कर्मभूमि के लेखक का नाम

  1. सेवासदन के लेखक कौन हैं?
  2. कर्मभूमि (प्रेमचंद) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ
  3. [ PDF ] मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ
  4. HINDI विशेष : कर्मभूमि उपन्यास का सारांश


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सेवासदन के लेखक कौन हैं?

सेवासदन के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता सेवासदन (Sevaasadan) के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) " मुंशी प्रेमचंद" ( Munshi Premchand) हैं। Sevaasadan (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में सेवासदन के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता को लेखक/उपन्यासकार तथा उपन्यास के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। सेवासदन के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/उपन्यास लेखक/उपन्यासकार/रचयिता सेवासदन मुंशी प्रेमचंद Sevaasadan Munshi Premchand सेवासदन किस विधा की रचना है? सेवासदन (Sevaasadan) की विधा का प्रकार " उपन्यास" ( Upanyas) है। आशा है कि आप " सेवासदन नामक उपन्यास के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको सेवासदन के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

कर्मभूमि (प्रेमचंद) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ

पुस्तक के लेखक पुस्तक की श्रेणी पुस्तक का साइज कुल पृष्ठ मुंशी प्रेमचंद साहित्य, उपन्यास 1 MB 279 पुस्तक से : विवाह हुए 2 साल हो चुके थे पर दोनों में कोई सामंजस्य नहीं था. दोनों अपने अपने मार्ग पर चले जाते थे. दोनों के विचार अलग, व्यवहार अलग, संसार अलग. जैसे दो भिन्न जलवायु के जंतु एक पिंजरे में बंद कर दिए गए हो. हां, तभी अमरकांत के जीवन में संयम और प्रयास की लगन पैदा हो गई थी. उसकी प्रकृति में जो ढीलापन, निर्जीवता और संकोच था वह कोमलता के रूप में बदलता जाता था. विद्याभ्यास में अब उसे रुचि हो गई थी. डाउनलोड लिंक :"कर्मभूमि (प्रेमचंद) हिन्दी पुस्तक" को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें | To download "Karmbhumi (Premchand) Hindi Book" PDF book in single click for free, simply click on the download button provided below |

कर्मभूमि

कर्मभूमि समीक्षा / Karmabhumi Samiksha पुस्तक का नाम "कर्मभूमि " शैली / GENRES :- आत्मबोध , देशभक्ति लेखक / AUTHOR :- मुंशी प्रेमचंद प्रकाशक / PUBLISHER प्रकाशन / PUBLISHED 1934 सीरीज / SERIES नहीं मूल्य / price 160 rupees काल्पनिक / Fictional काल्पनिक वास्तविक /Nonfictional नहीं ABUSIVE WORD No पाठक / Reader Age सभी उम्र के पाठक कर्मभूमि समीक्षा / Karmabhumi Samiksha -- कर्मभूमि का प्रकाशन 1934 मे हुआ था | 1930 के दशक की शुरुआत में भारत के एक बड़े समूह में गरीब और अनपढ़ लोगों शामिल थे , इन गरीबों और मेहनतकश जनता के प्रति सहानुभूति और विदेशी अत्याचार के खिलाफ ही प्रेमचंद ने कर्मभूमि की पृष्ठभूमि लिखी। गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन से बहुत प्रभावित होने के कारण, प्रेमचंद ने इस उपन्यास को गांधीजी द्वारा बनाए गए सामाजिक लक्ष्यों ( स्वच्छ सड़क , आवास,जल )के इर्द-गिर्द रचा। इस उपन्यास में मानव जीवन को एक ऐसे कर्म के क्षेत्र के रूप में दिखाया जाता है जिसमें व्यक्तियों के चरित्र और नियति उनके कार्यों के माध्यम से बनती और प्रकट होती है। प्रत्येक चरित्रनैतिक जागृति के एक बिंदु पर पहुचते हैं , जहां सभी पुरुष व स्त्री को अपने विश्वासों पर कार्य करना चाहिए। मुंशी प्रेमचंद जी मानव स्वाभाव को बहुत ही बारीकी से देखते थे शायद उनकी इस शक्तिका कारण ही था कि जो वे बहुत ही उत्तम ढंग से "मन के भावों " को व्यक्त किया | उन्होंने इंसान को इंसानी व्यवहार में ही दिखाया, न ही उनमे पूरी अच्छाई ही भरी हैं और न ही पूरी बुराई ही,उसमे काम, क्रोध, लोभ, मोह,ईषया ,जलन भी हैं ,तो सत्य, त्याग, विनय, दया, करूणा ,सेवा भीऔर यह हर मनुष्य में हैं| किसी व्यक्ति का गुण और अवगुण स्थान एवं काल पर निर्भर होता हैं एक व्यक्...

[ PDF ] मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ

इस आर्टिकल में हम मुंशी प्रेमचंद जी के जीवन परिचय को विस्तार से देखेंगे। इस लेख में हम प्रेमचंद जी के जीवन से सम्बंधित उन सभी प्रश्नो को समझेंगे को अकसर परीक्षाओं में पुछे जाते है जैसे की प्रेमचंद का जन्म कब हुआ था, प्रेमचंद का जन्म कहाँ हुआ था, प्रेमचंद की मृत्यु कब हुई, मुंशी प्रेमचंद के पुत्र का नाम क्या है, प्रेमचंद की प्रमुख रचनाएं और प्रेमचंद का साहित्य में स्थान आदि। ऐसे ही और भी बहुत से सवालों के जवाब आपको इस लेख में देखने को मिल जायेंगे तो, अगर आप Premchand Ka Jeevan Parichay अच्छे से समझना चाहते है तो इस लेख को पुरा अन्त तक अवश्य पढ़े। हिन्दी न केवल भारत की आधिकारिक भाषा है, बल्कि अंग्रेज़ी एवं मन्दारिन (चीन की भाषा) के बाद दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा भी है। यही कारण है कि इसके पाठकों की संख्या दुनियाभर में करोड़ों में है और हिन्दी के दुनियाभर के इन करोड़ों पाठकों में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो प्रेमचन्द को न जानता हो। प्रेमचन्द, जिन्हें दुनिया 'उपन्यास सम्राट' के रूप में जानती है, को साहित्य जगत ने उनके लेखन से प्रभावित होकर उन्हें 'कलम के सिपाही' का उपनाम दिया है। चलिये प्रेमचन्द जी की सम्पुर्ण जीवनी को हम बिल्कुल विस्तार समझेंगे। नाम प्रेमचन्द उपनाम मुंशी प्रेमचंद, कलम के सिपाही, नवाब राय बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव जन्म तिथि 31 जुलाई 1880 ई॰ जन्म स्थान लमही,वाराणसी,उत्तर प्रदेश (भारत) मृत्यु तिथि 8 अक्टूबर 1936 ई॰ मृत्यु स्थल वाराणसी,उत्तर प्रदेश (भारत) आयु (मृत्यु के समय) 56 वर्ष व्यवसाय लेखक, अध्यापक, पत्रकार अवधि काल आधुनिक काल राष्ट्रीयता भारतीय धर्म हिंदू भाषा हिंदी, उर्दू पिता अजायब राय माता आनन्दी देवी बहन सुग्गी राय पत्नी शिवरानी द...

HINDI विशेष : कर्मभूमि उपन्यास का सारांश

प्रेमचंद द्वारा रचित 'कर्मभूमि' उपन्यास की समीक्षा के माध्यम से हम कर्मभूमि उपन्यास के सारांश, उद्देश्य, किसानी समस्या, धार्मिक पाखंड, पात्र योजना, प्रमुख पात्रों के चरित्र चित्रण, उपन्यास की भाषा शैली आदि पक्षों पर विचार करेंगे। 💻Table of content • • • • • • • • • • कर्मभूमि उपन्यास कीमुन्नी और सकीना का चरित्र चित्रण 'कर्मभूमि' उपन्यास 'कर्मभूमि' उपन्यास प्रेमचंद द्वारा रचित एक यथार्थवादी उपन्यास है। इसका प्रकाशन 1932 ई. में हुआ। प्रेमचंद ने इस उपन्यास की रचना सिविल नाफरमनी आंदोलन के दौरान की थी। यह स्वाधीनता आंदोलन की पृष्ठभूमि पर रचा गया उपन्यास है जो पाठक के समक्ष उस तबके के लोगों की समस्या को उठाता है जिन्हें हम नज़रंदाज़ करते है। यह उपन्यास मध्य वर्ग और निम्न वर्ग की समस्याओं को राष्ट्रीय समस्या के रूप में चित्रित करता है। और यही इस उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता है। हम जिसे निजी समस्या समझते है प्रेमचंद उसे एक व्यापक समस्या के रूप में उपस्थित करते है। कर्मभूमिअर्थात् व्यक्ति का कर्म क्षेत्र। कर्मभूमि उपन्यास में लेखक ने शीर्षक के माध्यम से पाठकों को कर्मयोग का संदेश दिया है। उपन्यास में धनी से धनी व्यक्ति अपना सुख त्याग कर औरों के हित के लिए कर्म क्षेत्र में उतर आते है। इस जीवन में व्यक्ति जब अपनी सुख सुविधाओं की चिंता से अधिक दूसरों के सुख दुःख की चिंता करने लगता है, तभी उसका जीवन संसार रूपी कर्मभूमि में फलीभूत होता है। जीवन की सार्थकता औरों के सुख में निहित है। स्वयं का सुख मनुष्य को स्वार्थी व संवेदनाशून्य बनाता है। कर्मभूमि उपन्यास का यथार्थवाद यथार्थवाद- कर्मभूमि उपन्यास एक यथार्थवादी उपन्यास है। इसमें चित्रित प्रत्येक पात्र यथार्थवादी मनोवैज्ञानीकी का सर्वोत्तम ...