कनकधारा स्तोत्र शंकराचार्य

  1. Kanakdhara Stotram: श्री कनकधारा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
  2. कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) से करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न [Lyrics
  3. Kanakadhara Strotam Lyrics in Hindi
  4. कनकधारा स्त्रोत हिंदी पाठ
  5. कनकधारा स्तोत्र पढ़ें
  6. श्री कनकधारा स्तोत्रम् अर्थ सहित
  7. कनकधारा स्तोत्रम् पुलकभूषणमाश्रयन्ती


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Kanakdhara Stotram: श्री कनकधारा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

॥Kanakdhara Stotram: श्री कनकधारा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित Kanakdhara Stotram कनकधारा का अर्थ होता है “ स्वर्ण की धारा ”। अपने नाम को ही चरितार्थ करता यह स्त्रोत Kanakdhara Stotram सिद्ध मंत्र होने के कारण कनकधारा स्तोत्र Kanakdhara Stotram का पाठ शीघ्र फल प्रदान करता है। इसे भी पढ़िये- ॥ Kanakdhara Stotram श्री कनकधारा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित॥ अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् । अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥१॥ अर्थ– जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल के पेड़ का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्रीअंगों पर निरंतर पड़ती रहती है तथा जिसमें सम्पूर्ण ऐश्वर्य का निवास है, वह सम्पूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥ अर्थ– जैसे भ्रमरी महान कमलदल पर आती-जाती या मँडराती रहती है, उसी प्रकार जो मुरशत्रु श्रीहरि के मुखारविंद की ओर बारंबार प्रेमपूर्वक जाती और लज्जा के कारण लौट आती है, वह समुद्रकन्या लक्ष्मी की मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला मुझे धन-सम्पत्ति प्रदान करें। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्ष – मानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि । ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्ध – मिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥३॥ अर्थ– जो सम्पूर्ण देवताओं के अधिपति इन्द्र के पद का वैभव-विलास देने में समर्थ हैं, मुरारि श्रीहरि को भी अधिकाधिक आनन्द प्रदान करनेवाली हैं तथा जो नीलकमल के भीतरी भाग के समान मनोहर जान पड़ती हैं, उन लक्ष्मीजी के अधखुले नयनों की दृष्टि क्षणभर के लिए मुझपर भी थोड़ी सी अवश्य पड़े। आमीलिताक्षमधिगम्य...

कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) से करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न [Lyrics

kanakadhara stotram in sanskrit • माँ लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवियों में से एक है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक भगवान विष्णु उसके पति है। वह धन, सम्पदा, शान्ति और समृद्धि अदि की देवी मानी जाती हैं। • कनकधाराकी स्तोत्र में माँ लक्ष्मी के गुणों का वर्णन 21 श्लोक में किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस स्तोत्र की रचना कैसे हुई इस पर एक कहानी बहुत प्रख्यात हे जो की हमने आपके लिए स्तोत्र के नीचे दी हुई है। कनकधारा स्तोत्र अगं हरे: पुलकभूषण माश्रयन्ती भूङ्गाङ्गनेव मुकुलाधरणं तमालम्। अगीकृताखिलविभतिरपागलीला माङ्गल्यदास्तु मम मगळदेवतायाः ।।1।। मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारे: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया: ।।2।। विश्वामरेन्द्र पदविभ्रम दान दक्षम् आनन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धम् इन्दीवरोदर सहोदरमिन्दिराय: ।।3।। आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दम् आनन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्। आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगशयांगनाया: ।।4।। बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभे या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण मावहतु मे कमलालयाया: ।।5।। कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर् धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्। मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्ति भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया: ।।6।। प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान् मांगल्य भाजि मधुमाथिनि मन्मथेन। मय्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्धं मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया: ।।7।। दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम् अस्मिन्नकिञ्चन विहंग शिशौ विषण्णे। दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नाराय...

Kanakadhara Strotam Lyrics in Hindi

नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में आप को Kanakadhara Strotam lyrics in hindi देंगे, इस पोस्ट में lyrics के अलावा कनकधारा स्तोत्र के बारे में भी बताया गया है। इससे जुड़े हर प्रश्नों के उत्तर आप को इस पोस्ट में मिल जायेंगे। इस पोस्ट में नीचे जा के आप कनकधारा स्त्रोत लिरिक्स इन हिन्दी में आप को मिल जाएंगी। कनकधारा स्तोत्र के बारे में / Kanakadhara Strotam कनकधारा स्त्रोत जो की आदि गुरु परंतु वह अत्यंत ही दरिद्र थी। ब्राह्मण महिला अत्यंत ही लज्जित हुई क्योंकि शंकराचार्य जी को देने के लिए उसके पास कुछ नहीं था वह घर के इधर उधर कुछ देख ने लगी कि शायद कुछ भी मिल जाए तो वे शंकराचार्य जी के झोली में डाल सके। (Kanakadhara Strotam lyrics in hindi) क्योंकि किसी भी ब्रह्मचारी को खाली हाथ वापस लौटाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। उन्हें उसकी पल एक आंवला मिला उन्होंने श्रद्धा पूर्वक शंकराचार्य के झोली में आंवला डाल दिया। और शंकराचार्य जी से प्राथना की और बोली बाबा मेरे पास कुछ भी नही है को में आप को दे सकू कुपया आप इस आंवले को भिक्षा के रूप में रख ले और मुझे क्षमा प्रदान करे। मां का मन बालक शंकर समझ गए की मां का मन क्या हो रहा होंगा। शंकाराचार्य जी ने उनको अपनी मां के भाती देखा, उन्हें बहुत ही दुख हुआ। इसके बाद उन्होंने मां लक्ष्मी की बहुत करुण स्वर में बहुत आर्द स्वर में मां की भक्ति करने लगे। कनकधारा स्त्रोत का पाठ / kanakadhara Stotram Ka Path उनकी स्तुति करने लगे जो कि कनकधारा स्त्रोत (Kanakadhara Strotam lyrics in hindi) आज हम जिसको पड़ते व सुनते है। शंकाराचार्य जी ने इसका पाठ इतनी करुण भाव से, इतने प्रेम से मां की स्तुति की थी कि मां प्रसन्न हो कर वहा प्रकट हो गई। शंकाराचार्य जी का कनकधारा स्त्...

कनकधारा स्त्रोत हिंदी पाठ

जीवन की दरिद्रता का नाश तथा अपार धन की प्राप्ति के लिए पढ़ें तथा डाउनलोड करें Kanakdhara Strot Hindi Mein आदि शंकराचार्य कृत स्वर्ण-वर्षा करने वाला श्री कनकधारा स्तोत्र मूल रूप से तो संस्कृत में लिखा है परन्तु अगर आप इस स्तोत्र का पाठ संस्कृत में नहीं कर पाएं तो कनकधारा स्त्रोत हिंदी में भी पाठ करके इसका पूर्ण रूप से लाभ उठा सकते हैं। हमने कनकधारा स्त्रोत में प्रयोग किये गए संस्कृत के कठिन शब्दों को लघु रूप में लिखा है जिससे आप बड़ी ही आसानी से कनकधारा स्तोत्र का पाठ संस्कृत में भी कर पाएंगे। माता महालक्ष्मी से सम्बंधित कनकधारा स्त्रोत की रचना आदिगुरु शंकरचार्य ने अपने जन्म के 8वें वर्ष में हीं कर डाली थी। कनकधारा स्तोत्र स्वयं-सिद्ध स्तोत्रों में से एक माना जाता है जो चमत्कारिक रूप से शीघ्र फल प्रदान करने की क्षमता रखता है। अगर आप अपने जीवन में आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं या फिर धन की प्राप्ति और संचय करना चाह रहे हैं तो कनकधारा स्त्रोत का पाठ जरूर करें। कनकधारा स्तोत्र माता महालक्ष्मी के अद्भुत गुणों का ऐसा गुणगान है जिससे देवी लक्ष्मी अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों के जन्मों जन्मों की दरिद्रता दूर कर देती हैं। कनकधारा स्त्रोत के निरंतर पाठ से नौकरी, व्यापार में लाभ की प्राप्ति होती है तथा ऋण से मुक्ति मिलती है। Table of Contents • • • • • • Kanakadhara Stotram in Sanskrit | कनकधारा स्त्रोत संस्कृत में नीचे वर्णित आदि शंकराचार्य कृत ये श्री महालक्ष्मी कनकधारा स्त्रोत गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित पुस्तक के आधार पर है, जिसमे 18 श्लोक दिए गए हैं। परन्तु अपवाद स्वरुप कहीं कहीं इस श्री कनकधारा स्तोत्र में 22 श्लोक भी मिलते हैं। तो चलिए, सर्वप्रथम संस्कृत शब्दों के साथ ...

कनकधारा स्तोत्र पढ़ें

यह भी पढ़ें – कनकधारा स्त्रोत हिंदी पाठ – Kanakdhara Stotra in Hindi अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥१॥ जिस तरह भ्रमरी अध-खिले पुष्पों से सजे तमाल के वृक्ष का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥ जिस तरह भ्रमरी महान कमल के फूलों पर आती-जाती या मँडराती रहती है, वैसे ही जो मुरारी विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्धमिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥३॥ जो सभी देवों के आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्। आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥४॥ शेषनाग पर शयन करते बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥५॥ जो कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव। मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्तिर्भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥६॥ जैसे बादलों की घटा में बिजली प्रकाशित होती है, उसी तरह जो कैटभ के शत्रु श्री विष्णु श्यामसुन्दर के काली मेघमाला के समान वक्ष पर चमकती हैं, जिन्होंने अपने आविर्भाव से भृगु प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन। मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्धं मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः ॥७॥ समुद्रसुता कमला की वह धीमी, अलस, मंथर तथा आधी बंद दृष्टि, जिसके प्रभाव से कामदेव ने मंगल करने वाले भगवान मधुसूदन के हृदय में पहली बार स्थान पाया था, यहाँ मुझपर प...

श्री कनकधारा स्तोत्रम् अर्थ सहित

अर्थ : – कमल सदृश नेत्रों वाली माननीय माँ! आपके चरणों में किए गए प्रणाम संपत्ति प्रदान करने वाले, संपूर्ण इंद्रियों को आनंद देने वाले, साम्राज्य देने में समर्थ और सारे पापों को हर लेने के लिए सर्वथा उद्यत हैं, वे सदा मुझे ही अवलम्बन दें। (मुझे ही आपकी चरण वंदना का शुभ अवसर सदा प्राप्त होता रहे)।।13।।

कनकधारा स्तोत्रम् पुलकभूषणमाश्रयन्ती

Kanakadhara Stotram:- कनकधारा स्तोत्र की रचना आदिगुरु शंकराचार्य जी ने की थी। कनकधारा का अर्थ होता है स्वर्ण की धारा। कहते हैं कि इस स्तोत्र के द्वारा माता लक्ष्मी को प्रसन्न करके उन्होंने सोने की वर्षा कराई थी। यह सम्भव भी है क्योंकि 32 वर्ष की आयु में (सन् 788 से सन् 820 तक) ब्रह्मसूत्र और गीता जैसे अनेक उपनिषदों पर भाष्य लिखना, अनेक स्तोत्र की रचना करना, विवेक चूड़ामणि जैसे ग्रन्थ की रचना, कई शक्तिपीठ की स्थापना, कोई साधारण आत्मा नहीं कर सकती। नियमित पाठ के लिए शुक्रवार के दिन कनकधारा स्तोत्रम् का पाठ करते हैं। धन प्राप्ति के लिए लोग प्रायः दीवाली, अक्षय तृतीयाKanakadhara Stotram: Angam Hareh Pulaka Bhusanam Aashrayanti का पाठ करते है। मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥ विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षम्_ आनन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि । ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्धम्_ इन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥३॥ आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दम्_ आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम् । आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥४॥ बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति । कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥५॥ || Kanakadhara Stotram In English || Angan Hareh Pulakabhooshanamaashrayanti Bhrnganganev Mukulaabharanan Tamalam । Angikrtaakhilavibhootirapaangalila Maangalyadaastu Mam Mangaladevataayaah ॥ 1 ॥ Mugdha Muhurvidadhati Vadane Muraareh Prematrapaapranihitaani Gataagataani । Maala Drshormadhukariv Mahotpale Ya Sa Me Shriyan Dishatu ...