मकर संक्रांति का क्या अर्थ है

  1. मकर संक्रांति क्या है ? महत्व और मकर संक्रांति के बारे में जानकारी
  2. Makar Sankranti Ka Mahatva: मकर संक्राति क्यों मनाई जाती है, पतंग क्यों उड़ाई जाती है? मकर संक्राति का वैज्ञानिक कारण भी जानें
  3. मकर संक्रांति क्या है? (पूरी जानकारी 5 Min में )
  4. मकर संक्रांति का क्या अर्थ है
  5. मकर संक्रांति के रीति रिवाज, परंपरा और महत्व


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मकर संक्रांति क्या है ? महत्व और मकर संक्रांति के बारे में जानकारी

मकर संक्रांति का महत्व, मकर संक्रांति के बारे में जानकारी मकर संक्रांति क्या है( Makar Sankranti Kya Hai) ? सूर्य को सभी ग्रहों का देवता माना जाता है। सूर्य सभी 12 राशियों को प्रभावित करता है, लेकिन सूर्य का कर्क और मकर राशि में प्रवेश लाभकारी माना जाता है। प्राचीन काल से ही मकर संक्रांति का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इसी दिन से सभी शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। Makar Sankranti Kya Hai – मकर संक्रांति क्या है? Makar Sankranti Kya Hai? मकर संक्रांति के बारे में जानकारी हिंदू संस्कृति का मकर संक्रांति एक प्रमुख त्योहार है, जो 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन नामजप, तपस्या, दान, स्नान, श्राद्ध, तपस्या आदि धार्मिक गतिविधियों का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना बढ़ जाता है और उसका फल मिलता है। मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे केवल ‘संक्रांति’ कहा जाता है। इस दिन से विभिन्न राज्यों में गंगा नदी के तट पर माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है। कुंभ का पहला स्नान भी इसी दिन से शुरू होता है। मकर संक्रांति क्या है? आईये जाने विस्तार से यह भी पढ़े – मकर संक्रांति का महत्व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में गमन करता है। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गमन संक्रांति कहलाता है। मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द राशि मकर को इंगित करता है, जबकि ‘संक्रांति’ का अर्थ गमन है। चूंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इस समय को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है। कुछ स्थ...

Makar Sankranti Ka Mahatva: मकर संक्राति क्यों मनाई जाती है, पतंग क्यों उड़ाई जाती है? मकर संक्राति का वैज्ञानिक कारण भी जानें

भारत में पतंग उड़ाने का त्यौहार है, जिसे मकर संक्राति कहते हैं. देश के पश्चिमी राज्य यानी गुजरात में यह पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. जहां लोग पतंगबाज़ी का खेल खेलते हैं. लेकिन मकर संक्राति तिल के लड्डू और पतंगबाज़ी से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है. मकर संक्राति मानना सिर्फ धार्मिक महत्त्व नहीं बल्कि इसका वैज्ञानिक कारण भी है. मकर संक्रांति कब मनाया जाता है संक्राति पूरे देश में मनाया जाने वाला पर्व है. जिसे ज्योतिष गणना के आधार पर तय किया जाता है. बहरहाल यह हमेशा नए साल की 14-15 तारीख को पड़ता है. जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है जब खरमास खत्म हो जाता है. खरमास ऐसा समय होता है जब कोई भी पूजा-पाठ, हवन, यज्ञ, शुभकार्य, वैवाहिक कार्य नहीं किए जाते हैं. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास खत्म होता है और शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं मकर संक्राति में पतंग उड़ाने का वैज्ञानिक कारण: पतंग उड़ाना एक एक्ससरसाइज एक्टिविटी मानी जाती है. इसमें हमारे शरीर की ऊर्जा खर्च होती है. दोपहर में पंतग उड़ाने से हमारे शरीर को विटामिन डी मिलता है (खैर यह बिना पतंग उड़ाए सिर्फ धुप में बैठने से भी मिलता है) कहा जाता है कि कर संक्रांति पर सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं. इस समय सूर्य की किरणें औषधि का काम करती हैं. इसलिए इस पर्व पर पतंग उड़ाने को शुभ माना जाता है मकर संक्राति की कहानी महाभारत और पुराणों के अनुसार ऋषि विश्वामित्र को मकर संक्राति की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है. महाभारत में पांडवों के मकर संक्राति मानाने का उल्लेख है. मकर संक्राति का अर्थ: हिंदू सभ्यता में संक्राति एक देवी हैं. जिनकी पूजा होती है. संक्राति देवी ने शंकरसुर का वध किया था, जिसके अलगे दिन...

मकर संक्रांति क्या है? (पूरी जानकारी 5 Min में )

दोस्तों हमारे ब्लॉग के आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की मकर संक्रांति क्या है, मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है और साथ ही में मकर संक्रांति के विषय से जुड़ी हुई सारी जानकारी भी आपको देंगे। आपको केवल हमारे ब्लॉग के इस आर्टिकल को बड़े ही ध्यान से और अंत तक पढ़ना होगा। हमारा आपसे यह वादा है कि हमारे ब्लॉग के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको कहीं और मकर संक्रांति के विषय के बारे में ढूंढने की या फिर पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 1 • • • • • • • • • • • • • • • • • • मकर संक्रांति क्या है? | उत्तरायण क्या है? ज्योतिष (Astrology) के हिसाब से मकर क्योंकि सूरज इस दिन को मकर राशि में प्रवेश कर जाता है, इसी वजह से इस समय को हम मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति के पर्व या त्यौहार को कई जगहों पर ‘उत्तरायण’ भी बोला जाता है। इसी दिन गंगा जी का स्नान किया जाता है, व्रत रखे जाते हैं, लोगों द्वारा कथा करवाई जाती है और कई लोग इस दिन दान पुण्य भी करते हैं और भगवान सूर्य देव की अराधना भी बहुत ही ज्यादा लोगों द्वारा की जाती है। जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में आ जाते हैं तब उस दिन को मकर संक्रांति बोला जाता है, जिस दिन सूरज की गति उत्तरायण हो जाती है। तो बोला जाता है कि उस समय सूरज की किरणों से अमृत की बरसात हर जगह होने लगती है और इस पर्व को हर साल 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है। साथ ही में लोगों द्वारा यह मान्यता भी है कि इसी दिन गंगा यमुना सरस्वती के संगम प्रयाग में ही सारे देवी और देवता अपना शरीर या स्वरूप बदल कर स्नान करने जाते हैं। इन्ही कारणों की वजह से इस पर्व को बड़ी मान्यता दी जाती है और बहुत से लोग इस दिन दान पुण्य का काम करते हैं और दूसरों की मदद करने की कोशिश कर...

मकर संक्रांति का क्या अर्थ है

प्रयागराज में मकर संक्रांति (संक्रान्ति) के अवसर पर माघ-मेले का एक दृश्य आधिकारिक नाम खिचड़ी, पोंगल अनुयायी हिन्दू,नेपाली भारतीय, प्रवासी भारतीय प्रकार हिन्दू तिथि पौष मास में सूर्य के मकर राशि में आने पर मकर संक्रान्ति (मकर संक्रांति) भारत का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रांति (संक्रान्ति) पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं।14 जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर(जाता हुआ) होता है। इसी लिऐ ,उतरायण, (सूर्य उत्तर की ओर) भी कहते है। ऐसा इस लिए होता है, की पृथ्वी का झुकाव हर 6,6माह तक निरंतर उतर ओर 6माह दक्षिण कीओर बदलता रहता है। ओर यह प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसी दिन होता है।[1] मकर संक्रान्ति के अवसर पर तिलगुड़ खाने-खिलाने की परम्परा है। यह भारतवर्ष तथा नेपाल के सभी प्रांतों (प्रान्तों) में अलग-अलग नाम व भांति-भांति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। विभिन्न नाम भारत में[संपादित करें] • मकर संक्रांति (संक्रान्ति): छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू • ताइ पोंगल, उझवर ति...

मकर संक्रांति के रीति रिवाज, परंपरा और महत्व

मकर संक्रांति की बात हो और पतंग की बात न हो यह कैसे संभव है। जैसे कि पहले भी बताया गया है यह महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार भारत के के हिस्सों में सेलिब्रेट किया जाता है। तो, आइए जानते हैं उत्तरायण या मकर संक्रांति क्या है? यह त्यौहार जो हमें सर्दियों के मौसम को एन्जॉय करने और सेलिब्रेट करने का मौका देता है, इसके पीछे की एक कहानी है। यहाँ आपको मकर संक्रांति से जुड़ी कुछ जानकारी दी गई है, जो आपको त्यौहार का महत्व समझने के लिए जाननी चाहिए। मकर संक्रांति का महत्व और इतिहास मकर संक्रांति भारत में वसंत के मौसम की शुरुआत होने का प्रतीक है। इस त्यौहार को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे उत्तर भारत (नॉर्थ इंडिया) में लोहरी और दक्षिणी क्षेत्रों (साउथ इंडिया) में पोंगल। सबसे पहले, आर्यों ने इस दिन को उत्सव के लिए एक शुभ दिन के रूप में मनाना शुरू किया था। यहाँ तक कि महाभारत महाकाव्य में भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना गया है। भीष्म पितामह ने उत्तरायण की शुरुआत तक युद्ध में घायल होने के बाद अपने जीवन के साथ बहुत संघर्ष किया। उन्होंने इस शुभ चरण के दौरान स्वर्ग में निवास किया। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मरने वाले लोग मोक्ष प्राप्त करते हैं। क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति मकर संक्रांति त्यौहार फसलों के मौसम के अंत का और वसंत के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। इस शुभ दिन पर, भगवान विष्णु और देवी महालक्ष्मी के साथ पूरे देश में सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और ‘संक्रांति’ शब्द का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। लूनर कैलेंडर के अनुसार, जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण (कर्क राशि से मकर राशि रेखा तक) की ओर बढ़ता है...