Mangal stotra

  1. Runa Mochaka Angaraka (Mangala) Stotram
  2. सिद्ध मंगल स्तोत्र : Siddha Mangal Stotra
  3. ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ
  4. Mangal Stotram
  5. मंगलचण्डिका मन्त्र स्तोत्र


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Runa Mochaka Angaraka (Mangala) Stotram

skanda uvāca | r̥ṇagrasta narāṇāntu r̥ṇamuktiḥ kathaṁ bhavēt | brahmōvāca | vakṣyēhaṁ sarvalōkānāṁ hitārthaṁ hitakāmadam | asya śrī aṅgāraka stōtra mahāmantrasya gautama r̥ṣiḥ anuṣṭup chandaḥ aṅgārakō dēvatā mama r̥ṇa vimōcanārthē japē viniyōgaḥ | dhyānam | raktamālyāmbaradharaḥ śūlaśaktigadādharaḥ | caturbhujō mēṣagatō varadaśca dharāsutaḥ || 1 || maṅgalō bhūmiputraśca r̥ṇahartā dhanapradaḥ | sthirāsanō mahākāyō sarvakāmaphalapradaḥ || 2 || lōhitō lōhitākṣaśca sāmagānāṁ kr̥pākaraḥ | dharātmajaḥ kujō bhaumō bhūmijō bhūminandanaḥ || 3 || aṅgārakō yamaścaiva sarvarōgāpahārakaḥ | sr̥ṣṭēḥ kartā ca hartā ca sarvadēvaiścapūjitaḥ || 4 || ētāni kuja nāmāni nityaṁ yaḥ prayataḥ paṭhēt | r̥ṇaṁ na jāyatē tasya dhanaṁ prāpnōtyasaṁśayaḥ || 5 || aṅgāraka mahīputra bhagavan bhaktavatsalaḥ | namō:’stu tē mamā:’śēṣa r̥ṇamāśu vināśaya || 6 || raktagandhaiśca puṣpaiśca dhūpadīpairguḍōdakaiḥ | maṅgalaṁ pūjayitvā tu maṅgalāhani sarvadā || 7 || ēkaviṁśati nāmāni paṭhitvā tu tadantikē | r̥ṇarēkhāḥ prakartavyāḥ aṅgārēṇa tadagrataḥ || 8 || tāśca pramārjayētpaścāt vāmapādēna saṁspr̥śat | mūlamantraḥ | aṅgāraka mahīputra bhagavan bhaktavatsala | namō:’stutē mamāśēṣar̥ṇamāśu vimōcaya || ēvaṁ kr̥tē na sandēhō r̥ṇaṁ hitvā dhanī bhavēt || mahatīṁ śriyamāpnōti hyaparō dhanadō yathā | arghyam | aṅgāraka mahīputra bhagavan bhaktavatsala | namō:’stutē mamāśēṣar̥ṇamāśu vimōcaya || bhūmiputra mahātējaḥ svēdōdbhava pinākinaḥ | r̥ṇārtastvāṁ prapannō:’smi gr̥hāṇārghyaṁ namō:’stu tē || 12 || See more

सिद्ध मंगल स्तोत्र : Siddha Mangal Stotra

सिद्ध मंगल स्तोत्र सिद्ध मंगल स्तोत्रम गीते श्रीपाद श्रीवल्लभांच्या दैवी क्रिया, गुण आणि उत्पत्तीचे वर्णन करतात. या स्तोत्राची एक रंजक कथा अशी आहे की श्रीपादांचे आजोबा श्री बापनाचार्यलु यांनी या स्तोत्राचा जप आनंदात केला होता जेव्हा त्यांना कळाले कि, भगवान दत्तांचा त्यांच्या घरी नातू म्हणून जन्म होणार आहे. या स्तोत्राचे पठण करण्यासाठी कोणताही विधीनिषेध नाही. श्रीपाद श्रीवल्लभ चरित्रामृत ग्रंथात सतराव्या अध्यायात सिद्ध मंगल स्तोत्र येते. १)श्री मदनंत श्रीविभुषीत अप्पल लक्ष्मी नरसिंह राजा । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ २)श्री विद्याधरी राधा सुरेखा श्री राखीधर श्रीपादा । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ ३)माता सुमती वात्सल्यामृत परिपोषित जय श्रीपादा । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ ४)सत्यऋषीश्र्वरदुहितानंदन बापनाचार्यनुत श्रीचरणा । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ ५)सावित्र काठकचयन पुण्यफला भारद्वाज ऋषी गोत्र संभवा । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ ६)दौ चौपाती देव लक्ष्मीगण संख्या बोधित श्रीचरणा । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ ७)पुण्यरूपिणी राजमांबासुत गर्भपुण्यफलसंजाता । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ ८)सुमतीनंदन नरहरीनंदन दत्तदेव प्रभू श्रीपादा । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ ९)पीठिकापूर नित्यविहारा मधुमतीदत्त मंगलरूपा । जय विजयीभव, दिग्विजयीभव, श्रीमदखंड श्री विजयीभव ॥ श्रीपाद श्रीवल्लभ स्वामींचे हे सिद्ध मंगल स्तोत्र आवडते स्तोत्र आहे. सिद्ध मंगल स्तोत्राच्या ओळींचा अर्थ समजून त्याचे पठण केल्याने खूप फायदे आहेत आणि भगवान दत...

ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ

जैसा कि हम सभी जानते हैं, हनुमान जी को संकट मोचक माना जाता है। इसके साथ ही, यदि आप किसी कर्ज या वित्तीय कठिनाई से गुजर रहे हैं, तो आपको राहत दिलाने के लिए आज हम ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ pdf लेकर आए हैं। यह स्तोत्र बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है और आमतौर पर उन भक्तों द्वारा पढ़ा जाता है जो वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं या फिर कर्जे में डूबे हुए हैं। Rin Mochan Mangal Stotra भगवान हनुमान जी को संबोधित करता है जिसमें बजरंगबली को सामने आने वाली समस्त बाधाओं का निवारण तथा कर्ज से मुक्ति की प्रार्थना की गई है। हनुमान जी को शक्ति और भक्ति का अवतार माना जाता है। इस स्तोत्र से भक्तों की वित्तीय कठिनाइयों से निजात मिलती है और उन्हें समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इस स्तोत्र को मंगलवार को करना अच्छा माना जाता है क्योंकि मंगलवार हनुमान जी और मंगल ग्रह से संबंधित है इस दिन हनुमान जी की पूजा पाठ करने से कई दोस्तों से मुक्ति मिलती है मंगलवार को मुख्यता हनुमान जी की पूजा होती है और इन्हें प्रमुख देव के रूप में भी माना जाता है। आप इस पाठ को प्रत्येक मंगलवार को कर सकते हैं और इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि मंगलवार के शुभ मुहूर्त पर ही इस पाठ को करें। ऋणमोचक मंगल स्तोत्र मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः। स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।। लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः। धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।। स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः। न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।। अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल। त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।। ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः। भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।। अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्म...

Mangal Stotram

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मंगलचण्डिका मन्त्र स्तोत्र

या एक से अधिक विवाह का यह है तो अवश्य यह अनुष्ठान करना या करवाना चाहिए | मंत्र आं ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मंगलचण्डिके हूं हूं फट् स्वाहा | ( देवी भागवते ) मङ्गल चण्डिका स्तोत्र || ध्यानम् || देवीं षोडशवर्षीयां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम् | बिंबोष्ठीं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभानननाम् || श्वेतचंपकवर्णाभां सुनीलोत्पल लोचनाम् | जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम् | संसार सागरे घोरे ज्योतिरुपां सदाभजे || || स्तोत्रम् || || महादेव उवाच || रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मंगलचण्डिके | हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके || १ || हर्ष मंगलदक्षे च हर्षमंगलदायिके | शुभे मंगलदक्षे च शुभे मंगलचण्डिके || २ || मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगलमंगले | सतां मंगलदे देवि सर्वेषां मङ्गलालये || ३ || पूज्ये मंगलवारे च मङ्गलाभीष्ट देवते | पूज्ये मंगलभूपस्य मनुवंशस्य संततम् || ४ || मंगलधिष्ठातृ देवी मङ्गलानां च मंगले | संसारमंगलाधारे मोक्षमंगलदायिनी || ५ || सारे च मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् | प्रतिमंगलवारे च पूज्ये मङ्गलसुखप्रदे || ६ || स्तोत्रेणानेन शंभुश्च स्तुत्वा मंगलचण्डिकाम् | प्रतिमंगलवारे च पूजांदत्वा गतः शिवः || ७ || प्रथमे पूजिता देवी शिवेन सर्वमङ्गला | द्वितीये पूजिता सा च मङ्गलेन ग्रहेण च || ८ || तृतीये पूजिता भद्रा मंगलेन नृपेण च | चतुर्थे मंगलवारे सुंदरीभिः प्रपूजिता || ९ || पंचमे मंगला कांक्षिनरैर्मङ्गल चण्डिका | पूजिता प्रतिविश्वेर्षु विश्वेशपूजिता सदा || १० || ततः सर्वत्र संपूज्या बभूव परमेश्वरी | देवैश्च मुनिभिश्चैव मानवैर्म नुभिर्मुनै || ११ || देवाश्च मंगलस्तोत्रं यः शृणोति समाहिताः | तन्मङ्गलं भवेत्तस्य न भवेतदमङ्गलम् || १२ || वर्धते पुत्रपौत्रैश्च मङ्गलं च दिने दिने || ( दे...