूध में केवड़े की जड़ ६ माशे से तोला भर तक घिस कर शक्कर मिलाकर प्रतिदिन सबेरे शाम पीने से भयंकर रक्तप्रदर भी शान्त होता है । • जिस स्त्री को हमेशा गर्भपात होने की शिकायत हो उसको भी यह औषधि गर्भ रहने के दूसरे महीने से चौथे महीने तक सेवन करने से गर्भपात बन्द हो जाता है । यूनानी मत – • यह दूसरे दर्जे में गरम और खुश्क है। किसी-किसी के मत से समशीतोष्ण है। • यह दिल की ...

केवड़ा फूल के फायदे

केवड़ा के एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। इसका उपयोग इत्र, लोशन, तम्बाकू, अगरबत्ती आदि में सुगंध के रूप में किया जाता है। साथ ही इसकी पत्तियों से चटाई, टोप, टोकनियां, पत्तल आदि बनाई जाती हैं। केवड़ा हर रूप में उपयोगी साबित होता है। केवड़ा कई तरह की बीमारियों में भी काम आता है। खास बात ये है कि केवड़े के तेल की मालिश गठियावात को समाप्त करने मे मददगार होता है। क्या होता है केवड़ा? – What is Kewda Flower in Hindi? केवड़ा क्या होता है (kevda kya hota hai)? केवड़ा खुशबूदार वृक्षों की एक प्रजाति है। ये ज्यादातर घने जंगलों में पाया जाता है। इसके पेड़ पतले, घने, लंबे होते हैं और इसके पत्ते कांटेदार। केवड़े के पेड़ की दो प्रजातियां पाई जाती हैं एक सफेद और दूसरी पीली। सफेद को केवड़ा कहते हैं और पीली प्रजाति को केतकी कहते हैं। केतकी बहुत ही सुगंधित होती है और उसके पत्ते भी कोमल होते हैं। केवड़ा को दूसरी भाषाओं में गंधपुष्प, धूतिपुष्पिका, केंदा, केउर, गोजंगी, केवर, नृपप्रिया आदि के नाम से भी जानते हैं। उड़ीसा में केवड़े के फूल (kevde ka phool) को फूलों का राजा कहा जाता है। केवड़ा का फूल कैसा होता है? केवड़ा का पौधा 18 फीट तक बढ़ता है और एक बार में 30 से 40 फल देता है। इसका फल शुरूआत में सफेद रंग का होता है इसीलिए इसे सफेद कमल भी कहा जाता है। आयुर्वेद में लगभग 12 हजार औषधीय जड़ी- बूटियों का उल्लेख मिलता है, जिसमें से केवड़ा भी एक है। आधुनिक शोधों व अनुसंधानों ने सिद्ध कर दिया है कि केवड़ा में अनेक औषधीय गुण हैं, जिनका कोई जवाब नहीं है। आइए जानते हैं इस सुगंधित पौधे के फायदे और नुकसानों के बारे में – केवड़ा के आयुर्वेदिक गुण – Ayurvedic Benefits of Kewra • केवड़ा जल क्या होता है (kewra water...

आस्था:जानें किस भगवान को कौन से फूल और मंत्र होते हैं सबसे ज्यादा प्रिय

पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए फूलों का विशेष महत्व होता है। भगवान को भक्ति में भाव, फूल और मंत्रों का जप का विशेष प्रिय होते हैं। मान्यताओं के अनुसार देवताओं को विशेष रंग के फूल चढ़ाने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए जानते हैं भगवान को चढ़ाने वाले फूल और उनके मंत्रों के जप के बारे में... सनातन धर्म में फूल का महत्व दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा। अर्थ- देवता का मस्तक या सिर हमेशा फूलों से सुशोभित रहना चाहिए। पुष्पैर्देवां प्रसीदन्ति पुष्पै देवाश्च संस्थिता न रत्नैर्न सुवर्णेन न वित्तेन च भूरिणा तथा प्रसादमायाति यथा पुष्पैर्जनार्दन। अर्थ- देवता रत्न, र्स्वण, द्रव्य, व्रत, तपस्या या अन्य किसी वस्तु से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना पुष्प चढ़ाने से होते हैं। शिवजी का प्रिय फूल और मंत्र भगवान शिव को धतूरे के फूल बहुत प्रिय होते हैं। इसके अलावा हरसिंगार, नागकेसर के सफेद पुष्प, कनेर, आक, कुश आदि के फूल भी भगवान शिव को चढ़ाने का विधान है। लेकिन कभी भी भगवान शिवजी को केवड़े का फूल और तुलसी दल ना चढ़ाएं। शिव मूल मंत्र- ॐ नमः शिवाय॥ महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् विष्णुजी का प्रिय फूल और मंत्र भगवान विष्णु को कमल, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय होते हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु को तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। कार्तिक मास में भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते है। मंत्र- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' गणेशजी का प्रिय फूल और मंत्र भगवान गणेश जल्दी प्रस...

केवड़ा (Kewda) Meaning In English Kewda in English इंग्लिश

केवड़ा का अन्ग्रेजी में अर्थ केवड़ा (Kewda) = केवड़ा संज्ञा पुं॰ [सं॰ केविका ] १. सफेद केतकी का पौधा जो केतकी से कुछ बड़ा होता है । विशेष — इसके फूल और पतियाँ केतकी से बड़ी होती हैं । केतकी की पतियों की भाँति इसकी पतियाँ भी चटाइयाँ आदि बनाने के काम आती हैं और इसके फूल से भी अतर और सुगंधित जल बनता तथा कत्था बसाया जाता है । इसमें भी केतकी के प्रायः सब गुण हैं । इसके सिवा वैद्यक में इसके केसर को गरम कंडुनाशक माना है और इसके फल को बात, प्रमेह मौर कफ का नाशक कहा है । विशेष— दे॰ 'केतकी' । २. इस पौधे का फूल ३. इसके फूल से उतारा हुआ सुगंधित जल या आसव । ४. एक पेड़ जो हरद्वार के जंगलों और बरमा में होता है । विशेष—यह गरमी के दिनों में फुलता है । इसकी लकड़ी सागवन अदि की तरह मजबूत होती है । जिसके तख्तो से मेज, कुरसी संदूक आदि बनाए जाते हैं । केवड़ा सुगंधित फूलों वाले वृक्षों की एक प्रजाति है जो अनेक देशों में पाई जाती है और घने जंगलों मे उगती है। पतले, लंबे, घने और काँटेदार पत्तों वाले इस पेड़ की दो प्रजातियाँ होती है- सफेद और पीली। सफेद जाति को केवड़ा और पीली को केतकी कहते है। केतकी बहुत सुगन्धित होती है और उसके पत्ते कोमल होते है। इसमे जनवरी और फरवरी में फूल लगते हैं। केवड़े की यह सुगंध साँपों को बहुत आकर्षित करती है। इनसे इत्र भी बनाया जाता है जिसका प्रयोग मिठाइयों और पेयों में होता है। कत्थे को केवड़े के फूल में रखकर सुगंधित बनाने के बाद पान में उसका प्रयोग किया जाता है। केवड़े के अंदर स्थित गूदे का साग भी बनाया जाता है। इसे संस्कृत, मलयालम और तेलुगु में केतकी, हिन्दी और मराठी में केवड़ा, गुजराती में केवड़ों, कन्नड़ में बिलेकेदगे गुण्डीगे, तमिल में केदगें फारसी में करंज, अरबी में क...

वे 10 फूल, जिन्हें देवी

वे 10 फूल, जिन्हें देवी-देवताओं को अर्पित करके पा सकती हैं आप उनका आशीर्वाद Close • Search for: Search • Open dropdown menu • • • Open dropdown menu • • • • Open dropdown menu • • • Open dropdown menu • • • • • Open dropdown menu • • Open dropdown menu • • • • • • Open dropdown menu • • • Open dropdown menu • • • • • • • • • • • Facebook • Instagram • YouTube • Twitter • Linkedin Close फूल उन खूबसूरत खजानों में से एक है, जिन्हें प्रकृति ने हमें बेशकीमती उपहार के तौर पर दिया है। इन्हें पवित्र माना जाता है और ये हिन्दू पूजा- पाठ के अहम हिस्सा भी हैं। ऐसी कोई भी पूजा या प्रार्थना नहीं है, जो रंग- बिरंगे, खुशबू वाले फूलों के बिना पूरी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम किसी भी देवी- देवता को कोई भी फूल चढ़ा तो सकते हैं लेकिन हर फूल का अपना अलग महत्व होता है और इसलिए किसी विशेष देवी या देवता को एक खास फूल चढ़ाया जाता है। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि किस हिन्दू देवी और देवता को कौन सा फूल चढ़ाया जाता है, तो इस आर्टिकल को पढ़ें। पूजा में क्यों अर्पित किये जाते हैं देवी- देवताओं को फूल यह माना जाता है कि फूल देवी और देवताओं को खुश कर देते हैं और यदि आपको उन्हें खुश करना है, तो आपको उनसे मदद पाने के लिए फूल चढ़ाना चाहिए। इस दुनिया के कुछ बेहद खूबसूरत निर्माण में फूल भी शामिल हैं। ऐसे में भगवान को फूल अर्पित करके आप अपने भरोसे और प्यार को उन्हें दिखा सकते हैं। फूलों की खुशबू पूजा करने वाली जगह को पॉजिटिव वाइब देती है। इनसे पॉजिटिव एनर्जी आकर्षित होती है और पूजा एवं प्रार्थना के लिए आदर्श माहौल तैयार होता है। ‘पूजा’ शब्द दो चीजों से मिल कर बना है, जिसमें ‘पू’ का मतलब फूल और ‘जा’ का मत...