कन्नौज किन तीन राजवंशों के संघर्ष का केंद्र बन गया था

  1. [Solved] कन्नौज पर लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के बीच, त
  2. त्रिपक्षीय संघर्ष
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  4. Tripartite Struggle for Kannauj
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  6. त्रिपक्षीय संघर्ष किन तीन राजवंशों के बीच (मध्य) हुआ ?
  7. पूर्व मध्यकालीन भारत (700


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[Solved] कन्नौज पर लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के बीच, त

सही उत्तर पाला, राष्ट्रकूट और गुर्जर-प्रतिहार है। Important Points • कन्नौज के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष निम्नके बीच हुआ था • बंगाल केपाल​। • मध्य भारत केप्रतिहार। • डेक्कन केराष्ट्रकूट। • संघर्ष 200 वर्षों तक चलाऔर इसने सभी को कमजोर कर दियाजिससे तुर्कों ने उन्हेंउखाड़ फेंका। Additional Information • भारत का मध्यकालीन इतिहास: • भारत के मध्यकालीन इतिहासकी अवधि 8वीं और 18वीं शताब्दीईसा के बीच • भाषाओं, कला, धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में विकासके कारण मध्ययुगीन काल भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवधिहै। • इस अवधि ने भारतीय संस्कृतिपर अन्य धर्मों के प्रभावको साबित किया है। • राजपूत वंशोंका उदय मध्यकालीन काल की शुरुआत है। • मध्यकालीन इतिहास का विभाजन: • मध्यकाल आम तौर पर दो चरणों में विभाजित होता है: • प्रारंभिक मध्ययुगीन काल (8वीं - 12वीं शताब्दी ईसा): • प्रारंभिक मध्यकाल क्षेत्रीय राजनीतिक और सामाजिक विकास की एक प्रमुख विशेषता थी। • क्षेत्रीय राज्यों ने सीमाओं को नरमकर दिया था। • वे सांप्रदायिक संबद्धता, मंदिर, भाषा की तुलना में प्रशासन और गठबंधन से कम परिभाषित राजनीतिक थे। • बाद की मध्यकालीन अवधि (12वीं -18वीं शताब्दी ईसा): • बाद की मध्यकालीनअवधि 1200 ईस्वी के आसपास शुरू हुई। • इस अवधि को इस्लामी विजय के हिस्से में चित्रित किया गया था। • यह उपमहाद्वीप में राज्यों की व्यापक बहुलतासे संभव हुआ। RRB Group D Application Refund Notice has been released.The Railway Recruitment Board has initiated the Refund for RRB Group B Application Fee. The candidates can update their bank details from 14th April 2023 to 30th April 2023.The exam was conducted from 17th August to11th October 2022....

त्रिपक्षीय संघर्ष

सातवीं शताब्दी में भारत में हर्षवर्धन का शासन था और उस समय कन्नौज पर कब्जा ही उत्तरी भारत का मुख्य नियंत्रक माना जाता था। उस समय भारत में तीन महत्वपूर्ण शक्तियाँ शासन कर रहीं थी, जो गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल के नाम से जानी जाती थीं। इन तीनों महाशक्तियों ने कन्नौज पर अपना आधिपत्य करने के लिए जो 200 वर्ष संघर्ष किया उसे त्रिपक्षीय संघर्ष कहा जाता है। अंतिम रूप से इस संघर्ष में गुर्जर-प्रतिहार जो गुजरात के प्रतिनिधित्व करते थे, विजयी हुए। कन्नौज के लिए संघर्ष : छठी शताब्दी में गुप्त सामाराज्य के पतन के साथ ही पाटलीपुत्र राज्य का भी अस्तित्व व महत्व समाप्त हो गया था। इस कारण कन्नौज को यह स्थान लेने में देर नहीं लगी। कन्नौज के प्रति आकर्षण का कारण, इसका गंगा-यमुना के बीच में स्थित होने के कारण उत्तरी भारत का सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र का होना था। इसके अतिरिक्त गंगा के किनारे बसा होने के और रेशम उध्योग का केंद्र होने के कारण इस क्षेत्र का व्यापारिक महत्व भी काफी अधिक था। इसलिए कन्नौज उस समय की राजनैतिक महत्व्कांषाएँ पूरा करने का एकमात्र माध्यम था। इसके अतिरिक्त अतिरिक्त हर्षवर्धन की राजधानी होने के कारण भी उत्तर भारत में कन्नौज को एक महत्वपूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त था। पाल की विजय: इस संघर्ष की शुरुआत प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज ने की थी। इसके साथ ही पाल नरेश धर्मपाल और राष्ट्रकूट नरेश ध्रुव में युद्ध हुआ था। पहले धर्मपाल को हराने के बाद वत्सराज ने ध्रुव से युद्ध किया जिसमें वो हार गए। लेकिन ध्रुव ने उत्तर भारत को थोड़े ही समय में छोड़ कर दक्षिण भारत में शासन शुरू कर दिया। इस स्थिति को पाल नरेश धर्मपाल ने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हुए कन्नौज पर आक्रमण किया और गद्दी ...

Main Answer Writing Practice

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Tripartite Struggle for Kannauj

8वीं सदी के दौरान, कन्नौज पर नियंत्रण के लिए भारत के तीन प्रमुख साम्राज्यों जिनके नाम पालों, प्रतिहार और राष्ट्रकूट थे, के बीच संघर्ष हुआ। पालों का भारत के पूर्वी भागों पर शासन था जबकि प्रतिहार के नियंत्रण में पश्चिमी भारत (अवंती-जालौर क्षेत्र) था। राष्ट्रकूटों ने भारत के डक्कन क्षेत्र पर शासन किया था। इन तीन राजवंशों के बीच कन्नौज पर नियंत्रण के लिए हुए संघर्ष को भारतीय इतिहास में त्रिपक्षीय संघर्ष के रूप में जाना जाता है। 8वीं सदी के दौरान, कन्नौज पर नियंत्रण के लिए भारत के तीन प्रमुख साम्राज्यों जिनके नाम पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट थे, के बीच संघर्ष हुआ था। पालों का भारत के पूर्वी भागों पर शासन था जबकि प्रतिहार के नियंत्रण में पश्चिमी भारत (अवंती-जालौर क्षेत्र) था। राष्ट्रकूटों ने भारत के डक्कन क्षेत्र पर शासन किया था। इन तीन राजवंशों के बीच कन्नौज पर नियंत्रण के लिए हुए संघर्ष को भारतीय इतिहास में त्रिपक्षीय संघर्ष के रूप में जाना जाता है। कन्नौज के लिए दोनों धर्मपाल, पाल राजा और प्रतिहार राजा, वत्सराज एक दूसरे के खिलाफ भिड़ गए। प्रतिहार राजा, वत्सराज विजयी हुआ लेकिन उन्हें राष्ट्रकूट राजा ध्रुव प्रथम से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, राष्ट्रकूट राजा दक्षिण में अपने राज्य को लौट गये, पाल राजा धर्मपाल ने स्थिति का फायदा उठाते हुए कन्नौज पर कब्जा कर लिया। लेकिन कन्नौज पर उसका नियंत्रण अस्थायी था। इस प्रकार त्रिपक्षीय संघर्ष शुरू हुआ जो दो सदियों तक चला और इसने लंबे समय तक सभी तीन राजवंशों को कमजोर किया। इसके परिणामस्वरूप देश का राजनीतिक विघटन हुआ और इसका लाभ मध्य-पूर्व से इस्लामी आक्रमणकारियों को हुआ। कन्नौज का महत्व कन्नौज गंगा व्यापार मार्ग पर स्थित था और रेशम मार्ग...

त्रिपक्षीय संघर्ष

• हर्षवर्द्धन की मृत्यु के बाद भारत में तीन प्रमुख शक्तियों पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट वंशों का उदय हुआ, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में लंबे समय तक शासन किया। • कन्नौज पर प्रभुत्व के सवाल पर उपरोक्त तीनों राजवंशों के बीच ‘8वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में एक ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ आरंभ हुआ जो 200 वर्षों तक चला। • कन्नौज गंगा व्यापार मार्ग पर स्थित था और रेशम मार्ग से जुड़ा था। इससे कन्नौज रणनीतिक और व्यावसायिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण बन गया था। • कन्नौज उत्तर भारत में हर्षवर्धन के साम्राज्य की तत्कालीन राजधानी भी थी। • यशोवर्मन ने कन्नौज में 730 ईस्वी के आसपास साम्राज्य स्थापित किया। • वह वज्रायुध, इंद्रायुध और चक्रायुध नाम के तीन राजाओं का अनुगामी बना जिन्होंने कन्नौज पर 8वीं सदी के अंत से 9वीं शताब्दी के पहली तिमाही तक राज किया था। • दुर्भाग्य से, ये शासक कमजोर साबित हुए और कन्नौज की विशाल आर्थिक और सामरिक क्षमता का लाभ लेने के लिए कन्नौज के शासक, भीनमल (राजस्थान) के गुर्जर-प्रतिहार, बंगाल के पाल और बिहार तथा मान्यखेत (कर्नाटक) के राष्ट्रकूट एक दूसरे के खिलाफ युद्ध करते रहे। • इस संघर्ष में भाग लेने वाले पहले शासकों में वत्सराज (प्रतिहार वंश), ध्रुव (राष्ट्रकूट वंश) एवं धर्मपाल (पाल वंश) थे। • यह संघर्ष प्रतिहार शासक द्वारा बंगाल-विजय करने एवं राष्ट्रकूट शासक से धिरने की घटनाओं के साथ आरंभ हुआ। • अंतत: इस संघर्ष में प्रतिहार वंश विजयी रहा। प्रतिहारों की ओर से मिहिरभोज, राष्ट्रकूटों की ओर से कृष्णा-III एवं पालों की ओर से नारायण पाल त्रिपक्षीय संघर्ष के अंतिम चरण में शामिल हुए। • प्रतिहार नरेश मिहिरभोज ने कृष्णा-III एवं नारायणपाल को हराकर कन्नौज पर अधिकार कर लिया तथा उसे अप...

त्रिपक्षीय संघर्ष किन तीन राजवंशों के बीच (मध्य) हुआ ?

त्रिगुट संघर्ष से तात्पर्य उस संघर्ष से है जो राष्ट्रकूटों, प्रतिहारों तथा पालों के बीच कन्नौज पर अधिकार करने के लिए हुआ। कन्नौज उत्तरी भारत का प्रसिद्ध नगर था। उत्तरी भारत में इस नगर की स्थिति बहुत अच्छी थी। क्योंकि इस नगर पर अधिकार करने वाला शासक गंगा के मैदान पर अधिकार कर सकता था, इसलिए इस पर अधिकार करने के लिए कई लड़ाइयां लड़ी गईं। इस संघर्ष में राष्ट्रकूट, प्रतिहार तथा पाल नामक प्रमुख राजवंश भाग ले रहे थे। इन राजवंशों ने बारी-बारी से कन्नौज पर अधिकार किया। आधुनिक इतिहासकार इसी संघर्ष को त्रिगुट संघर्ष का नाम देते हैं। Categories • • (31.9k) • (8.8k) • (764k) • (248k) • (2.9k) • (5.2k) • (664) • (121k) • (26.7k) • (26.9k) • (11.1k) • (18.4k) • (36) • (72.1k) • (3.8k) • (19.6k) • (1.4k) • (14.2k) • (12.5k) • (9.3k) • (7.7k) • (3.9k) • (6.7k) • (63.8k) • (26.6k) • (23.7k) • (14.6k) • (25.7k) • (530) • (84) • (765) • (49.1k) • (63.8k) • (1.8k) • (59.3k) • (24.5k)

पूर्व मध्यकालीन भारत (700

अनुक्रम | Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • पूर्व मध्यकालीन भारत • गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तर भारत की राजनीतिक शक्ति का केंद्र पाटलिपुत्र के स्थान पर कन्नौज हो गया। • आठवीं शताब्दी के मध्य में भारत में तीन शक्तिशाली राजवंशों का उदय हुआ; दक्षिण में राष्ट्रकूट, पूर्व (बंगाल) में पाल तथा पश्चिमोत्तर भारत में गुर्जर प्रतिहार वंश। • कन्नौज पर अधिकार करने के लिए इन तीनों के बीच लंबा संघर्ष चला जिसे त्रिपक्षीय संघर्ष के नाम से जाना जाता है। • त्रिपक्षीय संघर्ष को प्रतिहार नरेश वत्सराज ने आरंभ किया जब उसने कन्नौज के आयुध शासक इंद्रायुध को पराजित कर उतर भारत में अपनी सत्ता का विस्तार करना प्रारंभ किया। प्रतिहार गंगा यमुना दो आब तक बढ़ गये।अब बंगाल के पाल और प्रतिहार आमने-सामने थे। • प्रतिहार अंततः कन्नौज पर कब्जा करने में सफल हुए। पाल वंश • बंगाल के पाल वंश का उदय लगभग 750 ईसवी में हुआ जब बंगाल की अराजक स्थिति से परेशान हो कर जनता ने गोपाल नामक व्यक्ति को राजा बना दिया। • पाल वंश का दूसरा शासक धर्मपाल इस वंश का सबसे महान राजा था। • पाल वंशी राजा बौद्ध थे। उन्होंने नालंदा और विक्रमशिला के विश्व प्रसिद्ध महाविहारों को संरक्षण प्रदान किया • पाल वंश का शासन बंगाल एवं बिहार के क्षेत्रों में विस्तृत था। • पाल राज्य की राजधानी मुंगेर थी। • गोपाल द्वारा बिहारशरीफ में उदंतपुरी एवं जगदल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। • धर्मपाल को पाल वंश का सबसे महान शासक माना जाता है • धर्मपाल ने कहलगांव जिला भागलपुर से कुछ दूरी पर विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना कराई। • देवपाल ने उदंतपुरी में बौद्ध मठ की स्थापना करवाई। • अधिकांश पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे • पाल शासकों ने लगभ...