लोरी बच्चों की

  1. Kids Projector ने मचाया धमाल, लोरी सुनाकर सुला देगा बच्चों को, कीमत जानकर दौड़ पड़ेगे खरीदने
  2. लोरी प्रतियोगिता
  3. बच्चों के लिए लोरी और नर्सरी गाया जाता है: क्यों गाते हैं?
  4. दुनिया मेरे आगे: लोरी की डोर
  5. लोरी और बालगीत Best Baby Lori Song Hindi Lyrics & Famous Nursery Rhymes For Kids
  6. मां की लोरी
  7. मां की लोरी
  8. बच्चों के लिए लोरी और नर्सरी गाया जाता है: क्यों गाते हैं?
  9. लोरी प्रतियोगिता
  10. दुनिया मेरे आगे: लोरी की डोर


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Kids Projector ने मचाया धमाल, लोरी सुनाकर सुला देगा बच्चों को, कीमत जानकर दौड़ पड़ेगे खरीदने

monc dream box प्रोजेक्टर की कीमत 2659 रुपये monc dream box प्रोजेक्टर को 7 साल के बच्चों के हिसाब से किया डिजाइन इसमें साउंड के लिए ब्लूटूथ स्पीकर एड ऑन किया गया Kids Projector : फिल्म और सीरियल बड़े पर्दे पर देखने के लिए हम आमतौर पर प्रोजेक्टर खरीदते हैं, जिनकी कीमत 10 हजार से एक लाख रुपये के बीच में होती है. हाल ही में बाजार में monc ने एक नया प्रोजेक्टर लॉन्च किया है, जो 7 साल तक के बच्चों के हिसाब से डिजाइन किया गया है. इस प्रोजेक्टर में वीडियो और साउंड दोनों का बेहतरीन कॉम्बिनेशन दिया गया है, जिस वजह से ये छोटे बच्चों को काफी पसंद आता है. इसी के चलते कंपनी ने इस प्रोजेक्टर को MONC Dreambox नाम दिया है. MONC के इस प्रोजेक्टर को कनेक्ट करना भी काफी आसान है. इसे आप अपने स्मार्टफोन से कनेक्ट करके बच्चों के लिए बेहतरीन साउंड प्ले कर सकते हैं. साथ ही MONC Dreambox के जरिए कार्टून या दूसरी फिल्म देखी जा सकती है, बस इसके लिए आपको प्रोजेक्टर के लेंस को दीवार या छत की ओर करना होगा. यहां हम आपको MONC Dreambox प्रोजेक्टर की कुछ दूसरी खासियत के बारे में और बताने जा रहे हैं. साथ ही इस प्रोजेक्टर की कीमत के बारे में भी बताएंगे, तो आइए जानते हैं MONC Dreambox प्रोजेक्टर के बारे में सबकुछ. यह भी पढ़ें : वेंटिलेशन और एग्जॉस्ट फैन में क्या अंतर? बिजली का काम करने वाले भी नहीं जानते फर्क, कभी पूछकर देखिएगा! बच्चों को सुलाने में मददगार है ये प्रोजेक्टर monc dream box प्रोजेक्टर को 7 साल के बच्चों के हिसाब से डिजाइन किया गया है. इस प्रोजेक्टर के जरिए रिलैक्स करने वाला साउंड बजाया जा सकता है, जिससे बच्चों को आराम मिलता है और वो जल्दी सो जाते हैं. साथ ही अगर दिन में बच्चों की एक्टिविटी के लिए...

लोरी प्रतियोगिता

लोरी प्रतियोगिता लोरी की हमारे बचपन से जुड़ी सबसे शुरुआती यादें है। यह कहानी सुनाने का सबसे पुराना तरीका है जो किसी माँ द्वारा अपने बच्चे को और दादा-दादी या नाना-नानी द्वारा परिवार में आने वाले सभी बच्चों को सुनाई जाती है। लोरियों के द्वारा बच्चों में अच्छे संस्कार डाले जाते हैं और उन्हें देश की संस्कृति से परिचित कराया जाता है। लोरियों के भी विभिन्न रूप होते हैं। लोरियाँ अक्सर आसपास के वातावरण, मानव स्वभाव, स्थानीय वीरों और क्षेत्रीय ऐतिहासिक महत्व के मामलों पर लिखी जाती हैं। असम के निसुकनी गीत से लेकर तमिलनाडु के थालत्तुपाटू तक और गुजरात की लोरियों से लेकर कन्नड़ लालीहाडु तक प्रत्येक क्षेत्र में लोरियाँ बच्चों को सुलाने का ही जरिया नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ उन्हें पारिवारिक मूल्यों, स्थानीय संस्कृति और प्रथाओं से भी अवगत कराया जाता है। एक ऐसे संसार में जो तेजी से डिजिटल बनता जा रहा है ये महत्वपूर्ण प्रथाएं और हमारी पारम्परिक लोरियाँ हमें बता रही हैं कि उन्हें नए ढँग से पेश किया जाए। वहीं सदियों पुरानी कहानियों को नए-नए तरीकों से सुनाया जा रहा है या नई कहानियों को आधुनिक रंग देते हुए प्रसारित किया जा रहा है। इस सुंदर प्रथा को पुनर्जीवित करने और इसके साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थानीय लोरियों को परिरक्षित करने के प्रयोजनार्थ हम सम्पूर्ण भारत में माता-पिताओं, अभिभावकों और बच्चों के लिए एक लोरी प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं। इस संबंध में प्रत्येक भारतीय को इसमें शामिल होने का निमंत्रण दिया जा रहा है। देशभक्ति से संबंधित लोरियाँ, कविताएं और गीत जिन्हें अपने छोटे बच्चों के लिए प्रत्येक घर में माताओं द्वारा आसानी से गाया जा सकता है, वे इस प्रतियोगिता में शामिल होने की पात्...

बच्चों के लिए लोरी और नर्सरी गाया जाता है: क्यों गाते हैं?

मेन्यू • लेख • आहार • अंगों के लिए आहार की सूची बनाएं • पोषण प्रणाली की सूची • बीमारियों के लिए आहार की सूची • शरीर की सफाई के लिए आहार की सूची • विशिष्ट उद्देश्यों के लिए आहार की सूची • वर्ष के प्रत्येक महीने के लिए आहार की सूची • सूची खेल आहार • वजन घटाने के लिए आहार की सूची • शाकाहार के बारे में लेखों की सूची • व्यंजन विधि • खाना पकाने की विधियां • कैसे उबालें • भोजन • जामुन • अनाज • अंडे • मछली • फल • मछली • साग • जड़ी बूटी • सब्जियों • मांस • मशरूम • दूध • नट्स • तेल • पोल्ट्री • सीफ़ूड • कसरत • व्यायाम • कसरत कार्यक्रम • खेल पोषण • की आपूर्ति करता है • पोषण तथ्यों • पेरेंटिंग • एक बच्चे की योजना बनाना • गर्भावस्था • जन्म देना • बच्चा • शिशु बच्चे को शांत करने के लिए गाएं ऐसा प्रतीत होता है कि अपने नन्हे-मुन्नों के कान के खोखले में एक लोरी गुंजन न केवल उसे शांत और आश्वस्त कर सकता है, बल्कि उसके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा होगा। वास्तव में, उसे शांत करने और उसकी हृदय गति को कम करने से, लोरी उसकी सामान्य स्थिति में सुधार करेगी और उसके दर्द को भी दूर कर सकती है। यदि आपकी लोरी के साथ कोई वाद्य यंत्र भी है, तो प्रभाव दस गुना बढ़ जाएगा। दूसरी ओर, आपको गाना होगा और लोरी की क्लासिक सीडी पर भरोसा नहीं करना होगा। ध्वनि रिकॉर्डिंग का शिशु पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। उत्तरार्द्ध अपने माता-पिता की आवाज़ों के प्रति अधिक संवेदनशील है, जिन्हें वह जानता है और जानता है कि अज्ञात गायकों की आवाज़ों की तुलना में सबसे अधिक कैसे पहचानना है, चाहे वे कितने भी सुखद हों। अंत में, कुछ चेहरे के भाव, मुस्कराहट और मुस्कान जोड़ने में संकोच न करें जिससे आपका बच्चा उस समय के मूड के आधार पर कमोबेश...

दुनिया मेरे आगे: लोरी की डोर

अब अक्सर ऐसा होता है कि नींद पलकों के साथ आंख-मिचौनी खेलती रहे और मन अतीत की गहराइयों में ड़ूब जाए। सूरदास की पंक्तियां याद आती हैं- ‘यशोदा हरी पालने झुलावें, हलरावें दुलराएं, मल्हरावें, जोई सोई कुछ गावें’। फिर लोरियों के संसार में मुस्कराता हुआ अपना शैशव याद आने लगता है, जब मां मीठे स्वर में नींद से अनुनय करती थी- ‘आ जा री आ, निंदिया तू आ, झिलमिल सितारों से उतर, आंखों में आ सपने सजा।’ अमर फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ की यह लोरी नींद से बोझिल पलकों पर लयात्मकता का स्निग्ध चुंबन जड़ देती थी। मां के सान्निध्य को देर तक महसूस करने की लालच में आंखें नींद से विद्रोह करती थीं तो उन्हें हौले से मूंद कर स्वप्नलोक में विचरने के लिए भेज देती थीं उनकी लोरियां। उनकी दूसरी प्रिय लोरी थी उन्ही दिनों की बेहद सफल फिल्म ‘अलबेला’ में लता मंगेश्कर की गाई लोरी ‘धीरे से आ जा री अंखियन में, निंदिया आ जा री आ जा।’ गीतकार राजेंद्र कृष्ण की इस लोरी के छोटे छंद में छोटी-छोटी लहरों-सा शांत बहाव था और बाल मन को रिझाने वाले शरारती भाव भी- ‘तारों से छुप कर तारों से चोरी/ देती है रजनी चंदा को लोरी/ हंसता है चंदा भी निन्दियन में/ निंदिया आ जा री, आ जा।’ ‘निंदियन’ और ‘गलियन’ जैसे छोटे, सरल और मीठे शब्द ही तो लोरी को बड़ों की कविता से अलग एक विशिष्ट पहचान देते हैं। लहर-लहर बहते स्वर, जिनमें अधिक उतार-चढ़ाव न हों। प्रवाह हो, लेकिन आंदोलन न हो, लोरी में सम्मोहन भरते हैं। आगे चल कर 1977 में छोटे छंद की एक और लोरी बहुत लोकप्रिय हुई। फिल्म ‘मुक्ति’ की आनंद बक्शी रचित इस लोरी के शब्द थे- ‘लल्ला लल्ला लोरी/ दूध की कटोरी/ दूध में बताशा/ मुन्नी करे तमाशा।’ सहज, सरल और संक्षिप्त शब्दों वाली इस लोरी की एक और विशेषता थी कि लता के...

लोरी और बालगीत Best Baby Lori Song Hindi Lyrics & Famous Nursery Rhymes For Kids

Table of Content • • • • • • • • • • • • • • • • Popular Lori Lyrics in Hindi 1. लल्ला लल्ला लोरी Llaa llaa lori Hindi Rhymes लला लला लोरी दूध की कटोरी दूध में बताशा मुन्नी करे तमाशा 2. चंदनिया Chandaniya Lori Lori Lyrics in Hindi लोरी लोरी लोरी लोरी लोरी लोरी लोरी लोरी लोरी लोरी लोरी लोरी चंदनिया छुप जाना रे छन भर को लुक जाना रे निंदिया आँखों में आए बिटिया मेरी मेरी सो जाए हुम्म.. निंदिया आँखों में आए बिटिया मेरी मेरी सो जाए लेके गोद में सुलाऊँ गाऊँ रात भर सुनाऊँ मैं लोरी लोरी हो मैं लोरी लोरी.. 3. छोटी-सी, प्यारी-सी Chhoti Si Pyari Si Lyrics in Hindi छोटी सी प्यारी सी नन्ही सी आई कोई परी छोटी सी प्यारी सी नन्ही सी आई कोई परी भोली सी, न्यारी सी, अच्छी सी, आई कोई परी पालने में ऐसे ही झूलती रहे खुशियों की बहारों झूमती रहे गाते मुस्कुराते संगीत की तरह ये तो लगे रामा की गीत की तरह रा रा रु.. रा रा रा रा रा रु.. रा रा रु.. रा रा रा रा रा रु.. 4. आ चल के तुझे Aa Chal Ke Tuhe Lyrics in Hindi आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ इक ऐसे गगन के तले जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो बस प्यार ही प्यार पले सूरज की पहली किरण से आशा का सवेरा जागे चंदा की किरण से धुल कर घनघोर अंधेरा भागे कभी धूप खिले, कभी छाँव मिले लम्बी सी डगर न खले जहाँ ग़म भी नो हो.. जहाँ दूर नज़र दौड़ाएँ आज़ाद गगन लहराए जहाँ रंग-बिरंगे पंछी आशा का संदेसा लाएँ सपनों में पली हँसती हो कली जहाँ शाम सुहानी ढले जहाँ ग़म भी न हो.. सपनों के ऐसे जहां में जहाँ प्यार ही प्यार खिला हो हम जा के वहाँ खो जाएँ शिकवा न कोई गिला हो कहीं बैर न हो, कोई गैर न हो सब मिलके यूँ चलते चलें जहाँ गम भी न हो.. 5. सुरमई अंखियों में Surmayi Ankhiyon Mein Lyr...

मां की लोरी

जिस से बंधी दुनिया की डोरी मां कभी नहीं होती कोरी जिस से हर कोई प्यार करे बहुरी मां काली हो या गोरी वो एक समान देती बच्चों को लोरी मां के हाथ में बच्चों के सपनों की डोरी वो नहीं सिखाती बच्चों को करना चोरी मां जब भी गाए मीठी लोरी हर बार खुशी मिलती बहुरी मां से जब मिलती खीर की कटोरी हर बार हम खाएं पेट भर के कटोरी मां की लोरी जिस से बंधी दुनिया की डोरी - हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए विशेष • Kavya Cafe: Rachit Dixit Poetry- ब्रेक अप के बाद लड़के • Hindi Kavita: नवीन सागर की कविता 'अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँ' • Urdu Poetry: नसीर तुराबी की ग़ज़ल 'दिया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ' • Parveen Shakir Poetry: वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आया • अल्हड़ बीकानेरी की हास्य कविता- समय का फेर • Social Media Shayari: ढक कर चलता हूं, ज़ख्मों को आजकल

मां की लोरी

जिस से बंधी दुनिया की डोरी मां कभी नहीं होती कोरी जिस से हर कोई प्यार करे बहुरी मां काली हो या गोरी वो एक समान देती बच्चों को लोरी मां के हाथ में बच्चों के सपनों की डोरी वो नहीं सिखाती बच्चों को करना चोरी मां जब भी गाए मीठी लोरी हर बार खुशी मिलती बहुरी मां से जब मिलती खीर की कटोरी हर बार हम खाएं पेट भर के कटोरी मां की लोरी जिस से बंधी दुनिया की डोरी - हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए विशेष • Kavya Cafe: Rachit Dixit Poetry- ब्रेक अप के बाद लड़के • Hindi Kavita: नवीन सागर की कविता 'अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँ' • Urdu Poetry: नसीर तुराबी की ग़ज़ल 'दिया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ' • Parveen Shakir Poetry: वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आया • अल्हड़ बीकानेरी की हास्य कविता- समय का फेर • Social Media Shayari: ढक कर चलता हूं, ज़ख्मों को आजकल

बच्चों के लिए लोरी और नर्सरी गाया जाता है: क्यों गाते हैं?

मेन्यू • लेख • आहार • अंगों के लिए आहार की सूची बनाएं • पोषण प्रणाली की सूची • बीमारियों के लिए आहार की सूची • शरीर की सफाई के लिए आहार की सूची • विशिष्ट उद्देश्यों के लिए आहार की सूची • वर्ष के प्रत्येक महीने के लिए आहार की सूची • सूची खेल आहार • वजन घटाने के लिए आहार की सूची • शाकाहार के बारे में लेखों की सूची • व्यंजन विधि • खाना पकाने की विधियां • कैसे उबालें • भोजन • जामुन • अनाज • अंडे • मछली • फल • मछली • साग • जड़ी बूटी • सब्जियों • मांस • मशरूम • दूध • नट्स • तेल • पोल्ट्री • सीफ़ूड • कसरत • व्यायाम • कसरत कार्यक्रम • खेल पोषण • की आपूर्ति करता है • पोषण तथ्यों • पेरेंटिंग • एक बच्चे की योजना बनाना • गर्भावस्था • जन्म देना • बच्चा • शिशु बच्चे को शांत करने के लिए गाएं ऐसा प्रतीत होता है कि अपने नन्हे-मुन्नों के कान के खोखले में एक लोरी गुंजन न केवल उसे शांत और आश्वस्त कर सकता है, बल्कि उसके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा होगा। वास्तव में, उसे शांत करने और उसकी हृदय गति को कम करने से, लोरी उसकी सामान्य स्थिति में सुधार करेगी और उसके दर्द को भी दूर कर सकती है। यदि आपकी लोरी के साथ कोई वाद्य यंत्र भी है, तो प्रभाव दस गुना बढ़ जाएगा। दूसरी ओर, आपको गाना होगा और लोरी की क्लासिक सीडी पर भरोसा नहीं करना होगा। ध्वनि रिकॉर्डिंग का शिशु पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। उत्तरार्द्ध अपने माता-पिता की आवाज़ों के प्रति अधिक संवेदनशील है, जिन्हें वह जानता है और जानता है कि अज्ञात गायकों की आवाज़ों की तुलना में सबसे अधिक कैसे पहचानना है, चाहे वे कितने भी सुखद हों। अंत में, कुछ चेहरे के भाव, मुस्कराहट और मुस्कान जोड़ने में संकोच न करें जिससे आपका बच्चा उस समय के मूड के आधार पर कमोबेश...

लोरी प्रतियोगिता

लोरी प्रतियोगिता लोरी की हमारे बचपन से जुड़ी सबसे शुरुआती यादें है। यह कहानी सुनाने का सबसे पुराना तरीका है जो किसी माँ द्वारा अपने बच्चे को और दादा-दादी या नाना-नानी द्वारा परिवार में आने वाले सभी बच्चों को सुनाई जाती है। लोरियों के द्वारा बच्चों में अच्छे संस्कार डाले जाते हैं और उन्हें देश की संस्कृति से परिचित कराया जाता है। लोरियों के भी विभिन्न रूप होते हैं। लोरियाँ अक्सर आसपास के वातावरण, मानव स्वभाव, स्थानीय वीरों और क्षेत्रीय ऐतिहासिक महत्व के मामलों पर लिखी जाती हैं। असम के निसुकनी गीत से लेकर तमिलनाडु के थालत्तुपाटू तक और गुजरात की लोरियों से लेकर कन्नड़ लालीहाडु तक प्रत्येक क्षेत्र में लोरियाँ बच्चों को सुलाने का ही जरिया नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ उन्हें पारिवारिक मूल्यों, स्थानीय संस्कृति और प्रथाओं से भी अवगत कराया जाता है। एक ऐसे संसार में जो तेजी से डिजिटल बनता जा रहा है ये महत्वपूर्ण प्रथाएं और हमारी पारम्परिक लोरियाँ हमें बता रही हैं कि उन्हें नए ढँग से पेश किया जाए। वहीं सदियों पुरानी कहानियों को नए-नए तरीकों से सुनाया जा रहा है या नई कहानियों को आधुनिक रंग देते हुए प्रसारित किया जा रहा है। इस सुंदर प्रथा को पुनर्जीवित करने और इसके साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थानीय लोरियों को परिरक्षित करने के प्रयोजनार्थ हम सम्पूर्ण भारत में माता-पिताओं, अभिभावकों और बच्चों के लिए एक लोरी प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं। इस संबंध में प्रत्येक भारतीय को इसमें शामिल होने का निमंत्रण दिया जा रहा है। देशभक्ति से संबंधित लोरियाँ, कविताएं और गीत जिन्हें अपने छोटे बच्चों के लिए प्रत्येक घर में माताओं द्वारा आसानी से गाया जा सकता है, वे इस प्रतियोगिता में शामिल होने की पात्...

दुनिया मेरे आगे: लोरी की डोर

अब अक्सर ऐसा होता है कि नींद पलकों के साथ आंख-मिचौनी खेलती रहे और मन अतीत की गहराइयों में ड़ूब जाए। सूरदास की पंक्तियां याद आती हैं- ‘यशोदा हरी पालने झुलावें, हलरावें दुलराएं, मल्हरावें, जोई सोई कुछ गावें’। फिर लोरियों के संसार में मुस्कराता हुआ अपना शैशव याद आने लगता है, जब मां मीठे स्वर में नींद से अनुनय करती थी- ‘आ जा री आ, निंदिया तू आ, झिलमिल सितारों से उतर, आंखों में आ सपने सजा।’ अमर फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ की यह लोरी नींद से बोझिल पलकों पर लयात्मकता का स्निग्ध चुंबन जड़ देती थी। मां के सान्निध्य को देर तक महसूस करने की लालच में आंखें नींद से विद्रोह करती थीं तो उन्हें हौले से मूंद कर स्वप्नलोक में विचरने के लिए भेज देती थीं उनकी लोरियां। उनकी दूसरी प्रिय लोरी थी उन्ही दिनों की बेहद सफल फिल्म ‘अलबेला’ में लता मंगेश्कर की गाई लोरी ‘धीरे से आ जा री अंखियन में, निंदिया आ जा री आ जा।’ गीतकार राजेंद्र कृष्ण की इस लोरी के छोटे छंद में छोटी-छोटी लहरों-सा शांत बहाव था और बाल मन को रिझाने वाले शरारती भाव भी- ‘तारों से छुप कर तारों से चोरी/ देती है रजनी चंदा को लोरी/ हंसता है चंदा भी निन्दियन में/ निंदिया आ जा री, आ जा।’ ‘निंदियन’ और ‘गलियन’ जैसे छोटे, सरल और मीठे शब्द ही तो लोरी को बड़ों की कविता से अलग एक विशिष्ट पहचान देते हैं। लहर-लहर बहते स्वर, जिनमें अधिक उतार-चढ़ाव न हों। प्रवाह हो, लेकिन आंदोलन न हो, लोरी में सम्मोहन भरते हैं। आगे चल कर 1977 में छोटे छंद की एक और लोरी बहुत लोकप्रिय हुई। फिल्म ‘मुक्ति’ की आनंद बक्शी रचित इस लोरी के शब्द थे- ‘लल्ला लल्ला लोरी/ दूध की कटोरी/ दूध में बताशा/ मुन्नी करे तमाशा।’ सहज, सरल और संक्षिप्त शब्दों वाली इस लोरी की एक और विशेषता थी कि लता के...