किस क्षेत्र को राजस्थानी चित्रकला का जन्म स्थान माना जाता है

  1. राजस्थान की चित्रकला Painting Of Rajasthan In Hindi
  2. राजस्थानी चित्र शैली
  3. [Solved] रुक्नुद्दीन राजस्थानी चित्रकला की किस शैली स
  4. RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 8 भारत की जीवंत कला परंपराएँ
  5. RBSE Class 12 Drawing Notes Chapter 2 राजस्थानी चित्र शैली
  6. राजस्थानी भाषा
  7. Rajasthani Painting
  8. [Solved] रुक्नुद्दीन राजस्थानी चित्रकला की किस शैली स
  9. राजस्थानी भाषा
  10. राजस्थान की चित्रकला Painting Of Rajasthan In Hindi


Download: किस क्षेत्र को राजस्थानी चित्रकला का जन्म स्थान माना जाता है
Size: 68.66 MB

राजस्थान की चित्रकला Painting Of Rajasthan In Hindi

1.3 Related Posts: राजस्थान की चित्रकला (चित्रशैली) के प्राचीन ऐसे सचित्र ग्रंथ सामने आए हैं, जिसमे राजस्थानी चित्रकला का आरंभिक स्वरूप निखरता दिखाई देता हैं. इन ग्रंथों में चित्रों में लौरचन्द्रा, मृगावती, गीत गोविन्द, चोर पंचाशिका, नायक नायिका भेद, चावंड रागमाला आदि ग्रंथों में राजस्थानी शैली का परिष्कृत रूप निखरने लगा. रसिक प्रिया, रामायण, भागवत पुराण में यह चित्रों में मौलिक रूप में दिखाई देती हैं. चोर पंचाशिका व चावंड रागमाला ग्रंथों को कला इतिहासज्ञों ने राजस्थान की चित्रकला के प्राचीन इतिहास के चित्र माने हैं. जिसका समय लगभग 16 वीं शताब्दी पूर्वार्ध माना गया हैं. भारत में मुगल साम्राज्य के पतन के साथ ही मुगल चित्रकार राजसी संरक्षण हेतु इधर उधर राज्यों की ओर चले गये. जिससे मुगल काल की दरबारी चित्रकला शैली का प्रभाव कागड़ा, राजस्थान, बंगाल, बिहार और तंजौर व गोलकुंडा की कला पर दिखाई देता हैं. मुगल चित्रकारों ने वहां जाकर स्थानीय कलाकारों और चित्र परम्परा के साथ काम कर एक नई शैली को जन्म दिया, जो स्थानीय विशेषताओं के कारण स्वतंत्र शैली के रूप में विकसित हुई. कुछ चित्रकार राजस्थान की रियासतों मेवाड़, मारवाड़, हाडौती, शेखावटी क्षेत्रों में गये. जहाँ स्थानीय शासकों के संरक्षण में कार्य करते हुए उन्होंने आकारों की मौलिकता को बनाए रखा. परिणामस्वरूप अलग अलग क्षेत्रीय शैलियाँ विकसित हुई, Telegram Group किन्तु चित्रों की सामान्य विशेषताएं रंग, विषय वस्तु आदि में परिवर्तन होने से रायकृष्ण दास ने राजस्थान राज्य में पल्लवित चित्रकला को राजस्थान की चित्रकला अथवा राजस्थानी चित्र शैली का नाम दिया. जिसे सभी विद्वानों ने स्वीकार किया हैं. राजस्थानी चित्रों की विषय वस्तु मुख्य रूप से धार्म...

राजस्थानी चित्र शैली

राजस्थानी चित्र शैली के अंतर्गत वह सभी चित्र और उसकी विशेषताएं आती है जो पूर्व में राजपूताना में प्रचलित थी। राजस्थानी चित्र शैली का पहला वैज्ञानिक विभाजन आनंद कुमार स्वामीने किया था। उन्होंने 1916 में राजपूत पेंटिंग नामक पुस्तक लिखी जिसमें राजस्थान की चित्रकला को राजपूत चित्रकला कहा तथा इसमें पहाड़ी चित्रकला को भी शामिल किया गया। राजस्थान चित्र शैली का क्षेत्र अत्यंत समृद्ध है। यह राजस्थान के व्यापक भूभाग में फैली है। राजस्थानी चित्रकला की जन्मभूमि मेदपाट(मेवाड़) है जिसने अजंता चित्रण परंपरा को आगे बढ़ाया। राजस्थानी चित्रकला पर प्रारंभ में जैन शैली गुजरात शैली और अपभ्रंश शैली का प्रभाव रहा किंतु 17वीं शताब्दी से मुगल साम्राज्य के प्रसार व राजपूतों के साथ बढ़ते राजनीतिक व वैवाहिक संबंधों के फलस्वरूप राजपूत चित्रकला पर मुगल शैली का प्रभाव बढ़ने लगा।कतिपय विद्वान 17वीं तथा 18 वीं शताब्दी के प्रारंभिक काल को राजस्थानी चित्रकला का स्वर्ण युग मानते हैं। आगे चलकर अंग्रेजों के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव से तथा लड़खड़ाती आर्थिक दशा से राजस्थानी चित्रकला को आघात लगा फिर भी राजस्थानी चित्रकला किसी ना किसी रूप में जीवित रही। राजस्थानी चित्र शैली चित्रकला को चार शैलियों(Schools of Painting)में विभक्त कर सकते हैं, प्रत्येक शैली में एक से अधिक उपशैलियां है :- • मेवाड़ शैली:- चावंड/ उदयपुर,नाथद्वारा ,देवगढ़ आदि। • मारवाड़ शैली:- जोधपुर ,बीकानेर ,किशनगढ़, अजमेर, नागौर ,जैसलमेर आदि। • हाडोती शैली :- कोटा ,बूंदी आदि। • ढूंढाड़ शैली:- आमेर ,जयपुर, अलवर ,उणियारा ,शेखावाटी आदि। प्रारंभिक चित्र • 1260 – तेज सिंह -आहड़ – श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि • 1423 मोकल – देलवाड़ा – सुपार्श्वनाथ चरित 1.1 चा...

[Solved] रुक्नुद्दीन राजस्थानी चित्रकला की किस शैली स

सही उत्‍तर बीकानेर शैलीहै। Key Points • रुकनुद्दीन राजस्थानी चित्रकला के बीकानेर शैलीसे जुड़े थे। • चित्रकला की बीकानेर शैली • राव बीका राठौर ने 1488 में राजस्थान के सबसे प्रमुख राज्यों में से एक बीकानेर की स्थापना की। • अनूप सिंह (1669-1698) ने बीकानेर में एक पुस्तकालय की स्थापना की जो पांडुलिपियों और चित्रकलाका भंडार बन गया। • बीकानेर ने चित्रकला की एक विशिष्ट भाषा विकसित की जो मुगल लालित्य और मंद रंग पटिया से प्रभावित थी। • अनूप सिंह के शासनकाल में, रुक्नुद्दीन (जिनके पूर्वज मुगल दरबार से आए थे) मुख्य मुख्य कलाकार थे, जिनकी शैली दक्कनी और मुगल सम्मेलनों के साथ स्वदेशी शैलीका समामेलन थी। • उन्होंने रामायण, रसिकप्रिया और दुर्गा सतसती जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों को चित्रित किया। इब्राहिम, नाथू, साहिबदीन और ईसा उसके अन्य प्रसिद्ध चित्रकार थे। Additional Information • चित्रकला की बूंदी शैली • सत्रहवीं शताब्दी में बूंदी में चित्रकला का एक विपुल और विशिष्ट शैली विकसित हुआ, जो अपनी बेदाग रंग भावना और उत्कृष्ट औपचारिक डिजाइन के लिए उल्लेखनीय है। • बूंदी रागमाला दिनांक 1591, जिसे बूंदी चित्रकला के शुरुआती और प्रारंभिक चरण को सौंपा गया था, हाडा राजपूत शासक भोज सिंह (1585-1607) के शासनकाल में चुनार में चित्रित किया गया है। • बूंदी और कोटा शैलीकी एक विशिष्ट विशेषता हरे-भरे वनस्पति के चित्रण; विविध वनस्पतियों, वन्य जीवन और पक्षियों के साथ सुरम्य परिदृश्य; पहाड़ियाँ और घने जंगल; और जल निकायों में गहरी रुचि है। • चित्रकला की जोधपुर शैली • सत्रहवीं शताब्दी के मध्य में महाराजा जसवंत सिंह (1638-1678) द्वारा चित्रकला के एक उत्पादक काल की शुरुआत की गई थी। • 1640 के आसपास उनके संरक्षण में चित्रा...

RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 8 भारत की जीवंत कला परंपराएँ

Rajasthan Board RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 8 भारत की जीवंत कला परंपराएँ बहुचयनात्मक प्रश्न- प्रश्न 1. बिहार की लोकप्रिय चित्रकला है- (अ) मधुबनी (ब) वारली (स) पिथौरा (द) पिछवाई उत्तर: (अ) मधुबनी प्रश्न 2. 'पिछाई' चित्रकला राजस्थान में किस नगर से सम्बन्धित है ? (अ) जयपुर (ब) नाथद्वारा (स) उदयपुर (द) कोटा उत्तर: (ब) नाथद्वारा प्रश्न 3. गोंड और साबरा नामक लोकप्रिय चित्रकला परम्परा भारत के किस राज्य से सम्बन्धित है ? (अ) राजस्थान (ब) गुजरात (स) मध्य प्रदेश (द) बिहार उत्तर: (स) मध्य प्रदेश प्रश्न 4. 'पाबूजी की फड़' नामक लोकप्रिय चित्रकला परम्परा प्रचलित है- (अ) महाराष्ट्र में (ब) गुजरात में (स) मध्य प्रदेश में (द) राजस्थान में उत्तर: (द) राजस्थान में प्रश्न 5. मिथिला चित्रकला को किस अन्य नाम से जाना जाता है ? (अ) मधुबनी चित्रकला (ब) पिछाई चित्रकला (स) पट चित्रकला (द) पिथोरो चित्रकला उत्तर: (अ) मधुबनी चित्रकला प्रश्न 6. मधुबनी चित्रकला में कुलदेवी (काली) का चित्र बनाया जाता है- (अ) घर के केन्द्रीय भाग या बाहरी आहाते में (ब) घर के पूर्वी भाग में (स) घर के दक्षिणी भाग में (द) घर के उत्तरी भाग में उत्तर: (ब) घर के पूर्वी भाग में प्रश्न 7. मधुबनी चित्र परम्परा में घर के कितने क्षेत्रों में चित्र बनाए जाते हैं ? (अ) एक क्षेत्र में (ब) दो क्षेत्रों में (स) तीन क्षेत्रों में (द) चारों क्षेत्रों में उत्तर: (स) तीन क्षेत्रों में प्रश्न 8. वारली चित्रकला में चित्रों को घरों की मिट्टी की बनी हुई रंगीन दीवारों पर किससे बनाया जाता है? (अ) गेहूँ के आटे से (ब) चावल के आटे से (स) जौ के आटे से (द) मक्के के आटे से उत्तर: (ब) चावल के आटे से प्रश्न 9. वारली चित्रों में चौक पर ...

RBSE Class 12 Drawing Notes Chapter 2 राजस्थानी चित्र शैली

Rajasthan Board RBSE Class 12 Drawing Chapter 2 Notes राजस्थानी चित्र शैली → प्रारम्भिक परिचय-'राजस्थानी चित्र शैली' नामक शब्द ऐसी चित्र शैली से सम्बन्धित है जो कि विभिन्न रियासतों व ठिकानों में विकसित/समृद्ध हुई। ये रियासतें वर्तमान में राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के भागों से मिलकर बनी हैं। इसमें मेवाड़, बूंदी, कोटा, जयपुर, बीकानेर, किशनगढ़, जोधपुर (मारवाड़), मालवा, सिरोही और 16वीं व 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के मध्य के प्रमुख रियासतों को शामिल किया गया है। → आनन्द कुमारस्वामी द्वारा राजपूत शैली' शब्द का प्रयोग प्रसिद्ध विद्वान आनन्द कुमारस्वामी के द्वारा 1916 में 'राजपूत चित्र' नामक शब्द का प्रयोग किया गया था जो यह व्यक्त करता था कि अधिकांश शासक एवं संरक्षक जो इन राज्यों से थे वे सभी राजपूत थे। कुमारस्वामी ने विशेष रूप से इस शब्द का प्रयोग सर्वाधिक प्रसिद्ध मुगल चित्रकला शैली से राजस्थानी चित्र शैली को अलग श्रेणीबद्ध करने एवं दोनों में भिन्नता बताने के लिए किया था। इसलिए मालवा, जिसमें मध्य भारत की रियासतें शामिल थीं, और पहाड़ी शैली, जिसमें पहाड़ी या उत्तर-पश्चिम भारत के हिमालय क्षेत्र के पर्वतीय प्रदेश शामिल थे, भी राजपूत चित्र शैली की परिधि/सीमा में शामिल थे। कुमारस्वामी के लिए यह शब्दावली चित्रकला की स्वदेशी परम्परा, जो मुगलों के आगमन से पूर्व उस मुख्य भू-भाग में विद्यमान थी, का प्रतिनिधित्व करती है। आगे चलकर 'राजपूत शैली' शब्द अप्रचलित शब्द हो गया। इसके बजाय राजस्थानी या पहाड़ी जैसी विशेष श्रेणियों का प्रयोग किया जाने लगा। यद्यपि लघु दूरियों द्वारा अलग होने के बाद भी, इन रियासतों में उभरी एवं विकसित हुईं चित्रात्मक शैलियाँ व्यवहारगत प्रयोग के सन्दर्भ में काफी विविध थी...

राजस्थानी भाषा

अनुक्रम • 1 राजस्थानी की भाषाएं • 2 राजस्थानी भाषा की बोलियों का वर्गीकरण • 2.1 प्रमुख भाषाएं • 3 विकास का इतिहास • 4 राजस्थानी भाषा की सामान्य विशेषताएँ • 5 राजस्थानी भाषा पर शोध कार्य • 6 लिखित रूप • 7 विश्व का सबसे बड़ा शब्दकोश: राजस्थानी वृहत शब्दकोश • 8 मान्यता स्थिति • 9 भौगोलिक वितरण • 10 इन्हें भी देखें • 11 बाहरी कड़ियाँ • 12 सन्दर्भ राजस्थानी की भाषाएं [ ] राजस्थानी भाषा की मुख्यतः आठ भाषाएं है जिनका कुछ अन्य उपबोलियों में भी विभाजन किया जाता है। भारत की जनगणना 1991 व 2011 के अनुसार निम्न भाषाएं आधुनिक राजस्थानी भाषा के प्राथमिक वर्गीकरण के अंतर्गत आती है: भारत की जनगणना 1961 में राजस्थानी भाषा के वक्ताओं द्वारा इस भाषा की 73 बोलियां लिखवाई गई किंतु इनमें से 46 बोलियों के वक्ताओं की संख्या 1 हजार से भी कम थी, साथ ही अन्य 13 बोलियों के वक्ताओं की संख्या 50 हजार से भी कम थी। इनमें से मुख्यतः 4 बोलियों के ही वक्ताओं की संख्या 10 लाख से ज्यादा थी। भाषाविदों के अनुसार राजस्थानी की मुख्यतः 8 भाषाएं ही है। राजस्थानी भाषा की बोलियों का वर्गीकरण [ ] राजस्थानी भाषा पश्चिमी इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित हैं। डॉ॰ ग्रियर्सन ने राजस्थानी की पाँच बोलियाँ मानी हैं- (1) पश्चिमी राजस्थानी (मारवाड़ी), (2) उत्तर पूर्वी राजस्थानी (मेवाती अहीरवाटी), (3) मध्यपूर्वी (या पूर्वी) राजस्थानी (ढूँढाडी हाड़ौती), (4) दक्षिण-पूर्वी राजस्थानी (मालवी), (5) दक्षिणी राजस्थानी (निमाड़ी)। (6) ग्रियर्सन ने भीली और खानदेशी को स्वतंत्र भाषा वर्ग में माना है, किन्तु (1) पश्चिमी राजस्थानी (मारवाड़ी), (2) पूर्वी राजस्थानी (जैपुरी हाड़ौती)। मेवाती, मालवी और निमाड़ी का वे पश्चिमी हिंदी की ही विभाषा मानने...

Rajasthani Painting

राजस्थान की चित्रकला की शैलियाँ – Rajasthani Painting ⇒ राजस्थान कला के क्षेत्र में भारत में अग्रणी राज्य है। इस मरु-भूमि में सभी प्रकार की कलाओं का विकास हुआ तथा भारतीय कला के क्षेत्र में इसने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया। (अ) चित्रकला – ⇒ अपनी अमूत्र्त भावनाओं के विकास के लिए मानव ने जिन कलाओं का आश्रय लिया उनमें चित्रकला का प्रमुख स्थान है। सर्वप्रथम श्री आनन्द कुमार स्वामी ने अपने ग्रन्थ राजपूत पेंटिग में राजस्थान की चित्रकला के स्वरूप को उजागर किया तथा स्पष्ट किया कि राजस्थान में चित्रकला का एक सम्पन्न स्वरूप है। ⇒ श्री बेस्लिग्रे ने राजस्थानी चित्रकला के लिए राजपूत चित्रकला नाम का समर्थन किया है। ⇒ राजस्थानी चित्रकला का उद्गम स्थल मेवाङ माना जाता है। यह अपभ्रंश शैली का नवीन रूप है। ⇒ राजस्थानी शैली का प्रारम्भ 15 वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य माना जाता है। ⇒ राजपूत चित्रकला के अन्तर्गत राजस्थानी शैली के सभी चित्र आ जाते हैं। ⇒ जैसलमेर के प्राचीन भंडारों में उपलब्ध विक्रम संवत 1117 व 1160 ई. के दो ग्रन्थ आधनिर्युक्ति वृत्ति एवं दशवैकालिक सूत्र चूर्णि भारतीय कला के दीप स्तम्भ हैं। ⇒ हरिभद्र सूरि कृत समराइच्चकहा तथा उद्योतनसूरी कृत कुवलयमाला में चित्र निर्माण की पद्धति रेखांकन, रूपांकन, रंग संयोजन के विस्तृत विवरण मिलते हैं। ⇒ मूल रूप से देखा जाए तो राजस्थान में बने हुए चित्र अपनी शैली एवं स्वरूप में अजन्ता के चित्रों से मिलते-जुलते हैं। ⇒ राजस्थानी लोक चित्रकला को अग्रलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है- (1) भित्ति एवं भूमि चित्र – (क) आकारद चित्र – भित्ति, देवरा, पथवारी आदि। (ख) अमूर्त, सांकेतिक, ज्यामितीय, सांझी व माण्डव आदि। (2) कपङे पर निर्मित चित्र – पट चित्र, प...

[Solved] रुक्नुद्दीन राजस्थानी चित्रकला की किस शैली स

सही उत्‍तर बीकानेर शैलीहै। Key Points • रुकनुद्दीन राजस्थानी चित्रकला के बीकानेर शैलीसे जुड़े थे। • चित्रकला की बीकानेर शैली • राव बीका राठौर ने 1488 में राजस्थान के सबसे प्रमुख राज्यों में से एक बीकानेर की स्थापना की। • अनूप सिंह (1669-1698) ने बीकानेर में एक पुस्तकालय की स्थापना की जो पांडुलिपियों और चित्रकलाका भंडार बन गया। • बीकानेर ने चित्रकला की एक विशिष्ट भाषा विकसित की जो मुगल लालित्य और मंद रंग पटिया से प्रभावित थी। • अनूप सिंह के शासनकाल में, रुक्नुद्दीन (जिनके पूर्वज मुगल दरबार से आए थे) मुख्य मुख्य कलाकार थे, जिनकी शैली दक्कनी और मुगल सम्मेलनों के साथ स्वदेशी शैलीका समामेलन थी। • उन्होंने रामायण, रसिकप्रिया और दुर्गा सतसती जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों को चित्रित किया। इब्राहिम, नाथू, साहिबदीन और ईसा उसके अन्य प्रसिद्ध चित्रकार थे। Additional Information • चित्रकला की बूंदी शैली • सत्रहवीं शताब्दी में बूंदी में चित्रकला का एक विपुल और विशिष्ट शैली विकसित हुआ, जो अपनी बेदाग रंग भावना और उत्कृष्ट औपचारिक डिजाइन के लिए उल्लेखनीय है। • बूंदी रागमाला दिनांक 1591, जिसे बूंदी चित्रकला के शुरुआती और प्रारंभिक चरण को सौंपा गया था, हाडा राजपूत शासक भोज सिंह (1585-1607) के शासनकाल में चुनार में चित्रित किया गया है। • बूंदी और कोटा शैलीकी एक विशिष्ट विशेषता हरे-भरे वनस्पति के चित्रण; विविध वनस्पतियों, वन्य जीवन और पक्षियों के साथ सुरम्य परिदृश्य; पहाड़ियाँ और घने जंगल; और जल निकायों में गहरी रुचि है। • चित्रकला की जोधपुर शैली • सत्रहवीं शताब्दी के मध्य में महाराजा जसवंत सिंह (1638-1678) द्वारा चित्रकला के एक उत्पादक काल की शुरुआत की गई थी। • 1640 के आसपास उनके संरक्षण में चित्रा...

राजस्थानी भाषा

अनुक्रम • 1 राजस्थानी की भाषाएं • 2 राजस्थानी भाषा की बोलियों का वर्गीकरण • 2.1 प्रमुख भाषाएं • 3 विकास का इतिहास • 4 राजस्थानी भाषा की सामान्य विशेषताएँ • 5 राजस्थानी भाषा पर शोध कार्य • 6 लिखित रूप • 7 विश्व का सबसे बड़ा शब्दकोश: राजस्थानी वृहत शब्दकोश • 8 मान्यता स्थिति • 9 भौगोलिक वितरण • 10 इन्हें भी देखें • 11 बाहरी कड़ियाँ • 12 सन्दर्भ राजस्थानी की भाषाएं [ ] राजस्थानी भाषा की मुख्यतः आठ भाषाएं है जिनका कुछ अन्य उपबोलियों में भी विभाजन किया जाता है। भारत की जनगणना 1991 व 2011 के अनुसार निम्न भाषाएं आधुनिक राजस्थानी भाषा के प्राथमिक वर्गीकरण के अंतर्गत आती है: भारत की जनगणना 1961 में राजस्थानी भाषा के वक्ताओं द्वारा इस भाषा की 73 बोलियां लिखवाई गई किंतु इनमें से 46 बोलियों के वक्ताओं की संख्या 1 हजार से भी कम थी, साथ ही अन्य 13 बोलियों के वक्ताओं की संख्या 50 हजार से भी कम थी। इनमें से मुख्यतः 4 बोलियों के ही वक्ताओं की संख्या 10 लाख से ज्यादा थी। भाषाविदों के अनुसार राजस्थानी की मुख्यतः 8 भाषाएं ही है। राजस्थानी भाषा की बोलियों का वर्गीकरण [ ] राजस्थानी भाषा पश्चिमी इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित हैं। डॉ॰ ग्रियर्सन ने राजस्थानी की पाँच बोलियाँ मानी हैं- (1) पश्चिमी राजस्थानी (मारवाड़ी), (2) उत्तर पूर्वी राजस्थानी (मेवाती अहीरवाटी), (3) मध्यपूर्वी (या पूर्वी) राजस्थानी (ढूँढाडी हाड़ौती), (4) दक्षिण-पूर्वी राजस्थानी (मालवी), (5) दक्षिणी राजस्थानी (निमाड़ी)। (6) ग्रियर्सन ने भीली और खानदेशी को स्वतंत्र भाषा वर्ग में माना है, किन्तु (1) पश्चिमी राजस्थानी (मारवाड़ी), (2) पूर्वी राजस्थानी (जैपुरी हाड़ौती)। मेवाती, मालवी और निमाड़ी का वे पश्चिमी हिंदी की ही विभाषा मानने...

राजस्थान की चित्रकला Painting Of Rajasthan In Hindi

1.3 Related Posts: राजस्थान की चित्रकला (चित्रशैली) के प्राचीन ऐसे सचित्र ग्रंथ सामने आए हैं, जिसमे राजस्थानी चित्रकला का आरंभिक स्वरूप निखरता दिखाई देता हैं. इन ग्रंथों में चित्रों में लौरचन्द्रा, मृगावती, गीत गोविन्द, चोर पंचाशिका, नायक नायिका भेद, चावंड रागमाला आदि ग्रंथों में राजस्थानी शैली का परिष्कृत रूप निखरने लगा. रसिक प्रिया, रामायण, भागवत पुराण में यह चित्रों में मौलिक रूप में दिखाई देती हैं. चोर पंचाशिका व चावंड रागमाला ग्रंथों को कला इतिहासज्ञों ने राजस्थान की चित्रकला के प्राचीन इतिहास के चित्र माने हैं. जिसका समय लगभग 16 वीं शताब्दी पूर्वार्ध माना गया हैं. भारत में मुगल साम्राज्य के पतन के साथ ही मुगल चित्रकार राजसी संरक्षण हेतु इधर उधर राज्यों की ओर चले गये. जिससे मुगल काल की दरबारी चित्रकला शैली का प्रभाव कागड़ा, राजस्थान, बंगाल, बिहार और तंजौर व गोलकुंडा की कला पर दिखाई देता हैं. मुगल चित्रकारों ने वहां जाकर स्थानीय कलाकारों और चित्र परम्परा के साथ काम कर एक नई शैली को जन्म दिया, जो स्थानीय विशेषताओं के कारण स्वतंत्र शैली के रूप में विकसित हुई. कुछ चित्रकार राजस्थान की रियासतों मेवाड़, मारवाड़, हाडौती, शेखावटी क्षेत्रों में गये. जहाँ स्थानीय शासकों के संरक्षण में कार्य करते हुए उन्होंने आकारों की मौलिकता को बनाए रखा. परिणामस्वरूप अलग अलग क्षेत्रीय शैलियाँ विकसित हुई, Telegram Group किन्तु चित्रों की सामान्य विशेषताएं रंग, विषय वस्तु आदि में परिवर्तन होने से रायकृष्ण दास ने राजस्थान राज्य में पल्लवित चित्रकला को राजस्थान की चित्रकला अथवा राजस्थानी चित्र शैली का नाम दिया. जिसे सभी विद्वानों ने स्वीकार किया हैं. राजस्थानी चित्रों की विषय वस्तु मुख्य रूप से धार्म...