खंडेराव होलकर मौत कारण

  1. मल्हारराव होलकर
  2. इंदौर छोड़ महेश्वर को बनाई राजधानी, पूरी कहानी
  3. अहिल्याबाई होलकर की मृत्यु कैसे हुई, अहिल्याबाई होळकर इतिहास और कहानी
  4. तुकोजी होल्कर
  5. the "khanderao holkar" ek mahan yoddha
  6. Khanderao Holkar History In Hindi
  7. पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/३१
  8. पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/३१
  9. मल्हारराव होलकर
  10. the "khanderao holkar" ek mahan yoddha


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मल्हारराव होलकर

मल्हारराव होलकर (16 मार्च 1693 – 20 मई 1766) १ गौतमाबाई होलकर - गौतमाबाई होलकर मल्हारराव होलकर की पहली पत्नी थीं इनका विवाह मल्हारराव होलकर से अल्पायु में हो गया था। मल्हारराव होलकर और गौतमाबाई के बेटे का नाम खंडेराव होलकर था । जिसका विवाह अहिल्याबाई से हुआ था। भाइयों में सबसे बड़ा होने के कारण खंडेराव होलकर को उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। २ द्वारकाबाई होलकर - द्वारकाबाई होलकर मल्हारराव होलकर की दूसरी पत्नी थीं । द्वारकाबाई और मल्हारराव होलकर की एक बेटी थी। जिसका नाम सीताबाई था । द्वारकाबाई मल्हारराव होलकर के बाद अपने दामाद को राजा बनते हुए देखना चाहती थीं। ३ बाणाबाई होलकर - बाणाबाई होलकर मल्हारराव होलकर की तीसरी पत्नी थीं। ४ हलकोबाई होलकर - हलकोबाई होलकर मल्हारराव होलकर की चौथी और आखरी पत्नी थीं। इन्हें भी देखें [ ] • •

इंदौर छोड़ महेश्वर को बनाई राजधानी, पूरी कहानी

298 साल पहले आज ही यानी 31 मई को 1767 को देवी अहिल्या बाई का जन्म हुआ था। इसलिए आज के दिन को पूरा शहर गौरव दिवस के रूप में मना रहा है। इंदौर का नाम आते ही अहिल्या देवी का नाम सबसे पहले आता है। आज एक बार फिर पढ़िए शिव भक्त प्रजा के लिए वे जितनी मृदुभाषी थीं, राजपाट के नियमों में उतनी ही सख्त थीं। नियमों के पालन के मामले में वह अपने पति-पुत्र के प्रति भी सख्त रहती थीं। अहिल्या देवी ने 13 मार्च 1767 को रियासत की कमान अपने हाथों में ली थी। वे जनता की गाढ़ी कमाई बचाने के लिए एक-एक आने का हिसाब रखती थीं। नियम कायदों को लेकर काफी सख्त थीं। एक मर्तबा तो उन्होंने अपने पति तक को अग्रिम वेतन देने से इनकार कर दिया था। 28 बरस के अपने शासनकाल में उन्होंने देशभर में 65 मंदिर, धर्मशालाएं, सड़कें, तालाब और नदियों के भव्य घाट बनवाए। इतना ही नहीं उनके किस्से इस बात का प्रमाण है कि वे कितनी निडर थी और इंदौर से कितना प्यार करती थी। बताते हैं कि वे शिव की इतनी अनन्य भक्त थीं कि रियासत के हर ऑर्डर पर हुजूर शंकर लिखा जाता था। सबसे पहले जानिए कौन थीं अहिल्या देवी... अहिल्या देवी का जन्म 31 मई 1725 ई. को महाराष्ट्र के अहमदनगर के चौंडी ग्राम में हुआ। उनके पिता मंकोजी राव शिंदे अपने गांव के पाटिल थे पर निर्धन थे। वे कई परेशानियों का सामना कर परिवार का लालन-पालन करते थे। पुणे जाते समय मालवा के पेशवा मल्हार राव होलकर चौंडी गांव में विश्राम के लिए रुके। यहीं उन्होंने अहिल्या देवी को देखा। आठ साल की लड़की निष्ठा से भूखे और गरीब लोगों को भोजन करा रही थी। यह देख मल्हार राव ने अहिल्या देवी का रिश्ता अपने बेटे खंडेराव होलकर के लिए मांगा। 1733 में खंडेराव के साथ विवाह कर कम उम्र में ही अहिल्या देवी मालवा आ गईं। म...

अहिल्याबाई होलकर की मृत्यु कैसे हुई, अहिल्याबाई होळकर इतिहास और कहानी

अहिल्याबाई होलकर मालवा राज्य की रानी थी। भारत के इतिहास में अहिल्याबाई अपने सुचारु शासन व्यवस्था के लिए जानी जाति है। पति, ससुर और पुत्र को अकस्मात खोने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने सत्ता का संचालन बड़े ही सुंदर तरीके से किया। उनके शासनकाल में राज्य की प्रजा खुश थी तथा चारों ओर सुख और शांति थी। अपने प्रजा के लिए वे जितनी परोपकारी थीं, उतना ही वे राजपाट के नियमों में सख्त भी थीं। दोषी चाहें उनका पुत्र क्यों न हो सख्त फैसले लेने में संकोच नहीं करती थी। रानी अहिल्या देवी 13 मार्च 1767 ईस्वी में अपने राज्य के सत्ता पर काबिज हुई और 1795 तक रही। अपने करीब 28 साल के शासनकाल में उन्होंने बड़ा ही नाम कमायी। इस लेख में अहिल्याबाई होलकर की मृत्यु कैसे हुई थी, उनके जीवनी, कार्य और योगदान के बारे में विस्तार से जानेंगे। अहिल्या बाई का जीवन परिचय – Ahilyabai holkar information in Hindi रानी अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 ईस्वी में हुआ था। रानी अहिल्याबाई होळकर का जन्म स्थान महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में चौंढी नामक गांव माना जाता है। अहिल्याबाई के पिता का नाम मानकोजी शिंदे था। उनके पिता एक साधरण किसान परिवार से थे। अहिल्याबाई का विवाह किसके साथ हुआ था इनका विवाह मात्र 12 वर्ष की उम्र में हुआ था। एक बार इन्दौर राज्य के संस्थापक राजा मल्हारराव जब इनके गाँव से गुजर रहे थे। तब संयोग से कन्या अहिल्याबाई पर उनकी नजर पड़ी। वे अहिल्याबाई के बुद्धिमानी से बहुत प्रभावित हुए। फलतः उन्होंने अपने पुत्र खंडेराव होल्कर का विवाह अहिल्याबाई से कर दिया। कहा जाता है की अहिल्याबाई के पति लेकिन शादी के बाद अहिल्याबाई के सूझ बुझ से वे सही रास्ते पर आ गए। रानी अहिल्याबाई को एक पुत्र और एक पुत्...

तुकोजी होल्कर

अनुक्रम • 1 आरम्भिक समय • 2 अवनति के पथ पर • 3 परिवार • 4 पराभव का आरम्भ • 5 लाखेरी के युद्ध में भीषण पराजय • 6 अन्त • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ आरम्भिक समय [ ] अवनति के पथ पर [ ] सन् १७८० में तुकोजी महादजी से अलग हो गये । उसके पश्चात् महादजी ने राजनीतिक क्षेत्र में अत्यंत उन्नति प्राप्त की परंतु तुकोजी का स्थान अत्यंत निम्न हो गया । लालसोट के संघर्ष के पश्चात् १७८७ में महादजी द्वारा सहायता भेजे जाने के अनुरोध पर नाना फडणवीस ने पुणे से अली बहादुर तथा तुकोजी होळकर को भेजा, परंतु वहां पहुँचकर महादजी और तुकोजी में विवाद हो गया । तुकोजी विजित प्रांतों में भाग चाह रहे थे और स्वभावतः महादजी का कहना था कि यदि भाग चाहिए तो पहले विजय हेतु व्यय किये गये धन को चुकाने में भी भाग देना चाहिए । परंतु महादजी ने अहिल्याबाई से लिया हुआ कर्ज चुकाया नही था इसलिए तुकोजी का कहना था कि "आप पहले मातेश्वरी ( परिवार [ ] तुकोजी होल्कर के चार पुत्र थे-- काशीराव, मल्हारराव, विठोजी तथा यशवंतराव। इनमें से प्रथम दो पहली पत्नी तथा अंतिम दो दूसरी पत्नी के पुत्र थे । पराभव का आरम्भ [ ] तुकोजी और महादजी का वैमनस्य और बढने लगा, परिणामस्वरूप महादजी ने उनका सर्वनाश करने का निश्चय किया । ८ अक्टूबर १७९२ को महादजी की ओर से गोपालराव भाऊ ने सुरावली नामक स्थान पर होलकर पर आकस्मिक आक्रमण किया । अनेक सैनिक मारे गए परंतु स्वयं तुकोजी होलकर बंदी होने से बच गए । यद्यपि बापूजी होलकर तथा पाराशर पंत के प्रयत्न से इस प्रकरण में समझौता हो गया । परंतु इंदौर में अहिल्याबाई तथा तुकोजी के पुत्र मल्हारराव द्वितीय को यह अपमानजनक लगा । उन्होंने थोड़ी सी सेना तथा धन लेकर अपने पिता के शिविर में पहुँचकर समझौते तथा बापूजी एवं पाराशर ...

the "khanderao holkar" ek mahan yoddha

खंडेराव के शासनकाल को पड़ोसी राज्यों, विशेष रूप से धार के मराठा राज्य के खिलाफ उनके सैन्य अभियानों द्वारा चिह्नित किया गया था। वह अपनी बहादुरी और सैन्य कौशल के लिए जाना जाता था, और अपनी विजय के माध्यम से होल्कर साम्राज्य के क्षेत्र का विस्तार करने में सक्षम था। अपनी सैन्य सफलताओं के अलावा, खंडेराव ("khanderao holkar") को क्षेत्र की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता था। उन्होंने श्री संस्थान भंडारी मंदिर और राजवाड़ा महल सहित कई किले और महल बनवाए। ये संरचनाएं उनकी दृष्टि और नेतृत्व के लिए वसीयतनामा के रूप में खड़ी हैं। खंडेराव कला के संरक्षक भी थे और उन्होंने अपने राज्य में साहित्य और संगीत के विकास को प्रोत्साहित किया। वे मराठी साहित्य के बड़े प्रशंसक थे और स्वयं एक कवि थे। उनकी उपलब्धियों के बावजूद, खंडेराव ("khanderao holkar")का शासन चुनौतियों के बिना नहीं था। उन्हें मराठा साम्राज्य के भीतर प्रतिद्वंद्विता और सत्ता संघर्ष के साथ-साथ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खतरे से भी जूझना पड़ा। फिर भी, वह होलकर साम्राज्य की स्वायत्तता को बनाए रखने और इसकी निरंतर समृद्धि सुनिश्चित करने में सक्षम था। सैन्य, सांस्कृतिक और स्थापत्य उपलब्धियों की विरासत को पीछे छोड़ते हुए 1797 में खांडेराव होलकर की मृत्यु हो गई। उन्हें एक महान नेता के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने"khanderao holkar" अपने राज्य की स्वायत्तता की रक्षा करने और अपनी प्रजा के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किया। खंडेराव होलकर महा पराक्रमी योद्धा 2023 in hindi महाराजा खंडेराव होलकर का जन्म सन 1723 ईस्वी को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था यह सूबेदार मल्हार राव होलकर अर्थात होलकर वंश के स...

Khanderao Holkar History In Hindi

नमस्कार दोस्तों Khanderao Holkar History in Hindi में आपका स्वागत है। आज हम खंडेराव होलकर का जीवन परिचय और इतिहास की जानकारी बताने वाले है। हमारे भारत कई वीर यौद्धा एव राजाओ ने जन्म लिया है। आज हम मराठा साम्राज्य के बहुत प्रसिद्ध योद्धा के बारे में बताने वाले है। खंडेराव होल्कर (1723-1754 सीई) इंदौर के होल्कर वंश के संस्थापक खंडेराव होलकर का जन्म सन 1723 ईo में हुआ था। वह अपने बचपन से ही बहुत बहादुर थे। राज काज में रुचि होने के कारन उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर छोटी सी उम्र से ही स्वतंत्र लड़ाई लड़ी थी। उनका स्वभाव क्रोध भरा था। मगर वह वीर और बहुत साहसी व्यक्ति थे। आज हम Khanderao Holkar Biography In Hindi में महाराजा के जीवन से संबंधित जानकारी बताने वाले है। Khanderao Holkar History In Hindi पूरा नाम – श्रीमंत सरदार खंडेराव होलकर सूबेदार बहादुर जन्म – 1723 में जन्म स्थान – पूना, महारष्ट्र, भारत मृत्यु – 1754 मृत्यु स्थान – कॉलरा शाहपुर (कोटाह के पास) भारत मौत के समय आयु – 31 साल धर्म – हिन्दू जाति – मराठा पत्नी – अहिल्याबाई होल्कर बच्चे – नर राव होल्कर (पुत्र) मुक्ताबाई होल्कर (पुत्री) साम्राज्य – मराठा साम्राज्य Khanderao Holkar real photo खंडेराव होलकर का जन्म महाराजा खंडेराव होलकर का जन्म सन 1723 ईo को पूना, महारष्ट्र, भारत में हुआ था। खंडेराव होलकर सेनापति खंडेराव होलकर परिवार पिता का नाम मल्हार राव 2 होलकर माता का नाम गौतमबाई होलकर बहन का नाम संतुबाई, उदाबाई, सीताबाई पत्नी का नाम अहिल्याबाई होलकर के साथ 10 पत्निया बेटी का नाम मुक्ताबाई होलकर बेटे का नाम माले राव होलकर भतीजे का नाम तुकोजी राव होलकर Khanderao Holkar का विवाह सन् 1735 ईo में महाराजा खंडेराव होलकर का ...

पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/३१

( २२ ) कारण मल्हारराव होलकर ने भी अपने पुत्र का नाम खंडेराव रखा । जब खंडेराव पांच वर्ष के थे तभी से इनका स्वभाव बड़ा चिड़चिड़ा और हठीला था । ये अपने पिता से अधिक भय भीत रहते थे, और जब ये दस वर्ष के हुए तब सिवाय खेल कूद के इनका मन और दूसरे कामों में नहीं लगता था । और जो कुछ इन्हें कहना होता था वह सदा अपनी माता से ही कहा करते थे । मल्हारराव ने इनको विद्याभ्यास कराने के निमित्त नाना प्रकार के यत्न किए परंतु कुछ अधिक लाभ नहीं हुआ । कुछ और समझदार होने पर इनका समय गप्पों में और नाच रंग में ही व्यतीत हुआ करता था । खंडेराव की यह आदत और रुचि को देख मल्हारराव सदा दुखित और चिंतित रहा करते थे । वे बारबार यह विचार किया करते थे कि इसका जीवन इसकी उद्दंडता के कारण नष्ट होता जा रहा है । इसके सुधारने के अनेक यत्न मल्हारराव ने किए परंतु सब व्यर्थ हुए । इनकी उद्दंडता दिन पर दिन बढ़ती ही गई । अंत में दुःखित हो और पछता कर मल्हारराव ने यह निश्चय किया कि इनका व्याह कर दिया जाय, जिससे कदाचित् ये सुधर जाँय । यह सोचकर उनके व्याह के लिये लड़की खोजी जाने लगी ।

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( २२ ) कारण मल्हारराव होलकर ने भी अपने पुत्र का नाम खंडेराव रखा । जब खंडेराव पांच वर्ष के थे तभी से इनका स्वभाव बड़ा चिड़चिड़ा और हठीला था । ये अपने पिता से अधिक भय भीत रहते थे, और जब ये दस वर्ष के हुए तब सिवाय खेल कूद के इनका मन और दूसरे कामों में नहीं लगता था । और जो कुछ इन्हें कहना होता था वह सदा अपनी माता से ही कहा करते थे । मल्हारराव ने इनको विद्याभ्यास कराने के निमित्त नाना प्रकार के यत्न किए परंतु कुछ अधिक लाभ नहीं हुआ । कुछ और समझदार होने पर इनका समय गप्पों में और नाच रंग में ही व्यतीत हुआ करता था । खंडेराव की यह आदत और रुचि को देख मल्हारराव सदा दुखित और चिंतित रहा करते थे । वे बारबार यह विचार किया करते थे कि इसका जीवन इसकी उद्दंडता के कारण नष्ट होता जा रहा है । इसके सुधारने के अनेक यत्न मल्हारराव ने किए परंतु सब व्यर्थ हुए । इनकी उद्दंडता दिन पर दिन बढ़ती ही गई । अंत में दुःखित हो और पछता कर मल्हारराव ने यह निश्चय किया कि इनका व्याह कर दिया जाय, जिससे कदाचित् ये सुधर जाँय । यह सोचकर उनके व्याह के लिये लड़की खोजी जाने लगी ।

मल्हारराव होलकर

मल्हारराव होलकर (16 मार्च 1693 – 20 मई 1766) १ गौतमाबाई होलकर - गौतमाबाई होलकर मल्हारराव होलकर की पहली पत्नी थीं इनका विवाह मल्हारराव होलकर से अल्पायु में हो गया था। मल्हारराव होलकर और गौतमाबाई के बेटे का नाम खंडेराव होलकर था । जिसका विवाह अहिल्याबाई से हुआ था। भाइयों में सबसे बड़ा होने के कारण खंडेराव होलकर को उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। २ द्वारकाबाई होलकर - द्वारकाबाई होलकर मल्हारराव होलकर की दूसरी पत्नी थीं । द्वारकाबाई और मल्हारराव होलकर की एक बेटी थी। जिसका नाम सीताबाई था । द्वारकाबाई मल्हारराव होलकर के बाद अपने दामाद को राजा बनते हुए देखना चाहती थीं। ३ बाणाबाई होलकर - बाणाबाई होलकर मल्हारराव होलकर की तीसरी पत्नी थीं। ४ हलकोबाई होलकर - हलकोबाई होलकर मल्हारराव होलकर की चौथी और आखरी पत्नी थीं। इन्हें भी देखें [ ] • •

the "khanderao holkar" ek mahan yoddha

खंडेराव के शासनकाल को पड़ोसी राज्यों, विशेष रूप से धार के मराठा राज्य के खिलाफ उनके सैन्य अभियानों द्वारा चिह्नित किया गया था। वह अपनी बहादुरी और सैन्य कौशल के लिए जाना जाता था, और अपनी विजय के माध्यम से होल्कर साम्राज्य के क्षेत्र का विस्तार करने में सक्षम था। अपनी सैन्य सफलताओं के अलावा, खंडेराव ("khanderao holkar") को क्षेत्र की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता था। उन्होंने श्री संस्थान भंडारी मंदिर और राजवाड़ा महल सहित कई किले और महल बनवाए। ये संरचनाएं उनकी दृष्टि और नेतृत्व के लिए वसीयतनामा के रूप में खड़ी हैं। खंडेराव कला के संरक्षक भी थे और उन्होंने अपने राज्य में साहित्य और संगीत के विकास को प्रोत्साहित किया। वे मराठी साहित्य के बड़े प्रशंसक थे और स्वयं एक कवि थे। उनकी उपलब्धियों के बावजूद, खंडेराव ("khanderao holkar")का शासन चुनौतियों के बिना नहीं था। उन्हें मराठा साम्राज्य के भीतर प्रतिद्वंद्विता और सत्ता संघर्ष के साथ-साथ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खतरे से भी जूझना पड़ा। फिर भी, वह होलकर साम्राज्य की स्वायत्तता को बनाए रखने और इसकी निरंतर समृद्धि सुनिश्चित करने में सक्षम था। सैन्य, सांस्कृतिक और स्थापत्य उपलब्धियों की विरासत को पीछे छोड़ते हुए 1797 में खांडेराव होलकर की मृत्यु हो गई। उन्हें एक महान नेता के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने"khanderao holkar" अपने राज्य की स्वायत्तता की रक्षा करने और अपनी प्रजा के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किया। खंडेराव होलकर महा पराक्रमी योद्धा 2023 in hindi महाराजा खंडेराव होलकर का जन्म सन 1723 ईस्वी को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था यह सूबेदार मल्हार राव होलकर अर्थात होलकर वंश के स...