मकर संक्रांति 2023 तारीख और समय

  1. Makar Snakranti 2023: मकर संक्राति का खगोलीय महत्व और बदलती तारीख की वजह
  2. Makar Sankranti 2023 Live:
  3. संक्रांति 2023 की तारीखें, New Delhi, India के लिए
  4. Makar Sankranti 2023: 14 या 15 जनवरी? जानिए मकर संक्रांति सही डेट, इतिहास और महत्व
  5. Makar Sankranti 2023: 14 या 15 जनवरी? जानिए मकर संक्रांति सही डेट, इतिहास और महत्व
  6. संक्रांति 2023 की तारीखें, New Delhi, India के लिए
  7. Makar Sankranti 2023 Live:
  8. Makar Snakranti 2023: मकर संक्राति का खगोलीय महत्व और बदलती तारीख की वजह


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Makar Snakranti 2023: मकर संक्राति का खगोलीय महत्व और बदलती तारीख की वजह

मकर संक्रांति के दिन का धार्मिक है नहीं खगोलीय और भौगोलिक महत्व भी है. इसका संबंध पृथ्वी की सूरज की परिक्रमा और उसके घूर्णन की धुरी से है. इसकी तारीख के चार साल के पैटर्न में हर 40 साल में बदलाव आता है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए एक विशेष महत्व का दिन होता है. खुद भारत में ही इस मौके पर अलग अलग संस्कृतियों में इसे अलग नाम के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. मजेदार बात यह है कि वैसे तो सूर्य हर महीने ही एक राशि परिवर्तन करता है, लेकिन मकर संक्राति कई लिहाज से काफी अलग और महत्वपूर्ण हो जाती है इसलिए इस दिन का केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि इसका वैज्ञानिक, खगोलीय और जलवायु महत्व भी है. इस दिन का संबंध पृथ्वी के मौसम परिवर्तन काल, से भी है तो वहीं इसकी तरीख की भी अपनी अहमियत है जो अमूमन 14 या 15 जनवरी ही रहती है जिसका भी एक कारण है. क्या है मकर संक्रांति? पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का केंद्र माना जाए तो आभारी रूप से एक साल में सूर्य पृथ्वी का एक पूरा चक्कर लगाता दिखाई देता है. जबकि वास्तविकता में ऐसा पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा कारण होता है क्योंकि पृथ्वी के चक्कर लगाने से सूर्य के पीछे की पृष्ठभूमि बदलती है और ऐसा लगता है की सूर्य अलग अलग तारामंडल से गुजरता दिखाई देता है. पूरे चक्कर को 12 भागों में बांटा गया है जिन्हें राशियां का जाता है और जिस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता दिखता है. तो मकर संक्रांति अलग क्यों सूर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी और सूर्य के पीछे की राशि के बदलाव के दौरान पृथ्वी के अक्ष का झुकाव एक सा रहता है, लेकिन उसके कारण एक गोलार्द्ध छह महीने सूर्य के सामने तो दूसरे छह महीने पीछे रहता है. इस वजह से पृथ्वी पर सूर...

Makar Sankranti 2023 Live:

Makar Sankranti 2023 Live: : मकर संक्रांति आज भी, करें पुण्य काल में स्नान और दान खास बातें Happy Makar Sankranti 2023 Messages, Quotes, Wishes, Images: देशभर में आज भी मकर संक्रांति मनाई जा रही है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन से खरमास खत्म हो जाते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन सूर्य देव की उपासना करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। 11:53 AM, 15-Jan-2023 मकर संक्रांति पर पुण्य काल में करें स्नान दान उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति आज 15 जनवरी 2023 को भी मनाई जा रही है। मकर संक्रांति के दिन पुण्य और महापुण्य काल में स्नान और दान करना चाहिए। मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को प्रातः 07 बजकर 17 मिनट से आरंभ हो चुका है और शाम 05 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब भी एक से दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है। सालभर में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं जिसमें माघ महीने में पड़ने वाली संक्रांति का विशेष महत्व होता है। सूर्य जब धनु राशि की अपनी यात्रा को विराम देते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस मकर संक्रांति कहते हैं। इस बार कुछ पंचांग में मकर संक्रांति 14 जनवरी तो कुछ में 15 जनवरी को बताया गया है। दरअसल इस वर्ष 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में गोचर रात 09 बजे के करीब हुआ है। ऐसे कई ज्योतिषाचार्यों का मनाना है कि सूर्य का गोचर सूर्य के अस्त होने पर हुए है इस कारण से मकर संक्रांति 15 जनवरी ...

संक्रांति 2023 की तारीखें, New Delhi, India के लिए

दिनांक त्यौहार रविवार, 15 जनवरी मकर संक्रांति सोमवार, 13 फरवरी कुम्भ संक्रांति बुधवार, 15 मार्च मीन संक्रांति शुक्रवार, 14 अप्रैल मेष संक्रांति सोमवार, 15 मई वृष संक्रांति गुरुवार, 15 जून मिथुन संक्रांति रविवार, 16 जुलाई कर्क संक्रांति गुरुवार, 17 अगस्त सिंह संक्रांति रविवार, 17 सितंबर कन्या संक्रांति बुधवार, 18 अक्टूबर तुला संक्रांति शुक्रवार, 17 नवंबर वृश्चिक संक्रांति शनिवार, 16 दिसंबर धनु संक्रांति सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में संक्रांति क्या है? सूर्य हर महीने अपना स्थान बदल कर एक भारत के कुछ राज्यों जैसे आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, गुजरात, तेलांगना, तमिलनाडु, पंजाब और महाराष्ट्र में संक्रांति के दिन को साल के आरम्भ के तौर पर माना जाता है। जबकि बंगाल और असम जैसे कुछ जगहों पर संक्रांति के दिन को साल की समाप्ति की तरह माना जाता है। महत्वपूर्ण संक्रातियाँ ● मकर संक्रांति–संक्रांति करते समय जब सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को ● मेष संक्रांति–पारंपरिक हिंदू सौर ● मिथुन संक्रांति–भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर प्रांतों में मिथुन संक्रांति को माता पृथ्वी के वार्षिक मासिक धर्म चरण के रूप में मनाया जाता है, जिसे राजा पारबा या अंबुबाची मेला के नाम से जानते हैं। ● धनु संक्रांति–इस संक्रांति को हेमंत ऋतु शुरू होने पर मनाया जाता है। दक्षिणी भूटान और नेपाल में इस दिन जंगली आलू जिसे तारुल के नाम से जाना जाता है, उसे खाने का रिवाज है। जिस दिन से ऋतु की शुरुआत होती है उसकी पहली तारीख को लोग इस संक्रांति को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। ● कर्क संक्रांति–प्रायः 16 जुलाई के आस-पास सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने पर कर्क संक्रांति मनाई जाती है। हिंदू कैल...

Makar Sankranti 2023: 14 या 15 जनवरी? जानिए मकर संक्रांति सही डेट, इतिहास और महत्व

नये साल का स्वागत आप सभी ने जोरदार तरीके से कर लिया है और अब नये साल का पहला त्योहार भी जल्द आने वाला है, जिसका आप सब बड़े मन से इंतजार कर रहे हैं। मकर संक्रांति का हिंदू धर्म के साथ ही भारतीय संस्कृति में काफी महत्व है। सूर्य जब पौष महीने में मकर राशि में प्रवेश करता है, उस दिन संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। भारत के अलग अलग राज्यों में इसे अलग-अलग तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है। मकर संक्रांति फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक भी है। इस दिन गंगा या दूसरी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है। इसके बाद तिल और गुड़ का दान लोगों के द्वारा दिया जाता है। लेकिन इसकी तिथि को लेकर लोगों में इस बार भ्रम है। क्योंकि हर साल 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाती है। लेकिन इस बार सूर्य की चाल में बदलाव की वजह से इसकी तारीख बदली है। मकर संक्रांति 2023: इतिहास और महत्व हिंदू मान्यता के अनुसार, महाभारत के हिंदू ग्रंथों और पुराणों में मकर संक्रांति का उल्लेख किया गया है। जिसके आधार पर ऋषि विश्वामित्र ने इस उत्सव को शुरू किया था। महाभारत में, पांडवों ने निर्वासन के दौरान मकर संक्रांति मनाई गई थी। वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन कभी-कभी सूर्य की स्थिति में परिवर्तन की वजह से एक दिन बाद के बाद भी हो जाती है।, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है। वहीं इस दिन, लोग देवता देवी संक्रांति की पूजा करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, संक्रांति ने राक्षस शंकरासुर का वध किया था। मकर संक्रांति को कारिदिन या किंक्रांत के रूप में जाना जाता है। इसी दिन देवी ने किंकारासुर राक्षस को मारा था। मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाई जाती है पतंग कई मान्यताओं के आ...

Makar Sankranti 2023: 14 या 15 जनवरी? जानिए मकर संक्रांति सही डेट, इतिहास और महत्व

नये साल का स्वागत आप सभी ने जोरदार तरीके से कर लिया है और अब नये साल का पहला त्योहार भी जल्द आने वाला है, जिसका आप सब बड़े मन से इंतजार कर रहे हैं। मकर संक्रांति का हिंदू धर्म के साथ ही भारतीय संस्कृति में काफी महत्व है। सूर्य जब पौष महीने में मकर राशि में प्रवेश करता है, उस दिन संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। भारत के अलग अलग राज्यों में इसे अलग-अलग तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है। मकर संक्रांति फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक भी है। इस दिन गंगा या दूसरी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है। इसके बाद तिल और गुड़ का दान लोगों के द्वारा दिया जाता है। लेकिन इसकी तिथि को लेकर लोगों में इस बार भ्रम है। क्योंकि हर साल 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाती है। लेकिन इस बार सूर्य की चाल में बदलाव की वजह से इसकी तारीख बदली है। मकर संक्रांति 2023: इतिहास और महत्व हिंदू मान्यता के अनुसार, महाभारत के हिंदू ग्रंथों और पुराणों में मकर संक्रांति का उल्लेख किया गया है। जिसके आधार पर ऋषि विश्वामित्र ने इस उत्सव को शुरू किया था। महाभारत में, पांडवों ने निर्वासन के दौरान मकर संक्रांति मनाई गई थी। वैसे तो मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन कभी-कभी सूर्य की स्थिति में परिवर्तन की वजह से एक दिन बाद के बाद भी हो जाती है।, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है। वहीं इस दिन, लोग देवता देवी संक्रांति की पूजा करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, संक्रांति ने राक्षस शंकरासुर का वध किया था। मकर संक्रांति को कारिदिन या किंक्रांत के रूप में जाना जाता है। इसी दिन देवी ने किंकारासुर राक्षस को मारा था। मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाई जाती है पतंग कई मान्यताओं के आ...

संक्रांति 2023 की तारीखें, New Delhi, India के लिए

दिनांक त्यौहार रविवार, 15 जनवरी मकर संक्रांति सोमवार, 13 फरवरी कुम्भ संक्रांति बुधवार, 15 मार्च मीन संक्रांति शुक्रवार, 14 अप्रैल मेष संक्रांति सोमवार, 15 मई वृष संक्रांति गुरुवार, 15 जून मिथुन संक्रांति रविवार, 16 जुलाई कर्क संक्रांति गुरुवार, 17 अगस्त सिंह संक्रांति रविवार, 17 सितंबर कन्या संक्रांति बुधवार, 18 अक्टूबर तुला संक्रांति शुक्रवार, 17 नवंबर वृश्चिक संक्रांति शनिवार, 16 दिसंबर धनु संक्रांति सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में संक्रांति क्या है? सूर्य हर महीने अपना स्थान बदल कर एक भारत के कुछ राज्यों जैसे आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, गुजरात, तेलांगना, तमिलनाडु, पंजाब और महाराष्ट्र में संक्रांति के दिन को साल के आरम्भ के तौर पर माना जाता है। जबकि बंगाल और असम जैसे कुछ जगहों पर संक्रांति के दिन को साल की समाप्ति की तरह माना जाता है। महत्वपूर्ण संक्रातियाँ ● मकर संक्रांति–संक्रांति करते समय जब सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को ● मेष संक्रांति–पारंपरिक हिंदू सौर ● मिथुन संक्रांति–भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर प्रांतों में मिथुन संक्रांति को माता पृथ्वी के वार्षिक मासिक धर्म चरण के रूप में मनाया जाता है, जिसे राजा पारबा या अंबुबाची मेला के नाम से जानते हैं। ● धनु संक्रांति–इस संक्रांति को हेमंत ऋतु शुरू होने पर मनाया जाता है। दक्षिणी भूटान और नेपाल में इस दिन जंगली आलू जिसे तारुल के नाम से जाना जाता है, उसे खाने का रिवाज है। जिस दिन से ऋतु की शुरुआत होती है उसकी पहली तारीख को लोग इस संक्रांति को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। ● कर्क संक्रांति–प्रायः 16 जुलाई के आस-पास सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने पर कर्क संक्रांति मनाई जाती है। हिंदू कैल...

Makar Sankranti 2023 Live:

Makar Sankranti 2023 Live: : मकर संक्रांति आज भी, करें पुण्य काल में स्नान और दान खास बातें Happy Makar Sankranti 2023 Messages, Quotes, Wishes, Images: देशभर में आज भी मकर संक्रांति मनाई जा रही है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के दिन से खरमास खत्म हो जाते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन सूर्य देव की उपासना करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। 11:53 AM, 15-Jan-2023 मकर संक्रांति पर पुण्य काल में करें स्नान दान उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति आज 15 जनवरी 2023 को भी मनाई जा रही है। मकर संक्रांति के दिन पुण्य और महापुण्य काल में स्नान और दान करना चाहिए। मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को प्रातः 07 बजकर 17 मिनट से आरंभ हो चुका है और शाम 05 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब भी एक से दूसरे राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है। सालभर में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं जिसमें माघ महीने में पड़ने वाली संक्रांति का विशेष महत्व होता है। सूर्य जब धनु राशि की अपनी यात्रा को विराम देते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस मकर संक्रांति कहते हैं। इस बार कुछ पंचांग में मकर संक्रांति 14 जनवरी तो कुछ में 15 जनवरी को बताया गया है। दरअसल इस वर्ष 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में गोचर रात 09 बजे के करीब हुआ है। ऐसे कई ज्योतिषाचार्यों का मनाना है कि सूर्य का गोचर सूर्य के अस्त होने पर हुए है इस कारण से मकर संक्रांति 15 जनवरी ...

Makar Snakranti 2023: मकर संक्राति का खगोलीय महत्व और बदलती तारीख की वजह

मकर संक्रांति के दिन का धार्मिक है नहीं खगोलीय और भौगोलिक महत्व भी है. इसका संबंध पृथ्वी की सूरज की परिक्रमा और उसके घूर्णन की धुरी से है. इसकी तारीख के चार साल के पैटर्न में हर 40 साल में बदलाव आता है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए एक विशेष महत्व का दिन होता है. खुद भारत में ही इस मौके पर अलग अलग संस्कृतियों में इसे अलग नाम के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. मजेदार बात यह है कि वैसे तो सूर्य हर महीने ही एक राशि परिवर्तन करता है, लेकिन मकर संक्राति कई लिहाज से काफी अलग और महत्वपूर्ण हो जाती है इसलिए इस दिन का केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि इसका वैज्ञानिक, खगोलीय और जलवायु महत्व भी है. इस दिन का संबंध पृथ्वी के मौसम परिवर्तन काल, से भी है तो वहीं इसकी तरीख की भी अपनी अहमियत है जो अमूमन 14 या 15 जनवरी ही रहती है जिसका भी एक कारण है. क्या है मकर संक्रांति? पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का केंद्र माना जाए तो आभारी रूप से एक साल में सूर्य पृथ्वी का एक पूरा चक्कर लगाता दिखाई देता है. जबकि वास्तविकता में ऐसा पृथ्वी की सूर्य की परिक्रमा कारण होता है क्योंकि पृथ्वी के चक्कर लगाने से सूर्य के पीछे की पृष्ठभूमि बदलती है और ऐसा लगता है की सूर्य अलग अलग तारामंडल से गुजरता दिखाई देता है. पूरे चक्कर को 12 भागों में बांटा गया है जिन्हें राशियां का जाता है और जिस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता दिखता है. तो मकर संक्रांति अलग क्यों सूर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी और सूर्य के पीछे की राशि के बदलाव के दौरान पृथ्वी के अक्ष का झुकाव एक सा रहता है, लेकिन उसके कारण एक गोलार्द्ध छह महीने सूर्य के सामने तो दूसरे छह महीने पीछे रहता है. इस वजह से पृथ्वी पर सूर...