महाकाल उज्जैन का इतिहास

  1. उज्जैन
  2. old secrets found in courtyard of mahakal temple ujjain brmp
  3. उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास
  4. उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कहानी
  5. जय श्री महाकाल: उज्जैन का इतिहास
  6. Mahakal Lok Ujjain What Is The History And Importance Of Mahakal Temple PM Modi Will Inaugurate The Courtyard Abpp
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  8. उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास
  9. उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कहानी
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उज्जैन

उज्जैन (मध्य प्रदेश) मानचित्र दिखाएँ मध्य प्रदेश निर्देशांक: 23°10′N 75°47′E / 23.17°N 75.79°E / 23.17; 75.79 23°10′N 75°47′E / 23.17°N 75.79°E / 23.17; 75.79 देश शासन •सभा उज्जैन नगर निगम • मुकेश टटवाल ( क्षेत्रफल •कुल 157किमी 2 (61वर्गमील) जनसंख्या (2011) •कुल 5,15,215 •घनत्व 3,300किमी 2 (8,500वर्गमील) भाषा •आधिकारिक •अन्य 456001 to 456010 टेलीफोन कोड 0734 MP-13 ( 900 मिलीमीटर (35इंच) औसत वार्षिक ताप 24.0°से. (75.2°फ़ै) औसत ग्रीष्मकालीन ताप 31°से. (88°फ़ै) औसत शीतकालीन तापमान 17°से. (63°फ़ै) वेबसाइट .nic .in अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 राजा खदिरसार भील • 1.2 राजा गंधर्वसेन(गर्द भिल्ल) • 1.3 सम्राट विक्रमादित्य(विक्रम सेन) • 1.4 महान कवि कालिदास • 1.5 प्रमाणिक इतिहास • 1.6 मौर्य साम्राज्य • 1.7 मौर्य साम्राज्य का पतन • 1.8 गुप्त साम्राज्य • 1.9 दिल्ली सल्तनत • 1.10 मराठों का अधिकार • 2 आज का उज्जैन • 3 उज्जयिनी नगरी • 4 पर्यटन • 4.1 महाकालेश्वर मंदिर • 4.2 श्री बडे गणेश मंदिर • 4.3 मंगलनाथ मंदिर • 4.4 हरसिद्धि • 4.5 क्षिप्रा घाट • 4.6 गोपाल मंदिर • 4.7 गढकालिका देवी • 4.8 भर्तृहरि गुफा • 4.9 काल भैरव - • 5 सिंहस्थ कुम्भ • 6 स्वादिष्ट भोज पेय • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] मुख्य लेख: राजनैतिक इतिहास उज्जैन का काफी लम्बा रहा है। उज्जैन के गढ़ क्षेत्र से हुयी खुदाई में आद्यैतिहासिक (protohistoric) एवं प्रारंभिक लोहयुगीन सामग्री प्रचुर मात्रा में प्राप्त हुई है। पुराणों व महाभारत में उल्लेख आता है कि वृष्णि-वीर कृष्ण व बलराम यहाँ गुरु सांदीपनी के आश्रम में विद्याप्राप्त करने हेतु आये थे। कृष्ण की एक पत्नी मित्रवृन्दा उज्जैन की ही राजकुमारी थी। उसके ...

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इंदौर: देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन का महाकाल मंदिर सभ्यता, संस्कृति व प्राचीन इतिहास को समझने का केंद्र रहा है. बीते 300 साल में इस भी मंदिर के आसपास खुदाई हुई, नए रहस्य सामने आए हैं. यह सिलसिला 1732 ईस्वी से चला आ रहा है. ताजा मामला महाकाल मंदिर के समीप की जा रही खुदाई में निकले 1000 साल पुराने मंदिर के अवशेषों का है. इसे लेकर एक बार फिर महाकाल मंदिर चर्चा में है. पुरातत्वविदों के अनुसार काल गणना का केंद्र माने जाने वाले महाकाल मंदिर के आसपास अगर विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में खुदाई की जाए तो विक्रमादित्य, मौर्य और गुप्त काल की सभ्यता के बारे में पता चल सकता है. बताया जाता है कि सिंधिया राजवंश के सचिव बाबा रामचंद्र शैडंवी ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. उस वक्त 11 वीं शताब्दी के देवनागरी लिपि में लिखे हुए 3 महत्वपूर्ण शिला लेख प्राप्त हुए थे, जिनमें 2 शिला लेख मंदिर की दीवार, जबकि 1 विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में संरक्षित हैं. वहीं बीते चार दशक में भी नवनिर्माण के लिए की गई खुदाई में कई बार परमारकालीन पुराअवशेष प्राप्त हुए हैं. लगातार मिल रहे अवशेष मंदिर में बीते चार दशक से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है. श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर मंदिर में भक्तों की सुविधा के लिए नए निर्माण किए जाने लगे. मंदिर के आसपास लगातार खुदाई की जा रही है. साल 1980 से लेकर 2020 तक करीब 6 बार मंदिर के आसपास गहरी खुदाई हुई है. इस दौरान कुछ रहस्य भी सामने आए हैं. महाकाल मंदिर समिति ने लिखा पत्र हाल ही में मिले 1000 साल पुराने मंदिर के अवशेषों की जांच के लिए महाकाल मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पत्र लिखा गया है. मं...

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास

Mahakaleshwar Temple भारत में बहुत से अद्भुत मंदिर है जिनकी अपनी – अपनी मान्यताएं और रीति रिवाज है। लेकिन इन सब में सबसे चर्चित मंदिर है मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन का महाकाल मंदिर। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दुओ के प्रमुख्य शिव मंदिरों में से एक है और शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है, इसके साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है। यह मंदिर रूद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है। कहा जाता है की अधिष्ट देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में अपनी ही अपार शक्तियाँ है और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी। उज्जैन का महाकाल मंदिर 6ठी शताब्दी में निर्मित बाबा महाकालेश्वर के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है अगर आप इस मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे है जो यहां जाने से पहले उज्जैन के महाकाल के बारे कुछ अहम बातें के बारे में जरुर जान लें। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास – Mahakaleshwar Temple History in Hindi वर्तमान मंदिर को श्रीमान पेशवा बाजी राव और छत्रपति शाहू महाराज के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में बनवाया था। इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज और श्रीमान महारानी बायजाबाई राजे शिंदे ने इसमें कई बदलाव और मरम्मत भी करवायी थी। महाराजा श्रीमंत जयाजिराव साहेब शिंदे आलीजाह बहादुर के समय में 1886 तक, ग्वालियर रियासत के बहुत से कार्यक्रमों को इस मंदिर में ही आयोजित किया जाता था। महाकालेश्वर मंदिर – Mahakaleshwar Jyotirlinga temple महाकालेश्वर में बनी मूर्ति को अक्सर दक्षिणामूर्ति भी कहा जाता है, क्योकि यह दक्षिण मुखी मूर्ति है। शिवेंत्र परंपरा के अनुसार ही 12 ज्योतिर्लिंगों म...

उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कहानी

आज के इस पोस्ट में हम उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास (Mahakaleshwar Jyotirlinga History hindi) व इससे जुड़ी कहानियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले हैं। कहा जाता है कि जो महाकाल भक्त है उसका काल कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उज्जैनी के श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग भारत में 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की गणना तीसरे स्थान पर आती है किंतु अगर प्रभाव की दृष्टि से देखा जाए तो इसका स्थान प्रथम पर है। ऐसा माना जाता है कि शिव के अनेक रूप हैं। भगवान शिव की आराधना करने से आपके मन की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। भगवान शिव पूरी पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर अनेक ज्योतिर्लिंगों के रूप में विराजमान है। Advertisements मध्यप्रदेश के उज्जैन में पुण्य सलिला शिप्रा नदी के तट के निकट भगवान शिव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान है। उज्जैन एक बहुत ही प्राचीतम शहर है और यह राजा विक्रमादित्य के समय में राजधानी हुआ करती थी। उज्जैन को अलग-अलग नामों उज्जैयिनी, अमरावती, अवंतिका नामों से भी जाना जाता रहा है। पुराणों में इसे सात मोक्षदायिनी नगरों हरिद्वार, वाराणसी, मथुरा, द्वारका, अयोध्या और कांचीपुरम में से एक माना जाता है उज्जैन की शिप्रा नदी के तट पर सिंहस्थ कुम्भ मेला हर बारह वर्ष के उपरांत मनाया जाता है इस दिन यहां एक साथ 10 प्रकार के दुर्लभ योग बने होते हैं जिसमे आपको वैशाख माह, मेष राशि पर सूर्य, सिंह पर बृहस्पति, स्वाति नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा आदि सभी चीजे एक साथ देखने को मिल जाएंगी। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अपना एक अलग ही महत्व है। माना जाता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पृथ्वी स्थापित एकमात्र दक्षिणम...

जय श्री महाकाल: उज्जैन का इतिहास

Advertisment उज्जयिनी का इतिहास हमारे देश की सांस्कृति धरोहर है। प्रत्येक कल्प में उज्जयिनी के नाम बदलकर रखे गये थे। श्वेतवराह कल्प में इसका नाम ‘उज्जयिनी’ है, जो इसकी प्राचीनता का ज्ञान कराती है। सूत्र ग्रन्थों एवं पुराणों में उज्जयिनी के जो वर्णन है। उसके आधार पर यह नगर 5 हजार वर्ष पूर्व से भी विद्यमान है। भागवद के स्कन्द में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम दोनों भ्राताओं को विद्यार्जन हेतु अवन्तिका में गुरुदेव सान्दीपनि ऋषि के आश्रम में आने की कथा कही गई है। श्रीरामचरित मानस; श्रीकृष्ण चरित से पूर्व माना जाता है। श्री रामायण के किष्किंधाकाण्ड काण्ड में भी श्री सीता देवी के अन्वेषणार्थ वानर दल को रवाना करते समय सुग्रीव ने अवन्ति देश का उल्लेख किया है। अतः इससे भी इसका अस्तित्व 5 हजार वर्ष पूर्व सहज ही स्वीकार्य योग्य है। प्राचीन नगरी वर्तमान उज्जैन से उत्तर में थी जो आज गढ़कालिका नामक क्षेत्र से विख्यात है। प्राचीन भारत की समय गणना का केन्द्र बिन्दु होने के कारण ही काल के आराधय महाकाल है जो भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उज्जयिनी क्षिप्रा नदी से सिंचित क्षेत्र है। उपजाऊ काली मिट्टी का क्षेत्र और मालवा के पठार का सबसे ऊँचा नगर होने का इसे गौरव प्राप्त है। प्राचीन भारतीय साहित्य में उज्जयिनी कई नामों से प्रसिद्ध है। उज्जयिनी की अनेक प्रकारों वाली सम्भ्रमकारी नामावली इस प्रकार है:- अवन्तिका, पद्मावती, भोगवती, हिरण्यवती, कनकशृंगा, कुशस्थली, कुमुद्वती तथा प्रतिकल्पा। इसी में सेण्ट्रल इण्डिया गजेटीयर में ल्यूअर्ड (स्नंतक) द्वारा उल्लेखित नवतेरी नगर तथा शिवपुरी नाम और जुड़ जाते हैं। उज्जयिनी के 9 कोस चौड़ाई तथा 13 कोस लम्बाई के विस्तार से नवतेरी नगर नाम की उत्पत्ति मानी गई...

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प्रधानमंत्री वहीं उद्घाटन के बाद पीएम पैदल कमलकुंड, सप्तऋषि, मंडपम और नवग्रह का अवलोकन करेंगे. पीएम के दौरे को लेकर मंदिर में कई खास तैयारियां की गई हैं. इसके अलावा मंदिर प्रशासन ने भी कई इंतजाम किए हैं. मंदिर के उद्घाटन के दौरान वहां 600 कलाकार, साधू संत मंत्रोच्चारण और शंखनाद करेंगे. कॉरिडोर के मुख्य गेट पर करीब 20 फीट का शिवलिंग धागे से बनाया गया है, इसपर से पर्दा उठाकर औपचारिक तौर पर कॉरिडोर का उद्घाटन किया जाएगा. महादेव के भक्तों के लिए खुशी की बात ये है कि उद्घाटन के बाद इस ऐतिहासिक कॉरिडोर को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. महाकाल मंदिर की हिंदू धर्म में बहुत महिमा मानी गई है. महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास पुराणों के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी. प्राचीन काव्य ग्रंथों में भी महाकाल मंदिर का जिक्र किया गया है. ऐसा कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर की नींव व चबूतरा पत्थरों से बनाया गया था और मंदिर लकड़ी के खंभों पर टिका था. ऐसी मान्यता है कि गुप्त काल से पहले मंदिर पर कोई शिखर नहीं था, मंदिर की छतें लगभग सपाट थीं. हालांकि महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी वेबसाइट में इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि यह मंदिर पहली बार कब अस्तित्व में आया. इसलिए इसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. कहां से आया महाकाल नाम उज्जैन का प्राचीन नाम उज्जयिनी है और यही मौजूद है महाकाल वन. कहा जाता है कि इस वन में स्थित होने के कारण ही यह ज्योतिर्लिंग महाकाल कहलाया और आगे जाकर मंदिर को महाकाल मंदिर कहा जाने लगा. स्कन्दपुराण के अवन्ती खण्ड में भगवान महाकाल का भव्य प्रभामण्डल प्रस्तुत किया गया है. इसके अलावा पुराणों में भी महाकाल मंदिर का उल्लेख है. दरअसल कालिदास ...

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प्रधानमंत्री वहीं उद्घाटन के बाद पीएम पैदल कमलकुंड, सप्तऋषि, मंडपम और नवग्रह का अवलोकन करेंगे. पीएम के दौरे को लेकर मंदिर में कई खास तैयारियां की गई हैं. इसके अलावा मंदिर प्रशासन ने भी कई इंतजाम किए हैं. मंदिर के उद्घाटन के दौरान वहां 600 कलाकार, साधू संत मंत्रोच्चारण और शंखनाद करेंगे. कॉरिडोर के मुख्य गेट पर करीब 20 फीट का शिवलिंग धागे से बनाया गया है, इसपर से पर्दा उठाकर औपचारिक तौर पर कॉरिडोर का उद्घाटन किया जाएगा. महादेव के भक्तों के लिए खुशी की बात ये है कि उद्घाटन के बाद इस ऐतिहासिक कॉरिडोर को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. महाकाल मंदिर की हिंदू धर्म में बहुत महिमा मानी गई है. महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास पुराणों के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी. प्राचीन काव्य ग्रंथों में भी महाकाल मंदिर का जिक्र किया गया है. ऐसा कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर की नींव व चबूतरा पत्थरों से बनाया गया था और मंदिर लकड़ी के खंभों पर टिका था. ऐसी मान्यता है कि गुप्त काल से पहले मंदिर पर कोई शिखर नहीं था, मंदिर की छतें लगभग सपाट थीं. हालांकि महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी वेबसाइट में इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि यह मंदिर पहली बार कब अस्तित्व में आया. इसलिए इसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. कहां से आया महाकाल नाम उज्जैन का प्राचीन नाम उज्जयिनी है और यही मौजूद है महाकाल वन. कहा जाता है कि इस वन में स्थित होने के कारण ही यह ज्योतिर्लिंग महाकाल कहलाया और आगे जाकर मंदिर को महाकाल मंदिर कहा जाने लगा. स्कन्दपुराण के अवन्ती खण्ड में भगवान महाकाल का भव्य प्रभामण्डल प्रस्तुत किया गया है. इसके अलावा पुराणों में भी महाकाल मंदिर का उल्लेख है. दरअसल कालिदास ...

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास

Mahakaleshwar Temple भारत में बहुत से अद्भुत मंदिर है जिनकी अपनी – अपनी मान्यताएं और रीति रिवाज है। लेकिन इन सब में सबसे चर्चित मंदिर है मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन का महाकाल मंदिर। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दुओ के प्रमुख्य शिव मंदिरों में से एक है और शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है, इसके साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है। यह मंदिर रूद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है। कहा जाता है की अधिष्ट देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में अपनी ही अपार शक्तियाँ है और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी। उज्जैन का महाकाल मंदिर 6ठी शताब्दी में निर्मित बाबा महाकालेश्वर के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है अगर आप इस मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे है जो यहां जाने से पहले उज्जैन के महाकाल के बारे कुछ अहम बातें के बारे में जरुर जान लें। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास – Mahakaleshwar Temple History in Hindi वर्तमान मंदिर को श्रीमान पेशवा बाजी राव और छत्रपति शाहू महाराज के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में बनवाया था। इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज और श्रीमान महारानी बायजाबाई राजे शिंदे ने इसमें कई बदलाव और मरम्मत भी करवायी थी। महाराजा श्रीमंत जयाजिराव साहेब शिंदे आलीजाह बहादुर के समय में 1886 तक, ग्वालियर रियासत के बहुत से कार्यक्रमों को इस मंदिर में ही आयोजित किया जाता था। महाकालेश्वर मंदिर – Mahakaleshwar Jyotirlinga temple महाकालेश्वर में बनी मूर्ति को अक्सर दक्षिणामूर्ति भी कहा जाता है, क्योकि यह दक्षिण मुखी मूर्ति है। शिवेंत्र परंपरा के अनुसार ही 12 ज्योतिर्लिंगों म...

उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास व कहानी

आज के इस पोस्ट में हम उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास (Mahakaleshwar Jyotirlinga History hindi) व इससे जुड़ी कहानियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले हैं। कहा जाता है कि जो महाकाल भक्त है उसका काल कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उज्जैनी के श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग भारत में 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की गणना तीसरे स्थान पर आती है किंतु अगर प्रभाव की दृष्टि से देखा जाए तो इसका स्थान प्रथम पर है। ऐसा माना जाता है कि शिव के अनेक रूप हैं। भगवान शिव की आराधना करने से आपके मन की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। भगवान शिव पूरी पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर अनेक ज्योतिर्लिंगों के रूप में विराजमान है। Advertisements मध्यप्रदेश के उज्जैन में पुण्य सलिला शिप्रा नदी के तट के निकट भगवान शिव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान है। उज्जैन एक बहुत ही प्राचीतम शहर है और यह राजा विक्रमादित्य के समय में राजधानी हुआ करती थी। उज्जैन को अलग-अलग नामों उज्जैयिनी, अमरावती, अवंतिका नामों से भी जाना जाता रहा है। पुराणों में इसे सात मोक्षदायिनी नगरों हरिद्वार, वाराणसी, मथुरा, द्वारका, अयोध्या और कांचीपुरम में से एक माना जाता है उज्जैन की शिप्रा नदी के तट पर सिंहस्थ कुम्भ मेला हर बारह वर्ष के उपरांत मनाया जाता है इस दिन यहां एक साथ 10 प्रकार के दुर्लभ योग बने होते हैं जिसमे आपको वैशाख माह, मेष राशि पर सूर्य, सिंह पर बृहस्पति, स्वाति नक्षत्र, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा आदि सभी चीजे एक साथ देखने को मिल जाएंगी। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अपना एक अलग ही महत्व है। माना जाता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पृथ्वी स्थापित एकमात्र दक्षिणम...

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इंदौर: देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन का महाकाल मंदिर सभ्यता, संस्कृति व प्राचीन इतिहास को समझने का केंद्र रहा है. बीते 300 साल में इस भी मंदिर के आसपास खुदाई हुई, नए रहस्य सामने आए हैं. यह सिलसिला 1732 ईस्वी से चला आ रहा है. ताजा मामला महाकाल मंदिर के समीप की जा रही खुदाई में निकले 1000 साल पुराने मंदिर के अवशेषों का है. इसे लेकर एक बार फिर महाकाल मंदिर चर्चा में है. पुरातत्वविदों के अनुसार काल गणना का केंद्र माने जाने वाले महाकाल मंदिर के आसपास अगर विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में खुदाई की जाए तो विक्रमादित्य, मौर्य और गुप्त काल की सभ्यता के बारे में पता चल सकता है. बताया जाता है कि सिंधिया राजवंश के सचिव बाबा रामचंद्र शैडंवी ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. उस वक्त 11 वीं शताब्दी के देवनागरी लिपि में लिखे हुए 3 महत्वपूर्ण शिला लेख प्राप्त हुए थे, जिनमें 2 शिला लेख मंदिर की दीवार, जबकि 1 विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में संरक्षित हैं. वहीं बीते चार दशक में भी नवनिर्माण के लिए की गई खुदाई में कई बार परमारकालीन पुराअवशेष प्राप्त हुए हैं. लगातार मिल रहे अवशेष मंदिर में बीते चार दशक से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है. श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर मंदिर में भक्तों की सुविधा के लिए नए निर्माण किए जाने लगे. मंदिर के आसपास लगातार खुदाई की जा रही है. साल 1980 से लेकर 2020 तक करीब 6 बार मंदिर के आसपास गहरी खुदाई हुई है. इस दौरान कुछ रहस्य भी सामने आए हैं. महाकाल मंदिर समिति ने लिखा पत्र हाल ही में मिले 1000 साल पुराने मंदिर के अवशेषों की जांच के लिए महाकाल मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पत्र लिखा गया है. मं...