Lala lajpat rai ka jivan parichay

  1. लाला लाजपत राय का जीवन परिचय
  2. लाला लाजपत राय
  3. कवि नागार्जुन का जीवन परिचय रचनाएँ और साहित्यिक परिचय
  4. हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय
  5. लाला लाजपत राय जीवनी


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लाला लाजपत राय का जीवन परिचय

स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की जीवनी, संघर्ष और आन्दोलन में भूमिका |Biography of Lala Lajpat Rai, Struggle and Role in India Independence लाला लाजपत राय एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता थे। जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रसिद्ध लाल-बाल-पाल फायरब्रांड तिकड़ी के प्रमुख सदस्य थे। ब्रिटिश शासन के खिलाफ देशभक्ति और शक्तिशाली मुखरता के उनके भयंकर ब्रांड ने उन्हें 'पंजाब केसरी' या 'पंजाब का शेर' की उपाधि दी। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक की नींव भी रखी। साइमन कमीशन के आगमन का विरोध करते हुए पुलिस लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गए थे और कुछ दिनों बाद चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। जन्म (Birth Date) 28 जनवरी 1865 जन्म स्थान (Birth Place) धुडीके, पंजाब पिता (Father) मुंशी राधा कृष्ण आज़ाद माता (Mother) गुलाब देवी पत्नी (Wife) राधा देवी बच्चे (Childrens) अमृत राय, प्यारेलाल, पार्वती शिक्षा (Education) गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से स्तानक शिक्षा (Education) गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर से स्तानक राजनीतिक संघ (Political Parties) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, आर्य समाज आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन राजनीतिक विचारधारा राष्ट्रवाद, उदारवाद प्रकाशन (Published Work) द स्टोरी ऑफ़ माई डेपोर्टेशन (1908), आर्य समाज (1915), द यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका: ए हिंदू इंप्रेशन (1916), यंग इंडिया (1916), इंग्लैंड का भारत का ऋण: भारत (1917) मृत्यु (Death) 17 नवंबर 1928 लाला लाजपत राय प्रारंभिक जीवन लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को फ़िरोज़पुर जिले के धुडिके गाँव में मुंशी राधा कृष्ण आज़ाद और गुलाब देवी के यहाँ हुआ था। मुंशी आज़...

लाला लाजपत राय

अनुक्रम • 1 जीवन वृत्त • 1.1 लालाजी की मौत का बदला • 2 हिन्दी सेवा • 3 लाला लाजपत राय की स्मृति में स्थापित स्मारक और संस्थान • 4 रचनाएँ • 5 अनमोल वचन • 6 संदर्भ • 7 इन्हें भी देखें • 8 बाहरी कड़ियाँ जीवन वृत्त [ ] लाला लाजपत राय का जन्म 30 अक्टूबर "मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।" और वही हुआ भी; लालाजी के बलिदान के 20 साल के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया। लालाजी की मौत का बदला [ ] लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और हिन्दी सेवा [ ] लालाजी ने हिन्दी में लाला लाजपत राय की स्मृति में स्थापित स्मारक और संस्थान [ ] 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में, लाहौर में लाजपत राय की एक मूर्ति को बाद में भारत के विभाजन के बाद शिमला में केंद्रीय वर्ग में स्थानांतरित कर दिया गया था। 1959 में, लाला लाजपत राय ट्रस्ट का गठन उनके शताब्दी जन्म समारोह की पूर्व संध्या पर पंजाबी परोपकारियों (आरपी ​​गुप्ता और बीएम ग्रोवर सहित) के एक समूह द्वारा किया गया था, जो भारतीय राज्य महाराष्ट्र में बस गए और समृद्ध हुए, जो लाला लाजपत राय चलाता है। मुंबई में वाणिज्य और अर्थशास्त्र कॉलेज। लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ का नाम उनके नाम पर रखा गया है। 1998 में, लाला लाजपत राय इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, मोगा का नाम उनके नाम पर रखा गया था। 2010 में, हरियाणा सरकार ने उनकी याद में हिसार में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की। लाजपत नगर और लाला लाजपत राय चौक हिसार में उनकी प्रतिमा के साथ; नई दिल्ली में लाजपत नगर और लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट, लाजपत नगर में लाला लाजपत राय मेमोरियल पार्क,...

कवि नागार्जुन का जीवन परिचय रचनाएँ और साहित्यिक परिचय

कवि नागार्जुन का जीवन परिचय रचनाएँ और साहित्यिक परिचय : प्रगतिवाद के गौरवपूर्ण स्तंभ नागार्जुन का जन्म सन् 1911 ई़ में दरभंगा जिले के सतलखा ग्राम में हुआ था। उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था परंतु हिंदी साहित्य में उन्होंने नागार्जुन तथा मैथिली में यात्री उपनाम से रचनाएँ कीं। इनके पिता श्री गोकुल मिश्र तरउनी गाँव के एक किसान थे और खेती के अलावा पुरोहिती आदि के सिलसिले में आस-पास के इलाकों में आया-जाया करते थे। उनके साथ-साथ नागार्जुन भी बचपन से ही‘यात्री’ हो गए। आरंभिक शिक्षा प्राचीन पद्धति से संस्कृत में हुई किंतु आगे स्वाध्याय पद्धति से ही शिक्षा बढ़ी। राहुल सांकृत्यायान के‘संयुक्त निकाय’ का अनुवाद पढ़कर वैद्यनाथ की इच्छा हुई कि यह ग्रंथ मूल पालि में पढ़ा जाए। सही अर्थों में नागार्जुन भारतीय मिट्टी से बने आधुनिकतम कवि हैं। ये प्रगतिवादी युग के कवि हैं। जन संघर्ष में अडिग आस्था, जनता से गहरा लगाव और एक न्यायपूर्ण समाज का सपना, ये तीन गुण नागार्जुन के व्यक्तित्व में ही नहीं, उनके साहित्य में भी घुले-मिले हैं। निराला के बाद नागार्जुन अकेले ऐसे कवि हैं, जिन्होंने इतने छंद, इतने ढंग, इतनी शैलियाँ और इतने काव्य रूपों का इस्तेमान किया है। पारंपरिक काव्य रूपों को नए कथ्य के साथ इस्तेमाल करने और नए काव्य कौशलों को संभव करने वाले वे अद्वितीय कवि हैं। जीवन परिचय — प्रगतिवाद के गौरवपूर्ण स्तंभ नागार्जुन का जन्म सन् 1911 ई़ में दरभंगा जिले के सतलखा ग्राम में हुआ था। नागार्जुन हिंदी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे। उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था परंतु हिंदी साहित्य में उन्होंने नागार्जुन तथा मैथिली में यात्री उपनाम से रचनाएँ कीं। इनके पिता श्री गोकुल मिश्र तरउनी गाँव के एक किसान थे और...

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय

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लाला लाजपत राय जीवनी

आरम्भिक जीवन : लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को धुडिके ग्राम में (मोगा जिला, पंजाब) हुआ. उनके पिता धर्म से अग्रवाल थे. 1870 के अंत और 1880 के प्रारंभ में, जहा उनके पिता एक उर्दू शिक्षक थे तभी राय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रेवारी (तब का पंजाब, अभी का हरयाणा) के सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूल से ग्रहण की. राय हिंदुत्वता से बहोत प्रेरित थे, और इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने राजनीती में जाने की सोची. (जब वे लाहौर में कानून की पढाई कर रहे थे तभी से वे हिंदुत्वता का अभ्यास भी कर रहे थे. उनके इस बात पर बहोत भरोसा था की हिंदुत्वता ये राष्ट्र से भी बढ़कर है. वे भारत को एक पूर्ण हिंदु राष्ट्र बनाना चाहते थे). हिंदुत्वता, जिसपे वे भरोसा करते थे, उसके माध्यम से वे भारत में शांति बनाये रखना चाहते थे और मानवता को बढ़ाना चाहते थे. ताकि भारत में लोग आसानी से एक-दुसरे की मदद करते हुए एक-दुसरे पर भरोसा कर सके. क्यूकी उस समय भारतीय हिंदु समाज में भेदभाव, उच्च-नीच जैसी कई कु-प्रथाए फैली हुई थी, लाला लाजपत राय इन प्रथाओ की प्रणाली को ही बदलना चाहते थे. अंत में उनका अभ्यास सफल रहा और वे भारत में एक अहिंसक शांति अभियान बनाने इ सफल रहे और भारत को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए ये बहोत जरुरी था. वे आर्य समाज के भक्त और आर्य राजपत्र (जब वे विद्यार्थी थे तब उन्होंने इसकी स्थापना की थी) के संपादक भी थे. राजनीतिक जीवन : लाला लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी नेताओं में से एक थे। वह लाल-बाल-पाल की तिकड़ी का हिस्सा थे। बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चन्द्र पाल इस तिकड़ी के दूसरे दो सदस्य थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नरम दल (जिसका नेतृत्व पहले गोपाल कृष्ण गोखले...