Khilji vansh

  1. खिलजी वंश की स्थापना
  2. Madhya Kalin Bharat Delhi Sultnat
  3. खिलजी वंश का संस्थापक कौन था?
  4. खिलजी वंश की स्थापना
  5. Khilji Vansh in Hindi । खिलजी वंश नोट्स
  6. खिलजी वंश का इतिहास : Khilji Vansh History in Hindi


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खिलजी वंश की स्थापना

खिलजी वंश की स्थापना जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने की थी। 1290 ई. में गुलाम वंश के अन्तिम शासक शम्सुद्दीन क्यूमर्स की हत्या कर वह दिल्ली का सुल्तान बना। इस राजवंश ने 1290 ई. से 1320 ई. तक कुल 30 वर्ष शासन किया। खिजली कौन थे? खिलजी कौन थे? इस प्रश्न पर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ इतिहासकारों ने खिलजियों को अफगान माना। किन्तु अधिकांश विद्वानों जैसे-फखरुद्दीन, रावर्टी, बार्थोल्ड आदि ने खिलजियों को तुर्क माना। इनके पूर्वज तुर्की से आकर अफगानिस्तान के हेलमन्द नदी के तटीय क्षेत्रों के उन भागों में रहने लगे, जिसे खल्ज क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। सम्भवतः इसीलिए इस जाति का नाम “खिलजी” (खल्ज क्षेत्र के निवासी) पड़ गया। बहुत समय तक अफगानिस्तान में रहने के कारण उन्होंने अफगानी परम्पराओं को अपना लिया। इसी कारण उन्हें अफगान समझा जाने लगा था। किन्तु वे मूलरूप से तुर्क थे। अफगानिस्तान से वे भारत आये और यहीं बस गये। खिलजी क्रान्ति दिल्ली सल्तनत में खिलजी वंश की स्थापना को इतिहास में “खिलजी क्रान्ति” के नाम से भी जाना जाता है। खिलजी वंश की स्थापना को विद्वानों ने निम्नलिखित विशेषताओं के आधार पर खिलजी क्रांति कहा। खिलजियों के शासन में आने से यह अवधारणा खत्म हो गयी कि शासन केवल विशिष्ट वर्ग का व्यक्ति ही कर सकता है। खिलजियों ने भारतीयों को भी उच्च पदों पर नियुक्त करने की परम्परा प्रारम्भ की। उन्होंने पदों पर नियुक्ति का आधार कुलीनता के स्थान पर योग्यता को बनाया। बलबन द्वारा स्थापित राजव्यवस्था के विपरीत खिलजियों ने शाही रक्त के स्थान पर सर्व साधारण को महत्व दिया। इस वंश के शासकों ने विशेषकर अलाउद्दीन खिलजी ने राजनीति को धर्म से पृथक करने का प्रयास किया। इस वंश के शासनकाल में भारत में मुस्लिम ...

Madhya Kalin Bharat Delhi Sultnat

• जलालुद्दीन खिलजी ( 1290-1296 ई.) ने दिल्ली में एक नवीन राजवंश ‘ खिलजी वंश ‘ की स्थापना की। • 13 जून , 1290 ई. को कैकुबाद द्वारा बनवाये गये ‘ किलोखरी ‘ तथा उसके ‘ जलालुद्दीन फिरोज ‘ की उपाधि धारण की। • जलालुद्दीन के समय में उसके भतीजे तथा कड़ा-माणिकपुर के सूबेदार जलाउद्दीन ने 1296 ई. में दक्षिण भारत के राज्य देवगिरि पर आक्रमण किया था। यहां का राजा रामचंद्रदेव था। मुसलमानों का दक्षिण भारत में यह पहला आक्रमण था। 20 जुलाई , 1296 को नदी के किनारे ही अलाउद्दीन ने जलालुद्दीन का वध करवा दिया। • अलाउद्दीन खिलजी ( 1296-1316 ई.) के बचपन का नाम अली गुर्शस्प था। अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का एक महान शासक था। • अलाउद्दीन खिलजी ने ‘ सिकंदर द्वितीय ‘ ( सानी) की उपाधि धारण की। अलाउद्दीन ने अपने अपने शासन में इस्लाम के सिद्धांतों का पालन नहीं किया। उसने खलीफा से सुल्तान के पद की स्वीकृति नहीं ली तथा स्वयं ही ‘ यामीन उल खिलाफत नासिरी अमीर मुमनिन ‘ ( खलीफा का नाइब) की उपाधि धारण की। अलाउद्दीन दिल्ली का पहला सुल्तान था , जिसने धर्म पर राज्य का नियंत्रण स्थापित किया। अलाउद्दीन ने राज्य के चौधरी , खुत तथा मुकद्दम , जो पुराने लगान अधिकारी थे तथा सभी हिन्दू थे , से लगान वसूल करने का अधिकार छीन लिया और उनके विशेषाधिकार समाप्त कर दिये। • अलाउद्दीन ने लगान (खराज) पैदावार का 1/2 भाग कर दिया। अलाउद्दीन ने ‘ भूमि की पैमाइश ‘ कराकर लगान वसूल करना पारंभ किया। इसके लिये एक ‘ बिस्बा ‘ को इकाई माना गया। ऐसा करने वाला अलाउद्दीन पहला शासक था। • अपनी लगान व्यवस्था को लागू करने के लिये अलाउद्दीन ने एक पृथक् विभाग ‘ दीवान-ए-मुस्तखराज ‘ की स्थापना की तथा इसमें अनेक पदाधिकारियों को नियुक्त किया। • अलाउद्दीन ने...

खिलजी वंश का संस्थापक कौन था?

Explanation : खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था। 13 जून, 1290 में कैकुबाद द्वारा निर्मित किलोखरी (किलूगढ़ी) महल में इसका राज्यारोहण हुआ। यह दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था, जिसका हिंदू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण था। जलालुद्दीन खिलजी ने सिर्फ 6 वर्ष तक शासन किया था। वह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था, जिसने स्पष्ट शब्दों में यह विचार सामने रखा कि, राज्य को शासितों के स्वैच्छिक समर्थन पर आधारित होना चाहिए। उसने सहिष्णुता का व्यवहार करने और कड़ी सजाओं का सहारा न लेने की नीति अपनाकर अमीरों की सद्भावना भी प्राप्त करने की कोशिश की। जलालुद्दीन की नीति को अलाउद्दीन ने उलट दिया तथा जो भी उसका विरोध करने का प्रयत्न करता उसे वह कड़ी सजा देता था। Tags :

खिलजी वंश की स्थापना

खिलजी वंश की स्‍थापना khilji vansh ki sthapna;बलबन अपने मृत्‍यु के पश्‍चात् अपने पौत्र कैखूसरो को अपना उत्‍तराधिकारी बनाना चाहता था, परन्‍तु अमीरों और मलिकों ने बुगरा खां के पुत्र कैकुबाद को गद्दी पर बैठा दिया। बलबन के कठोर नियन्‍त्रण मे पला कैकुवाद स्‍वतंत्रता पाते ही भोग, विलास, नाज-गाने तथा शराब में डुब गया। दिल्‍ली के कोतवाल फखरूद्दीन के दामाद मलिक निजामुद्दीन ने शासन पर नियंत्रण कर लिया। इसी के भड़काने पर कैकुबाद ने कैखुसरों की हत्‍या करवा दी। कैकुबाद के पिता तथा बंगाल का सुल्‍तान बुगरा खां ने मुलाकात के दौरान अपने पुत्र को निजामुद्दीन से पीछा छुड़ाने की सलाही दी। कुछ समय बाद निजामुद्दीन की हत्‍या करवा दी गई। कैकुबाद ने जलालुद्दीन फिरोज खलजी को बरन का गवर्नर तथा युद्धमंत्री पदस्‍थ किया। तुर्की अमीरों ने इस नियुक्ति को पसन्‍द नहीं किया। वे जलालुद्दीन को गैर तुर्क समझते थे। तुर्की दल के नेता मलिक कच्‍छन एंव सुर्खा थे। उन्‍होने जलालुद्दीन खलजी सहित सभी गैर तुर्की अमीरों की हत्‍या करने का षडयंत्र रचा। इस बीच कैकुबाद को लकवा मार गया। उसके तीन वर्षीय बेटे कैमुर्स को सुल्‍तान बनाया गया। कुछ ही दिनों में मलिक कच्‍छन की हत्‍या कर दी गई। जलालुद्दीन शिशु सुल्‍तान का सरंक्षक बन गया। किलूखरी में लकवे में पड़े सुल्‍तान कैकुबाद को तरकेश नामक खलजी सरदार ने कपड़े में लपेटकर यमुना नदी में फेंक दिया। तीन माह तक संरक्षक के रूप में रहने के बाद जलालुद्दीन ने कैमूर्स की भी हत्‍या करवा दी। 1290 में स्‍वंय को किलूखरी में सुल्‍तान घोषित कर दिया। इस प्रकार एक नये वंश का उदय हुआ। बहुत से इतिहासकारों का मत है कि खलजी मूलत: तुर्क थे। लगभग दो सौ वर्ष तक अफगानिस्‍तान में रहने के कारण उन्‍होने वहां क...

Khilji Vansh in Hindi । खिलजी वंश नोट्स

यहाँ हमने खिलजी वंश नोट्स हिन्दी (Khilji Vansh Notes in Hindi) मे दिये है। खिलजी वंश नोट्स (Khilji Vansh in Hindi) आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे। Khilji Vansh in Hindi । खिलजी वंश नोट्स खिलजी वंश (1290-1320) • खिलजी वंश की स्थापना दिल्ली सल्तनत में खिलजी क्रान्ति के नाम से प्रशिद्ध है। • इसके द्वारा तुर्की आमिर वर्ग का सत्ता पर एकाधिकार और तुर्की लोगों की जातीय तानाशाही समाप्त हो गयी। • इस वंश के संस्थापक जलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत के सबसे उदारवादी शासक माने जाते हैं। • जलालुद्दीन का राज्यारोहण मध्यकालीन भारत के राजनितिक एवं सांस्कृतिक इतिहास में एक क्रान्ति का प्रतीक था। जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290-1296) • जलालुद्दीन खिलजी सिंहासन पर अधिकार शक्ति के आधार पर किया था। • सुल्तान कैकुबाद ने इन्हें शाइस्ता खाँ की उपाधि दी तथा सेना मंत्री का भी पद दिया था। • कैकुबाद द्वारा बनवाये गये अपूर्ण “किलोखरी” के महल में जलालुद्दीन ने अपना राज्याभिषेक करवाया था। • दिल्ली सल्तनत का यह पहला सुल्तान था जिसकी नीति दूसरों को प्रसन्न करने के सिद्धान्त पर आधारित था। उसने हिन्दू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया। • इसने तुर्की, गैर तुर्की, भारतीय मुसलमानों को शासन में सम्मिलित करके भारत के मुसलमानी राज्य को एक विस्तृत आधार प्रदान करने का प्रयत्न किया। • इसके शासन काल में ही ईरानी फकीर सौदी मौला को हाथी के पैरों तले कुचला गया था। • विद्रोहियों के प्रति जलालुद्दीन ने दुर्बल नीति और कहा “ मैं एक वृद्ध मुसलमान हूँ और मुसलमानों का रक्त बहाने की मेरी आदत नहीं है” अपनाया। • इसके काल में ही लगभग 2000 मंगोल इस्लाम धर्म कबूल कर दिल्ली के न...

खिलजी वंश का इतिहास : Khilji Vansh History in Hindi

खिलजी वंश का इतिहास : Khilji Vansh History in Hindi : अफगानिस्तान में हेलमंद नदी की घाटी के प्रदेश को खिलजी नाम से पुकारा जाता था। जो जातियां यहां बस गयी है खलजी कहा गया। खिलजी मूलतः तुर्क तो थे लेकिन इल्बारी तुर्क नहीं। यह मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था। इसने दिल्ली की सत्ता पर 1290-1320 ई. तक राज किया। ख़िलजी वंश को सामान्यत: तुर्कों का एक कबीला माना जाता है, जो उत्तरी भारत पर मुसलमानों की विजय के बाद यहाँ आकर बस गया। जलालुद्दीन ख़िलजी ने ख़िलजी वंश (khilji vansh) की स्थापना की थी। खिलजी वंश का इतिहास : Khilji Vansh History in Hindi जलालुद्दीन ख़िलजी ने ख़िलजी वंश की स्थापना की थी। जलालुद्दीन ख़िलजी ने ग़ुलाम वंश के अंतिम सुल्तान की हत्या करके ख़िलजियों को दिल्ली का सुल्तान बनाया। ख़िलजी वंश (khilji vansh) ने 1290 से 1320 ई. तक राज्य किया। दिल्ली के ख़िलजी सुल्तानों में अलाउद्दीन ख़िलजी (1296-1316 ई.) सबसे प्रसिद्ध और योग्य शासक था। जलालुद्दीन फिरोज खिलजी : Jalal-ud-din Firoz Khilji (1290-1296 A.D) • गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की। • इसको अमीर वर्ग, उलेमा वर्ग, जनता का समर्थन प्राप्त नहीं था। • मामलूक अथवा ग़ुलाम वंश के अन्तिम सुल्तान शमसुद्दीन कैमुर्स की हत्या कर जलालुद्दीन ने कैकुबाद द्वारा निर्मित किलोखरी किले में स्वयं को सुल्तान घोषित कर दिया। • जलालुद्दीन खिलजी ने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया। • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने उदार धार्मिक नीति अपनाई। उसने घोषणा किया की शासन का आधार शासितों (प्रजा) की इच्छा होनी चाहिए। • ऐसी घोषणा करने वाला यह प्रथम शासक था। • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी धार्मिक सहिष्णु व्य...