महाभारत के रचयिता कौन थे

  1. महाभारत के रचयिता कौन है ?
  2. महाभारत की रचना किसने कि और कब? उत्तर जाने
  3. महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी के पिता कौन थे ?


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महाभारत के रचयिता कौन है ?

भारतीय परम्परा के अनुसार महर्षि वेदव्यास ही महाभारत के रचयिताहैं और इसके प्रमाण ग्रन्थ में उपलब्ध होते हैं। ये कृष्ण द्वैपायन व्यास महाभारत के रचयिता होते हुए भी उसके एक प्रधान पात्र के रूप में चित्रित हैं ओर कौरवों तथा पाण्डवों के दादा कहे गये हैं। इनका नाम अनेक दार्शनिक एवं साहित्यिक ग्रन्थों के निर्माण के रूप में प्रसिद्ध है। ये चारों वेदों के संकलयिता या विभागकर्त्ता तथा महाभारत और पुराणों के मान्य लेखक हैं। प्राचीन विश्वास के अनुसार प्रत्येक द्वापर युग में आकर वेद व्यास वेदों का विभाजन करते हैं। इस प्रकार इस मन्वन्तर के अट्ठईस व्यासों के होने का विवरण प्राप्त होता है। वर्तमान वैवस्वत मन्वन्तर के 28 द्वापर बीत चुके हैं।‘विष्णुपुराण’ में 28 व्यासों का मानोल्लेख किया गया है। अट्ठाईसवें व्यास का नाम कृष्णद्वैपायन व्यास है। इन्होंने महाभारत एवं अट्ठारह पुराणों का प्रणयन किया है। व्यास नामधारी व्यक्ति के संबंध में अनेक पाश्चात्य विद्वानों का कहना है कि यह किसी का अभिधान न होकर प्रतीकात्मक, कल्पनात्मक या छद्म नाम है। मैक्डोनल भी इसी विचार के समर्थक हैं, पर भारतीय विद्वान इस मत से सहमत नहीं हैं। प्राचीन ग्रन्थों में व्यास का नाम, कई स्थानों पर, आदर के साथ लिया गया है।‘अहिर्बुध्न्यसंहिता’ में व्यास वेद-व्याख्याता तथा वेदवर्गयिता के रूप में उल्लिखित हैं। इसमें बताया गया है कि वाक् के पुत्र वाच्यायन या अपान्तरतमा नामक एक वेदज्ञ थे, जो कपिल एवं हिरण्यगर्भ के समकालीन थे। इन तीनों व्यक्तियों ने विष्णु के आदेश से त्रायी (ऋग्यजुसाम), सांख्यशाò एवं योगशाó का विभाग किया था। इससे सिद्ध होता है कि व्यास का नाम कपिल एवं हिरण्यगर्भ की तरह एक व्यक्तिवाचक संज्ञा थी। अत: इसे भाववाचक न मानकर अ...

महाभारत की रचना किसने कि और कब? उत्तर जाने

दोस्तों, महाभारत महाकाव्य एवं इसके प्रमुख अंश शांतिपर्व एवं “महाभारत केवल भारत की ही नहीं अपितु पूरे विश्व की सम्पत्ति है।”अगर आप यह जानना चाहते है कि Mahabharat ki rachna kisne ki तो, इसका उत्तर है कि इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ( Vyasa) ने कि है। इसका प्रमाण स्वयं महाभारत के आदिपर्व के प्रथम अध्याय के श्लोक क्र. 62 से 83 में दिया हुआ है। व्यासजी ने ब्रह्मा से कहा – भगवन् मैंने इस महाकाव्य में समस्त वेदों, उपनिषदों, इतिहास एवं पुराणों का मंथन करके चारों वर्णों के कर्तव्य को निर्दिष्ट करते हुये इस ग्रन्थ की रचना की है। न्याय, शिक्षा, ज्योतिष, दान, धर्म, समाज, भूगोल, भाषाओं, जातियों, कला, संस्कृति इत्यादि जितनी भी विशेषताएँ लोक व्यवहार की सिद्धी के लिए आवश्यक हैं एवं जितने भी लोकोपयोगी पदार्थ हो सकते हैं, उन सबका प्रतिपादन इसमें किया है, परन्तु मुझे इस बात की चिन्ता है कि इस पृथ्वी पर ऐसा कोई नहीं है जो इसे लिख सके। तब ब्रह्माजी ने कहा आप इसके लेखन हेतु गणेशजी से निवेदन करें। तब व्यासजी ने गणेशजी से कहा कि ‘गणनायक! आप मेरे द्वारा निर्मित इस महाभारत ग्रन्थ के लेखक बन जाइये। मैंने मन ही मन इसकी रचना कर ली है, मैं बोलकर लिखाता जाऊँगा।’ गणेशजी ने कहा ‘व्यासजी मैं लेखक तो बन जाऊँगा मगर लिखते समय क्षण भर के लिए भी मेरी लेखनी रूकनी नहीं चाहिए।’ तब व्यासजी ने कहा ठीक है, मगर आप बिना समझे किसी भी प्रसंग में एक अक्षर भी न लिखियेगा। इस प्रकार श्री गणेशजी ने ऊँ कहकर स्वीकृति प्रदान की और महाभारत को लिखना आरम्भ कर दिया। महाभारत की रचना कब कि गई थी? मैंने इस प्रश्न का उत्तर खोजने का काफी प्रयास किया लेकिन मुझे इसका कोई सटीक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। वास्तव में, जिस महाभारत का लिखित रूप आज हम...

महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी के पिता कौन थे ?

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