करवा चौथ कब है 2022 में

  1. What Is Exact Date Of Fasting Of Karwachauth 2022
  2. करवा चौथ 2022 में कब हैं
  3. करवा चौथ


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What Is Exact Date Of Fasting Of Karwachauth 2022

Karwa chauth 2022 Date: सुहागिन स्त्रियों द्वारा पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत करवाचौथ कठिन उपवासों में से एक है. तीज के बाद करवाचौथ के व्रत का इंतजार विवाहित महिलाएं पूरे साल करती हैं. इस बार यह व्रत कब रखा जाएगा इसको लेकर लोगों में चर्चा शुरू हो गई है, किसी का कहना है कि यह 13 को होगा तो कोई 14 को बोल रहा है. ऐसे में चलिए जान लेते हैं सही तारीख क्या है आखिर में जिससे आप सही तिथि पर इस व्रत को पूरा कर सकें. - करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है. 12 अक्टूबर को रात में 2 बजे से चतुर्थी तिथि का प्रारंभ होगा और 13 तारीख की मध्य रात्रि 3 बजकर 09 मिनट पर चतुर्थी तिथि का समापन होगा. इस लिहाज से 13 अक्टूबर को ही करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. ऐसे में शाम में कृतिका नक्षत्र शाम में 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. -आपको बता दें कि चंद्रमा करवाचौथ के दिन वृष राशि में गोचर करेंगे. साथ ही रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है. इसलिए यह व्रत सुहागिनों के लिए और अच्छा माना जाएगा. - इस दिन सुहागिन स्त्रियां सोलह सिंगार करके बिना पानी के व्रत रखती हैं. इस दिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. इस दिन महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोलती हैं. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) आलिया भट्ट मुंबई में हुईं स्‍पॉट, मुस्‍कुराते हुए पैपराजी को दिए पोज

करवा चौथ 2022 में कब हैं

सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का बेहद ही खास महत्व है. सनातन धर्म की महिलाएं पूरे वर्ष भर करवा चौथ व्रत का बेसब्री का इंतजार करती है. व्रत के आने पर पूरा दिन निर्जला व्रत रखकर रात्रि को चांद देखकर व्रत पूरा करती है. करवा चौथ कब है 2022 में | Karva Chauth Kab Hai 2022 Mein Date फोटो सोर्स : गूगल करवा चौथ कब है 2022 में – Karva Chauth Kab Hai 2022 Mein Date चतुर्थी तिथि (Karva Chauth 2021 Date) गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022 करवा चौथ पूजा मुहूर्त (Karva Chauth Puja Time) गुरुवार के दिन शाम 5 बजकर 43 मिनट से शाम 6 बजकर 59 मिनट तक शुभ पूजा करने का शुभ मुहूर्त है. चंद्रोदय संभावित रात 9 बजकर 7 मिनट पर पूर्ण चन्द्रमा दिखाई देगा चतुर्थी तिथि आरंभ चतुर्थी 13 अक्टूबर को प्रातः 3 बजकर 1 मिनट से शुरू होगी. चतुर्थी तिथि समाप्त जो 15 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन प्रातः 5 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी. उपवास का समय आप उपवास गुरुवार सुबह 4 बजकर 27 मिनट से शुरू कर रात 9 बजकर 30 मिनट पर पूर्ण चन्द्रमा दिखाई देने के बाद अपना व्रत खोल सकती है. करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा करने खास महत्व- चन्द्रमा को हिंदू धर्म शास्त्रों में उम्र (आयु), सुख-सम्रद्धि और शांति का कारक या रूप माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि चंद्रमा की सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर वैवाहिक जीवन सुखी होता है और पति की आयु लंबी होती है. करवा चौथ व्रत (Karva Chauth Puja Vidhi) की पूजा विधि • इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करती हैं. • करवा चौथ के दिन महिलाएँ निर्जला उपवास रखती हैं. • संध्या को पूजन के स्थान पर या दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावल को पीसे. इस विधि को करवा धरना के नाम से जाना जाता हैं. • जिसके बाद दीवार पर कागज पर भगवान...

करवा चौथ

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (अक्टूबर 2018) स्रोत खोजें: · · · · करवा चौथ करवा चौथ आधिकारिक नाम करवा चौथ अन्य नाम करक चतुर्थी ( अनुयायी प्रकार हिन्दू उद्देश्य सौभाग्य तिथि समान पर्व करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी के जैसे दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक निरंतर प्रति वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्र...