करवा चौथ की कहानी pdf

  1. करवा चौथ व्रत कथा (कहानी)
  2. [PDF] करवा चौथ की कहानी
  3. करवा चौथ व्रत कथा


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करवा चौथ व्रत कथा (कहानी)

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[PDF] करवा चौथ की कहानी

करवा चौथ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है।सुहागिनें पति के दीर्घ जीवन की कामना हेतु यह व्रत करती हैं। सुहागिनों को इस दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए। रात्रि को चन्द्रमा निकलने पर उसे अर्घ्य देकर पति से आशीर्वाद लेकर भोजन ग्रहण करना चाहिए। पूजन विधि करवा चौथ के दिन व्रत रखें और एक पट्टे पर जल से भरा लौटा रखें। मिट्टी के एक करवे में गेहूं और ढक्कन में चीनी व सामर्थ्यानुसार पैसे रखें। रोली, चावल, गुड़ आदि से गणपति की पूजा करें। रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं और 13 बिन्दियां रखें। स्वयं भी बिन्दी लगाएं और गेहूं के 13 दाने दाएं हाथ में लेकर कथा सुनें। कथा सुनने के बाद अपनी सासूजी के चरण स्पर्श करें। और करवा उन्हें दे दें। पानी का लोटा और गेहूं के दाने अलग रख लें। रात्रि में चन्द्रोदय होने पर पानी में गेहूं के दाने डालकर उसे अर्घ्य दें, फिर भोजन करें। यदि कहानी पंडिताइन से सुनी हो तो गेहूँ, चीनी और पैसे उसे दे दें। यदि बहन बेटी हो तो गेहूं, चीनी और पैसे उसे दे दें। करवा चौथ व्रत कथा एक साहूकार के एक पुत्री और सात पुत्र थे। करवा चौथ के दिन साहूकार की पत्नी, बेटी और बहुओं ने व्रत रखा। रात्रि को साहूकार के पुत्र भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने के लिए कहा। बहन बोली- “भाई! अभी चन्द्रमा नहीं निकला है, उसके निकलने पर मैं अर्घ्य देकर भोजन करूंगी।” इस पर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा- “बहन! चन्द्रमा निकल आया है। अर्घ्य देकर भोजन कर लो।” बहन अपनी भाभियों को भी बुला लाई कि तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दे लो, किन्तु वे अपने पतियों की करतूतें जानती थीं। उन्होंने कहा- “बाईजी! अभ...

करवा चौथ व्रत कथा

इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ शिव पार्वती गणेश और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है आज के समय में करवा चौथ स्त्री-शक्ति का प्रतीक-पर्व है । करवा चौथ व्रत कथा (Vrat Katha PDF in Hindi) करवा चौथ के व्रत को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से कुछ कथाएं आपको नीचे दी जा रही है। प्राचीन समय में करवा नाम की एक स्त्री अपने पति के साथ एक गांव में रहा करती थी उसका पति एक दिन नदी में स्नान करने गया लेकिन नहाते समय एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया जिससे कि वह दुविधा में आ गया और उसने मदद के लिए अपनी पत्नी को पुकारा। उसके बाद करवा भाग कर अपने पति के पास पहुंचे और तत्काल उस मगरमच्छ को धागे से बांध लिया इसका सिरा पकड़कर करवा पति के साथ यमराज के पास तक पहुंच गई तथा तथा करवाने यमराज से उसके पति को वापस करने को कहा बहुत सारे प्रश्न उत्तर के बाद करवा के साहस को देखते हुए यमराज को उसके पति को वापस करना ही पड़ा । See also सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram PDF यमराज ने जाते समय करवा को सुख समृद्धि के साथ वर भी दिया कि “जो स्त्री इस दिन व्रत करके करवा को याद करेगी उसके पति की रक्षा में स्वयं करूंगा” इस प्रकार करवा ने अपनी पति की रक्षा की तथा इस दिन को हिंदू धर्म में सबसे खास बना दिया। जिस दिन करवा ने अपने पति की रक्षा की वह दिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। कथा -२ एक और कथा के अनुसार एक साहूकार के सात लड़के तथा एक लड़की थी सेठानी समेत उसके घर में बहू और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था रात्रि के समय उसके भाइयों ने उसके साथ मजाक किया की चांद निकल गया है लेकिन सच बात यह था कि भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी तथा बाद में अपनी बहन से कहा कि चांद निकल गया है। लेकिन बहन ने...