किसने यह विचार व्यक्त किया कि समानता अप्राकृतिक और अवांछनीय है?

  1. समानता से आप क्या समझते हैं? क्या समानता और स्वतन्त्रता एक
  2. [Solved] किसने कहा कि मानव का विचार अभिव्यक्ति की स्वत�
  3. सूचना प्रौद्योगिकी
  4. शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति, स्वरूप
  5. [Solved] किसने यह विचार दिया कि एक हिमयुग था, जिसके दौर�
  6. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 manushyata
  7. राजनीतिक सिद्धांत और इसकी अस्वीकृति
  8. क्यों यह विचार कि समलैंगिकता अप्राकृतिक है, 5 कारणों से बेतुका है / सामाजिक मनोविज्ञान और व्यक्तिगत संबंध
  9. [Solved] निम्नलिखित में से किसने यह विचार प्रस्तुत कि�


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समानता से आप क्या समझते हैं? क्या समानता और स्वतन्त्रता एक

समानता से आप क्या समझते हैं? क्या समानता और स्वतन्त्रता एक-दूसरे के पूरक हैं? या स्वतन्त्रता एवं समानता का सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए। या “स्वतन्त्रता की समस्या का केवल एक ही हल है और वह हल समानता में निहित है।” इस कथन की विवेचना कीजिए। या समानता को परिभाषित कीजिए तथा स्वतन्त्रता के साथ इसके सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए। समानता का अर्थ साधारण रूप से समानता का अर्थ यह लगाया जाता है कि सभी व्यक्तियों को ईश्वर ने बनाया है; अतः सभी समान हैं और इसी कारण सभी को समान सुविधाएँ व आय का समान अधिकार होना चाहिए। इस प्रकार का मत व्यक्त करने वाले व्यक्ति प्राकृतिक समानती में विश्वास व्यक्त करते हैं, किन्तु यह विचार भ्रमपूर्ण है, क्योंकि प्रकृति ने ही मनुष्यों को बुद्धि, बल तथा प्रतिभा के आधार पर समान नहीं बनाया है। अप्पादोराय के शब्दों में, “यह स्वीकार करना कि सभी मनुष्य समान हैं, उतना ही भ्रमपूर्ण है जितना कि यह कहना कि भूमण्डल समतल है।” मनुष्यों में असमानता के दो कारण हैं—प्रथम, प्राकृतिक और द्वितीय, सामाजिक या समाज द्वारा उत्पन्न। अनेक बार यह देखने में आता है कि प्राकृतिक रूप से समान होते हुए भी व्यक्ति असमान हो जाते हैं, क्योंकि आर्थिक समानता के अभाव में सभी को अपने व्यक्तित्व का विकास करने के समान अवसर उपलब्ध नहीं हो पाते। इस प्रकार समाज द्वारा उत्पन्न परिस्थितियाँ मनुष्य के बीच असमानता उत्पन्न कर देती हैं। नागरिकशास्त्र की अवधारणा के रूप में समानता से हमारा तात्पर्य समाज द्वारा उत्पन्न इस असमानता का अन्त करने से होता है। दूसरे शब्दों में, समानता का तात्पर्य अवसर की समानता से है। सभी व्यक्तियों को अपने विकास के लिए समान सुविधाएँ व समान अवसर प्राप्त हों, ताकि किसी भी व्यक्ति को यह कहने का अव...

[Solved] किसने कहा कि मानव का विचार अभिव्यक्ति की स्वत�

उदारवादियों के अनुसार, व्यक्तियों को स्वतंत्रता का पूर्ण अधिकार नहीं है। Key Points • जब स्वतंत्रता अप्रतिबंधित होती है, तो यह एक लाइसेंस या दूसरों को गाली देने के अधिकार में बदल सकती है। • जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपनी पुस्तक ऑन लिबर्टी में तर्क दिया है कि एक ही उद्देश्य जिसके लिए किसी सभ्य समुदाय के किसी भी सदस्य पर उसकी इच्छा के विरुद्ध शक्ति का उचित रूप से प्रयोग किया जा सकता है, वह है दूसरों को नुकसान से बचाना। • उन्होंने स्वयं के संबंध में और कार्यों के संबंध में अन्य के बीच अंतर किया। • स्वयं उन कार्यों के बारे में जिन पर व्यक्तियों को पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए​। • अन्य-संबंधित कार्य दूसरों की स्वतंत्रता को सीमित या नुकसान पहुंचा सकते हैं। • जे. एस. मिल ने कहा कि मनुष्य की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना वर्तमान और भविष्य की दौड़ को लूटने जैसा है। इस प्रकार, जे. एस. मिल ने कहा कि मनुष्य की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना वर्तमान और भविष्य की नस्लों को लूटने जैसा है। Additional Information JSमिल के कार्य: • पोलिटिकल इकॉनमी 1825 • रैशनल ऑफ़ रिप्रजेंटेशन, 1835 • एस्से ऑनगवर्नमेंट , 1840 • द प्रिंसिपल ऑफ़ पोलिटिकल इकॉनमी,1848 • कन्सिडरातिओं ऑनरिप्रेजेन्टेटिव गवर्नमेंट, 1861 • द सब्जेक्शन ऑफ़ वीमेन, 1869 • थ्री एस्से ऑनरिलिजन: नेचर, द यूटिलिटी ऑफ़ रिलिजन एंड थेइसम, 1874

सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना प्रौद्योगिकी ( information technology) आँकड़ों की प्राप्ति, सूचना संग्रह, सुरक्षा, परिवर्तन, आदान-प्रदान, अध्ययन, डिज़ाइन आदि कार्यों तथा इन कार्यों के निष्पादन के लिये आवश्यक कंप्यूटर हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर अनुप्रयोगों से संबंधित (सम्बन्धित) है। सूचना प्रौद्योगिकी, वर्तमान समय में वाणिज्य और व्यापार का अभिन्न अंग बन गयी है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी भी कहा जाता है। एक उद्योग के तौर पर यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। अनुक्रम • 1 परिभाषा • 2 कारक • 3 सूचना प्रौद्योगिकी का महत्त्व • 4 सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न घटक • 5 सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभाव • 6 सूचना प्रौद्योगिकी का भविष्य • 7 इतिहास • 8 भारत में सूचना प्रौद्योगिकी • 9 सन्दर्भ • 10 इन्हें भी देखें • 11 बाहरी कड़ियाँ परिभाषा [ ] 1. सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित (सम्बन्धित) संक्षिप्त विश्वकोश में - सूचना प्रौद्योगिकी को सूचना से संबद्ध (सम्बद्ध) माना गया है। इस प्रकार के विचार कंप्यूटिंग (कम्प्यूटिंग) का शब्दकोश (डिक्शनरी ऑफ़ कंप्यूटिंग (कम्प्यूटिंग)) में भी व्यक्त किए गए है। 'मैकमिलन डिक्शनरी ऑफ़ इनफ़ोर्मेशन टेक्नोलाॅजी' में सूचना प्रौद्योगिकी को परिभाषित करते हुए यह विचार व्यक्त किया गया है कि कंप्यूटिंग (कम्प्यूटिंग) और दूरसंचार के संमिश्रण पर आधारित माईक्रो-इलेक्ट्रानिक्स द्वारा मौखिक, चित्रात्मक, मूलपाठ विषयक और संख्या संबंधी (सम्बन्धी) सूचना का अर्जन, संसाधन (प्रोसेसिंग), भंडारण (भण्डारण) और प्रसार है। 2. अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी को इन शब्दों मे परिभाषित किया गया है- सूचना प्रौद्योगिकी का अर्थ है, सूचना का एकत्रिकरण, भंडारण (भण्डारण), प्रोसेसिंग, प्रसार और प्रयोग। यह केवल हार्डवेयर अथव...

शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति, स्वरूप

शिक्षा का अर्थ (shiksha kya hai) shiksha ka arth paribhasha prakriti svarup;शिक्षा का तात्पर्य जीवन में चलने वाली ऐसी प्रक्रिया-प्रयोग से है जो मनुष्य को अनुभव द्वारा प्राप्त होते है एवं उसके पथ-प्रदर्शक बनते है। यह प्रक्रिया सीखने के रूप मे बचपन से चलती है एवं जीवनपर्यन्त चलती रहती है। जिसके कारण मनुष्य के अनुभव भण्डार में लगातार वृद्धि होती रहती है। शिक्षा शब्द संस्कृत के 'शिक्ष्' धातु से बना है, जिसका अर्थ 'सीखना' अथवा 'सिखाना' होता है। शिक्षा का अर्थ आन्तरिक शक्तियों अथवा गुणों का विकास करना है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ शिक्षा का अंग्रजी पर्यायवाची शब्द 'Education' है। 'Education' शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के 'Educatum' शब्द से मानी जाती है। 'Educatum' शब्द दो शब्दों-- 'e' तथा 'duco' से मिलकर बना है। 'e' का अर्थ-- 'out of' और 'duco' का अर्थ है-- 'to lead forth' or 'to extract out'। अतः इस प्रकार से Education' का शाब्दिक अर्थ है-- आन्तरिक को बाहर लाना। प्राचीन भारत में शिक्षा का अर्थ प्राचीन भारत में शिक्षा को विद्या के नाम से जाना जाता था। विद्या शब्द की व्यत्पत्ति 'विद्' धातु से हुई है, जिसका अर्थ है 'जानना'। इस तरह विद्या शब्द का अर्थ ज्ञान से है। हमारे प्राचीन ग्रंथों मे ज्ञान को मानव का तृतीय नेत्र कहा गया है जो अज्ञान दूर कर सत्य के दर्शन कराने में मददगार होता है। विद्या हमें विनम्र बनना सिखाती है 'विद्या ददाति विनयम्'। विद्या हमें जीवन से मुक्त कराती है। 'सा विद्या या विमुक्तये'। शिक्षा का संकुचित अर्थ संकुचित अर्थ में शिक्षा बालक को योजनाबद्ध कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदान किये जाने वाली एक ऐसी योजना है जिसमें निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के प्रयत्न किये जाते ह...

[Solved] किसने यह विचार दिया कि एक हिमयुग था, जिसके दौर�

एल. अगासीज़ ने विचार दिया कि एक हिमयुग था, जिसके दौरान उत्तरी यूरोप का अधिकांश भागबर्फीली चद्दर द्वारा ढाकाहुआ था | • हिम युग सिद्धांत की उत्पत्ति सैकड़ों साल पहले शुरू हुई थी जब यूरोपीय लोगों ने उल्लेख किया था कि आल्प्स में ग्लेशियर सिकुड़ गए थे, लेकिन इसकी लोकप्रियता का श्रेय 19 वीं शताब्दी के स्विस भूविज्ञानी लुई अगासिज को दिया जाता है। • महाद्वीपीय हिमाच्छादन का विचार 1840 में लुइस अगासिज़ से आया था। • अगासीज़ की परिकल्पना का कहना है कि उत्तरी अमेरिका के अधिकांश महाद्वीप हिमनद बर्फ से ढंके हुए थे जो कि 2 मील मोटी थी और जो मध्य-पश्चिम में बहुत अधिक थी। • अगासीज़ स्विस था, और इसलिए वह ग्लेशियरों को अच्छी तरह से जानता था। • अगासिज़ का मास विलुप्त होनेका सिद्धांत" ग्रेट आइस एज" की उनकी "खोज" पर आधारित था। • इस विश्वास का विरोध करते हुए कि ऊनी मैमथ के रूप में इस तरह के मेगाफौना से एक व्यापक बाढ़ आ गई, अगासिज ने विनाशकारी वैश्विक सर्दियों से ग्लेशियर गतिविधि के सबूत के रूप में रॉक स्ट्राइक और तलछट के ढेर की ओर इशारा किया। • भूवैज्ञानिकों को जल्द ही हिमनदी तलछट के बीच पादप जीवन के प्रमाण मिले, और सदी के अंत तक कई वैश्विक सर्दियों का सिद्धांत स्थापित हो गया था

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 manushyata

Manushyata (मनुष्यता) Class 10 Hindi Chapter 4 – कक्षा 10 हिंदी पाठ 4 मनुष्यता Manushyata ‘मनुष्यता’ Explanation, Summary, Question and Answers and Difficult word meaning Manushyata (मनुष्यता) – CBSE Class 10 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Manushyata’ by Maithlisharan Gupt along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary and all the exercises, Question and Answers Author Intro – कवि परिचय कवि – मैथिलीशरण गुप्त जन्म – 1886( चिरगाँव ) मृत्यु – 1964 Manushyata (मनुष्यता) Chapter Introduction – पाठ परिचय प्रकृति के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में सोचने की शक्ति अधिक होती है। वह अपने ही नहीं दूसरों के सुख – दुःख का भी ख्याल रखता है और दूसरों के लिए कुछ करने में समर्थ होता है। जानवर जब चरागाह में जाते हैं तो केवल अपने लिए चर कर आते हैं, परन्तु मनुष्य ऐसा नहीं है। वह जो कुछ भी कमाता है ,जो कुछ भी बनाता है ,वह दूसरों के लिए भी करता है और दूसरों की सहायता से भी करता है। प्रस्तुत पाठ का कवि अपनों के सुख – दुःख की चिंता करने वालों को मनुष्य तो मानता है परन्तु यह मानने को तैयार नहीं है कि उन मनुष्यों में मनुष्यता के सारे गुण होते हैं। कवि केवल उन मनुष्यों को महान मानता है जो अपनों के सुख – दुःख से पहले दूसरों की चिंता करते हैं। वह मनुष्यों में ऐसे गुण चाहता है जिसके कारण कोई भी मनुष्य इस मृत्युलोक से चले जाने के बाद भी सदियों तक दूसरों की यादों में रहता है अर्थात वह मृत्यु के बाद भी अमर रहता है। आखिर क्या है वे गुण ? यह इस पाठ में जानेंगे – Manushyata (मनुष्यता) Chapter Summary – पाठ ...

राजनीतिक सिद्धांत और इसकी अस्वीकृति

राजनीतिक सिद्धांत और इसकी अस्वीकृति | Political Theory and Its Decline in Hindi. आधुनिक समाज में सबसे अधिक विवाद के विषय हैं- राजनीतिक चिन्तन का अस्तित्व, वर्तमान स्तर और भविष्य । इस संबंध में राजनीतिक विद्वान दो गुटो में विभाजित हैं । प्रथम गुट के अनुसार राजनीतिक सिद्धांत का ह्रास हो चुका है या यह पतन की ओर उन्मुख हो रहा है या मर चुका है । इस गुट के प्रमुख समर्थकों में डेविड ईस्टन, एल्मोड कॉबन, सीमोर लिपरेट, लासवैल आदि प्रमुख हैं । द्वितीय गुट के विद्वानों के अनुसार राजनीतिक सिद्धांत अपने विकास की चरम सीमा पर है । इस गुट के समर्थकों में दांते जर्मीनो, लियो स्ट्रास, आदि हैं; राजनीतिक सिद्धांत के विषय में यह विवाद मुख्य रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद प्रकाश में आया । इस चरण में एक आश्चर्यजनक घटना यह हुई कि अमरीकी राजनीति वैज्ञानिकों ने राजनीतिक सिद्धांत के पतन एवं निधन का वर्णन किया । डेविड ईस्टन तथा एल्फ्रेड कॉबन ने आग्रह किया कि राजनीतिक सिद्धांत का पतन हो चुका है तथा हेरॉल्ड लासवैल तथा रॉर्बट डहल ने तो इसके निधन तक को स्वीकार कर लिया है । ADVERTISEMENTS: पहले गुट के राजनीतिक विचारकों में भी कतिपय मतभेद हैं, कुछ के अनुसार राजनीतिक सिद्धांत के हास का उत्तरदायित्व स्वयं राजनीतिक विचारकों पर है अर्थात् वे स्वयं ही राजनीतिक सिद्धांत के हास के कारण हैं, पर कॉबन के अनुसार राजनीतिक चितंन का ह्रास स्वाभाविक है । उसने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा है कि राजनीतिक चिंतन मूल्य प्रधान है । अतः नीतिशास्त्र के हार के साथ राजनीतिक चिंतन का ह्रास स्वाभाविक है । कुछ अन्य विचारकों के अनुसार वर्तमान युग में राजनीतिक चिंतन का हारन नहीं हुआ है वरन् इसका मात्र बाह्य रूप परिवर्तित हुआ है । जॉन प...

क्यों यह विचार कि समलैंगिकता अप्राकृतिक है, 5 कारणों से बेतुका है / सामाजिक मनोविज्ञान और व्यक्तिगत संबंध

हाल के महीनों में मेक्सिको में समान-लिंग विवाह के वैधीकरण के पक्ष में पहल के कारण जनता की राय को प्रभावित करने के लिए डिज़ाइन की गई राजनीतिक घोषणाओं से इंटरनेट फिर से भर गया है।. उनमें से कई इस विचार पर आधारित हैं कि समलैंगिकता "अप्राकृतिक" है. क्या समलैंगिकता अप्राकृतिक है?? बेशक, यह कहना कि व्यवहार का एक पैटर्न या अप्राकृतिक कुछ अधिक गंभीर और पेशेवर है यह कहना कि यह किसी देवता के नियमों के खिलाफ जाता है या इसका वैरिएंट, कहता है कि समलैंगिकता से जुड़े कृत्य मौजूद नहीं हो सकते क्योंकि वे कुछ लोगों के लिए अप्रिय हैं।. लोगों को बोलते हुए सुनना, उनके ठंडे और विवादास्पद स्वर को उठाना अजीब नहीं है जैसे कि यह एक झंडा था, वे हमें सूचित करते हैं कि, यह पसंद है या नहीं, समलैंगिकता केवल अप्राकृतिक है, हमारी मान्यताओं और व्यक्तिगत राय की परवाह किए बिना। यह व्यक्तिगत कुछ भी नहीं है, यह सिर्फ इतना है कि चीजें ऐसी हैं; एक ही शब्द इसे व्यक्त करता है: यह प्रकृति है जो अपने मुंह से बोलती है, विचारधारा नहीं! विज्ञान में आश्रय उपरोक्त गंभीर नहीं होगा यदि यह इस तथ्य के लिए नहीं था कि "अप्राकृतिक" का लेबल वास्तव में एक वैचारिक अवधारणा है, जो स्पष्ट रूप से वैज्ञानिक चरित्र का लिबास पेश करता है, जो विकास के सिद्धांत के बारे में ज्ञान पर आधारित है मानसिक स्वास्थ्य का क्षेत्र, केवल वैचारिक पदों को छुपाने का कार्य करता है जो बचाव के लिए कठिन होता है और जीवित रहने के लिए उन्हें उन लेबलों में घुलने की जरूरत है जिनका एकमात्र मूल्य यह है कि वे भ्रामक हैं और स्थिति के आधार पर उनका अर्थ बदल सकते हैं. मैं यह समझाने में नहीं जाऊंगा कि ये वैचारिक पद वास्तव में धार्मिक कट्टरवाद पर आधारित या अधिकारों की समानत...

[Solved] निम्नलिखित में से किसने यह विचार प्रस्तुत कि�

सही उत्तरजेरेमी बेंथम है। Key Points • बेंथम का लोकतंत्र का सिद्धांत उपयोगिता और लोकप्रिय शासन के बीच अटूट संबंध के लिए उल्लेखनीय है, चुनावी निकाय को अतिरिक्त अधिकार देकर विधायी और कार्यकारी शक्ति को सीमित करने का इसका अत्यधिक मूल सुझाव है। • उन्होंने लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए विचार-विमर्श की प्रक्रियाओं के महत्व को स्वीकार किया है। • लोकप्रिय संप्रभुता के कट्टर समर्थकों में से एक, बेंथम का मानना है कि प्रतिनिधि लोकतंत्र शासन की एकमात्र प्रणाली है जो उसके उपयोगितावाद के अनुकूल है। • बेंथम द्वारा सुझाए गए कई राजनीतिक संस्थान अभी भी लोकतंत्र के बारे में समकालीन बहस के लिए प्रासंगिक हैं। • बेंथम ने उदार लोकतंत्र को एक राजनीतिक तंत्र के रूप में प्रतिपादित किया, जो शासितों के लिए शासकोंकी जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। अत: सही विकल्प 3 है।