लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है

  1. NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति
  2. लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है?
  3. लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा गया है?
  4. NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kshitij Part
  5. NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 3


Download: लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है
Size: 17.10 MB

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

Board CBSE Textbook NCERT Class Class 9 Subject Hindi Kshitiz Chapter Chapter 3 Chapter Name उपभोक्तावाद की संस्कृति Number of Questions Solved 25 NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ से क्या अभिप्राय है? उत्तर लेखक के अनुसार, जीवन में ‘सुख’ का अभिप्राय केवल उपभोग-सुख नहीं है। अन्य प्रकार के मानसिक, शारीरिक और सूक्ष्म आराम भी ‘सुख’ कहलाते हैं। परंतु आजकल लोग केवल उपभोग-सुख को ‘सुख’ कहने लगे हैं। प्रश्न 2. आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? उत्तर- उपभोक्तावादी संस्कृति से हमारा दैनिक जीवन पूरी तरह प्रभावित हो रहा है। आज व्यक्ति उपभोग को ही सुख समझने लगा है। इस कारण लोग अधिकाधिक वस्तुओं का उपभोग कर लेना चाहते हैं। लोग बहुविज्ञापित वस्तुओं को खरीदकर दिखावा करने लगे हैं। इस संस्कृति से मानवीय संबंध कमजोर हो रहे हैं। अमीर-गरीब के बीच दूरी बढ़ने से समाज में अशांति और आक्रोश बढ़ रहा है। प्रश्न 3. लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है ? उत्तर- गाँधी जी सामाजिक मर्यादाओं तथा नैतिकता के पक्षधर थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार के कायल थे। वे चाहते थे कि समाज में आपसी प्रेम और संबंध बढ़े। लोग संयम और नैतिकता का आचरण करें। उपभोक्तावादी संस्कृति इस सबके विपरीत चलती है। वह भोग को बढ़ावा देती है और नैतिकता तथा मर्यादा को तिलांजलि देती है। गाँधी जी चाहते थे कि हम भारतीय अपनी बुनियाद पर कायम रहें, अर्थात् अपनी संस्कृति को न त्यागें। परंतु आज उपभोक्तावादी संस्कृति के नाम पर हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को भी मिटाते जा रहे...

लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है?

गाँधी जी सामाजिक मर्यादाओं तथा नैतिकता के पक्षधर थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार के कायल थे। वे चाहते थे कि समाज में आपसी प्रेम और संबंध बढ़े। लोग संयम और नैतिकता का आचरण करें। उपभोक्तावादी संस्कृति इस सबके विपरीत चलती है। वह भोग को बढ़ावा देती है और नैतिकता तथा मर्यादा को तिलांजलि देती है। गाँधी जी चाहते थे कि हम भारतीय अपनी बुनियाद पर कायम रहें, अर्थात् अपनी संस्कृति को न त्यागें। परंतु आज उपभोक्तावादी संस्कृति के नाम पर हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को भी मिटाते जा रहे हैं। इसलिए उन्होंने उपभोक्तावादी संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती कहा है।

लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा गया है?

Table of Contents Show • • • • प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) प्रश्न 1. लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ से क्या अभिप्राय है? । उत्तर: आजकल लोग सुख का अभिप्राय केवल वस्तुओं तथा साधनों के उपभोग से मिलने वाली सुविधाएँ समझते हैं परंतु लेखक का मानना है कि ‘उपभोग सुख’ ही सुख नहीं है। सुख की सीमा में ही शारीरिक, मानसिक और अन्य प्रकार के सूक्ष्म आराम भी आते हैं। प्रश्न 2. आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? उत्तर: आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर रही है। हम वही खाते-पीते और पहनते-ओढ़ते हैं जो आज के विज्ञापन कहते हैं। उपभोक्तावादी संस्कृति के कारण हम धीरे-धीरे उपभोगों के दास बनते जा रहे हैं। हम अपनी जरूरतों को अनावश्यक रूप से बढ़ाते जा रहे हैं। कई लोग तो केवल दिखावे के लिए महँगी घड़ियाँ, कंप्यूटर आदि खरीद रहे हैं। प्रतिष्ठा के नाम पर हम पाँच सितारा संस्कृति के गुलाम होते जा रहे हैं। इस संस्कृति का सबसे बुरा प्रभाव हमारे सामाजिक सरोकारों पर पड़ रहा है। हमारे सामाजिक संबंध घटते जा रहे हैं। मन में अशांति और आक्रोश बढ़ रहे हैं। विकास का लक्ष्य दूर होता जा रहा है। हम जीवन के विशाल लक्ष्य से भटक रहे हैं। सारी मर्यादाएँ और नैतिकताएँ टूट रही हैं। मनुष्य स्वार्थ-केंद्रित होता जा रहा है। प्रश्न 3. लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है? उत्तर: लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती इसलिए कहा है क्योंकि पहले के लोग सादा जीवन, उच्च विचार का पालन करते थे तथा सामाजिकता एवं नैतिकता के पक्षधर थे। आज उपभोक्तावादी संस्कृति भारतीय संस्कृति की नींव हिला रही थी। इससे हमारी एकता और अखं...

NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kshitij Part

NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kshitij Part – I) The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 9 हिंदी (क्षितिज गद्य – खंड) भाग – I पाठ – 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. पाठ – 3 (उपभोक्तावाद की संस्कृति) प्रश्न – अभ्यास 1. लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ से क्या अभिप्राय है? उत्तर – लेखक के अनुसार उपभोग का भोग करना ही सुख है। अर्थात् जीवन को सुखी बनाने वाले उत्पाद का ज़रूरत के अनुसार भोग करना ही जीवन का सुख है। 2. आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है? उत्तर – आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे जीवन पर हावी हो रही है। मनुष्य आधुनिक बनने की होड़ में बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं, पश्चिम की संस्कृति का अनुकरण किया जा रहा है। आज उत्पाद को उपभोग की दृष्टि से नहीं बल्कि महज दिखावे के लिए खरीदा जा रहा है। विज्ञापनों के प्रभाव से हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। 3. लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है ? उत्तर – उपभोक्ता संस्कृति से हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का ह्रास हो रहा है। इसके कारण हमारी सामाजिक नींव खतरे में है। मनुष्य की इच्छाएँ बढ़ती जा रही है, मनुष्य आत्मकेंद्रित होता जा रहा है। सामाजिक दृष्टिकोण से यह एक बड़ा खतरा है। भविष्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह बदलाव हमें सामाजिक पतन की ओर अग्रसर कर रहा है। 4. आशय स्पष्ट कीजिए- (क) जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं। उत्तर –उपभोक्तावादी संस्कृति अधिकाधिक उपभोग को बढ़ावा देती है। लोग उपभोग का ही सुख मानकर भौतिक साधन...

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 3

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 3 – Upbhoktawad Ki Sanskriti (उपभोक्तावाद की संस्कृति) Textbook Hindi Class 9 Kshitij (क्षितिज भाग 1) Chapter Upbhoktawad Ki Sanskriti (उपभोक्तावाद की संस्कृति) Author Shyama Charan Dube (श्यामाचरण दुबे) Khand Gadya Khand (गद्य- खंड) प्रश्न अभ्यास 1. लेखक के अनुसार जीवन में सुख से क्या अभिप्राय है उत्तर:- लेखक के अनुसार उपभोग का भोग ही सुख है, ना कि भोग का उपभोग। संतुलित व संतुष्ट जीवन जीने वाला व्यक्ति ही सुखी रह सकता है। 2. आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है उत्तर:- आजकल की बढ़ती उपभोक्तावादी संस्कृति हमारा चरित्र भी बदल रही है। यह मनुष्यों में ऐसी होड़ पैदा कर रही है जिसका कोई अर्थ नहीं निकलता। इससे हमारी परंपराओं का नाश हो रहा है और हम एक बेबुनियादी व बनावटी संस्कृति की तरफ जा रहे हैं। यह हमारी मानसिक व सामाजिक शांति पर भी विपरीत असर डाल रहा है। लोग लक्ष्य-भ्रमित हो रहे हैं। तरह-तरह की मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो रही है। नैतिक मूल्यों का अभाव बढ़ता जा रहा है। लोग अपनी वास्तविकता छोड़कर बेवजह का झूठा दिखावा कर रहे हैं। उपभोक्ता संस्कृति हमारी सामाजिक नींव हिला रही है। लोग मिल-जुलकर उपभोग का भोग ना करके, एक-दूसरे से होड़ कर रहे हैं। 3. लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है उत्तर:- उपभोक्ता समाज हमारे समाज व हमारी संस्कृति दोनों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। इस समाज में व्यक्ति की हैसियत उसके द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं से पता चलती है। संसाधनों का उपभोग संतुलित तरीके से न करके इस होड़ के कारण लोग उनका अपव्यय कर रहे हैं। लोगों की मानसिकता में...