मां कालरात्रि का भोग क्या है

  1. Navratri
  2. Navratri 2021
  3. चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, आज करें मां कालरात्रि की पूजा, जान लें पूजन विधि
  4. navratri 2022 devi puja vidhi navaratri nine days mantra muhurat mpap
  5. चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, आज करें मां कालरात्रि की पूजा, जान लें पूजन विधि और मंत्र


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Navratri

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मां दुर्गा ने रक्तबीज का संहार करने के लिए मां कालरात्रि का अवतार धारण किया। मां कालरात्रि की पूजा से भक्तों को हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। मां आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाली हैं और अपने उपासकों को काल से बचाती हैं। मां के भक्त अकाल मृत्यु से दूर हो जाते हैं। मां कालरात्रि को सभी सिद्धियों की देवी कहा जाता है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा के लिए सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। मंदिर की साफ-सफाई कर मां का स्मरण करें। मां को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक अर्पित करें। मां की पूजा कथा करें। अपनी क्षमता के अनुसार दान करें। तंत्र मंत्र के उपासक इस दिन मां की विशेष रूप से पूजा करते हैं। मां का नाम लेने मात्र से भूत, प्रेत, राक्षस, दानव सभी भाग जाते हैं। मां की पूजा में गुड़ के भोग का विशेष महत्व है। मां को पूजा में फूल, सिंदूर, कुमकुम, रोली अर्पित करें। मां को नींबू से बनी हुई माला पहनाएं और गुड़ या इससे बनी हुई चीजों का भोग लगाएं। कर्पूर, घी का दीपक जलाकर मां का स्मरण करें। दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद विधिवत तरीके से मां कालरात्रि की आरती करें। दुष्टों का नाश करने के लिए आदिशक्ति ने यह रूप धारण किया। भक्तों के लिए मां कालरात्रि सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली हैं। इस कारण मां का नाम शुभंकारी भी है। मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहते हैं।अग्नि भय, जल भय, शत्रु भय, रात्रि भय कभी नहीं होता।

Navratri 2021

मंगलवार, 12 अक्टूबर को ‘शारदीय नवरात्रि’ का सातवां दिन है। यानी, मां ‘कालरात्रि’ का दिन है, नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप ‘मां कालरात्रि’ की पूजा- अर्चना की जाती है। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, दुर्गा मां की पूजा का सातवां दिन भी नवरात्रि के दिनों में बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको ‘शुभंकरी’ भी कहा जाता है। कहा जाता है कि ‘मां कालरात्रि’ की पूजा करने से काल का नाश होता है। मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ‘मां कालरात्रि’ की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता। आइए जानें ‘मां कालरात्रि’ की पूजा-विधि और महिमा पूजा-विधि मान्यताओं के मुताबिक, नवरात्रि के सप्तम दिन ‘मां कालरात्रि’ की पूजा करने से जातक के समस्त शत्रुओं का नाश होता है। माता की पूजा पूर्णतया: नियमानुसार शुद्ध होकर एकाग्र मन से की जानी चाहिए। माता काली को गुड़हल का पुष्प अर्पित करना चाहिए। कलश पूजन करने के उपरांत माता के समक्ष दीपक जलाकर रोली, अक्षत से तिलक कर पूजन करना चाहिए और मां काली का ध्यान कर वंदना श्लोक का उच्चारण करना चाहिए। यह भी पढ़ें • इसका लगाएं भोग तत्पश्चात मां का स्तोत्र पाठ करना चाहिए। ‘मां कालरात्रि’ को गुड़ बहुत प्रिय है, इसलिए ‘महासप्‍तमी’ (Maha Saptami) के दिन उन्‍हें इसका भोग लगाना शुभ माना जाता है। मान्‍यता है कि मां को गुड़ का भोग चढ़ाने और ब्राह्मणों को दान करने से वह प्रसन्‍न होती हैं और सभी विपदाओं का नाश करती हैं। पसंद है गुड़हल का फूल ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, माता काली एवं ‘कालरात्रि’ को गुड़हल का फूल बहुत पसंद है। इन्हें 108 लाल गुड़हल का फ...

चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, आज करें मां कालरात्रि की पूजा, जान लें पूजन विधि

उदयपुर में 2 भाइयों ने किया बहन से गैंग रेप: बुआ के घर आई थी 11 साल की पीड़िता, तभी खेल-खेल में कर बैठे क्राइम © News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, आज करें मां कालरात्रि की पूजा, जान लें पूजन विधि" 7th day of Mata Kalratri Puja: इस समय भारत वर्ष में नवरात्रि का पवित्र त्योहार मनाया जा रहा है. नवरात्रि के 9 दिनों में भक्त माता के नौ रूपों का विधि-विधान से पूजा करते हैं. नवरात्रि के सातवें दिन माता दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है. माता कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला होता है. मां के बाल लंबे और बिखरे हुए होते हैं. गले में माला है, जो बिजली की तरह चमकती रहती है. माता कालरात्रि के चार हाथ हैं. मां के इन हाथों में खड़क, लोहअस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कैसे करें माता कालरात्रि की पूजा और क्या है इनके मंत्र. माता कालरात्रि की पूजा-विधि नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद माता की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं. मां को लाल वस्त्र अर्पित करें. मां को पुष्प अर्पित करें, रोली कुमकुम लगाएं. मिष्ठान, पंचमेवा, पांच प्रकार के फल माता को भोग में लगाएं. माता कालरात्रि को शहद का भोग अवश्य लगाना चाहिए. इसके बाद माता कालरात्रि की आरती करें. माता कालरात्रि को रातरानी पुष्प अति प्रिय है. पूजन के बाद माता रानी के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है. यह भी पढ़ें – मन्त्र देवी कालरात्रि की पूजा का मंत्र ‘दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे. चाम...

navratri 2022 devi puja vidhi navaratri nine days mantra muhurat mpap

Navratri 2022: नवरात्रि का पावन पर्व आज से शुरू होने जा रहा है. 9 दिनों तक भक्त माता की भक्ति में लीन रहते हैं. इस दौरान पूरे देश में उत्सव का माहौल होता है. मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ जुटती है. हर जगह माता के जयकारे गूंजते हैं. ऐसे में किस दिन किस देवी मां की पूजा की जाती है. इसकी पूरी जानकारी हम आपको बताने जा रहे हैं. Navratri 2022: आज से नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है. नौ दिनों में माता के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है. इन दिनों की अलग-अलग पूजा विधि होती है, जबकि नौ दिनों के लिए अलग-अलग मंत्री भी शास्त्रों में बनाए गए हैं. शास्त्रों के हिसाब से 9 दिनों में इन्ही मंत्रों के साथ माता की पूजा की जाती है. खास बात यह है कि अलग-अलग दिन माता को भोग भी अलग-अलग ही लगाया जाता है. नवरात्रि पर पूजन विधि से जुड़ी पूरी जानकारी हम आपको बताने जा रहे हैं. पहले दिन मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवे दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री के रूप में माता को पूजा जाता है. हर दिन मां के अलग-अलग मंत्रों का उच्चारण करने से मनोकामना पूरी होती है और व्रत सफल होता है. 1. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. कहा जाता है इस दिन मां को गाय के घी का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से रोगों और हर संकट से मुक्ति मिलती है. मंत्र: वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥ 2.दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. उन्हें शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से लंबी आयु वरदान मि...

चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, आज करें मां कालरात्रि की पूजा, जान लें पूजन विधि और मंत्र

नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. माता कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला होता है. 7th day of Mata Kalratri Puja: इस समय भारत वर्ष में नवरात्रि का पवित्र त्योहार मनाया जा रहा है. नवरात्रि के 9 दिनों में भक्त माता के नौ रूपों का विधि-विधान से पूजा करते हैं. नवरात्रि के सातवें दिन माता दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है. माता कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला होता है. मां के बाल लंबे और बिखरे हुए होते हैं. गले में माला है, जो बिजली की तरह चमकती रहती है. माता कालरात्रि के चार हाथ हैं. मां के इन हाथों में खड़क, लोहअस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कैसे करें माता कालरात्रि की पूजा और क्या है इनके मंत्र. माता कालरात्रि की पूजा-विधि नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद माता की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं. मां को लाल वस्त्र अर्पित करें. मां को पुष्प अर्पित करें, रोली कुमकुम लगाएं. मिष्ठान, पंचमेवा, पांच प्रकार के फल माता को भोग में लगाएं. माता कालरात्रि को शहद का भोग अवश्य लगाना चाहिए. इसके बाद माता कालरात्रि की आरती करें. माता कालरात्रि को रातरानी पुष्प अति प्रिय है. पूजन के बाद माता रानी के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है. यह भी पढ़ें – मन्त्र देवी कालरात्रि की पूजा का मंत्र ‘दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे. चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमोऽस्तु ते। या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’...