कनकधारा स्तोत्र हिंदी में

  1. Kanakadhara Stotram Lyrics in Hindi, कनकधारा स्तोत्रम् गीत हिंदी में
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Kanakadhara Stotram Lyrics in Hindi, कनकधारा स्तोत्रम् गीत हिंदी में

कनकधारा स्तोत्रम् गीत हिंदी में, Kanakadhara Stotram Lyrics in Hindi कनकधारा स्तोत्र की रचयिता श्री शंकराचार्य थे | उन्होंने हिंदू धर्म को व्यवस्थित करने का भरपूर प्रयास किया। उन्होंने हिंदुओं की सभी जातियों को इकट्ठा करके ‘दसनामी संप्रदाय’ बनाया और साधु समाज की अनादिकाल से चली आ रही धारा को पुनर्जीवित किया| कनक का अर्थ है “सोना”|धारा का अर्थ है “बरसना”। तो कनकतरा का अर्थ है सुनहरा बौछार। इस भजन के बारे में एक दिलचस्प कहानी है। एक बार शंकराचार्य भिक्षा लेने के लिए कुछ घरों में जा रहे थे। वह एक झोंपड़ी में आया और भिक्षा मांगी। ( खाना )। घर के अंदर की महिला शर्मिंदा थीं क्योंकि एक संत उनके घर भोजन के लिए आए थे लेकिन वह इतनी गरीब हैं कि उनके घर में कुछ भी उपलब्ध नहीं था। उसने सभी स्थानों को खोजा |अंत में एक पुराना आंवला मिला। बेचारी महिला संत या को केवल इस छोटे से आंवले को देने में शर्म महसूस कर रही थीं, लेकिन उसके मन में असीम श्रद्धा है और वह संत को काली हाथनहीं भेजना चाहती जो उनके घर आया था। कनकधारा स्तोत्रम का जन्म: शंकराचार्य ने गरीब होने के बावजूद महिला भक्ति का एहसास किया। उन्होंने तुरंत देवी महालक्ष्मी की स्तुति करते हुए इक्कीस श्लोक गाना शुरू कर दिया, जिसमें प्रार्थना की गई कि वे गरीब महिलाओं को अपनी गरीबी दूर करके उन्हें धन देने का आशीर्वाद दें। जैसा बोओगे वैसा काटोगे : महालक्ष्मी ने जवाब दिया कि महिला ने अपने पिछले जन्म में कोई भी अच्छा काम नहीं किया है (दूसरों की मदद करना)। इसलिए वह धन के लायक नहीं है और गरीबी में पीड़ित होना तय है। आदि शंकराचार्य ने इसे स्वीकार कर लिया, लेकिन हालांकि कहा कि गरीब महिला पिछले जन्म में कोई अच्छा काम नहीं करती है, इस जन्म में उसका दिल...

Kanakadhara Stotram

हम सभी जीवन में ‍आर्थिक तंगी को लेकर बेहद परेशान रहते हैं। धन प्राप्ति के लिए हरसंभव श्रेष्ठ उपाय करना चाहते हैं। धन प्राप्ति और धन संचय के लिए पुराणों में वर्णित कनकधारा यंत्र एवं स्तोत्र चमत्कारिक रूप से लाभ प्रदान करते हैं। इस यंत्र की विशेषता भी यही है कि यह किसी भी प्रकार की विशेष माला, जाप, पूजन, विधि-विधान की मांग नहीं करता बल्कि सिर्फ दिन में एक बार इसको पढ़ना पर्याप्त है। साथ ही प्रतिदिन इसके सामने दीपक और अगरबत्ती लगाना आवश्यक है। अगर किसी दिन यह भी भूल जाएं तो बाधा नहीं आती क्योंकि यह सिद्ध मंत्र होने के कारण चैतन्य माना जाता है। यहां प्रस्तुत है कनकधारा स्तोत्र का संस्कृत पाठ एवं हिन्दी अनुवाद। आपको सिर्फ कनकधारा यंत्र कहीं से लाकर पूजा घर में रखना है। यह किसी भी तंत्र-मंत्र संबंधी सामग्री की दुकान पर आसानी से उपलब्ध है। मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए जितने भी यंत्र हैं, उनमें कनकधारा यंत्र तथा स्तोत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली एवं अतिशीघ्र फलदायी है। हम सभी जीवन में ‍आर्थिक तंगी को लेकर बेहद परेशान रहते हैं। धन प्राप्ति के लिए हरसंभव श्रेष्ठ उपाय करना चाहते हैं। विशेष : अपार धन प्राप्ति और धन संचय के लिए कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से चमत्कारिक रूप से लाभ प्राप्त होता है। FILE अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम। अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।। मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।। आमीलिताक्ष...

Kanakadhara Stotram Lyrics

आदि शंकराचार्य का कनकधारा स्तोत्रम ( kanakadhara stotram ) देवी लक्ष्मी पर 21 गीत हैं जो आपके जीवन में दुःख दूर करने और काम करने में मदद करते हैं। जब आदि शंकराचार्य ने इस स्तोत्र को प्रस्तुत किया तो देवी लक्ष्मी ने तेज प्राकृतिक उत्पाद की बौछार की , यही कारण है कि इसे कनकधारा कहा जाता है। कनकधारा स्त्रोतराम ( kanakadhara stotram in hindi ) ने देवी लक्ष्मी की महिमा , चरित्र , शक्ति और उदारता को चित्रित किया। Kanakadhara stotram lyrics कनकधारा स्तोत्रम लिरिक्स K anakadhara stotram in hindi कनकधारा स्तोत्रम हिंदी में अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् । अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥ 1 ॥ अर्थ – जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल के पेड़ का आश्रय लेती है , उसी प्रकार जो श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्रीअंगों पर निरंतर पड़ती रहती है तथा जिसमें सम्पूर्ण ऐश्वर्य का निवास है , वह सम्पूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी की कटाक्षलीला मेरे लिए मंगलदायिनी हो। मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥ 2 ॥ अर्थ – जैसे भ्रमरी महान कमलदल पर आती - जाती या मँडराती रहती है , उसी प्रकार जो मुरशत्रु श्रीहरि के मुखारविंद की ओर बारंबार प्रेमपूर्वक जाती और लज्जा के कारण लौट आती है , वह समुद्रकन्या लक्ष्मी की मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला मुझे धन - सम्पत्ति प्रदान करे। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्ष मानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि । ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्ध मिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥ 3 ॥ अर्थ – जो सम्पूर्ण देवताओं के अधिपति इन्द्र क...

कनकधारा स्तोत्र हिंदी में

कनकधारा स्तोत्र हिन्दी में कनकधारा स्तोत्र हिंदी में जिस प्रकार भ्रमरी अर्धविकसित पुष्पों से अलंकृत तमालवृक्ष का आश्रय ग्रहण करती है, उसी प्रकार भगवान श्रीहरि यानिकी भगवान विष्णु के रोमांच सें शोभायमान लक्ष्मी की कटाक्ष - लीला श्री - अंगों पर अनवरत पड़ती रहती है और जिसमें समस्त ऐश्वर्या-धन-सम्पति का निवास है, वह समस्त मंगलों की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी की कटाक्षलीला मेरे भी लिये मंगलदायिनी हो || १ || जिस प्रकार भ्रमरी कमलदल पर मँडराती यानिकि बार-बार आती-जाती रहती हैं, उसी प्रकार भगवान मुरारि के मुखकमल की ओर प्रेम सहित जाकर और लज्जा से वापस आकर समुद्र-कन्या लक्ष्मी की मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला, मुझे अतुल श्री-ऐश्वर्य प्रदान करे || २ || जो समस्त देवों के स्वामी इन्द्रपद का वैभव-विलास देने में समर्थ है तथा मुर नामक दैत्य के शत्रु भगवान श्रीहरि को भी अत्यन्त आनन्द प्रदान करने वाली है, एवं नील कमल जिस लक्ष्मी का सहोदर भ्राता है, ऐसी लक्ष्मी के अधखुले नेत्रों की दृष्टि किंचित क्षण के लिए मुझ पर थोड़ी अवश्य पड़े || ३ || जिसकी पुतली एवं भौंहें काम के वशीभूत हो अर्धविकसित एकटक नयनों से देखने वाले आनन्दकन्द सच्चिदानन्द भगवान मुकुन्द को अपने सन्निकत पाकर किंचित तिरछी हो जाती हैं - ऐसे शेषशायी भगवान विष्णु की अर्द्धांगिनी श्री लक्ष्मीजी के नेत्र हमें प्रभूत धन-सम्पति-प्रदायक हों || ४ || जिन भगवान मधुसूदन के कौस्तुभमणि से विभूषित वक्षस्थल में इन्द्रनीलमयी हारावली की तरह जो सुशोभित होती है तथा उन के चित्त में काम संचारिणी, कमल - कुंजनिवासिनी लक्ष्मीजी की कृपा कटाक्षमाला मेरा भी मंगल करें || ५ || जिस प्रकार मेघों में घनघोर घटना में बिजली चमकती है, उसी प्रकार कैटभ दैत्य के शत्रु श्रीविष्णु भ...