खड़ी बोली गद्य के प्रथम लेखक और उनकी प्रथम रचना का नाम लिखिए

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  2. खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना
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  4. UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य
  5. खड़ी बोली गद्य के प्रथम लेखक और उनकी प्रथम रचना का नाम लिखिए
  6. खड़ी बोली की प्रथम गद्य रचना किसे माना जाता है?
  7. हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स


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हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं उनकी रचनाएं और परीक्षा में पूछे गए प्रश्न PDF Download

Hindi ke Prasidh Kavi : आज की इस Article में हम आपको बताएगे की कवि / लेखक तथा उनकी रचनाएँ, से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी, जो हर एक दिवसीय प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते है | यहाँ से हर परीक्षा में 2/3 प्रश्न जरुर पूछे जाते है | आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएगे “ हिंदी के प्रसिद्ध कवि एवं उनकी रचनाएं और परीक्षा में पूछे गए प्रश्न” की जानकारी देगे, ताकि आने वाले परीक्षा की तैयारी आप अच्छे से कर सके | Hindi ke Prasidh kavi निचे दिए गए लेख को आप सभी Students एक बार अच्छे से जरुर पढ़ ले, यहाँ तैयारी करने से आप सभी परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर पायेगे | • हिंदी के प्रथम कवि – सरहपाद नवीं शताब्दी • हिंदी की प्रथम रचना – श्रावकाचार देवसेन • हिंदी की प्रथम मौलिक नाटक – नहुष गोपाल चंद्र • हिंदी का प्रथम उपन्यास – परीक्षा गुरु श्रीनिवास दास • हिंदी की प्रथम आत्मकथा – अर्धकथानक बनारसीदास जैन • हिंदी की प्रथम जीवनी – दयानंद दिग्विजय गोपाल शर्मा • हिंदी की प्रथम रिपोर्ताज – लक्ष्मीपूरा शिवदान सिंह चौहान • हिंदी की प्रथम यात्रा – लंदन यात्रा महादेवी वर्मा • हिंदी की प्रथम मौलिक कहानी – इंदुमती किशोरीलाल गोस्वामी • हिंदी की प्रथम विज्ञानिक कहानी – चंद्रलोक की यात्रा केशव प्रसाद सिंह • हिंदी का प्रथम गद्य काव्य – साधना राय कृष्णदास • हिंदी खड़ी बोली का प्रथम काव्य ग्रंथ – एकांतवासी योगी श्रीधर पाठक • हिंदी की प्रथम अतुकांत रचना – प्रेम पथिक जयशंकर प्रसाद • शुद्ध एवं परिमार्जित खड़ी बोली के प्रथम लेखक – रामप्रसाद निरंजनी • दक्षिण भारत में हिंदी खड़ी बोली में साहित्य सृजन करने वाले प्रथम साहित्यकार – मुल्ला विजय ध्यान दे : और अधिक “ Hindi ke Prasidh kavi” की रचनाए पढने के लिए PDF को...

खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना

अपभ्रंश के प्रथम महा कवि- स्वयंभू 2.अपभ्रंश का प्रथम कड़वक बद्ध- पउम चरित्र -स्वयं भू (7 चौपाई के बाद एक दोहा क्रम रचना) 3.अपभ्रंश के प्रथम ऐतिहासिक वैयाकरण -हेमचंद्र 4.हिंदी के प्रथम कवि -सरहपा 9 वी सदी 5.हिंदी में दोहा चौपाई का सर्वप्रथम प्रयोग- सरहपा 6.हिंदी की प्रथम रचना- श्रावकाचार देवसेन कृत 7. हिंदी साहित्य की प्रथम रचना -पृथ्वीराज रासो चंद्र बरदाई 8. हिंदी साहित्य का प्रथम महाकाव्य- पृथ्वीराज रासो 9. हिंदी काव्य में प्रथम बारहमासा वर्णन - बीसलदेव रासो 10. किसी भारतीय भाषा में रचित इस्लाम धर्मावलंबी कवि की प्रथम रचना- संदेश रासक (अब्दुल रहमान) 11. अवहट्ठ का सर्वप्रथम प्रयोग- विद्यापति ने कीर्ति लता में 12. हिंदी के सर्वप्रथम गीतकार -विद्यापति 13. हिंदी में सर्वप्रथम मुकरियों की शुरुआत -अमीर खुसरो 14. भक्ति के प्रवर्तक -रामानुजाचार्य 15. हिंदी के प्रथम सूफी कवि -असायत 16. सूफी प्रेमाख्यान का प्रथम काव्य- हंसावली असायत 17. हिंदी का प्रथम बड़ा महाकाव्य - हंसावली( असायत ) 18.हिंदी का प्रथम वक्रोति कथात्मक महाकाव्य- पद्मावत 19. हिंदी की आदि कवियत्री -मीराबाई 20. कृष्ण भक्ति काव्य का सबसे प्रसिद्ध काव्य- सूरसागर (सूरदास) 21. राम भक्ति का सबसे प्रसिद्ध काव्य- रामचरितमानस (तुलसीदास ) 22.भक्तिकाल को काव्य का स्वर्ण युग घोषित करने वाला प्रथम व्यक्ति -जॉर्ज ग्रियर्सन 23. सर्वप्रथम सतसई परंपरा का आरंभ - तुलसी सतसई ( अधिकांश कृपाराम की हित तरंगिणी को मानते हैं) 24. रीति काव्य का सर्वप्रथम ग्रंथ -हित तरंगिणी -कृपाराम 25. खड़ी बोली में लिखित सर्वप्रथम काव्य ग्रंथ -श्रीधर पाठक द्वारा अनुवादित( हरमिट)-एकांतवासी योगी 26. खड़ी बोली के प्रथम स्वच्छंदतावादी कवि- श्रीधर पाठक 27. खड़ी बोल...

खड़ी बोली

भाषाशास्त्र की दृष्टि से खड़ी बोली शब्द का प्रयोग • कुछ विद्वान् 'खड़ी बोली' नाम को • कुछ लोग इसे उर्दू - सापेक्ष्य मानकर उसकी अपेक्षा इसे प्रकृत, 'शुद्ध', ग्रामीण ठेठबोली मानते हैं • कुछ खड़ी का अर्थ 'सुस्थिर, सुप्रचलित, सुसंस्कृत, 'परिष्कृत या परिपक्व से मानते हैं। • कुछ लोग उत्तरी भारत की ओकारांत ब्रज आदि बोलियों को 'पड़ी बोली' और उसके विरोध में इसे 'खड़ी बोली' मानते हैं। • जब कि कुछ लोग रेखता शैली को 'पड़ी' और इसे 'खड़ी' मानते हैं। खड़ी बोली का इतिहास भारतेन्दु पूर्व युग खड़ी बोली गद्य के आरम्भिक रचनाकारों में फ़ोर्ट विलियम कॉलेज के बाहर दो रचनाकारों— सदासुख लाल 'नियाज' (सुखसागर) व भारतेन्दु युग (1850 ई.– द्विवेदी युग ( इसी दौरान वर्ष छायावाद युग ( पद्य के ही नहीं, गद्य के सन्दर्भ में भी छायावाद युग साहित्यिक खड़ी बोली के विकास का स्वर्ण युग था। कथा साहित्य (उपन्यास व कहानी) में खड़ी बोली ही क्यों वास्तव में 'खड़ीबोली' में प्रयुक्त 'खड़ी' शब्द गुण्बोधक विशेषण है और किसी भाषा के नामाकरण में गुण-अवगुण-प्रधान दृष्टिकोण अधिकांश: अन्य भाषा-सापेक्ष्य होती है। अपभ्रंश और उर्दू आदि इसी श्रेणी के नाम हैं, अतएव 'खड़ी' शब्द अन्य भाषा सापेक्ष्य अवश्य है, किंतु इसका मूल खड़ी है अथवा खरी? और इसका प्रथम मूल अर्थ क्या है? इसके लिए शब्द के इतिहास की खोज आवश्यक है। बोली के अर्थ में इस नाम का उल्लेख हमें मध्यमकाल में कहीं नहीं मिलता है। निश्र्वित रूप से इस शब्द का प्रयोग 19वीं शती के प्रथम दशाब्द में लल्लूजी लाल ने 2 बार, सदल मिश्र ने 2 बार, गिलकाइस्ट ने 6 बार किया है। लल्लूलाल जी और • ब्रज • खड़ी बोली • रेखते की बोली (उर्दू) यदि खड़ी बोली को ब्रजभाषा सापेक्ष्य समझते तो लल्लूलाल जी अपने ...

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न are part of Board UP Board Textbook NCERT Class Class 11 Subject Sahityik Hindi Chapter Chapter 1 Chapter Name गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न Number of Questions 154 Category UP Board Solutions UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi गद्य-साहित्यका विकास अतिलघु उत्तरीय प्रश्न अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1: गद्य एवं पद्य का अन्तर दो पंक्तियों में लिखिए। उत्तर: वाक्यबद्ध विचारात्मक रचना को गद्य कहते हैं। दैनिक जीवन की बोलचाल में गद्य का ही प्रयोग होता है, जब कि छन्दबद्ध, भावपूर्ण और गेय रचनाएँ पद्य कहलाती हैं। प्रश्न 2: हिन्दी की आठ बोलियाँ कौन-कौन-सी हैं? उत्तर: • ब्रज, • अवधी, • बुन्देली, • बघेली, • छत्तीसगढ़ी, • हरियाणवी, • कन्नौजी तथा • खड़ी बोली। प्रश्न 3: हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग किन भाषाओं में मिलते हैं? उत्तर: हिन्दी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी और ब्रज भाषाओं में मिलते हैं। प्रश्न 4: प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की दो रचनाओं के नाम लिखिए। उत्तर: गोकुलनाथ कृत ‘चौरासी वैष्णवन की वार्ता’ और बैकुण्ठमणि कृत ‘अगहन माहात्म्य’; प्राचीन ब्रज भाषा गद्य की रचनाएँ हैं। प्रश्न 5: खड़ी बोली गद्य की प्रथम प्रामाणिक रचना तथा उसके लेखक का नाम व समय लिखिए। या खड़ी बोली गद्य की प्रामाणिक रचनाएँ कब से प्राप्त होती हैं? उत्तर: रचना– गोरा बादल की कथा। लेखक – जटमल। समय– सन् 1623 ई० (सत्तरहवीं शताब्दी से)। प्रश्न 6: खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कौन-सी है? उत्तर: खड़ी बोली गद्य की सबसे प्राचीन रचना कवि गंग द्वारा लिखित ‘चंद छंद बनने की महिमा है। प्रश्न 7: खड़ी बोली गद्...

खड़ी बोली गद्य के प्रथम लेखक और उनकी प्रथम रचना का नाम लिखिए

खड़ी बोली हिन्दी का वह रूप है जिसमें संस्कृत के शब्दों की बहुलता करके वर्तमान हिन्दी भाषा की सृष्टि हुई, इसी तरह उसमें फ़ारसी तथा अरबी के शब्दों की अधिकता करके वर्तमान उर्दू भाषा की सृष्टि की गई है। खड़ी बोली से एक तात्पर्य उस बोली से है जिसपर ब्रजभाषा या अवधी आदि की छाप न हो। ठेठ हिन्दी, परिनिष्ठित पश्चिमी हिन्दी का एक रूप। Table of Contents Show • • • • • • • • खड़ी बोली निम्नलिखित स्थानों के ग्रामीण क्षेत्रों में बोली जाती है- मेरठ, बिजनौर,शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, देहरादून के मैदानी भाग, अम्बाला, कलसिया और पटियाला के पूर्वी भाग,खड़ी बोली क्षेत्र के पूर्व में ब्रजभाषा, दक्षिण-पूर्व में मेवाती, दक्षिण-पश्चिम में पश्चिमी राजस्थानी, पश्चिम में पूर्वी पंजाबी और उत्तर में पहाड़ी बोलियों का क्षेत्र है। मेरठ की खड़ी बोली आदर्श खडी बोली मानी जाती है जिससे आधुनिक हिन्दी भाषा का जन्म हुआ, वही दूसरी और सहारनपुर,मुजफ्फरनगर,बिजनौर,बागपत, शामली में खड़ी बोली में हरयाणवी की झलक देखने को मिलती है। बाँगरू, जाटकी या हरियाणवी एक प्रकार से पंजाबी और राजस्थानी मिश्रित खड़ी बोली ही हैं जो दिल्ली, करनाल, रोहतक, हिसार और पटियाला, नाभा, झींद के ग्रामीण क्षेत्रों में बोली जाती है। खड़ी से 'खरी' का अर्थ लगाया जाता है, अर्थात् शुद्ध अथवा ठेठ हिन्दी बोली। उस समय जबकि हिन्दुस्तान में अरबी-फारसी या हिन्दुस्तानी शब्द मिश्रित उर्दू भाषा का चलन था, या अवधी या ब्रज भाषा का। ठेठ या शुद्ध हिन्दी का चलन नहीं था। लगभग 18वीं शताब्दी के आरम्भ के समय कुछ हिन्दी गद्यकारों ने ठेठ हिन्दी बोली में लिखना शुरू किया। इसी ठेठ हिन्दी को'खरी हिन्दी' या 'खड़ी हिन्दी' कहा गया। शुद्ध अथवा ठेठ हिन्दी बोली या भाषा को उस सम...

खड़ी बोली की प्रथम गद्य रचना किसे माना जाता है?

ऐसा कहा जाता है कि अमीर खुसरो ने सबसे पहले खादी बोली हिंदी में रचना की थी। स्वतंत्र रूप से हिन्दी का प्रयोग करने वाले प्रथम मुस्लिम कवि अमीर खुसरो थे। वह हिंदी और फारसी में एक साथ लिखने वाले पहले व्यक्ति थे। खादी बोली को नवाचार के रूप में श्रेय दिया जाता है। खारी बोली को अधिकांश मानक हिंदुस्तानी वक्ताओं द्वारा देहाती माना जाता है, और भारत की पहली टीवी श्रृंखला हम लोग में, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुख्य चरित्र का परिवार कभी-कभी अपने दैनिक प्रवचन में खारी बोली का उपयोग करता है। खड़ी बोली की प्रथम गद्य रचना कौरवी बोली, खड़ी बोली, या दिल्ली बोली दिल्ली में और उसके आसपास बोली जाने वाली केंद्रीय इंडो-आर्यन बोलियों में से एक है। यह बोली, जो 900 और 1200 ईस्वी के बीच अवधी, भोजपुरी और ब्रज बोलियों के साथ विकसित हुई, स्वर पुनरावृत्ति के मामले में मुख्यधारा के हिंदुस्तानी, ब्रज और अवधी से अलग है। पुरानी हिंदी पुरानी कौरवी से ली गई थी, जिसने हिंदुस्तानी, बाद में हिंदी और उर्दू को जन्म दिया। दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में, उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिम में, साथ ही आसपास के राज्यों हरियाणा और उत्तराखंड में, खादी बोली बोली जाती है। दोआब उत्तरी भारत के इस हिस्से का सामान्य नाम है। उत्तर प्रदेश और आसपास के दिल्ली क्षेत्र में बोली जाने वाली दो मुख्य हिंदुस्तानी बोलियों के रूप में, खादी बोली और ब्रज भाषा की तुलना आमतौर पर की जाती है। एक व्याख्या यह मानती है कि खारी बोली शब्द ब्रज भाषा के “मीठे और नाजुक प्रवाह” और खारी बोली के “कठोर” के बीच के अंतर से आता है। दूसरी ओर, खारी बोली अधिवक्ता कभी-कभी ब्रज भाषा और अन्य हिंदुस्तानी बोलियों को पड़ी बोली के रूप में संदर्भित करते हैं। Summary: खड़ी बोली की ...

भारतेंदु

खड़ी बोली हिंदी गद्य का प्रथम ग्रंथ "चन्द छन्द बरनन की महिमा" है, जो अकबर के दरबारी कवि गंग द्वारा लिखा गया था। इस ग्रंथ में संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ-साथ ब्रजभाषा के भी शब्दों का व्यवहार बहुतायत से हुआ है। परन्तु हिंदी गद्य के साहित्यिक उत्थान के दृष्टि से पटियाला निवासी रामप्रसाद निरंजनी द्वारा लिखी गयी गद्य रचना "भाषा योगवासिष्ठ" का महत्वपूर्ण स्थान है। इस ग्रंथ की भाषा अधिक निखरी हुई खड़ी बोली हिंदी है। रामप्रसाद निरंजनी को "प्रथम प्रौढ़ गद्य-लेखक" मानते हुए आचार्य शुक्ल अपने इतिहास के आधुनिक काल में लिखते हैं- "ये पटियाला दरबार में थे और महारानी को कथा बाँचकर सुनाया करते थे। इनके ग्रंथ देखकर यह स्पष्ट हो जाता हैं कि मुंशी सदासुख और लल्लूलाल से 62 वर्ष पहले खड़ी बोली का गद्य अच्छे परिमार्जित रूप में पुस्तकें आदि लिखने में व्यवहृत होता था। अब तक पाई गयी पुस्तकों में यह "भाषा योगवासिष्ठ" ही सबसे पुराना है जिसमें गद्य अपने परिष्कृत रूप में दिखाई पड़ता है।" 1 निरंजनी के बाद पं. दौलतराम ने सात सौ पृष्ठों में हरिषेणाचार्य कृत "जैन पद्मपुराण" का गद्यानुवाद प्रस्तुत किया। परन्तु इस ग्रंथ का गद्य निरंजनी के गद्य जैसा परिमार्जित रूप नहीं है। फोर्ट विलियम कॉलेज तथा लेखक चतुष्टय-भारतेंदु-पूर्व हिंदी गद्य के क्रमिक विकास में चार लेखकों- लल्लू लाल, सदल मिश्र, इंशाअल्ला खाँ तथा मुंशी सदासुख लाल का विशेष महत्व है। इनमें से प्रारम्भिक दो लेखक लल्लूलाल और सदल मिश्र फोर्ट विलियम कॉलेज में हिंदी के अध्यापक थे। 1800 ई. में जॉन गिलक्राइस्ट ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की। इस सन्दर्भ में रामस्वरूप चतुर्वेदी लिखते हैं- "फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना 1800 ई. में हुई, पर इसका प्...

हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम Hindi Sahitya Ka Itihas टॉपिक का एक विस्तृत अध्ययन करेंगे , आज के इस लेख में हम हिंदी साहित्य का इतिहास , हिन्दी साहित्य का नामकरण , हिंदी साहित्य का काल विभाजन , आदिकाल , भक्ति काल , रीति काल , आधुनिक काल , हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की प्रमुख समस्याएं , हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि,लेखक और उनकी रचनाएँ , आदि काल के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ , भक्तिकाल के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ , रीति काल के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ , आधुनिक काल के प्रमुख कवि, लेखक और उनकी रचनाएँ के बारे में पढ़ेंगे एवं अंत में हिंदी साहित्य का इतिहास Questions and Answers पर भी एक नजर डालेंगे 1.5 हिंदी साहित्य का इतिहास Questions and Answers | hindisahitya ka itihas Questions and Answers हिन्दी साहित्य का इतिहास विभिन्न लेखकों द्वारा वर्गीकृत किया गया जिनमें डॉ. नागेन्द्र ,आचार्य रामचंद्र शुक्ल,रामकुमार वर्मा एवं बाबू श्याम सुन्दर दास का नाम प्रमुखता से लिया जाता है | आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित, हिन्दी साहित्य का इतिहास सर्वाधिक प्रामाणिक माना जाता हैं दोस्तों लेख़ के अंत में आप हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स PDF DOWNLOAD कर सकते हैं तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं हिंदी साहित्य का इतिहास हिंदी साहित्य का इतिहास लिखने की सर्वप्रथम कोशिश एक फ्रेंच विद्वान् ने की जिनका नाम गार्सा द तासी था ,इनके फ्रेंच भाषा में लिखे ‘ इसवार द ला सितरेत्युर रहुई ए हिन्दुस्तानी‘ नामक ग्रन्थ में हिंदी तथा उर्दु भाषा के कवियों का वर्णन है, परन्तु इस प्रयास में काल विभाजन एवं उनका नामकरण नहीं किया गया है ,काल विभाजन एवं नामकरण के बारे में प्रयास करने का श्रेय जॉर्ज ग्ति...