मकरसंक्रांति

  1. Makar Sankranti 2022: When is Makar Sankranti on 14 or 15 January Know what things should be donated on this day
  2. 51+ Best Makar Sankranti Status in Hindi (2023)
  3. मकरसंक्रांति क्यों मनाई जाती है?
  4. रामचरितमानस में मकरसंक्रान्ति का माहात्म्य – Dharmdhara
  5. मकरसंक्रांति (उत्तरायण)
  6. मकरसंक्रांति पर कराएं 108 आदित्य हृदय स्रोत पाठ


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Makar Sankranti 2022: When is Makar Sankranti on 14 or 15 January Know what things should be donated on this day

Makar Sankranti 2022: 14 या 15 जनवरी कब है मकर संक्रांति? जानिए इस दिन किन चीजों का करना चाहिए दान मकर संक्रांति का पर्व आने वाला है। मकर संक्रांति का पर्व देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से फल कई गुना मिलता है। मकर संक्रांति के... मकर संक्रांति का पर्व आने वाला है। मकर संक्रांति का पर्व देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से फल कई गुना मिलता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य का अपने पुत्र शनि से मिलन होता है। इस दिन शुक्र ग्रह का उदय भी होता है। यही कारण है कि इस दिन से शुभ व मांगलिक कार्य की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है कि इस साल यह पर्व 14 या 15 जनवरी कब मनाया जाएगा। जानिए मकर संक्रांति की सही तारीख- कुंभ राशि पर शुरू होने जा रहा शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण, जानिए इसका प्रभाव मकर संक्रांति कब है? हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। पौष मास में इस दिन उत्तरायण होता है। मकर संक्रांति के दिन मकर राशि में सूर्य का गोचर होता है। मकर संक्रांति का पर्व इस साल 14 जनवरी को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन ही ऋतु परिवर्तन होने लगता है। मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त- 14 जनवरी को पुण्य काल मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। महापुण्य काल मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इसकी अवधि कुल 24 मिनट तक है। 18 महीने बाद राहु का मेष राशि में होने जा रहा गोचर, इन राशि वालों को होगा जबरदस्त लाभ मकर संक्रांति के दिन किन चीजों का करना चाहिए...

51+ Best Makar Sankranti Status in Hindi (2023)

Makar Sankranti Status in Hindi: मकर संक्रांति हर वर्ष 14/15 जनवरी को एक निश्चित दिवस पर मनाई जाती है। भारतीय महीनो में यह त्योहार माघ माह में आता हैं। मकर संक्रांति सर्दियो के जाने का ओर गर्मियों के आने का भी संकेत हैं। मकर संक्रांतिभारत के हर कोने ने अलग अलग कल्चर के अनुसार मनाया जाता हैं, कही मकर संक्रांति को माघा तो कही इसे मेला कह कर पुकारते है। अंग्रेजी नए साल में मकर संक्रांति सबसे पहले आने वाला त्योहार हैं। मकर संक्रांति देश के लगभग हर कोने में उत्साह और उमंग से मनाया जाता हैं। भारत के बाहर नेपाल में इसे माघे संक्रांतिभी कहा जाता है वह इतने ही उत्साह से मनाया भी जाता हैं। मकर संक्रांति एक प्रचीन और नेपाील त्योहर है जो हिंदु केलेण्डर के हिसाब से 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।

मकरसंक्रांति क्यों मनाई जाती है?

मकरसंक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है जो जनवरी के महीने में 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है. पूरे भारत में इस त्योहार को किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे केवल ‘संक्रांति’ कहते हैं कहानी : मकरसंक्रांति क्यों मनाई जाती शैली : सूत्र : मूल भाषा : हिंदी मकरसंक्रांति क्यों मनाई जाती है? | Makar Sankranti 2024 इस दिन स्नान, दान, तप, जप और अनुष्ठान का अत्यधिक महत्व है। संक्रांति के दिन होता है सूर्य का उत्तरायण जब सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है . मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है. इसलिए इसको उत्तरायणी भी कहते हैं. सौ गुना बढ़कर मिलता है दान शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि यानि नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है. धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है| रातें छोटी व दिन होंगे बड़े भारत देश उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है. मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात भारत से दूर होता है. इसी कारण यहां रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है, लेकिन मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है. अत: इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है| शनि देव से मिलने जाते हैं भगवान भास्कर ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसक...

रामचरितमानस में मकरसंक्रान्ति का माहात्म्य – Dharmdhara

मकरसंक्रांति के पावन अवसर पर आपको व आपके परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएँ। इस पावन अवसर पर आज हम आपको याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद तथा प्रयाग का माहात्म्य बतायेगें। *अब रघुपति पद पंकरुह हियँ धरि पाइ प्रसाद। कहउँ जुगल मुनिबर्य कर मिलन सुभग संबाद ॥ भावार्थ:-मैं अब श्री रघुनाथजी के चरण कमलों को हृदय में धारण कर और उनका प्रसाद पाकर दोनों श्रेष्ठ मुनियों के मिलन का सुंदर संवाद वर्णन करता हूँ॥ *भरद्वाज मुनि बसहिं प्रयागा। तिन्हहि राम पद अति अनुरागा॥ तापस सम दम दया निधाना। परमारथ पथ परम सुजाना॥ भावार्थ:-भरद्वाज मुनि प्रयाग में बसते हैं, उनका श्री रामजी के चरणों में अत्यंत प्रेम है। वे तपस्वी, निगृहीत चित्त, जितेन्द्रिय, दया के निधान और परमार्थ के मार्ग में बड़े ही चतुर हैं॥ *माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥ देव दनुज किंनर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं॥ भावार्थ:-माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं, तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं॥। *पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता॥ भरद्वाज आश्रम अति पावन। परम रम्य मुनिबर मन भावन॥ भावार्थ:-श्री वेणीमाधवजी के चरणकमलों को पूजते हैं और अक्षयवट का स्पर्श कर उनके शरीर पुलकित होते हैं। भरद्वाजजी का आश्रम बहुत ही पवित्र, परम रमणीय और श्रेष्ठ मुनियों के मन को भाने वाला है॥ *तहाँ होइ मुनि रिषय समाजा। जाहिं जे मज्जन तीरथराजा॥ मज्जहिं प्रात समेत उछाहा। कहहिं परसपर हरि गुन गाहा॥ भावार्थ:-तीर्थराज प्रयाग में जो स्नान करने जाते हैं, उन ऋषि-मुनियों का समाज वहाँ (भरद्वाज के आश्रम में) जुटता है। प्रातःकाल सब उत्साहपूर्वक स्नान करते हैं और फिर पर...

मकरसंक्रांति (उत्तरायण)

मकरसंक्रांति (उत्तरायण) भारत का प्रमुख त्यौहार है। मकरसंक्रांति (उत्तरायण) पूरे भारत ओर नेपाल, श्रीलंका में भी मनाया जाता है। सूर्य मकर राशि पर आता है तब यह त्यौहार मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह पर्व जनवरी के 14 ओर 15 दिन में ही पड़ता है। यह दिन में सूर्य धनु राशि छोड़ कर मकर राशि मे प्रवेश करता है। मकरसंक्रांति (उत्तरायण) पूरे भारत मे मनाया जाता है जिसे अलग अलग राज्यो में अलग अलग रीत रिवाजो के साथ अलग अलग नामो से जाना जाता है और अलग अलग रेसिपी के साथ यह त्यौहार बड़े ही उमंग और उल्लास से मनाया जाता है। मकरसंक्रांति (उत्तरायण) के विभिन्न नाम,रेसिपी जिसे आप 👉पर क्लिक करते ही रेसिपी देख सकते है। ✍️मध्यप्रदेश मकरसंक्रांति (उत्तरायण) में सबसे पहले तिल से बनने वाले गजक की शरुआत मध्यप्रदेश के मोरेना से हुई है। मकरसंक्रांति (उत्तरायण) के मौके पर गजक उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में बनाई और खायी जाती है।लेकिन मध्यप्रदेश की गजक की बात ही अलग है।इसे तिल को भूनकर ओर उसमे घी,गुड़, पानी और ड्राई फ्रूट्स डालकर तैयार किया जाता है। 👉तिल की गजक 👉मुगफली की गजक ✍️गुजरात मकरसंक्रांति (उत्तरायण) के त्यौहार में बनने वाली गुजरात की डिश है, ये डिश ठंड के मौसम में बनाई जाने वाली डिश है। यह डिश मकरसंक्रांति (उत्तरायण) के पावन मोके पर खासतौर पर बनाया जाता है। उन्धयु में मौसमी सब्जियां जैसे बिन्स पपड़ी,बैंग, कच्चा केला, याम आदि एक साथ एक बर्तन में बनाया जाता है। उन्धयु को पूरी, बाजरे की रोटी, रोटी के साथ सर्व करें। 👉उंधियू ✍️उत्तरप्रदेश मकरसंक्रांति (उत्तरायण) का त्योहार उत्तरप्रदेश के साथ अन्य राज्यो में चावल, उड़द दाल से बनने वाली खिचडी, देश के कई हिस्सों में बनाई जाती है लेकिन खासकर उत्तरप्र...

मकरसंक्रांति पर कराएं 108 आदित्य हृदय स्रोत पाठ

पूजा के लाभ- • सूर्य के तेज समान आपके मान में वृद्धि होगी। • आकस्मिक परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। • सूर्य से जुड़े समस्त कष्ट दूर होंगे। • नौकरी एवं व्यापार में सफलता मिलेगी। • सुखद वैवाहिक जीवन होगा। मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। पौष मास में इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन पूजन और ब्राह्मण भोज जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है। यह त्योहार अलग-अलग शहरों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। मकरसंक्राति का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है इस दिन हर इच्छा पूर्ण होते है। ये दिन हिन्दू शास्त्र के अनुसार नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव का आशीर्वाद अवश्य ही प्राप्त करना चाहिए, उससे आपके सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होते है। यह पूजन करवाने से सूर्यदेव की कृपा के साथ सभी ग्रहों की उपस्थिति मजबूत होती है। आपके मान सम्मान में सूर्य देव के तेज के समान वृद्धि होती है। नवग्रहों की कृपा से घर में होने वाले क्लेश, अचानक आने वाली परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस दिन पूजा करवाने से सूर्यदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हमारी सेवाएं- हमारे पंडित जी द्वारा पूर्ण विधि– विधान से आदित्य हृदय स्रोत पाठ एवं हवन के साथ ब्राह्मण भोज कराया जाएगा । अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्...