मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड विभव

  1. इलेक्ट्रोड विभव , ऑक्सीकरण & अपचयन विभव Oxidation & reduction potential – 11th , 12th notes In hindi
  2. इलेक्ट्रोड विभव किसे कहते हैं
  3. [Solved] एक मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के मामले में:
  4. मानक इलेक्ट्रोड विभव
  5. विद्युत रासायनिक श्रेणी , विशेषताएँ , मानक इलेक्ट्रोड विभव , सेल आरेख , डेनियल सेल का सेल आरेख – 11th , 12th notes In hindi


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इलेक्ट्रोड विभव , ऑक्सीकरण & अपचयन विभव Oxidation & reduction potential – 11th , 12th notes In hindi

इलेक्ट्रोड विभव (Electrode potential in hindi ): ऑक्सीकरण & अपचयन विभव Oxidation & reduction potential in hindi जब किसी धातु की छड़ को उसके आयनों के इसका मान निम्न कारको पर निर्भर करता है। (1) धातु द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृति। (2) विलयन में धातु आयन की सान्द्रता। (3) विलयन का ताप इलेक्ट्रोड विभव दो प्रकार का होता है। (1) ऑक्सीकरण विभव (Oxidation potential ) : जब धातु , धातु आयन में परिवर्तन होती है तो उत्पन्न विभव को ऑक्सीकरण विभव कहते है। उदाहरण : Ag → Ag + + e – (E Ag/Ag+ = – 0.8v) Cu → Cu 2+ + 2e – (E cu/Cu2+ = – 0.34v) (2) अपचयन विभव (reduction potential ): जब धातु आयन , धातु में परिवर्तन होता है तो उत्पन्न उदाहरण : Ag + + e – → Ag (E Ag+/Ag = + 0.8v ) Cu 2+ + 2e – → Cu (E Cu2+/Cu = + 0.34v) नोट : जब 0 से व्यक्त करते है। नोट : किसी एक धातु का मानक ऑक्सीकरण विभव तथा मानक अपचयन विभव के मान तो समान होते है परन्तु चिन्ह अलग अलग होते है जैसे सिल्वर इलेक्ट्रोड के लिए। सिल्वर का मानक ऑक्सीकरण विभव E Ag/Ag+ = – 0.8v सिल्वर का मानक अपचयन विभव E Ag+/Ag = + 0.8v

इलेक्ट्रोड विभव किसे कहते हैं

जब किसी धातु की छड़ को उसके लवण के विलयन में रखा जाता है तो धातु की छड़ पर धन या ऋण आवेश आ जाता है। तब इस प्रकार की छड़ को इलेक्ट्रोड कहते हैं। एवं इस पूरे उपकरण को अर्द्ध सेल कहते हैं। इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अभिक्रिया होती हैं। अर्थात जिन इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण होता है उनको एनोड कहते हैं। एवं जिन इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है उन्हें कैथोड कहते हैं। इलेक्ट्रोड विभव जब किसी धातु की छड़ को उसके लवण के विलयन में डूबोते हैं तो धातु की छड़ विलयन के सापेक्ष धन या ऋणावेशित हो जाती है। इस प्रकार धातु की छड़ तथा विलयन के मध्य विभवांतर स्थापित हो जाता है। जिसे इलेक्ट्रोड विभव (electrode potential in Hindi) कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित करते हैं। M (s) \longrightarrow M n+ (aq) + ne – इलेक्ट्रोड विभव को प्रायः वोल्ट में मापा जाता है। इसका मान धातु की छड़ एवं लवण के विलयन की प्रकृति पर निर्भर करता है। इलेक्ट्रोड को प्रभावित करने वाले कारक • ताप का प्रभाव –इलेक्ट्रोड विभव का मान ताप पर निर्भर करता है एवं ताप बढ़ाने पर इलेक्ट्रोड विभव का मान बढ़ जाता है। • मोलरता का प्रभाव – विलयन की सांद्रता (मोलरता) वृद्धि करने पर इलेक्ट्रोड विभव का मान कम हो जाता है। • सुचालक की प्रकृति – जो धातुएं विद्युत की अच्छी सुचालक होती हैं उनमें इलेक्ट्रॉन प्रवाह की प्रवृत्ति अधिक होती है अतः उनके इलेक्ट्रोड विभव भी अधिक होते हैं। मानक इलेक्ट्रोड विभव किसी धातु की छड़ को 25°C ताप पर एक मोलर आयतन के विलयन में डुबोते हैं तो धातु की छड़ तथा विलयन के मध्य जो विभवांतर उत्पन्न होता है। उसे मानक इलेक्ट्रोड विभव (standard electrode potential in Hindi) कहते हैं। इसे E o से प्रदर्शित करते हैं। \footnotesize \...

[Solved] एक मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के मामले में:

• मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड एक अपचयोपचय (रेडॉक्स) इलेक्ट्रोड है जो ऑक्सीकरण-कमी की संभावनाओं के ऊष्मागतिक स्केल का आधार बनाता है। • इलेक्ट्रोड विभव दो इलेक्ट्रोड से निर्मित सेल का इलेक्ट्रोमोटिव बल है। • मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (संक्षिप्त रूप में SHE), एक रेडॉक्स इलेक्ट्रोड है जो ऑक्सीकरण-कमी क्षमता के थर्मोडायनामिक पैमाने का आधार बनाता है। • इसकी पूर्ण इलेक्ट्रोड क्षमता 25 °C पर 4.44 ± 0.02 V होने का अनुमान है, लेकिन अन्य सभी विद्युत अभिक्रियाओं के साथ तुलना के लिए आधार बनाने के लिए, हाइड्रोजन की मानक इलेक्ट्रोड क्षमता ( E°) किसी भी तापमान पर शून्य वोल्ट घोषित की जाती है।

मानक इलेक्ट्रोड विभव

साम्यावस्था में मानक इलेक्ट्रोड विभव (standard electrode potentials) कहते हैं। जब तत्वो को उनके इनका उपयोग नीचे की सूची में मानक एलेक्ट्रोड विभव सारणी में दर्शाये गये विभव के मान निम्नलिखित स्थितियों में सत्य होंगे- • तापमान: 298.15 K (25°C); • the • the • the प्रतीक: ( s) – ठोस; ( l) – द्रव; ( g) – गैस; ( aq) – जलीय (aqueous) (default for all charged species); ( Hg) – अमलगम (amalgam) E° (V) Ref. & -9 Zz 9 N 3 2 2( g) + H + + e − ⇄ 3( aq) -3.09−3.09 + + e − ⇄ Li( s) -3.0401−3.0401 N 2( g) + 4 H 2O + 2 e − ⇄ 2 2OH( aq) + 2 OH − -3.04−3.04 + + e − ⇄ Cs( s) -3.026−3.026 + + e − ⇄ Rb( s) -2.98−2.98 + + e − ⇄ K( s) -2.931−2.931 2+ + 2 e − ⇄ Ba( s) -2.912−2.912 3( s) + 3 e − ⇄ La( s) + 3OH − -2.90−2.90 2+ + 2 e − ⇄ Sr( s) -2.899−2.899 2+ + 2 e − ⇄ Ca( s) -2.868−2.868 2+ + 2 e − ⇄ Eu( s) -2.812−2.812 2+ + 2 e − ⇄ Ra( s) -2.8−2.8 + + e − ⇄ Na( s) -2.71−2.71 3+ + 3 e − ⇄ La( s) -2.379−2.379 3+ + 3 e − ⇄ Y( s) -2.372−2.372 2+ + 2 e − ⇄ Mg( s) -2.372−2.372 ZrO(OH) 2( s) + H 2O + 4 e − ⇄ Zr( s) + 4OH − -2.36−2.36 Al(OH) 4 − + 3 e − ⇄ Al( s) + 4 OH − -2.33−2.33 Al(OH) 3( s) + 3 e − ⇄ Al( s) + 3OH − -2.31−2.31 2( g) + 2 e − ⇄ 2 H − -2.25−2.25 3+ + 3 e − ⇄ Ac( s) -2.20−2.20 2+ + 2 e − ⇄ Be( s) -1.85−1.85 3+ + 3 e − ⇄ U( s) -1.66−1.66 3+ + 3 e − ⇄ Al( s) -1.66−1.66 2+ + 2 e − ⇄ Ti( s) -1.63−1.63 2( s) + 4 H + + 4 e − ⇄ Zr( s) + 2 H 2O -1.553−1.553 4+ + 4 e − ⇄ Zr( s) -1.45−1.45 s) + 2 H + + 2 e − ⇄ Ti( s) + H 2O -1.31−1.31 2O 3( s) + 2 H + + 2 e − ⇄ 2 TiO( s) + H 2O -1.23−1.23 Ti 3+ + 3 ...

विद्युत रासायनिक श्रेणी , विशेषताएँ , मानक इलेक्ट्रोड विभव , सेल आरेख , डेनियल सेल का सेल आरेख – 11th , 12th notes In hindi

या Zn / ZnSO 4 // CuSO 4 / Cu सेल आरेख बनाने के मुख्य बिंदु निम्न है – 1. सेल आरेख में एनोड को बायीं ओर तथा कैथोड को दाई ओर लिखते है। 2. एनोड व कैथोड के मध्य खड़ी रेखा लवण सेतु को व्यक्त करती है। 3. 4. डेनियल सेल का सेल आरेख : (a) इलेक्ट्रोड विभव : जब किसी धातु की छड को उसके आयनों के विलयन में डुबोया जाता है तो धातु व आयनों के मध्य उत्पन्न उत्पन्न विभव को इलेक्ट्रोड यह दो प्रकार के होते है – 1. ऑक्सीकरण विभव : • इस श्रेणी में सभी अभिक्रियाओं को • जिस इलेक्ट्रोड का मानक अपचयन विभव ऋणात्मक होता है उसे मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के सापेक्ष एनोड के रूप में तथा जिस इलेक्ट्रोड का मानक अपचयन विभव धनात्मक होता है उसे मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के सापेक्ष कैथोड के रूप में लिखा जाता है। • किसी इलेक्ट्रोड के मानक अपचयन विभव व मानक ऑक्सीकरण विभव के मान समान होते है परन्तु चिन्ह विपरीत होते है। • विद्युत रासायनिक श्रेणी में मानक अपचयन विभव के मान ऋणात्मक से शून्य की ओर तथा शून्य से धनात्मक की ओर अर्थात बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित होते है। विद्युत रासायनिक श्रेणी के अनुप्रयोग