क्या कोयले के खनन में ऊर्जा का उपयोग होता है

  1. कोयले का क्या उपयोग है?
  2. जलविद्युत ऊर्जा
  3. खनन उद्योग को ‘घातक उद्योग’ क्यों कहा जाता है
  4. Energy Minerals in the Circular Economy


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कोयले का क्या उपयोग है?

Explanation : कोयले का जलाने में उपयोग होता है। कोयला मुख्यतः कार्बन के यौगिकों या मुक्त कार्बन का मिश्रण है। यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है। कोयला की चार किस्मों में बिट्यूमिनस जिसे मुलायम कोयला भी कहते हैं, सामान्य किस्म का होता है जबकि एंथ्रासाइट कोयला उच्च कोटि का होता है। लिग्नाइट को भूरा कोयला कहते हैं। पीट कोयला निर्माण की प्रारम्भिक अवस्था है इस कारण इसमें कार्बन की मात्रा कम होती है। कोयले का उपयोग ईंधन (जलाने) के रूप में, संश्लेषित पेट्रोल आदि के निर्माण में करते हैं। Explanation : अल्कोहलिक खमीरन (Fermentation) का आखिरी उत्पाद एथिल एल्कोहल या इथाइल एल्कोहल होता है। इसे पीने से शरीर में उत्तेजना आती है, इसलिए इसे मादक द्रव्य (शराब) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह अल्कोहल जौ में पाया जाता है। औद्योगिक व • कच्चे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?

जलविद्युत ऊर्जा

भारत जैसे देश के लिए जल विद्युत का विशेष महत्व है क्योंकि (1) यहां कोयले की अधिकांश खाने पूर्वी क्षेत्र में ही है जहां से पश्चिम और दक्षिणी क्षेत्रों में कोयला प्राप्त करने में परिवहन लागत और समय दोनों ही अधिक लगते हैं (2) यहां उत्तम कोयले के भंडार सीमित हैं अंतत इस अभाव को भंडार सीमित हैं (3) भारत में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार भी सीमित है विक्रम सा 600 करोड़ और 54100 करोड़ घन मीटर के अनुमति के गए हैं अंता जल शक्ति का उपयोग भी अवश्य हैं (4) सतलुज और गंगा के मैदान तथा पश्चिमी राजस्थान में कई स्थानों पर जल काफी गहराई पर मिलती है तथा पूर्वाग्रह में प्राचीन काल की स्थिति दावती और घाघरा नदियों के विलुप्त हो गई मानी जाती है इनके जल को सिंचाई के लिए बेहद किए जाने हेतु नलकूपों के लिए सस्ती जनशक्ति अत्यंत आवश्यक होती हैं अंता जल शक्ति का विकास अवश्य अमावी है अनुक्रम • 1 जल विद्युत के लाभ • 2 भारत में जलविद्युत की अनुमानित क्षमता • 3 परिचय • 4 शक्ति • 5 स्थिति • 6 विश्व के विभिन्न देशों में जलविद्युत क्षमता • 7 भारत में जलविद्युत • 8 सन्दर्भ • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ जल विद्युत के लाभ [ ] • ऊर्जा का एक नवीकरण योग्य स्रोत – दुर्लभ • प्रदूषण रहित और इसलिए • दीर्घकालिक – वर्ष 1897 में दार्जिलिंग में पूर्ण की गई पहली जल विद्युत परियोजना अभी तक प्रचालनरत है। • ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में उत्पादन, प्रचालन तथा अनुरक्षण की लागत कम है। • शीघ्र प्रारंभ तथा रूकने की क्षमता और भार को त्वरित स्वीकार/अस्वीकार करना इसे अधिकतम मांग को पूरा करने और प्रणाली की विश्‍वसनीयता तथा स्थिरता में वृद्धि करने के लिए उपयुक्त बनाता है। • तापीय (35 प्रतिशत) और गैस (लगभग 50 प्रतिशत)...

खनन उद्योग को ‘घातक उद्योग’ क्यों कहा जाता है

खनन उद्योग को ‘घातक उद्योग’ क्यों कहा जाता है इस उद्योग से श्रमिकों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बहुत खराब प्रभाव पड़ता है। • लगातार धूल व हानिकारक धुएँ में सांस लेना पड़ता है। • श्रमिकों को फेफड़ों से संबंधित बीमारियाँ हो जाती हैं। • खदानों में पानी भर जाने या आग लग जाने से श्रमिकों में डर बना रहता है। • कई बार खदानों की छत के गिर जाने से उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है। • खनन के कारण नदियों का जल प्रदूषित हो जाता है। • भूमि और मिट्टी का अपक्षय होता है। खनिज तथा ऊर्जा संसाधन के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. कौन सा खनिज प्राय: महासागरीय जल से प्राप्त किया जाता है ? उत्तर- मैग्नीशियम, नमक तथा ब्रोमाइन। प्रश्न 2. उस खनिज का नाम बताइए जिसका भारत विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक है ? उत्तर- अभ्रक । प्रश्न 3. ताँबे का महत्व या उपयोग बताइए ? उत्तर- बिजली के तार बनाने, रसायन उद्योग और इलैक्ट्रानिक्स में। प्रश्न 4. उच्चकोटि के कोयले का नाम बताइए ? उत्तर- बिटुमिनस व एंथ्रेसाइट। प्रश्न 5. भारत में सबसे बड़ा पवन ऊर्जा पेटी कहाँ अवस्थित है ? उत्तर- नागरकोइल (तमिलनाडु) और जैसलमेर (राजस्थान) में। प्रश्न 6. ऊजा के गैर परंपरागत साधन कौन-कौन से हैं ? उत्तर- पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा। प्रश्न 7. भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र कहाँ स्थित है ? उत्तर- भुज के निकट माधोपुर में (गुजरात)। प्रश्न 8. भारत में भू-तापीय ऊर्जा की दो परियोजनाएँ कहाँ शुरू की गई हैं? उत्तर- हिमाचल प्रदेश के मणिकरण पार्वती घाटी में तथा लद्दाख में पूगा घाटी में। प्रश्न 9. रैट होल खनन क्या है ? उत्तर- जोबाई या चेरापूंजी में कोयले का खनन, परिवार के सदस्यों द्वारा एक लंबी संकीर्ण सुरंग के रूप में किय...

Energy Minerals in the Circular Economy

अरविंद कुमार मिश्रा भारत को ऊर्जा खनिज के बड़े उत्पादकों के साथ निवेश और तकनीक हस्तांतरण परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाना होगा। ठीक वैसे ही, जैसे रूस की सखालिन तेल परियोजना में भारत ने निवेश कर सफलता अर्जित की है। खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड उपक्रम की स्थापना और उसे मिल रही सफलताएं इस दिशा में बड़ा कदम है। दुनिया भर में जिस तरह पर्यावरण अनूकुल विकास को वरीयता दी जा रही है, ऐसे में ऊर्जा खनिज में आत्मनिर्भरता के बिना टिकाऊ विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। नए जमाने के ऊर्जा खनिज दो कुनबे में बंटे हैं। पहला, बैटरी खनिज जिसमें लिथियम, कोबाल्ट, निकेल और ग्रेफाइट शामिल हैं। दूसरा, सत्रह दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व, जिसमें नियोडिमियम, प्रजोडिमियम, डिस्प्रोसियम आदि शामिल हैं। भारत को अपनी जरूरत का छियानबे फीसद लिथियम आयात करना पड़ता है। लेकिन कुछ समय पहले जम्मू के रियासी जिले में लिथियम के 59 लाख टन विशाल भंडार होने के सबूत मिले हैं। कर्नाटक के मंड्या जिले में 1600 टन लिथियम भंडार की पुष्टि हो चुकी है। अगर इन खनन परियोजनाओं का पूरी तरह दोहन करने में सफलता मिली तो भारत लिथियम निर्यातक देशों की श्रेणी में आ जाएगा। लिथियम आयन बैटरी के एक मुख्य घटक कोबाल्ट का भारत में उत्पादन लगभग नगण्य है। 2021 में दो अरब 50 करोड़ से अधिक का कोबाल्ट का निर्यात किया गया। भारत कांगो और आस्ट्रेलिया में कोबाल्ट के उत्खनन की नीति पर काम कर रहा है। गैस टर्बाइन और राकेट इंजन, लिथियम आयन बैटरी, स्टेनलेस स्टील, विभिन्न प्रकार की मेटल और विद्युत चुंबकीय परत में इस्तेमाल होने वाले निकेल का भारत में उत्पादन अभी नाममात्र का है। सिर्फ ओड़ीशा के पास देश में पाए जाने वाले निकेल का 93 फीसद रिजर्व है। भारत के सामने निकेल निस्कर्षण ...