Kishoravastha kise kahate hain

  1. इतिहास किसे कहते हैं
  2. वर्ण किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
  3. अर्थव्यवस्था क्या होती है
  4. अस्थि संस्थान क्या है? अस्थियों की रचना, आकार, और प्रकार को अच्छे से समझें [ Best 1 ]
  5. Visheshya
  6. हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्य किसे माना जाता है?
  7. घन किसे कहते हैं? (क्षेत्रफल, परिमाप, आयतन, गुणधर्म)
  8. Kishoravastha Kya Hai, Age, Samasya Aur Meaning: किशोरावस्था सुनहरी अवस्था


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इतिहास किसे कहते हैं

इतिहास किसे कहते है – itihaas kise kahate hain इतिहास किसे कहते हैं(itihas kise kahate hain )अक्सर इस सवाल का उत्तर जानने की जिज्ञासा लाखों लोगों में होती है। तभी तो हजारों लोग इस प्रश्न का जवाव गूगल पर जानना चाहते हैं। इतिहास से अभिप्राय उने विगत घटनाओं से है। जिसमें देश समाज, ब्रह्मांड से जुड़ी हुई समस्त पिछली घटनाओ और उन घटनाओं के विषय में अवधारणाओं का उल्लेख किया जाता है। इतिहास किसे कहते हैं – ITIHAAS KISE KAHATE HAIN इतिहास का अर्थ – itihaas ka arth kya hai इतिहास का शाब्दिक अर्थ की बाद की जाय तो यह हिन्दी के दो शब्दों के मेल से बना है। इति और हास, इति का मतलब होता है बीती हुई और हास का मतलब कहानी से है। इस प्रकार इतिहास का अर्थ (itihas ka arth) होता है बीती हुई कहानी। इस प्रकार इसे इस रूप में समझा जा सकता है, की इतिहास वह शास्त्र है जिसमें विगत घटित घटनाओं के बारें में हमें जानकारी मिलती है। इतिहास के प्रकार ऊपर आपने इतिहास के अर्थ के बारें में जाना की इतिहास से क्या अभिप्राय है। अब हम इतिहास की उपयोगिता और इतिहास के प्रकार के बारें में जानते हैं। इतिहास को वर्गीकृत करना कठिन है। लेकिन सुविधा की दृष्टि से इतिहास को मुख्य रूप से भागों में बांटा जा सकता है। • प्राचीन इतिहास • मध्यकालीन इतिहास • आधुनिक इतिहास READ खूबसूरत सिटी पैलेस जयपुर का इतिहास | City palace Jaipur history in Hindi इस वर्गीकरण के अलावा भी इतिहास के और भी प्रकार हो सकते हैं। सामाजिक इतिहास, साँस्कृतिक इतिहास, राजनीतिक इतिहास, धार्मिक इतिहास, आर्थिक इतिहास इत्यादि। इतिहास क्या है परिभाषा– itihas ki paribhasha kya hai अक्सर लोग इतिहास की परिभाषा जानना चाहते हैं की इतिहास क्या है। इतिहास की परिभाषा इन ...

वर्ण किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद और उदाहरण)

विषय सूची • • • • • • वर्ण किसे कहते हैं? वर्ण की परिभाषा (Varn ki Paribhasha): वर्ण उस मूल ध्वनि को कहा जाता है, जिसके खंड व टुकड़े नहीं किये जा सकते हैं। वर्णों की इकाइयां हमेशा समान रहती हैं, परंतु इन्हें अलग-अलग भागों में विभाजित नहीं किया जा सकता। यह सभी वर्ण खुद में ही अपनी एक विशेष भूमिका अदा करते हैं। दूसरे शब्दों में बात करें तो वर्ण ध्वनि के वे सूक्ष्म रूप होते हैं, जिन्हें विभाजित नहीं किया जा सकता और इन्हें कभी भी खंडों में विभक्त नहीं किया जा सकता, इसे ही वर्ण कहते हैं। वर्णों के मौलिक रूप को मिलाकर एक साथ कहने को अक्षर कहते हैं और इस से बने हुए शब्दों के उच्चारण को ध्वनि कहते हैं। अर्थात मानव के द्वारा प्रस्तुत की गई सार्थक व अर्थ से परिपूर्ण ध्वनि को भाषा की संज्ञा दी जाए और भाषा को चिन्हों के द्वारा लिखी गयी भाषा मे परिवर्तित किया जाए, इसी चिन्ह को वर्ण कहा जाता है। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है व इसके टुकड़े या खण्ड नहीं किये जा सकते हैं। जैसे:- क, ख, व, च, प आदि। आइए अब हम उदाहरण के द्वारा मूल ध्वनियों और उसके वर्णों को स्पष्ट कर सकते हैं। जैसे:- काम (क + आ + म + अ) में चार मूल ध्वनियां हैं। वर्णमाला की परिभाषा अब तक हम सभी लोगों ने वर्णमाला के वर्णों के विषय में जाना अब हम आइए जानते हैं कि वर्णमाला क्या होती है? भाषा के ध्वनि चिन्हों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहा जाता है, हिंदी भाषा की वर्णमाला में 47 वर्ण माने गए हैं, इन 47 वर्णों में 35 व्यंजन और 10 स्वर होते हैं। वर्ण और वर्णमाला में अंतर वर्णमाला पर ही पूरी दुनिया के अलग-अलग भाषाओं का सार निर्भर होता है, परंतु स्वयं वर्णमाला वर्णों पर निर्भर होती है क्योंकि वर्णों के मेल से ही वर्णमाला बनता...

अर्थव्यवस्था क्या होती है

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम अर्थव्यवस्था (Arthvyavastha) के बारे में पढ़ेंगे। इसके अन्तर्गत अर्थव्यवस्था किसे कहते है (Arthvyavastha kise kahate Hain), अर्थव्यवस्था क्या है (Arthvyavastha Kya Hai), अर्थव्यवस्था की परिभाषा (Arthvyavastha Ki Paribhasha) , अर्थव्यवस्था के प्रकार (Arthvyavastha Ke Prakar) , अर्थव्यवस्था के क्षेत्र (Arthvyavastha ke kshetra) के बारे में जानेंगे। अर्थव्यवस्था किसे कहते है– Arthvyavastha kise kahate Hain अर्थव्यवस्था (Arthvyavastha) से तात्पर्य एक ऐसी संस्थागत प्रणाली से है जो समाज की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करे तथा जो विभिन्न प्रकार की क्रियाकलापों, संस्थाओं, अभिव्यक्तियों एवं इन सबके पारस्परिक सम्बन्धों से मिलकर बनी हो। अर्थव्यवस्था का अर्थ – Arthvyavastha Ka Arth अर्थव्यवस्था शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से हुई है – अर्थ + व्यवस्था। अर्थ का तात्पर्य है मुद्रा अर्थात् धन और व्यवस्था का मतलब है एक स्थापित कार्यप्रणाली। अर्थव्यवस्था क्या है – Economy Kya Hai वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण एवं उपयोग की सामाजिक व्यवस्था को अर्थव्यवस्था (Economy) कहते है। अर्थव्यवस्था (Arthvyavastha) वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत हम समस्त आर्थिक क्रियाओं उपभोग, उत्पादन, वितरण आदि का अध्ययन करते हैं। किसी देश की आर्थिक क्रियाओं को ही उस देश की अर्थव्यवस्था कहते है। अर्थव्यवस्था (Economy) वह प्रबन्ध है जिसके अन्तर्गत एक निश्चित क्षेत्र या राष्ट्र में रहने वाले लोग अपनी जीविका प्राप्त करते है। अर्थव्यवस्था में उत्पादन, वितरण, उपभोग एवं विनिमय यदि क्रियाओं के सम्मिलित होने के कारण लोगों की आर्थिक आवश्य...

अस्थि संस्थान क्या है? अस्थियों की रचना, आकार, और प्रकार को अच्छे से समझें [ Best 1 ]

हमारे मुख्य टॉपिक है अस्थि संस्थान क्या है? अस्थियों की रचना, अस्थियों के प्रकार, अस्थियों के आकार [ Asthi Sansthan kise kahate hai, Asthi kise kahate hain, aur asthi ke prakar ] मानव शरीर ईश्वर की एक अनुपम संरचना है। अस्थि संस्थान पर आधारित हमारा शरीर एक प्रकार से मशीन की तरह काम करता है जोकि ऑटोमेटिक है। विभिन्न प्रकार की संधियों से अन्य तंत्र की सहायता से चलने वाला हमारा शरीर एक व्यवस्थित संगठन की तरह है। हमारे शरीर में स्थित विभिन्न प्रकार की हड्डियों से निर्मित ढांचे को अस्थि संस्थान या कंकाल तंत्र कहते हैं। अस्थि संस्थान का निर्माण मां के गर्भ में ही हो जाता है। कंकाल तंत्र को पूर्ण रूप देने में अस्थियों तथा उपास्थियो का पूर्ण योगदान देता है। अगर अस्थि और उपास्थि नहीं होंगी तो अस्थि संस्थान या मानव कंकाल की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। हड्डियां बाहर से देखने पर सॉलिड नजर आती हैं लेकिन अंदर से ये खोखली होती है। सभी हड्डियों के अंदर अस्थि मज्जा नामक पदार्थ भरा होता है जोकि देखने में गूदेदार होता है। अस्थियों के आवरण को अस्थिच्छड (periosteum) कहते है। इनका निर्माण कैल्शियम, फास्फेट, कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैग्निशियम फास्फेट आदी खनिज पदार्थों के योग से होता है। एक तरफ तो अस्थि संस्थान शरीर को बुनियादी ढांचा प्रदान करता है वहीं दूसरी ओर यह शरीर के आंतरिक अंगों को कार्य करने के लिए सुरक्षा कवच तथा कार्य करने के लिए उचित स्थान प्रदान करता है। हमारे शरीर की मुख्य क्रियाएं हैं जैसे कि चलना, दौड़ना, उठना बैठना, खेलना कूदना, इत्यादि सभी कार्य अस्थि संस्थान के द्वारा ही संभव हो पाते हैं। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • अस्थि संस्थान किसे कहते हैं? मानव...

Visheshya

Table of Contents • • • • • • • Visheshya | विशेष्य इस लेख में हम विशेष्य (Visheshya) के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं. हम सभी जानते हैं की किसी वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं. किसी भी वाक्य में विशेषण जिन संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताता है उस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द को विशेष्य (Visheshya) कहते हैं. अतः विशेष्य (Visheshya) के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरे लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें। विशेष्य किसे कहते हैं | Visheshya Kise Kahate Hain विशेषण शब्द जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। अतः संज्ञा या सर्वनाम शब्द ही विशेष्य कहलाता है. विशेष्य के साथ विशेषण का प्रयोग दो तरह से होता है. • संज्ञा के साथ – संज्ञा के साथ प्रयुक्त होने पर इसे विशेष्य विशेषण कहते हैं तथा इनका प्रयोग विशेष्य से पहले किया जाता है. • क्रिया के साथ – क्रिया के साथ प्रयुक्त होने पर इसे विधेय विशेषण कहते हैं तथा इनका प्रयोग क्रिया से पहले किया जाता है. विधेय विशेषण समानाधिकरण होता है. विशेष्य के उदाहरण | Visheshya Ke Udaharan • चाय ज़्यादा मीठी है। • शंकरन पढ़ा लिखा इंसान है। • राधा सुंदर है। • कमलेश एक ईमानदार नेता है। • विशाल भ्रष्ट अफसर है। • अमित तेज़ दौड़ता है। • विजय बहादुर लड़का है। उपरोक्त वाक्य में विजय नामक व्यक्ति के बारे में बताया गया है कि वह एक बहादुर लड़का है। इस वाक्य में विजय की विशेषता बताने वाला शब्द बहादुर है। अतः ‘बहादुर’ विशेषण होगा। विशेष्य की परिभाषा के अनुसार ‘विशेषण शब्द जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं।’ उपरोक्त वाक्य में ‘विजय’ की विशेषता बताई जा...

हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्य किसे माना जाता है?

मित्रों हिंदी साहित्य में प्रबंध काव्य की महत्वता एक अलग शिखर पर ही रहती है। इसीलिए जो भी कवि या रचयिता किसी प्रबंध काव्य की रचना करता है, उसे महान रचनाकार के तौर पर माना जाता है। इसीलिए काफी लोग यह जानना चाहते हैं कि हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्य किसने लिखा था, और हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्य किसे माना जाता है? | Hindi ka pratham prabandh kavya kise mana jata hai. यदि आप भी यह जानना चाहते हैं कि हिंदी के प्रथम प्रबंध काव्य के बारे में तो आज हम आपको विस्तार से जानकारी देते हुए बताएंगे कि Hindi ka pratham prabandh kavya kise mana jata hai । इसी के साथ हम आपको आज इस लेख में प्रबंध काव्य के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। चलिए शुरू करते हैं:- प्रबंध काव्य क्या होता है ? | prabandh kavya kise kahate hain इसके अंतर्गत जो स्वरूप के आधार पर काव्य का निर्धारण किया जाता है उसे भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है – • श्रव्य काव्य • दृष्य काव्य श्रव्य काव्य वे काव्य होते है जिनका रसास्वादन किसी भी दूसरे व्यक्ति के द्वारा सुनकर या स्वयं से पढ़कर किया जाता है, जैसे कि रामायण, महाभारत इत्यादि। श्रव्य काव्य भी दो प्रकार होते हैं:- • प्रबंध काव्य • मुक्तक काव्य अब हम आपको बताते हैं कि प्रबंध काव्य किसे कहते हैं। मित्रों, प्रबंध काव्य एक प्रकार से एक ऐसा काव्य होता है जिसमें कोई कथा या कहानी क्रमबद्ध रूप से शुरू से लेकर अंत तक चलती रहती है, और बीच में कहीं भी नहीं टूटती है। हालांकि इसमें कोई दूसरी गौण कथाएं या कहानियां बीच-बीच में सहायक बन कर उभरा सकती है जैसे की रामचरितमानस। जब किसी काव्य में मूल रूप से कथा का सूत्र अलग-अलग प्रकार के छंदों के माध्यम से जुड़ा हुआ होता है, तो उसे प्रबंध का...

घन किसे कहते हैं? (क्षेत्रफल, परिमाप, आयतन, गुणधर्म)

Image: Ghan Kise Kahate Hain हम अपने रोजमर्रा के जीवन में जितनी भी तस्वीरें देखते हैं, वह त्रिविमीय होती हैं। इस वजह से हमें इस तरह के आकार के बारे में जानकारी लेने की आवश्यकता है। यहाँ पर घन के क्षेत्रफल, परिमाप, आयतन, गुणधर्म, परिभाषा के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देने जा रहे है, जिसका इस्तेमाल करके आप विभिन्न परीक्षाओं के गणित छेत्र में अच्छा अंक हासिल कर सकते हैं। घन किसे कहते हैं? (क्षेत्रफल, परिमाप, आयतन, गुणधर्म) | Ghan Kise Kahate Hain विषय सूची • • • • • • • • • घन की परिभाषा (Ghan Ki Paribhasha) घन वर्ग की तरह दिखाई देगा। आप ऐसा समझ सकते है कि 6 वर्ग जब एक साथ जुड़ जाते हैं तो वह घन बन जाते है। सरल और सटीक तरीके से इसकी परिभाषा की बात करें तो एक ऐसी त्रिविमीय आकृति जिसमें 6 फलक, 12 किनारे और 8 कोने होते है, उसे हम घन कहते है। घन की सभी भुजाएं एक समान होती है, जिस वजह से जब हम खान को एक दिशा से देखते हैं तो वह एक वर्ग की तरह दिखता है। मगर चारों ओर से देखने पर यह बहुत सारे घन का मिश्रण नजर आता है। घन का चित्र (Ghan Ka Chitra) Image: Ghan Ka Chitra घन का गुणधर्म घन एक आकृति है, जिसके कुछ खास गुण होते हैं। जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए ताकि आप इस आकृति से जुड़े गणितीय सवालों को हल कर सके। • घन की सभी भुजाएं बराबर होती है, इस वजह से एक घन की ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई एक समान होती है। • घन के तीन फलक होते है, जिस वजह से इस आकृति में आप एंगल नहीं माप सकते। मगर एक घर में 6 वर्ग होते हैं, इस वजह से हर एक वर्ग की अगर बात की जाए तो उसमें वर्ग के गुणधर्म लगते हैं। • घन वर्ग का त्रिविमीय आकार है, इस वजह से इसमें लंबाई, ऊंचाई और चौड़ाई के संबंधित चीजों पर चर्चा की जाती ह...

Kishoravastha Kya Hai, Age, Samasya Aur Meaning: किशोरावस्था सुनहरी अवस्था

यह वह समय है जब वह न बालक होता है और न ही वयस्क| किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें सभी प्रकार के बदलाव बालकों के अंदर होते हैं जैसे शारीरिक,मानसिक, सामाजिक, बौद्धिक, तथा संज्ञानात्मक। किशोरावस्था को सुनहरी अवस्था भी कहते हैं, क्योंकि इस में यौवन अपने चरम सीमा पर होता है। Kishoravastha Kya Hai, Age Aur Samasya: कठिनाइयों का सामना किशोरावस्था परिवर्तनों की अवस्था है, इस समय तीव्र गति से बालकों के अंदर परिवर्तन आते हैं, और यह विशेष समय होता है जिसमें प्रत्येक बालकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ADVERTISEMENT संघर्ष,तनाव व विरोध की अवस्था किशोरावस्था जीवन का सबसे कठिन काल है। किशोरावस्था में किशोर अपने शारीरिक रूप के लिए बहुत ही ज्यादा सोचते हैं। किशोरियाँ अपने भोजन को हमेशा अपनी सुंदरता के संदर्भ में सोचती हैं। Kishoravastha Kise Kahate Hai इस समय किशोर अपने साथियों के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाते।अपने अंदर होने वाले परिवर्तनों को ठीक से समझ नहीं पाते। अपने इस बदले हुए रूप को भी स्वीकार नहीं कर पाते और अजीब सा महसूस करते हैं। इस समय माता-पिता, अध्यापक व समाज उनसे कुछ ज्यादा ही उम्मीदें रखते हैं,जिनको वह पूरा करने में असमर्थ होते हैं। इस अवस्था में हम उम्र मित्रों का प्रभाव बहुत ज्यादा पड़ता है। इस समय उनका व्यवहार, रहन-सहन, बात-चीत, सोच, भविष्य की योजनाएं सभी उनके समूह से प्रभावित होती हैं। इस समय कई बार मित्र समूह के प्रभाव में आकर किशोर गलत संगत में भी पड़ जाते हैं। इन लक्षणों को देखते हुए माता -पिता को किशोर बच्चों के अंदर आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए। बच्चों को समय देना चाहिए उनसे सकारात्मक बात करें, उनको बढ़ावा दें, उनको आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी बनने में सहायता करें।