मृदा प्रदूषण प्रकल्प विश्लेषण

  1. आइए जानते हैं ' मृदा परीक्षण' क्या है, इसकी आवश्यकता क्यों है, मृदा नमूना एकत्र करने की विधि एवं सावधानियां।
  2. जल प्रदूषण विश्लेषण मराठी
  3. मृदा प्रदूषण क्या है, प्रकार, कारण और नियंत्रित के उपाय, प्रभाव, स्रोत pdf
  4. मृदा संरक्षण
  5. मृदा प्रदूषण मराठी माहिती
  6. मृदा प्रदूषण क्या है इसके कारण प्रभाव और नियंत्रण के उपाय?
  7. जल प्रदूषणा विषयी संपूर्ण माहिती


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आइए जानते हैं ' मृदा परीक्षण' क्या है, इसकी आवश्यकता क्यों है, मृदा नमूना एकत्र करने की विधि एवं सावधानियां।

मृदा में पोषक तत्वों का भंडार है, मृदा केेेे सहारे ही पौधे सीधे खड़े रह पाते हैं। पौधों को अपनी वृद्धि एवं विकास के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन तत्वों को दो वर्गों में बांटा गया है। 👉मुख्य तत्व - कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन नाइट्रोजन, फास्फोरस ,पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर 👉सूक्ष्म तत्व - जिंक, मैग्नीज, कॉपर, आयरन, बोरॉन, मोलिब्डेनम व क्लोरीन इन सभी तत्वों का संतुलित मात्रा में प्रयोग से ही गुणवत्ता युक्त पैदावार प्राप्त की जा सकती है। लगातार फसल उत्पादन में वृद्धि एवं बढ़ती सघन खेती के परिणाम स्वरूप पोषक तत्वों का ह्रास भी बढ़ रहा है, परंतु उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग ना होने के कारण इन पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, परिणाम स्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होते जा रही है। मृदा नमूना एकत्र करने की विधि- प्रयोगशाला में सामान्यता मृदा में कार्बनिक पदार्थ, मृदा पीएच मान (अम्लीयता, क्षारीयता, उदासीनता आदि), वैधुत चालकता, नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश आदि की जांच की जाती है। इसके अलावा मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी विश्लेषण किया जाता है। प्राप्त परिणामों के आधार पर पोषक तत्वों के निम्न, पर्याप्त एवं उच्च स्तर के हिसाब से आगे बोई जाने वाली फसल केे लिए उर्वरक एवं खाद की दी जाने वाली मात्राओं की सिफारिश की जाती है, जिसकेेे आधार पर किसान भाई उर्वरक का सार्थक प्रयोग कर अपनी लागत को कम कर सकते हैं एवं अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। नमूना एकत्रीकरण के समय सावधानियां- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना जहां एक ओर किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का माध्यम भी बनी है। इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण युवा ए...

जल प्रदूषण विश्लेषण मराठी

जल प्रदूषणाची निरिक्षण • औद्योगिक वसाहती व कारखान्यांतील रासायनिक पदार्थ कोणत्याही प्रक्रियेविना नदी/नाले व इतर जलस्रोतांमध्ये सोडले जातात. • नदीत कपडे धुणे, भांडी घासणे यामुळे जलप्रदूषण होते. • रासायनिक प्रक्रिया केलेले पाणी पाण्यात मिसळल्याने पाण्यातील मासे मृत पावल्याने पाणी मोठ्या प्रमाणात प्रदूषण होते. जल प्रदूषणाला शहरीकरण, आणि शहरातील अपुरे सांडपाणी व्यवस्थापन हे महत्वाचे कारण आहे. तसेच रोजच्या वापरातील शरीर स्वच्छता आणि घराची स्वच्छता यासाठी वापरण्यात येणारी विविध रसायने यांचा महत्वाचा भाग आहे. जलप्रदूषण आणि आरोग्य पाण्यातून होणाऱ्या संसर्गामुळे मृत्युमुखी पडणाऱ्यांचे प्रमाण सर्वाधिक आहे. विशेषतः पाच वर्षांच्या आतील मुले अशा संसर्गाला बळी पडतात. जगण्यासाठी सजीवांना पाण्याची अत्यंत गरज असते. जगात उपलब्ध असलेल्या पाण्यापैकी फक्त 1 ते 1.5 % पाणीच पिण्यायोग्य आहे. कारण पृथ्वीवरील एकूण पाण्यापैकी जवळजवळ 98 % पाणी हे समुद्र आणि बर्फाच्या स्वरूपात आहे. त्यामुळे पिण्यायोग्य पाणी जपून वापरणे गरजेचे तर आहेच आणि पिण्यायोग्य पाण्यात प्रदूषके मिसळण्यापासून थांबवणेसुद्धा गरजेचे आहे. जलप्रदूषण हे आपल्यासाठी खूप हानिकारक आहे. जलप्रदुषणाची सामान्य कारणे – कचरा व सभान() याचे वापर करणे अनेक कारणांद्वारे जलप्रदूषण होत असते ● औद्योगिक रासायनिक पदार्थ पाण्यात सोडण्याने ● सांडपाणी मैलापाणी जलाशयात सोडल्याने, ● रासायनिक खते, कीटकनाशके पाण्यात मिसळल्याने, ● पाण्यातील जीव मृत होऊन कुजल्याने, ● कचरा किंवा तत्सम पदार्थ पाण्यात टाकल्याने, ● जनावरे, कपडे, भांडी नदीच्या ठिकाणी धुतल्याने, मृत जनावरे नदीत टाकल्याने, ● रासायनिक रंगकाम केलेल्या आणि प्लास्टर ऑफ पॅरिस पासून बनविलेल्या मूर्तींच्या विसर...

मृदा प्रदूषण क्या है, प्रकार, कारण और नियंत्रित के उपाय, प्रभाव, स्रोत pdf

भूमि का वह पतला उर्वर आवरण जिसमें पौधे उगते हैं उस आवरण को मृदा कहते हैं। मृदा का जन्म चट्टानों के अपक्षेयण से होता है। मृदा में वनस्पतियों की वृद्धि और जीवन के लिए आवश्यक तत्व जैसे – वायु, जल, कार्बनिक द्रव्य तथा खनिज के मिश्रण उपस्थित होते हैं। मृदा में अवांछनीय पदार्थों के मिलने से उसकी उर्वरता कम या समाप्त हो जाती है। अतः मृदा में किसी भी प्रकार का भौतिक व रसायनिक परिवर्तन जो पौधों तथा उन पर निर्भर जीवों को प्रभावित करता है मृदा प्रदूषण (soil pollution in Hindi) कहलाता है। मृदा प्रदूषण के कारण मृदा प्रदूषण के विभिन्न कारण या स्रोत निम्न प्रकार से हैं। 1. औद्योगिक अपशिष्ट – औद्योगिक अपशिष्ट मृदा प्रदूषण का एक मुख्य कारक है। चीनी मिल, वस्त्र उद्योग, पेपर उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि ऐसे प्रमुख उद्योग हैं जिनसे मृदा प्रदूषण होता है। 2. घरेलू व शहरी अपशिष्ट – घरेलू व शहरी अपशिष्ट में कूड़ा करकट, प्लास्टिक, कागज, कांच, पॉलीथिन के थैले, खाद्य अपशिष्ट आदि सम्मिलित हैं। 3. कृषि रासायनिक पदार्थ – उर्वरकों, पीड़क नाशकों, खरपतवार नाशकों आदि रसायनों का प्रयोग कृषि के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए तथा फसलों के बचाने में किया जाता है लेकिन इन रसायनों से मृदा प्रदूषण होता है। 4. पीड़क नाशक – वे रसायन जो अवांछनीय सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोक देते हैं या उन्हें नष्ट कर देते हैं। पीड़क नाशक कहलाते हैं। इन रसायन का आहार श्रृंखला में प्रवेश करना, जंतुओं और मानव के स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव डालता है। पढ़ें... ओजोन परत क्या है, इसका क्षरण, महत्व और प्रभाव, ओजोन छिद्र pdf पढ़ें… जल प्रदूषण क्या है निबंध हिंदी में, कारण, प्रभाव, प्रकार | water pollution in Hindi मृदा प्रदूषण के प्रभाव • कूड़ा,...

मृदा संरक्षण

अनुक्रम • 1 मृदा संरक्षण की विधियाँ • 1.1 जैविक खाद • 1.2 वन संरक्षण • 1.3 वृक्षारोपण • 1.4 बाढ़ नियंत्रण • 1.5 नियोजित चराई • 1.6 बंध बनाना • 1.7 सीढ़ीदार खेत बनाना • 1.8 समोच्चरेखीय जुताई (कण्टूर जुताई) • 1.9 कृषि की पट्टीदार विधि अपनाना • 1.10 शस्यावर्तन • 1.11 भूमि उद्धार • 2 सन्दर्भ • 3 इन्हें भी देखे Bhoomi मृदा संरक्षण की विधियाँ [ ] उपरोक्त विधियों का विवरण नीचे दिया गया है: जैविक खाद [ ] जैविक खेती में बहुत सी खादों का प्रयोग किया जाता है, किन्तु जैविक खाद के प्रयोग से भूमि अवस्था में सुधार होता है, जिससे भूमि में वायु संचार में वृद्धि होती है, जीवांश पदार्थ का निर्माण होता है। वायुमंडल की नाइट्रोजन का पौधों में स्थितिकरण बढ़ जाता है और इसके फलस्वरूप उत्पाद में वृद्धि होती है। वन संरक्षण [ ] वनों के वृक्षों की अंधाधुंध कटाई मृदा अपरदन का प्रमुख कारण है। वृक्षों की जड़ें मृदा पदार्थों को बांधे रखती हैं। यही कारण है कि सरकारों ने वनों को ‘सुरक्षित’ घोषित कर दिया है तथा इन वनों में वृक्षों की कटाई पर रोक लगा दी हैं। मृदा संरक्षण की यह विधि सभी प्रकार के भू-भागों के लिए उपयुक्त है। वनों को वर्षा लाने वाले ‘दूत’ कहा जाता है। इनसे मृदा निर्माण की प्रक्रिया तेज हो जाती है। वृक्षारोपण [ ] नदी घाटियों, बंजर भूमियों तथा पहाड़ी ढालों पर वृक्ष लगाना मृदा संरक्षण की दूसरी विधि है। इससे इन प्रदेशों में मृदा का अपरदन कम हो जाता हैं। मरूस्थलीय सीमान्त क्षेत्रों में पवन-अपरदन को नियंत्रित करने के लिए वृक्षारोपण एक प्रभावी उपाय है। मरूस्थलीय क्षेत्रों के सीमावर्ती भागों में वृक्ष लगाकर रेगिस्तानी रेत को खेतों में जमने से रोका जा सकता है। इस तरह मरूस्थलीय क्षेत्रों की वृद्धि पर अंकु...

मृदा प्रदूषण मराठी माहिती

• • • • • • • • • • • • • • • जमिनीवर नैसर्गिक घटक (नद्या, सरोवरे, पिके, वनस्पती, जलाशय, खनिज क्षेत्र इत्यादी) व सांस्कृतिक घटक (इमारती, मंदिरे, कार्यालये, रस्ते, वस्त्या, लोहमार्ग, उद्योगधंदे, धरण प्रकल्प इ.) आढळतात. काही जमीन शेती, वनस्पतीसाठी उपयोगी पडते, तर काही जमिनीवर पावसाअभावी वाळवंटे आहेत. काही भाग डोंगराळ आहेत. शेती वनस्पतीच्या दृष्टीने ‘मृदा’, ‘भूमी’ महत्त्वाची असते. या मृदेला आर्द्रतेचा पुरवठा झाला की, ती वनस्पतींच्या वाढीला उपयुक्त बनते. मृदेपासून विटा, मातीची भांडी तयार करतात. इमारतीसाठी मातीचा (मृदेचा) उपयोग होतो. ‘मृदा’ म्हणजे जमीन. योग्य हवामान उपलब्ध असले तर ही खनिज घटकयुक्त मृदा पिकांच्या व वनस्पतींच्या वाढीला उपयुक्त असते. विशेषत: तापमान व आर्द्रता ( वाळवंटात पाण्याअभावी मृदा नापीक बनत; शिवाय मृदेचा पीकउत्पादनासाठी वापर करताना अति सेंद्रिय खनिज गुणधर्माची मृदा सुपीक असते. मृदेच्या निर्मितीस हजारो वर्षांचा काळ लागतो. मृदा प्रदूषण व्याख्या जमिनी/मातीमध्ये विविध प्रकारच्या विषारी रासायनिक द्रव्यांचे आक्रमण होणे म्हणजे मृदा किंवा भूमी प्रदूषण होय. भूमीच्या/मृदेच्या जैविक, रासायनिक, भौतिक गुणधर्मात अनावश्यक परिवर्तन किंवा अमर्याद वाढ झाल्याने सजीवांचे जगणे अवघड होते. त्या मृदेचे नैसर्गिक गुणधर्म व उपयोग नष्ट होतात. जमीन नापीक व निरुपयोगी बनते. त्यालाच मृदाप्रदूषण म्हणतात. मृदा प्रदूषण, Soil Pollution १) रासायनिक खते व कीटकनाशके यांचा अतिवापर कोणत्याही पिकाच्या वाढीसाठी नायट्रोजन, फॉस्फरस व पोटॅशियम हे तीन महत्त्वाचे घटक आवश्यक आहेत. घटक घटकप्राप्तीसाठी वापरली जाणारी काही रासायनिक खते नायट्रोजन अमोनियम सल्फेट, अमोनियम नायट्रेट, अमोनियम क्लोराइड युरिया, NPK 20...

मृदा प्रदूषण क्या है इसके कारण प्रभाव और नियंत्रण के उपाय?

मृदा प्रदूषण किसे कहते हैं | soil pollution in hindi जब शुद्ध मिट्टी में प्राकृतिक और कृत्रिम प्रक्रिया के द्वारा विभिन्न प्रकार की रसायनिक तत्व, लवण, खनिज तत्व, कार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक तत्व, विषैली गैस, प्रदूषित जल एवं रेडियोधर्मी तत्व इतियादी मिलकर शुद्ध मिट्टी के निश्चित अनुपात को अनिश्चित अनुपात में परिवर्तित कर देते हैं। जिससे मिट्टी की प्राकृतिक गुणधर्म, संरचना परिवर्तित होने लगती हैं, उसे मृदा प्रदूषण कहा जाता है। मिट्टी पृथ्वी के ऊपरी सतह वह महत्वपूर्ण भाग होता है जिसमें वायु , पानी , कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ मिले हुए होते हैं, जिस पर पेड़ पौधे वनस्पति उगते हैं और इन पेड़ पौधे और वनस्पति के माध्यम से जंतुओं को पोषण और खाद्य मिलता है। अर्थात मिट्टी में जीव धारियों के लिए जीवन संभव हो पाता है पेड़ पौधों, जीव धारियों को भोजन, प्राकृतिक आवास प्राप्त होता है उसे मिट्टी कहा जाता है। मृदा प्रदूषण के कारण क्या है परंतु आज के आधुनिकीकरण और शहरीकरण के कारण जनसंख्या वृद्धि बहुत तेज गति से हो रही है जिसके कारण मिट्टी पर खाद्य पदार्थों की पैदावार का दबाव बढ़ते जा रहे हैं बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्य पदार्थों को पूरा करने के लिए अधिक फसल पैदावार के लिए मनुष्य द्वारा कृषि कार्य के समय अनेक कवकनाशी कीटनाशक रसायनिक खाद रसायनों का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है जिसके कारण धीरे-धीरे कृषि भूमि की उर्वरता कम होती जाती है। साथ ही साथ औद्योगिकीकरण के कारण अनेक विषैले तत्व जैसे सल्फर डाई ऑक्साइड नाइट्रस ऑक्साइड अमली वर्षा के माध्यम से मृदा में मिल जाती है। वैसे ही तापी संयंत्र से निकलने वाली फ्लाई एस एवं राख हवा और पानी के माध्यम से मृदा में मिलती जाती है। शहरीकरण के सीव...

जल प्रदूषणा विषयी संपूर्ण माहिती

Water Pollution Information in Marathi विश्वाला भेडसावत असलेली समस्या ती म्हणजे प्रदूषण, प्रदूषणामुळे निसर्गाला मोठ्या प्रमाणात त्रास होत आहे, आणि निसर्गाला त्रास होणे म्हणजेच अप्रत्यक्षपणे पृथ्वीवर राहणाऱ्या सजीवांना. प्रदूषणाचे अनेक प्रकार पाहायला मिळतात. ज्याप्रमाणे मागच्या काही लेखांमध्ये आपण आजच्या लेखात आपण प्रदूषणाचा राहिलेला प्रकार, जो कि जल प्रदूषण आहे, तर आज जल प्रदूषणाविषयी माहिती पाहणार आहोत, आशा करतो मागील लेखाप्रमाणे हा लेख सुद्धा आपल्याला आवडणार. तर चला पाहूया. जल प्रदूषणा विषयी संपूर्ण माहिती –Water Pollution Information in Marathi Water Pollution Information in Marathi सर्वप्रथम आपण पाहूया कि प्रदूषण म्हणजे काय तर, प्रदूषण म्हणजे काय? – Meaning of Pollution प्रदूषणामुळे पर्यावरणाला जी हानी पोहचते, त्याला आपण प्रदूषण म्हणतो, आजच्या काळात प्रदूषणाला कमी करण्यासाठी त्यावर उपाययोजना करण्याची आवश्यकता आहे. प्रदूषणाला मुख्यता तीन प्रकारांमध्ये विभागल्या गेले आहे, ते असे जल प्रदूषण, वायू प्रदूषण आणि जल प्रदूषण म्हणजे काय? – Jal Pradushan Mhanje Kay मानवी कृत्यांमुळे पाण्याच्या नैसर्गिक गुणवत्तेमध्ये झालेले बदल, आणि तेच जेव्हा पाणी सजीवांच्या पिण्यायोग्य राहत नाही तेव्हा जे प्रदूषण होते त्या प्रदूषणाला “जल प्रदूषण” म्हणतात. जल प्रदूषणाची कारणे आणि परिणाम – Causes of Water Pollution जल प्रदूषण घडण्यामागे काही कारणे आहेत, ते खालीलप्रमाणे. • जेव्हा कारखान्यातील उत्सर्जित अपशिष्ट कार्बनी पदार्थ मलवाहिन्यांतून नदी, समुद्र, आणि इतर पाण्याच्या स्त्रोतांमध्ये मिसळतात तेव्हा पाण्याचे प्रदूषण होते, जलाशयातील सजीवांना या कार्बनी पदार्थांमुळे यामुळे ऑक्सिजन ची कमतरता भासते आण...