लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा

  1. [Solved] 'लक्षणा' शब्द शक्ति �
  2. Shabd Shakti hindi grammar
  3. लक्षणा
  4. लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
  5. काव्य शास्त्र की परिभाषा, प्रकार, गुण, अंग और शब्द शक्ति
  6. लक्षणा
  7. लोकोक्ति किसे कहते हैं
  8. शब्द शक्ति : परिभाषा, भेद और उदाहरण
  9. काव्य शास्त्र की परिभाषा, प्रकार, गुण, अंग और शब्द शक्ति


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[Solved] 'लक्षणा' शब्द शक्ति �

'लक्षणा' शब्द शक्ति का भेद 'शाब्दी'नही है । 'शाब्दी' व्यंजना शब्द शक्ति का भेद है। Key Points • जहाँ अनेकार्थक शब्दों का प्रयोग हो, वहाँ 'शाब्दी व्यंजना' होती है। • अनेकार्थक शब्द के अर्थ का निश्चय 14 आधारों में से किसी एक या अधिक आधार पर किया जाता है- संयोग, असंयोग, साहचर्य, विरोध, अर्थ, प्रकरण, लिंग, अन्य-सन्निधि (वक्ता व श्रोता के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति), सामर्थ्य, औचित्य, देश, काल, व्यक्ति और काकु (स्वर विकार) । • शाब्दी व्यंजना के दो भेद हैं- • अभिधामूला एवं लक्षणामूला। Additional Information • लक्षणा शब्द शक्तिमें विशिष्ट अर्थ की प्रतीकों के माध्यम से प्रतीति होती है। ​ शब्द शक्ति- शब्द शक्ति का अर्थ है-शब्द की अभिव्यंजक शक्ति। शब्द का कार्य किसी अर्थ की अभिव्यक्त तथा उसका बोध करता होता है। इस प्रकार शब्द एवं अर्थ का अभिन्न सम्बन्ध है। शब्द एवं अर्थ का सम्बन्ध ही शब्द शक्ति है। शब्दों के अर्थों का बोध कराने वाले अर्थ-व्यापारों को शब्द शक्ति कहते हैं। अभिधा शब्द शक्ति शब्द को सुनने अथवा पढ़ने के पश्चात् पाठक अथवा श्रोता को शब्द का जो लोक प्रसिद्ध अर्थ तत्क्षण ज्ञात हो जाता है, वह अर्थ शब्द की जिस सीमा द्वारा मालूम होता है, उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं। जैसे – चार बज रहे हैं। लक्षणा शब्द शक्ति जहां मुख्य अर्थ में बाधा उपस्थित होने पर रूढ़ि अथवा प्रयोजन के आधार पर मुख्य अर्थ से सम्बन्धित अन्य अर्थ को लक्ष्य किया जाता है, वहां लक्षणाशब्द शक्तिहोती है। जैसे -मोहन गधा है। व्यंजना शब्द शक्ति अभिधा और लक्षणा के विराम लेने पर जो एक विशेष अर्थ निकालता है, उसे व्यंग्यार्थ कहते हैं और जिस शक्ति के द्वारा यह अर्थ ज्ञात होता है, उसे व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं। घर ग...

Shabd Shakti hindi grammar

ये शब्द-शक्तियाँ तीन प्रकार के अर्थ – वाच्यार्थ, लक्ष्यार्थ तथा व्यग्यार्थ का बोध कराती हैं. इन्हें वर्गों में स्पष्ट समझा जा सकता है – शब्द-शक्ति शब्द अर्थ अभिधा वाचक वाच्यार्थ या मुख्यार्थ लक्षणा लक्षक लक्ष्यार्थ व्यंजना व्यंजक व्यंग्यार्थ अभिधा परिभाषा- साक्षात् सांकेतिक अर्थ (मुख्यार्थ) ग्रहण करनेवाली शक्ति को अभिधा कहते हैं. जैसे- छात्र पुस्तक पढ़ता है. इस वाक्य में प्रत्येक शब्द अपने मुख्यार्थ को ही व्यक्त करता है. स्पष्टीकरण- संकेत ग्रहण का तात्पर्य है- शब्द और अर्थ के संबंध में ज्ञान होना. यह संबंध-ज्ञान- व्याकरण, उपमान, कोष, आप्त वाक्य, व्यवहार, प्रसिद्ध पद का सान्निध्य, व्याक्यशेष, विवृत्ति (टीका) आदि से होता है. कप, प्लेट, कुर्सी, टेबुल जैसे शब्दों के मुख्यार्थ या वाच्यार्थ का ज्ञान व्यवहार से ही हो जाता है. किंतु, ‘निर्जरों की पूजा करों’ वाक्य में ‘निर्जर’ का ‘देवता’ अर्थ कोष के आधार पर होता है. इसी तरह ‘मधुशाला में वह मधु पीकर मस्त हो गया.’ इस वाक्य में ‘मधु’ का अर्थ अपने प्रसिद्ध पद ‘मधुशाला’ के निकट रहने से ‘मदिरा’ है. यहाँ ‘मधु’ का अर्थ ‘शहद’ लेना ठीक नहीं. अनेकार्थी शब्दों में विभिन्न उपायों से अर्थ निश्चित कर लिये जाते हैं. ये उपाय हैं- संयोग, वियोग, साहचर्य, विरोध, प्रकरण, अर्थ, लिंग, अन्य सन्निधि, सामर्थ्य, देश, काल, व्यक्ति तथा स्वर. जैसे- ‘शंख-चक्र-सहित हरि का आगमन हुआ’ में ‘हरि’ का अर्थ ‘विष्णु’ होगा. क्योंकि विष्णु ही शंख तथा चक्र के साथ विद्यमान रहते हैं. ‘हरि’ के और भी अनेक अर्थ हैं : जैसे- सर्प, मेढ़क, बंदर, कोयल, तोता, घोड़ा, चंद्रमा, इन्द्र, ब्रम्हा, यम, मनुष्य आदि. किंतु यहाँ शंख-चक्र के संयोग के कारण ‘विष्णु’ अर्थ ही अभिप्रेत है. लक्षणा परिभा...

लक्षणा

लक्षणा लक्षणा शब्द-शक्ति का एक प्रकार है। लक्षणा, शब्द की वह शक्ति है जिससे उसका अभिप्राय सूचित होता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि शब्द के साधारण अर्थ से उसका वास्तविक अभिप्राय नहीं प्रकट होता। वास्तविक अभिप्राय उसके साधारण अर्थ से कुछ भिन्न होता है। शब्द को जिस शक्ति से उसका वह साधारण से भिन्न और दूसरा वास्तविक अर्थ प्रकट होता है, उसे लक्षणा कहते हैं। शब्द का वह अर्थ जो अभिधा शक्ति... लक्षणा संज्ञा स्त्री० [सं०]१. लक्षण शब्द की वह शक्ति जिससे उसकाअर्थ लक्षित हो जाता है । शब्द की वह शक्ति जिससे उसकाअभिप्राय सूचित होता है ।विशेष—कभी कभी ऐसा होता है कि शब्द के साधारण अर्थ सेउसका वास्तविक अभिप्राय नहीं प्रकट होता । वास्तविक अभि-प्राय उसके साधारण अर्थ से कुछ भिन्न होता है । शब्द को जिसशक्ति से उसका वह साधारण से भिन्न और दूसरा वास्तविकअर्थ प्रकट होता है, उसे लक्षणा कहते हैं । साहित्य में यहशक्ति दो प्रकार की मानी गई है—निरूढ़ और प्रयोजनवती(विशेष दे० ये दोनों शब्द) ।२. मादा हंस । हंसी । ३. मादा सारस । सारसी । ४. छोटीभटकटैया । ५. एक अप्सरा का नाम जिसका उल्लेखमहाभारत में हैं । ६. दुर्योधन की पुत्री का नाम जिसकाविवाह कृष्ण के पुत्र साँब से हुआ था । लक्ष्मणा ।

लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

लक्षणा शब्द शक्ति : परिभाषा, भेद और उदाहरण | Lakshana Shabd Shakti in Hindi– इस आर्टिकल में हम लक्षणा शब्द शक्ति( Lakshana Shabd Shakti ), लक्षणा शब्द शक्ति किसे कहते कहते हैं, लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा, लक्षणा शब्द शक्ति के भेद/प्रकार और उनके प्रकारों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे।इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। हम यहां पर लक्षणा शब्द शक्ति ( Lakshana Shabd Shakti ) के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। Hindi में लक्षणा शब्द शक्ति ( Lakshana Shabd Shakti ) से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है।लक्षणा शब्द शक्ति इन हिंदी के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। तो चलिए शुरू करते है – लक्षणा शब्द शक्ति किसे कहते कहते हैं | Lakshana Shabd Shakti Kise Kahate Hain जब वक्ता द्वारा कहे गये शब्द के मुख्य अर्थ से मूल अर्थ ना निकले, परन्तु मुख्य अर्थ से सम्बंधित किसी एक लक्षण के आधार पर कोई अन्य अर्थ निकले, यह अन्य अर्थ देने वाली शब्द शक्ति, लक्षणा शब्द शक्ति कहलाती है । लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा | Lakshana Shabd Shakti ki Paribhasha लक्षणा शब्द शक्ति की परिभाषा – जब किसी वक्ता द्वारा कहे गये शब्द के मुख्य अर्थ या वाच्यार्थ के अभीष्ट अर्थ का बोध ना हो अर्थात शब्द के मुख्य अर्थ में बाधा हो तब किसी रूढ़ि या प्रयोजन के आधार पर मुख्यार्थ से सम्बंध रखने वाले अन्य अर्थ को लक्ष्य किया जाता है, वहाँ लक्षणा शब्द शक्ति होती है । अर्थात– जब वक्ता द्वारा बोले गये शब्द वाच्यार्थ को स्वीकार न कर किसी अन्य अर्थ को ग्रहण किया जाता ...

काव्य शास्त्र की परिभाषा, प्रकार, गुण, अंग और शब्द शक्ति

विकिपीडिया के अनुसार “काव्यशास्त्र, काव्य और साहित्य का दर्शन तथा काव्य शास्त्र को समझने के लिए काव्य शास्त्र के मुख्य बिंदुओं को समझना होता है। काव्यशास्त्र के मुख्य 5 बिन्दु हैं। • काव्य की परिभाषा • काव्य के भेद • काव्य के गुण • काव्य के अंग • काव्य की शब्द शक्ति काव्य शास्त्र की परिभाषा विभिन्न आचार्यों के द्वारा अलग-अलग तरीके से परिभाषित की गई। आचार्य विश्वनाथ के अनुसार:-“रसात्मक वाक्यम काव्यम”– अर्थात रसयुक्त पंडित जगन्नाथ के अनुसार:-“रामरणीयार्थ प्रतिपादक शब्दक काव्यम”– अर्थात रमणीय शब्दों का अर्थ बताने वाले शब्द काव्य कहलाते हैं। आचार्य भमाह के अनुसार:-“शब्दर्शों सहितों काव्यम” -अर्थात शब्द और उसके अर्थ के सममिश्रण को काव्य कहा गया। आचार्य रुद्रट के अनुसार:-“ननु शब्दर्शों काव्यम”– अर्थात अर्थ के लघु समन्वयन को काव्य कहा गया। आचार्य मम्मट के अनुसार:-“तद्रदोष शब्दर्शों गुणवाल कृति पुन क्वापि” अर्थात दोष रहित गुण सहित और कहीं-कहीं अलंकार विहीन शब्दों को काव्य कहा जाता हैं। काव्य के प्रकार काव्य के 2 प्रकार होते हैं • सामान्य दृष्टि के आधार पर • रचना के आधार पर सामान्य दृष्टि के आधार पर काव्य सामान्य दृष्टि के आधार पर काव्य के 2 प्रकार होते हैं। • दृश्य काव्य • श्रव्य काव्य 1. द्रव्य काव्य जिस काव्य में भावों का चमत्कार संकेतों, अभिनय आदि के द्वारा प्रदर्शित होते हैं। और इन भावों से आनंद की अनुभूति होती हैं उनके मिश्रण को ही दृश्य काव्य कहा जाता हैं। संस्कृत में इसे रूपक कहा जाता हैं। उदाहरण:- • महाराणा प्रताप • स्कन्दगुप्त • सत्य हरिचन्द्र 2.श्रव्य काव्य जिस काव्य में आनंद को सुनकर या पढ़कर प्राप्त किया जा सकता हैं वहाँ पर श्रव्य काव्य होता हैं। उदाहरण:- • रामचरित्र म...

लक्षणा

लक्षणा कभी-कभी ऐसा होता है कि शब्द के साधारण अर्थ से उसका वास्तविक अभिप्राय नहीं प्रकट होता। वास्तविक अभिप्राय उसके साधारण अर्थ से कुछ भिन्न होता है। शब्द को जिस शक्ति से उसका वह साधारण से भिन्न और दूसरा वास्तविक अर्थ प्रकट होता है, उसे लक्षणा कहते हैं। शब्द का वह अर्थ जो अभिधा शक्ति द्वारा प्राप्त न हो बल्कि लक्षणा शक्ति द्वारा प्राप्त हो, लक्षितार्थ कहलाता है। परिभाषा--शब्द की वह शक्ति जिसमें श्रोता या पाठक को उस शब्द के मूल अर्थ को छोोड़कर लक्ष्य कर रही कई बात का बोध कराती है लक्षणा शब्द शक्ति कहला ती उदाहरण--रमेश गधा है है

लोकोक्ति किसे कहते हैं

proverbs in hindi lokokti kya hoti hai लोकोक्ति किसे कहते हैं | लोकोक्ति की परिभाषा क्या है , उदाहरण , अर्थ वाक्य में प्रयोग ? मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ मुहावरा अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है-अभ्यास अथवा बातचीत । मुहावरे के अर्थ में लक्षणा शब्द शक्ति काम करती है, इसलिए इनका शब्दार्थ नहीं लिया जाता, अपितु लक्ष्यार्थ ग्रहण किया जाता है। भाषा को सशक्त, सजीव, प्रभावोत्पादक बनाने के लिए मुहावरों का प्रयोग किया जाता है। लोकोक्ति का अर्थ है, लोक की उक्ति, अर्थात् लोक प्रचलित कथन। किसी कथन को सजीव एवं रोचक बनाने में लोकोक्ति की विशिष्ट भूमिका रहती है। सम्भवतः इसी कारण वार्तालाप में लोकोक्तियों का प्रयोग अधिक होता है। ज्ञान-लोकोक्ति पूरा वाक्य होती है, जबकि मुहावरा वाक्यांश होता है। मुहावरों के अन्त में प्रायः श्नाश् लगा होता हैय जैसे-ईद का चाँद होना, पर लोकोक्तियाँ पूर्ण वाक्य होती हैं । यथा-अरहर की टट्टी गुजराती ताला । मुहावरे गद्यात्मक ही होते हैं, जबकि लोकोक्तियाँ गद्यात्मक एवं पद्यात्मक दोनों तरह की हो सकती हैं। मुहावरों एवं लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा की अभिव्यक्ति क्षमता में पर्याप्त वृद्धि हो जाती है। कभीकभी जो बात एक अनुच्छेद में कर पाते हैं उसे कुशल वक्ता एक लोकोक्ति या मुहावरे के द्वारा व्यक्त कर देता है। ध्यान रहे वाक्य में लोकोक्ति या मुहावरे का प्रयोग करें, उसके अर्थ का नहीं तथा प्रयोग ऐसा हो जो सबकी समझ में आ जाये।। यहाँ प्रमुख मुहावरे और लोकोक्तियाँ दी जा रही हैं। प्रमुख मुहावरे एवं वाक्य प्रयोग 1. अँगूठा दिखाना = मना कर देना। प्रयोग-बेटी के विवाह में जब मैं अपने भाई से आर्थिक सहायता माँगने गया तो उसने अँगूठा दिखा दिया। 2. अक्ल का अंधा होना = मूर्ख होना। प्रयोग...

शब्द शक्ति : परिभाषा, भेद और उदाहरण

शब्दशक्ति– Shabd Shakti Kise Kahate Hain शब्दशक्तिसेअभिप्राय—शब्दअपनाएकनिर्धारितअर्थनहींरखते।शब्दोंकाअलग-अलगसंदर्भोंमेंजबप्रयोगकियाजाताहै, तोउनकेअलग-अलगअर्थनिकलतेहैं। इसअलगअर्थकाज्ञानकरानेवालीशक्तिही शब्दशक्तिकहलातीहै। शब्दशक्तियोंकेभेदवउदाहरण–संस्कृतकेप्रसिद्धआचार्यमम्मटनेअपनीपुस्तक‘काव्यप्रकाश’केद्वितीयउल्लासमेंशब्दार्थस्वरूपनिर्णयकेअंतर्गततीनप्रकारकेशब्दवतीनप्रकारकीशब्दशक्तियांमानीजोनिम्नप्रकारहैं– [table id=10 /] इनमेंवाचकशब्दमुख्यार्थकाबोधकहोताहै।इसीलिएसबसेपहलेउसेरखागयाहै।लक्षक (लाक्षणिक) शब्दवाचकशब्दकेऊपरआश्रितरहताहै। इसलिएवाचककेबादलाक्षणिकशब्दकास्थानरहताहै।व्यंजकशब्दइनदोनोंकीअपेक्षारखताहै।इसीलिएउसकोतीसरेस्थानपररखागयाहै। शब्दशक्तिकेभेद– Shabd Shakti Ke Bhed in Hindi Grammar हिन्दीव्याकरणकेशब्दशक्तिकेनिम्नलिखिततीनभेदहोतेहैं– (1) अभिधाशक्ति, (2) लक्षणाशक्ति (3) व्यंजनाशक्ति 1 . अभिधाशब्दशक्ति अभिधाशब्दशक्तिसेतात्पर्यहै–शब्दकोसुनने/पढ़नेकेबादश्रोता (पाठक) कोशब्दकोलोकप्रसिद्धअर्थतुरंतप्राप्तहोना।वाक्यमेंअभिधा जैसे–परमरम्यआरामयहँ, जोरामहिंसुखदेत। यहाँ‘आराम’शब्दकाअर्थबगीचीहै।यहप्रकरणजनककीपुष्पवाटिकाप्रसंगसेहै।‘घोड़ाचररहाहै’इसवाक्यमेंघोड़ाशब्दअपनेमुख्यअर्थकाहीज्ञानकरारहाहैअतःइसवाक्यशब्दमेंअभिधाशब्दशक्तिहीकामकररहीहै। वाक्य/वाच्य/अभिधाशब्दकेतीनप्रकार– (क.) यौगिकशब्द–जिनशब्दोंकीव्युत्पत्तिहोतीहै। (ख.) रूढ़शब्द–इन्हेंखंडितनहींकियाजासकता। (ग.) योगरूढ़–दोशब्दों/शब्दांशोंकेयोगसेहुईरचना, येसामान्यअर्थकोछोड़विशेषअर्थबतातेहैं। उदाहरण– दैनिकजीवनमेंलोकव्यवहारहेतुप्रायःअभिधाशक्तिकाहीप्रयोगकियाजाताहै।यथा– मोहनपढ़रहाहै। सीतागारहीहै। बकरीचलरहीहै। उपयुक्तवाक्योंमेंमुख्यार्थहीप्रधानहै।अतःअभिधाशक्...

(Word

(Word-Power) - शब्द-शक्ति प्रयोजनवती लक्षणा के भेद भेद लक्षण/पहचान-चिह्न परिभाषा एवं उदाहरण (1) गौणी लक्षणा सादृश्य संबंध जहाँ सादृश्य संबंध अर्थात समान गुण या धर्म के कारण लक्ष्यार्थ की प्रतीति हो। उदाहरण : 'मुख कमल'। सादृश्य संबंध के द्वारा लक्ष्यार्थ का बोध हो रहा है कि मुख कमल के समान कोमल है। (i) सारोपा (स +_आरोपा) विषय/उपमेय/आरोप का विषय + विषयी/उपमान/आरोप्यमाण (दोनों) जहाँ विषय और विषयी दोनों का शब्द निर्देश करते हुए अभेद बताया जाए। उदाहरण : 'सीता गाय है।' का लक्ष्यार्थ है- सीता सीधी-सादी है। यहाँ गाय (विषयी) का सीधापन-सादापन सीता (विषय) पर आरोपित है। (ii) साध्यावसाना (स + अध्यवसाना) अध्यवसान =आत्मसात, निगरण विषयी (केवल) जहाँ केवल विषयी का कथन कर अभेद बताया जाए। उदाहरण : यदि कोई मालिक खीझ कर नौकर को कहे कि 'बैल कहीं का।' तो इस वाक्य में विषय (नौकर) का निर्देश नहीं है, केवल विषयी (बैल) का कथन है। (2) शुद्धा लक्षणा सादृश्येतर संबंध सादृश्येतर = सादृश्य + इतर जहाँ सादृश्येतर संबंध (सादृश्य संबंध के अतिरिक्त किसी अन्य संबंध) से लक्ष्यार्थ की प्रतीति हो। सादृश्येतर संबंध हैं- आधार-आधेय भाव, सामीप्य, वैपरीत्य, कार्य-कारण, तात्कर्म्य आदि। उदाहरण : (i) आधार-आधेय संबंध का उदाहरण : 'महात्मा गाँधी को देखने के लिए सारा शहर उमड़ पड़ा।' यहाँ 'शहर' का मुख्यार्थ (नगर) बाधित है, 'शहर' का लक्ष्यार्थ है- 'शहर के निवासी' । शहर है- आधार और शहर का निवासी है- आधेय। (ii) सामीप्य संबंध का उदाहरण : आँचल में है दूध और आँखों में पानी। (यशोधरा) यहाँ आँचल का मुख्यार्थ (साड़ी का छोर) बाधित है, आँचल मैथलीशरण गुप्त का लक्ष्यार्थ है- स्तन। चूँकि आँचल सदा स्तन के समीप रहता है, इसलिए आँचल और स्तन में साम...

काव्य शास्त्र की परिभाषा, प्रकार, गुण, अंग और शब्द शक्ति

विकिपीडिया के अनुसार “काव्यशास्त्र, काव्य और साहित्य का दर्शन तथा काव्य शास्त्र को समझने के लिए काव्य शास्त्र के मुख्य बिंदुओं को समझना होता है। काव्यशास्त्र के मुख्य 5 बिन्दु हैं। • काव्य की परिभाषा • काव्य के भेद • काव्य के गुण • काव्य के अंग • काव्य की शब्द शक्ति काव्य शास्त्र की परिभाषा विभिन्न आचार्यों के द्वारा अलग-अलग तरीके से परिभाषित की गई। आचार्य विश्वनाथ के अनुसार:-“रसात्मक वाक्यम काव्यम”– अर्थात रसयुक्त पंडित जगन्नाथ के अनुसार:-“रामरणीयार्थ प्रतिपादक शब्दक काव्यम”– अर्थात रमणीय शब्दों का अर्थ बताने वाले शब्द काव्य कहलाते हैं। आचार्य भमाह के अनुसार:-“शब्दर्शों सहितों काव्यम” -अर्थात शब्द और उसके अर्थ के सममिश्रण को काव्य कहा गया। आचार्य रुद्रट के अनुसार:-“ननु शब्दर्शों काव्यम”– अर्थात अर्थ के लघु समन्वयन को काव्य कहा गया। आचार्य मम्मट के अनुसार:-“तद्रदोष शब्दर्शों गुणवाल कृति पुन क्वापि” अर्थात दोष रहित गुण सहित और कहीं-कहीं अलंकार विहीन शब्दों को काव्य कहा जाता हैं। काव्य के प्रकार काव्य के 2 प्रकार होते हैं • सामान्य दृष्टि के आधार पर • रचना के आधार पर सामान्य दृष्टि के आधार पर काव्य सामान्य दृष्टि के आधार पर काव्य के 2 प्रकार होते हैं। • दृश्य काव्य • श्रव्य काव्य 1. द्रव्य काव्य जिस काव्य में भावों का चमत्कार संकेतों, अभिनय आदि के द्वारा प्रदर्शित होते हैं। और इन भावों से आनंद की अनुभूति होती हैं उनके मिश्रण को ही दृश्य काव्य कहा जाता हैं। संस्कृत में इसे रूपक कहा जाता हैं। उदाहरण:- • महाराणा प्रताप • स्कन्दगुप्त • सत्य हरिचन्द्र 2.श्रव्य काव्य जिस काव्य में आनंद को सुनकर या पढ़कर प्राप्त किया जा सकता हैं वहाँ पर श्रव्य काव्य होता हैं। उदाहरण:- • रामचरित्र म...