खाटू श्याम कितने किलोमीटर है

  1. खाटू श्याम मंदिर दर्शन व यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी
  2. खाटू श्याम मंदिर
  3. Khatu Shyam : कौन है बाबा खाटू श्यामजी? क्या है उनकी कहानी?
  4. खाटू श्याम जी का कौन सा दिन होता है? – ElegantAnswer.com
  5. खाटू श्याम मंदिर कैसे जाएं? । Khatu Shyam kaise jaye
  6. खाटू श्याम कौन से जिले में है? – ElegantAnswer.com
  7. मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम मंदिर कितने किलोमीटर है
  8. श्री खाटू श्याम मंदिर के दर्शन और यात्रा की (A


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खाटू श्याम मंदिर दर्शन व यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी

Khatu Shyam Mandir ki Jankari: खाटू श्याम मंदिर भारत के फेमस मंदिर में से एक हैं। यह भगवान कृष्ण से समर्पित मंदिर हैं। खाटू श्याम मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले से करीब 65 किलो मीटर की दूरी पर एक छोटे से गांव का प्रसिद्ध हिंदू मंदिर हैं। खाटू श्याम मंदिर में प्रत्येक वर्ष करीब 90 लाख से अधिक भक्त खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए आते हैं। भक्तों का मानना है कि खाटू श्याम के मंदिर में सभी की मनोकामना पूर्ण होती हैं। खाटू श्याम मंदिर कृष्ण भगवान के प्रसिद्ध मंदिर में से एक हैं। यदि आपने महाभारत देखी व पढ़ी होगी तो आपने बर्बरीक का नाम तो अवश्य सुना होगा। बर्बरीक पांडु पुत्र भीम तथा नागकन्या मौरवी के पुत्र थे। बर्बरीक को बचपन से ही बलशाली होने के सभी गुण प्राप्त थे। बचपन में ही इन्होंने युद्ध करने की कला श्री कृष्ण तथा अपने माता के माध्यम से सीख ली थी। युवा अवस्था में इन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे तीन बाण प्राप्त कर लिए थे। शिव के यह तीनों बाण बर्बरीक को तीनों लोक में विजय बनाने के लिए काफी थे। महाभारत काल में युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध को देखने के इरादे से युद्ध के मैदान में आ रहा था और यह बात श्री कृष्ण अवश्य जानते थे कि यदि बर्बरीक युद्ध में शामिल होगा तो परिणाम पांडवों के हित में नहीं होगा। बर्बरीक को युद्ध से रोकने के लिए श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का वेश रखकर बराबरी के सामने आए और पूछा कि तुम कौन हो? और रण क्षेत्र में क्या करने जा रहे हो? श्री कृष्ण को उत्तर देते हुए बर्बरीक ने कहा कि वह एक दानी है तथा और उसके बाण ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर देगा। ऐसे में श्री कृष्ण ने बर्बरीक की परीक्षा लेनी चाही तो बर्बरीक ने एक बाण चलाया, जिसमें पीपल के पेड़ के सारे ...

खाटू श्याम मंदिर

खाटू श्याम मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। मंदिर के मूल संस्थापकों के वंशज तब से आज तक मंदिर की सेवा करते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि श्री खाटू श्याम मंदिर में हर साल श्री खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने के लिए लगभग एक लाख श्रद्धालु आते हैं। मंदिर का प्रबंधन और देखरेख मंदिर की सात सदस्यीय समिति द्वारा किया जाता है। अगर आप राजस्थान के इस पवित्र तीर्थ जिसको हारे हुए का सहारा भी कहा जाता है, के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, जैसे: खाटू श्याम कौन हैं, खाटू श्याम जी मंदिर का निर्माण, वास्तुकला, मंदिर कब कैसे पहुँचे, पट खुलने एवं आरती का समय, इत्यादि, तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें। खाटू श्याम मंदिर की विशेषता (Significance of Khatu Shyam Mandir) राजस्थान के अलौकिक रूप से सुंदर राज्य में स्थित, श्री खाटू श्याम मंदिर को नवविवाहित जोड़ों, धागा समारोहों, और नवजात शिशुओं के मुंडन समारोह के लिए भी एक शुभ स्थान माना जाता है। यहाँ के लोगों का मानना ​​है कि श्री खाटू श्याम मंदिर परिसर में श्यामा कुंड में स्नान करने से उन्हें सभी रोगों और संक्रमण से मुक्ति मिल जाएगी। हिन्दू मान्यता के मुताबिक खाटू श्याम बाबा को कलयुग के देवता और खाटू श्याम कौन हैं (Who Is Khatu Shyam) खाटू श्याम या बर्बरीक महाभारत काल के किंवदंती है कि बर्बरीक एक बहादुर योद्धा थे। उनके पास एक अनोखा तिहरा बाण या तीन बाणों वाला धनुष था। तीन तीर किसी भी युद्ध को एक मिनट में ख़त्म कर सकते थे। पहला तीर उन लोगों को चिह्नित करेगा जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। दूसरा तीर लोगों को मारने के लिए चिह्नित करेगा और तीसरा तीर जाकर उन लोगों को मार देगा। बर्बरीक का पालन-पोषण उनकी माँ मौरवी ने किया था। उन...

Khatu Shyam : कौन है बाबा खाटू श्यामजी? क्या है उनकी कहानी?

राजस्थान के शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित है परमधाम खाटू। यहां विराजित हैं खाटू श्यामजी। खाटू का श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है। यहां पर प्रतिवर्ष फाल्गुन माह शुक्ल षष्ठी से बारस तक यह मेला लगता है। श्याम बाबा की महिमा का बखान करने वाले भक्त राजस्थान या भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने में मौजूद हैं। आओ जानते हैं कि कौन है बाबा खाटू श्यामजी? क्या है उनकी कहानी। खाटू श्याम की कहानी : बर्बरीक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे। युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा। बर्बरीक की इस घोषणा से कृष्ण चिंतित हो गए। भीम के पौत्र बर्बरीक के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्रीकृष्ण उसकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए उपस्थित हुए तब बर्बरीक ने अपनी वीरता का छोटा-सा नमूना मात्र ही दिखाया। कृष्ण ने कहा कि यह जो वृक्ष है ‍इसके सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद दो तो मैं मान जाऊंगा। बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृक्ष की ओर छोड़ दिया। जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को छेदता जा रहा था उसी दौरान एक पत्ता टूटकर नीचे गिर पड़ा। कृष्ण ने उस पत्ते पर यह सोचकर पैर रखकर उसे छुपा लिया की यह छेद होने से बच जाएगा, लेकिन सभी पत्तों को छेदता हुआ वह तीर कृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया। तब बर्बरीक ने कहा कि प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा है कृपया पैर हटा लीजिए, क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को छेदने की नहीं। उसके इस चमत्कार को देखकर...

खाटू श्याम जी का कौन सा दिन होता है? – ElegantAnswer.com

इसे सुनेंरोकेंक्यों चढ़ाया जाता है श्याम बाबा को निशान | दिनेश गोयल ने बताया कि श्याम बाबा के महाबलिदान शीश दान के लिए उन्हें निशान चढ़ाया जाता है। यह उनकी विजय का प्रतीक है। उन्होंने धर्म की जीत के लिए दान में अपना शीश ही भगवान श्रीकृष्ण को दे दिया था। खाटू में श्याम प्रेमियों ने झंडा निशान चढ़ा कर की पूजा अर्चना। खाटू श्याम की यात्रा कैसे करें? श्री खाटू श्याम बाबा के दर्शन कैसे करे • जब आप खाटू श्याम की यात्रा पर जाये तो सुनिश्चित कर ले की आपको कोरोना की वैक्सीन लगी होनी चाहिए. • बर्बरीक मंदिर में प्रवेश करने से पहले मास्क लगाना अनिवार्य है अन्यथा २ हजार का फाइन लगा दिया जायेगा . • 18 बर्ष से काम आयु के लोगो का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा . खाटू श्याम जी मंदिर कहाँ है? इसे सुनेंरोकेंश्री खाटू श्याम जी भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं? इसे सुनेंरोकेंऐसे कहलाए खाटू श्याम तब श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि तुम सृष्टि के अंत तक अमर रहोगे। तुम्हारे बाण से बिंधा मेरा यह पैर ही अब मृत्यु का कारण बनेगा जो मेरा प्रायश्चित भी होगा। तुम अब मेरे ही नाम से खाटू श्याम कहलाओगे। इसलिए आज बाबा हारे का सहारा नाम से संसार में पूजे जाते हैं। खाटू श्याम मंदिर कब खुलेगा 2022? इसे सुनेंरोकेंराजस्थान के सीकर जिले के खाटू कस्बे में स्थित खाटूश्यामजी मंदिर का लक्खी मेला 2022 इस बार 6 मार्च से शुरू होगा, जो 15 मार्च तक चलेगा। इसे खाटू फाल्गुन मेला भी कहा जाता है। खाटू श्याम जी का मंदिर कितने किलोमीटर है? इसे सुनेंरोकेंKhatushyamji Fair: 31 km long queue to see Baba Shyam’s | खाटूश...

खाटू श्याम मंदिर कैसे जाएं? । Khatu Shyam kaise jaye

▼ • • खाटू श्याम क्यों प्रसिद्ध है? । Why is Khatu Shyam famous • खाटू श्याम कैसे जाएं । How To Reach khatu shyam • खाटू श्याम कैसे पहुंचे । How To Reach khatu shyam By Flight In Hindi • खाटू श्याम कैसे पहुंचे । How To Reach khatu shyam By Train In Hindi • खाटू श्याम कैसे पहुंचे । How To Reach khatu shyam By Bus In Hindi • खाटू श्याम कैसे पहुंचे । How To Reach khatu shyam By Bike And Car In Hindi • • दोस्तों आज के इस लेख में मैं आपको बताने वाला हूं कि खाटू श्याम कहां स्थित है? । Where is khatu shyam located? राजस्थान के सीकर स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर भारत देश में कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी को कलयुग का सबसे मशहूर भगवान माना जाता है। सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में बने खाटू श्यान के मंदिर को काफी मान्यता मिलती है। श्री खाटू श्याम जी भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। खाटू श्याम क्यों प्रसिद्ध है? । Why is Khatu Shyam famous भक्तों का कहना है कि श्याम बाबा से जो भी मांगों, वो लाखों-करोड़ों बार देते हैं, यही वजह है कि खाटू श्याम जी को लखदातार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के मुताबिक खाटू शम जी को कलयुग में कृष्ण का अवतार माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था कि खाटू श्याम जी कलयुग में उनके नाम श्याम के नाम से पूजे जाएंगे। यही वजह है कि आज खाटू श्यामजी देश में करोड़ों भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं। खाटू श्याम मंदिर कैसे जाएं_ खाटू श्याम कैसे जाएं । How To Reach khatu shyam आदियोगी आप बाई फ्लाइट बाय ट्रेन टैक्सी बस कार किसी भी माध्यम से जा...

खाटू श्याम कौन से जिले में है? – ElegantAnswer.com

खाटू श्याम कौन से जिले में है? इसे सुनेंरोकेंराजस्थान के सीकर जिले में स्थित देश के प्रसिद्ध खाटूश्याम मंदिर भक्तों के लिए खोला गया खाटू श्याम जी को शीश का दानी क्यों कहते हैं? इसे सुनेंरोकेंबर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया। इसे सुनेंरोकेंखाटू श्याम बाबा को कलियुग में श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है। उनकी कहानी महाभारत काल से आरंभ होती है। महान पांडव भीम के पुत्र घटोतकच्छ व नाग कन्या मौरवी के पुत्र बर्बरीक बचपन से ही बहुत वीर व पराक्रमी थे। उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या कर उनसे तीन अभेद वाण प्राप्त किए। खाटू श्याम के दर्शन कितने बजे से कितने बजे तक होते हैं? इसे सुनेंरोकेंदर्शन प्रतिदिन दो चरणों में, सुबह 6 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 9:00 बजे तक होंगे. हर चरण में 7500 दर्शनार्थियों को दर्शन करवाए जाएंगे. इसके साथ ही मंदिर में प्रसाद, फूल माला, नारियल आदि पर रोक रहेगी. बर्बरीक का धड़ कहाँ है? इसे सुनेंरोकेंऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में उसकी पूजा श्याम (कृष्ण स्वरूप) के नाम से होगी। खाटू के श्याम मंदिर में श्याम के मस्तक स्वरूप की पूजा होती है, जबकि पास ही में स्थित रींगस में धड़ स्वरूप की पूजा की जाती है। निशान क्यों चढ़ाया जाता है? इसे सुनेंरोकेंक्यों चढ़ाया जाता है श्याम बाबा को निशान | दिनेश गोयल ने बताया कि श्याम बाबा के महाबलिदान शीश दान के लिए उन्हें निशान चढ़ाया ज...

मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम मंदिर कितने किलोमीटर है

मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है – अगर आप जानना चाहते है की मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम मंदिर कितने किलोमीटर है, दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी कितने किलोमीटर है, तो इस लेख के अंत तक बने रहे, क्योकि इस लेख में आपको इस बारे में जानकारी मिलने वाले है। तो आइये जानते है – मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम मंदिर कितने किलोमीटर है (Mehandipur Balaji Se Khatu Shyam Balaji) मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम 195.8 किलोमीटर है। जयपुर से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है इन हिंदी (Jaipur Se Khatu Shyam) जयपुर से खाटू श्याम 111 किलोमीटर है। खाटू श्याम मंदिर तक जाने के लिए आपको सीधी ट्रेन नहीं मिलती है, आपको जयपुर पहुंचना होगा और टैक्सी या बस से खाटू श्याम जाना होगा। दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी कितने किलोमीटर है (Delhi Se Mehandipur Balaji) दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी 14.2 किलोमीटर है। दिल्ली से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है (Delhi Se Khatu Shyam) दिल्ली से खाटू श्याम लगभग 479 किलोमीटर है। खाटू श्याम के बारे में (About Khatu Shyam In Hindi) भीम के पौत्र बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है। क्योंकि महाभारत के समय भगवान श्रीकृष्ण ने उनका सिर मांगा था और बर्बरीक ने अपना सिर भगवान के चरणों में अर्पित कर दिया था, जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पुकारे जाओगे। राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम नाम के गाँव में खाटू श्याम मंदिर स्थित है। खाटू श्याम में आपको ठहरने और खाने के लिए सभी उचित स्थान मिल जाएंगे, यहां के होटलों का किराया भी ज्यादा नहीं है, 500 रुपये में एक दिन के लिए आपको 2-3 लोगों के लिए एक कमरा आसानी से मिल जाता है। और यहां खान...

श्री खाटू श्याम मंदिर के दर्शन और यात्रा की (A

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित हिंदू प्रसिद्ध तीर्थ स्थल खाटू श्याम मंदिर की यात्रा पर जाने का विचार कर रहे हैं तो आपको इस लेख को निश्चित रूप से अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए जिससे खाटू श्याम के दर्शन , पूजा विधि और आसपास की जगहों को घूमने में आसानी होगी। यह मंदिर भक्तों के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि यहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा की नहीं अपितु पांडव पुत्र भीम के पोते बर्बरीक की पूजा की जाती है। और इसका उल्लेख श्री भगवत गीता में बड़े सुंदर शब्दों में किया गया। हर साल फागुन महीने के एकादशी से 5 पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश के कोने कोने से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। चलिए यात्रा की जानकारी शुरू करने से पहले खाटू श्याम के इतिहास के पन्नों को पलट कर एक नजर डालते हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह की राधा की जगह बर्बरीक की पूजा भगवान श्री कृष्ण के साथ यहां क्यों होती है ? Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • खाटू श्याम का इतिहास खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ कुरुक्षेत्र में पांडवो और कौरवो के बीच युद्ध ये दौरान भीम के पोते बर्बरीक का नाम आपने कभी न कभी जरूर सुना होगा। • बर्बरीक की तप , साधना और शिक्षा से भगवान शिव प्रसन्न होकर तीन ऐसे बाण दिए जो लक्ष्य को भेद कर वापस लौटा सकता था इसी की कारण बर्बरीक बहुत शक्तिशाली बन गए और जब कुरुक्षेत्र में युद्ध शुरू हुआ तब उन्होंने पांडवो की तरह से लड़ने की इक्षा जाहिर किया । • बर्बरीक के तीन बाण और शक्ति के बारे में भगवान् श्री कृष्ण भली भाती जानते थे की यदि बर्बरीक युद्ध में भाग लेता है तो पांडव बड़े आसानी से ही जीत हासिल करे लेंगे और न्याय की अभिव्यक्ति नहीं हो पायेगी । • तब कृष्ण जी...