Kirchhoff ka niyam

  1. किरचॉफ का धारा नियम आधारित है ! Kirchhoff ka dhaara niyam aadhaarit hai
  2. किरचॉफ का प्रथम (संधि) व द्वितीय (लूप) नियम
  3. किरचॉफ का नियम किसके संरक्षण पर आधारित है? » Kirchhoff Ka Niyam Kiske Sanrakshan Par Aadharit Hai
  4. किरचॉफ के परिपथ के नियम
  5. Physics in Hindi » Ncert Solutions for Physics in Hindi
  6. किरचॉफ के नियम
  7. Kirchhoff's Second Law
  8. उष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है? Ushmagatiki Ka Pratham Niyam Kya Hai?
  9. आसान शब्दों में किरचॉफ का नियम


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किरचॉफ का धारा नियम आधारित है ! Kirchhoff ka dhaara niyam aadhaarit hai

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किरचॉफ का प्रथम (संधि) व द्वितीय (लूप) नियम

Table of Contents • • • Kirchaf Ka Niyam In Hindi किरचॉफ का नियम :- किन्हीं जटिल परिपथो में वोल्टता वह धारा के मान ज्ञात करने के लिए किरचॉफ में निम्न दो नियम दिए। किसी विद्युत परिपथ में जिस बिंदु पर तीन या तीन से अधिक शाखाएं मिलती है। उसे संधि कहते है। किसी विद्युत परिपथ के जाल का वह भाग जिसमें विद्युत धारा नियत रहती है। शाखा कहलाती है। विभिन्न चालकों, प्रतिरोधो एवं अवयवों से मिलकर बना परिपथ लूप या पास कहलाता है। जटिल विद्युत परिपथों के लिए किरखोफ द्वारा प्रतिपादित दोनो नियम निम्न प्रकार हे। Sandhi Niyam • किरचॉफ का प्रथम नियम/ संधि नियम :- इस नियमानुसार परिपथ में किसी बिंदु करें मिलने वाली समस्त धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता हैं। अर्थात ∑ I = 0 जितनी धारा संधि में प्रवेश करती है। उतनी ही धारा संधि से बाहर गमन करती है। अर्थात विद्युत परिपथ में किसी संधि पर प्रवेश करने वाली धारा का योग, उसी संधि से निकलने वाली धारा के योग के बराबर होता हैं आने वाली धाराओं का योग = जाने वाली धाराओं का योग इसे किरचॉफ का प्रथम नियम कहते है। जितना आवेश संधि में प्रवेश करता है उतना ही आवेश संधि से बाहर निकलता है अतः किरचॉफ का प्रथम नियम आवेश संरक्षण पर आधारित है। संधि के अंदर आने वाली धारा को धनात्मक व संधि से बाहर जाने वाली धारा को ऋणात्मक लेते है। इस चित्र में 5 धाराएं प्रवाहित हो रही हैं इनमें से I 1 व I 2 धाराएं संधि में प्रवेश कर रही है जबकि I 3 , I 4 ,I 5 धाराएं संधि से बाहर निकल रही है। अतः किरचॉफ के नियम से I 1 + I 2– I 3– I 4– I 5 = 0 Loop Niyam किरचॉफ का द्वितीय नियम/वोल्टता या लूप नियम :- इस नियमानुसार किसी बंद लूप या पास के सभी प्रतिरोध के सिरों पर विभव पतनो अर्थात धारा व प्रतिर...

किरचॉफ का नियम किसके संरक्षण पर आधारित है? » Kirchhoff Ka Niyam Kiske Sanrakshan Par Aadharit Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। किरचॉफ का नियम किसके संरक्षण पर आधारित है 1845 में गुस्ताख के चाचा ने विद्युत प्रवक्ता एवं नारा संबंधित नियम प्रतिपादित किए यह दोनों नियम संयुक्त रूप से चर्चा के परिपथ के नियम कहलाते हैं एवं विद्युत पर्वतों के लिए पस्ता आवेश संरक्षण एवं ऊर्जा संरक्षण के नियमों के भिन्न रूप हैं आवेश संरक्षण और ऊर्जा संरक्षण के विभिन्न रूप kirchhoff ka niyam kiske sanrakshan par aadharit hai 1845 me gustakh ke chacha ne vidyut pravakta evam naara sambandhit niyam pratipadit kiye yah dono niyam sanyukt roop se charcha ke paripath ke niyam kehlate hain evam vidyut parwaton ke liye pasta aavesh sanrakshan evam urja sanrakshan ke niyamon ke bhinn roop hain aavesh sanrakshan aur urja sanrakshan ke vibhinn roop किरचॉफ का नियम किसके संरक्षण पर आधारित है 1845 में गुस्ताख के चाचा ने विद्युत प्रवक्ता एवं

किरचॉफ के परिपथ के नियम

किसी नोड या जंक्सन की तरफ जाने वाली धाराओं का योग उस नोड से दूर जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है; अर्थात्, i 1 + i 4 = i 2 + i 3 इस नियम को 'किरचॉफ का संधि नियम', 'किरचॉफ का बिन्दु नियम', 'किरचॉफ का जंक्सन का नियम' और किरचॉफ का प्रथम नियम भी कहते हैं। ∑ k = 1 n I k = 0 यह नियम किरचॉफ का विभवान्तर का नियम (केवीएल / KVL) किसी घेरा (लूप) के परित: सभी विभवान्तरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है; अर्थात, v 1 + v 2 + v 3 + v 4 = 0 इस नियम को 'किरचॉफ का द्वितीय नियम', T किसी घेरा (लूप) के परित: सभी विभवान्तरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है। अर्थात, ∑ k = 1 n V k = 0 यह नियम उदाहरण सामने दिखाये गये विद्युत परिपथ में 2 वोल्टता स्रोत तथा 3 प्रतिरोधक हैं। तथा, R 1 = 100 , R 2 = 200 , R 3 = 300 (ohms) ; की दिशा चित्र में दिखायी गयी दिशा के उल्टी दिशा में है। इन्हें भी देखें • • बाहरी कड़ियाँ • [ • • सन्दर्भ • አማርኛ • العربية • مصرى • Asturianu • Azərbaycanca • Беларуская • Български • বাংলা • Català • Čeština • Чӑвашла • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Gaeilge • Galego • עברית • Hrvatski • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Italiano • 日本語 • Қазақша • 한국어 • Limburgs • Latviešu • Македонски • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Polski • Piemontèis • Português • Română • Русский • Sardu • Srpskohrvatski / српскохрватски • සිංහල • Simple English • Slovenčina • Slovenščina • Shqip • Српски / srpski • Svenska • தமிழ் • Tagalog • Türkçe • Татарча / tatarça • Українська • Oʻzbekcha / ўзбекча • Tiếng...

Physics in Hindi » Ncert Solutions for Physics in Hindi

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किरचॉफ के नियम

Table of Contents • • • किरचॉफ के नियम क्या है – Kirchhoff Ka Niyam hindi: किरचॉफ ने परिपथ के जिन दो नियमों को बताया था, वे इस प्रकार हैं – • प्रथम नियम – किरचॉफ का धारा(current) का नियम (Kirchhoff’s current law-KCL) • द्वितीय नियम – किरचॉफ का विभवान्तर(voltage) का नियम (Kirchhoff’s voltage law-KVL) किरचॉफ का पहला नियम – Kirchhoff’s current law in Hindi: विद्युत परिपथ या इलेक्ट्रिक सर्किट में संधि बिंदु या node पर मिलने वाली सभी विद्युत धाराओं का बीज गणितीय योग शून्य होता है | संधि पर सभी धाराओं का बीज गढतीय योग शून्य क्यों होता है इसका कारण हैं कि संधि पर आने वाली विद्युत धाराओं का योग और संधि से जाने वाली विद्युत धाराओं का योग बराबर होता है याΣI=0 इस किरचॉफ के current के नियम के अनुसार कोई विद्युत धारा संधि की तरफ आती है तो उसका मान धनात्मक मानते है और संधि से दूसरी तरफ जाने वाली धारा का मान ऋणात्मक लेते है यह नियम संधि पर लागू होता है| इसलिए किरचॉफ के पहले नियम को संधि का नियम कहते है और धारा नियम भी यानी जितना total current node या संधि पर आता है उतना ही यहां से निकल जाता है इसलिए यहां विद्युत धारा का मान शून्य होता है | किरचॉफ का दूसरा नियम – Kirchhoff’s voltage law in Hindi: “किसी बंद लूप या परिपथ में विद्युत वाहक बल(EMF) का बीजगणितीय योग, उस परिपथ के प्रतिरोधकों के सिरों पर उत्पन्नविभवान्तरों(voltage) के बीजगणितीय योग के बराबर होता हैं।” दुसरे शब्दों में कहे तो – “किसी लूप के सभी विभवान्तरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है।” इसे किरचॉफ का ‘लूप नियम’ भी कहते है। यह ऊर्जा के संरक्षण के नियम पर आधारित है। तब हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि किरचॉफ के दूसरे नियम के अनु...

Kirchhoff's Second Law

Kirchhoff's Second Law Gustav Robert Kirchhoff, a German physicist, contributed to the fundamental understanding of electrical circuits. Kirchhoff’s Law or circuit Laws is composed of two mathematical equality equations that deal with resistance, current, and voltage in the lumped element model of electrical circuits. The laws are fundamental to circuit theory. They quantify how current flows and voltages vary through a loop in a circuit. Table of Contents: • • • • • What are Kirchhoff’s Laws? There are two laws as follows: • Kirchhoff’s first law, also known as • Kirchhoff’s second law, also known as Kirchhoff’s voltage law (KVL) states that the sum of all voltages around a closed loop in any circuit must be equal to zero. This again is a consequence of charge conservation and also conservation of energy. Here in this short piece of article, we will be discussing Kirchhoff’s second law. Kirchhoff’s Voltage Law Kirchhoff’s Second Law or the voltage law states that The net electromotive force around a closed circuit loop is equal to the sum of potential drops around the loop It is termed Kirchhoff’s Loop Rule, which is an outcome of an electrostatic field that is conservative. Hence, • If a charge moves around a closed loop in a circuit, it must gain as much energy as it loses. • The above can be summarized as the gain in energy by the charge = corresponding losses through resistances • Mathematically, the total voltage in a closed loop of a circuit is expressed as \(...

उष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है? Ushmagatiki Ka Pratham Niyam Kya Hai?

ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ( First Law of Thermodynamics)मुख्यत: ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation)को प्रदर्शित करता है। इस नियम के अनुसार— किसी निकाय कोदी जाने वाली उष्मादो प्रकार के कार्यों में व्यय होती है : • निकाय की आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि करने में,जिसमें निकाय का ताप (Temperature) बढ़ता है। • बाह्यकार्य (External Work) करने में। by Pranav Kumar

आसान शब्दों में किरचॉफ का नियम

कभी-कभी एक जटिल परिपथ में वोल्टेज या धारा का मान निकालने के लिए ओम के नियम का उपयोग करने से परेशानी खड़ी हो जाती हैं। 1845 में electrical circuits) में होनेवाली इन्हीं परेशानियों के समाधान के लिये वोल्टता एवं धारा सम्बन्धी दो नियम प्रतिपादित किये। ये दोनों नियम किरचॉफ के परिपथ के नियम(Kirchhoff’s circuit laws) कहे जाते हैं। वैद्युत इंजीनियरी(electrical engineering) के क्षेत्र में बहुत महत्व हैं। किरचॉफ के परिपथ के नियम – Kirchhoff’s circuit laws in Hindi किरचॉफ ने परिपथ के जिन दो नियमों को बताया था, वे इस प्रकार हैं – प्रथम – किरचॉफ का धारा का नियम (Kirchhoff’s current law – KCL) पहले नियम की परिभाषा (Definition of Kirchhoff’s first law) –“किसी विद्युत परिपथ में किसी भी बिन्दु या संधि (junction or node) पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणितीय योग(algebraic sum) शून्य होगा।” दुसरे शब्दों में कहे तो –“विद्युत परिपथ(electrical circuits) में किसी संधि या जंक्शन(जहाँ दो से अधिक चालक आकर मिलते हैं) पर आनेवाली धाराओं का योग वहां से जानेवाली धाराओं के योग के बराबर होती हैं।” इसे किरचॉफ का ‘संधि नियम’, ‘जंक्शन का नियम’ या ‘बिन्दु नियम’ भी कहते है। यह आवेश के संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है। किरचॉफ के पहले नियम का डायग्राम Example:- डायग्राम के अनुसार निम्न समीकरण से इसे समझा जा सकता हैं- i 2 + i 3 + (- i 1– i 4) = 0 या, i 2 + i 3 = i 1 + i 4 द्वितीय – किरचॉफ का विभवान्तर का नियम (Kirchhoff’s voltage law – KVL) दुसरे नियम की परिभाषा (Definition of Kirchhoff’s second law) –“किसी बंद लूप या परिपथ में विद्युत वाहक बल(EMF) का बीजगणितीय योग, उस परिपथ के प्रतिरोधकों के सिरों पर उत्पन्न विभवान्...