लक्ष्मी पूजन विधि

  1. महालक्ष्मी पूजन का संपूर्ण विधि
  2. [PDF] दिवाली लक्ष्मी कथा पूजा विधि
  3. Yogini Ekadashi 2023: योगिनी एकादशी है आज? जानें
  4. पूजन विधि
  5. Pt Vinod Pandey: दीपावली पूजन की विधि और सामग्री


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महालक्ष्मी पूजन का संपूर्ण विधि

आचमन आदि के बाद आंखें बंद करके मन को स्थिर कीजिए और तीन बार गहरी सांस लीजिए। यानी प्राणायाम कीजिए क्योंकि भगवान के साकार रूप का ध्यान करने के लिए यह आवश्यक है। फिर पूजा के प्रारंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है। उसके लिए हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए परम पिता परमात्मा को प्रणाम किया जाता है। फिर पूजा का संकल्प किया जाता है। संकल्प हर एक पूजा में प्रमुख होता है। संकल्प - आप हाथ में अक्षत लें, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों। सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करनी चाहिए। हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। सोलह माताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए। Mangal puja Amalner : भूमि पुत्र मंगल देव का अमलनेर में बहुत ही जागृत मंदिर है। यहां पर मंगल देव के साथ ही पंचमुखी हनुमान और भू माता विराजमान हैं। यहां पर हजारों की संख्‍या में लोग मंगल दोष की शांति के लिए आते हैं। इसी के साथ ही जिन लोगों को भूमि से संबंधित कोई समस्या है वे लोग भी यहां पर मंगल देव की पूजा और अभिषेक करने के लिए आते हैं। Lal kitab for money : लाला किताब के उपाय अचूक होते हैं। यह विद्या ज्य...

[PDF] दिवाली लक्ष्मी कथा पूजा विधि

दीपावली व्रत कार्तिक कृष्णा अमावस्या को समस्त भारत में दीपावली का त्यौहार बड़े ठाठ-वाट से मनाया जाता है। यह वैश्य जाति का महानतम त्यौहार है। इसलिये नाना प्रकार से घर और दुकानों को सजाकर रात्रि को रोशनी की जाती है और भगवती लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा के साथ-साथ बही बसनों का पूजन किया जाता है। इसी दिन भगवती लक्ष्मी जी समुद्र से प्रकट हुई थीं और इसी दिन राजा बलि को पाताल का राजा बनाकर वामन भगवान ने उसकी ड्योढ़ी पर रहना स्वीकार किया तथा इसी दिन रामचन्द्र जी ने रावण को जीतकर सीता और सेना सहित अयोध्या में प्रवेश किया था एवं इसी दिन राजा वीर विक्रमादित्य ने सिंहासन पर बैठकर नवीन संवत् की घोषणा की थी। अतः इन सब कारणों को लेकर इस दिन भारी उत्सव मनाया जाता है और श्री लक्ष्मी जीं गणेश जी के सहित सव देवताओं का पूजन करते हुए सुख सम्पत्ति की भगवान से याचना की जाती है। श्री महालक्ष्मी जी पूजन सामग्री एवं विधि पूजन सामग्री: पान, इत्र, दूध, धूप, कर्पूर, दियासलाई, नारियल, सुपारी, रोली, घी, लालवसा, मेवा, गंगाजल, फल, लक्ष्मी-प्रतिमा, कलावा, रुई, सिंदूर, शहद, गणेश-प्रतिमा, फूल, दूव, दही, दीप, जल पात्र, मिठाई, तुलसी। विधि: बाजोठ पे माता लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना करे, उसके साथ चांदी के दागीने, सिक्के , दूध , पंचामृत और प्रसाद साथ में रखे. मूर्ति के दोनों तरफ दिए जलाये. दाहिनी ओर घी और बाहिनी ओर तेल का दिया जलाए. देव को फूलों से बिराजमान करे . उसके बाद महालक्ष्मी स्तोत्रं का उच्चारण करें. एक थाली में कंकू से स्वस्तिक बनाकर उस कंकू को वर्ष भर सुरक्षित रखें. एक थान में या भूमि शुद्ध करके नवग्रह बनाए। रुपया, सोना, चांदी, श्री लक्ष्मी जी, श्री गणेश जी व सरस्वती जी, श्री महेश आदि देवी-देवता को स्थान...

Yogini Ekadashi 2023: योगिनी एकादशी है आज? जानें

Yogini Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. हर महीने दो बार एकादशी आती है- पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और कई प्रकार के पापों का नाश होता है. इस बार योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून यानी आज रखा जा रहा है. इस दिन श्री हरि, भगवान शिव के ध्यान, भजन और कीर्तन से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है. योगिनी एकादशी के दिन उपवास रखने और साधना करने से समस्याओं का अंत हो जाता है. योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2023 Shubh Muhurat) योगिनी एकादशी का व्रत बुधवार, 14 जून यानी आज रखा जा रहा है. एकादशी तिथि प्रारंभ 13 जून, मंगलवार यानी कल सुबह 09 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो चुकी है और एकादशी तिथि का समापन 14 जून, बुधवार यानी आज सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर होगा. योगिनी एकादशी का पारण 15 जून को सुबह 05 बजकर 32 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. योगिनी एकादशी पूजन विधि (Yogini Ekadashi Pujan Vidhi) योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. भगवान को फल-फूल अर्पित करें और सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी आरती करें. भगवान विष्णु की अनुकंपा से जहां आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा. वहीं माता लक्ष्मी की कृपा से धन के भंडार भरेंगे. आर्थिक मोर्चे पर संपन्नता बढ़ेगी. योगिनी एकादशी व्रत का नियम (Yogini Ekadashi Niyam) योगिनी एकादशी पर स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें. श्रीहरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्प...

पूजन विधि

पूजन विधि - कैसे करें दीवाली पूजन? - Grehlakshmi Close • Search for: Search • Open dropdown menu • • • Open dropdown menu • • • • Open dropdown menu • • • Open dropdown menu • • • • • Open dropdown menu • • Open dropdown menu • • • • • • Open dropdown menu • • • Open dropdown menu • • • • • • • • • • • Facebook • Instagram • YouTube • Twitter • Linkedin Close दीपावली पर्व पांच पर्वों से मिलकर बना है- धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली,गोवर्धन पूजा तथा यम द्वितीया। पांचों दिन संध्या समय घर में कम से कम पांच दीपक (चार छोटे तथा एक बड़ा) अवश्य जलाएं। दीपक कभी सीधे भूमि पर न रखें, उसके नीचेआसन अवश्य दें। जैसे पहले थोड़े खील या चावल रखें फिर उस पर दीपक रखें। • नरक चतुर्दशी को संध्या समय घर की पश्चिमी दिशा में खुले स्थान पर अथवा छत केपश्चिम में 14 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं। उनके आशीर्वाद से समृद्धि प्राप्त होगी। पूजन विधि - कैसे करें दीवाली पूजन? 3 लक्ष्मी पूजन विधि • आचमन और प्राणायाम करके दाएं हाथ में जल, कुंकुम, अक्षत तथा पुष्प लेकर इसप्रकार संकल्प करें, आज परम मंगलकारी कार्तिक मास की अमावस्या को मैं (अपना नाम,उपनाम गोत्र बोलें) चिर लक्ष्मी की प्राप्त नीतिपूर्वक अर्थ उपार्जन, सभी कष्टों को दूर करनेकी अभिलाषा की पूर्ति तथा आयुष्य-आरोग्य की वृद्धि के साथ राज्य, व्यापार, उद्योग आदिमें लाभ के लिए गणपति, नवग्रह, महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती का श्रद्धाभाव सेपूजन करता हूं। • इसके बाद हाथ में ली हुई सामग्री धरती पर छोड़कर तिलक लगाएं तथा कलावा बांधें।अब गणपति भगवान का पूजन करें। उन्हें स्नान कराकर जनेऊ, वस्त्र, कलश, कुंकुम, केसर,अक्षत, पुष्प, गुलाल और अबीर चढ़ाकर गुड़ तथा लड्डू का...

Pt Vinod Pandey: दीपावली पूजन की विधि और सामग्री

दिवाली का पर्व सनातन हिन्दू धर्म का सर्वाधिक पवित्र तथा प्रसिद्ध त्योहार है, तथा इस पर्व को दिपावली, लक्ष्मी पूजा, अमावस्या लक्ष्मी पूजा, केदार गौरी व्रत, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, बंगाल की काली पूजा, दिवाली स्नान, दिवाली देवपूजा, लक्ष्मी-गणेश पूजा तथा दिवाली पूजा के नाम से जाना जाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान बनाने वाला यह त्यौहार अत्यंत उत्साह एवं धूमधाम से सम्पूर्ण भारतवर्ष के साथ साथ सपूर्ण जगत में मनाया जाता हैं। दीपावली के त्यौहार की तैयारी सभी व्यक्ति कई दिन पहले से ही करते हैं, जिसका प्रारम्भ घर की साफ-सफाई से किया जाता हैं, क्योंकि, दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती हैं, तथा माँ लक्ष्मीजी वहीँ निवास करती हैं जहाँ स्वच्छता होती हैं। Diwali Puja Vidhi दिवाली के दिन गणेश तथा लक्ष्मी पूजा करने के लिए उपयुक्त महूर्त प्रदोष काल का होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारम्भ होता है तथा लगभग २ घण्टे २२ मिनट तक व्याप्त रहता है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार श्री महालक्ष्मी पूजन हेतु शुभ समय प्रदोष काल से प्रांरम्भ हो कर अर्ध-रात्री तक व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना गया है। अतः प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेस्ठ है। अतः प्रदोष के समय व्याप्त पूर्ण अमावस्या तिथि दिवाली की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है। चौकी, लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, रोली, कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, रुई, मौलि, नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, ...