मणिपुर हिंसा क्यों हुई

  1. Manipur Violence: मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, पीएम मोदी ने नहीं बुलाई सर्वदलीय बैठक, कांग्रेस ने केंद्र पर उठाए सवाल
  2. Manipur Explainer: क्यों भड़की मणिपुर में हिंसा, क्या है कुकी, मेइती, ड्रग्स और म्यांमार कनेक्शन?
  3. Manipur violence: मणिपुर में क्यों उठी अलग राज्य की मांग? कुकी
  4. नहीं थम रहा मणिपुर में हिंसा का दौर, बीती रात गोलीबारी में मैतई समुदाय के 9 लोगों की मौत, दर्जनों घायल
  5. 42 दिन में 100 से ज्यादा की जान गई, 47 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में


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Manipur Violence: मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, पीएम मोदी ने नहीं बुलाई सर्वदलीय बैठक, कांग्रेस ने केंद्र पर उठाए सवाल

Manipur Violence: मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, पीएम मोदी ने नहीं बुलाई सर्वदलीय बैठक, कांग्रेस ने केंद्र पर उठाए सवाल Manipur Violence: मणिपुर हिंसा पर विपक्ष एक सर्वदलीय बैठक की मांग कर रहा है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि अब तक क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रहे हैं. डीएनए हिंदी: मणिपुर में एक बार फिर सांप्रदायिक हिंसा भड़की है. राज्य के खमेनलोक में गोलीबारी हुई, जिसमें 9 की मौत हो गई. कांग्रेस (Congress) ने मणिपुर में हुई हिंसा (Manipur Violence) की ताजा घटनाओं को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार एक बार फिर तीखा हमला बोला है. मणिपुर की जनता के साथ किए गए अपराध की जिम्मेदारी उसे लेनी चाहिए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह सवाल भी किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजनीतिक समाधान के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रहे हैं? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद मणिपुर की स्थिति पर कुछ खास असर नहीं पड़ा है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, 'मणिपुर में कल हुई हिंसा में नौ लोगों की मौत हो गई. मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर के बारे में जिस तरह शर्मनाक ढंग से वाह-वाह किया है उससे मानवता की आवाज को दबा दिया गया.' 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने मूकदर्शक,' मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्यों कहा? मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि पूर्वोत्तर के सीमावर्ती राज्य को हिंसा की आग में झोंक दिया गया है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर में हिंसा और हथियारों की लूट से जुड़ी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री अब भी मूकदर्शक बने हुए हैं. मोदी जी ने मणिपुर पर एक भी बैठक की अध्यक्षता नहीं की है. लेकिन कांग्रेस पार्टी मो...

Manipur Explainer: क्यों भड़की मणिपुर में हिंसा, क्या है कुकी, मेइती, ड्रग्स और म्यांमार कनेक्शन?

Manipur Explainer: 22,347 वर्ग किमी में फैला पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर बीते कई दिनों से हिंसा की आग में झुलस रहा है। मणिपुर की सरकार ने बेहद विषम परिस्थिति में हिंसा को रोकने के लिए, हिंसा करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया है। बता दें कि 3 मई को मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद से पूरा राज्य हिंसा की आग में समा गया। इस हिंसा में अब तक सैकड़ों गांवों पर हमला किया गया, घरों में आग लगा दी गईं, दुकानों में तोड़फोड़ की गई और मंदिरों व चर्चों में भी तोड़फोड़ की गई। क्या है 10 साल पुराना मामला? दरअसल साल 2012 से ही शिड्यूल ट्राइब डिमांड कमेटी ऑफ मणिपुर (एसटीडीसीएम), मेइती समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रही है। इसे लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका डाली गई। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय होने से पहले उनके पूर्वजों को यहां जनजाति का दर्जा था। उनके पूर्वजों की जमीन, परंपरा, संस्कृति और भाषा की रक्षा के लिए उन्हें जनजाति का दर्जा जरूरी है। क्योंकि उनके समुदाय को पहाड़ों से अलग किया जा रहा है जबकि जिन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ है, वे इंफाल वैली में भी जमीन खरीद रहे हैं। इस मामले पर मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 19 अप्रैल 2023 को 10 साल पुरानी केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय की सिफारिश प्रस्तुत करने के लिए कहा। इस सिफारिश में मेइती समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के लिए कहा गया था। तभी कोर्ट ने 2013 यानि 10 साल पहले जनजाति मंत्रालय के एक पत्र का हवाला देते हुए 3 मई 2023 को सरकार को निर्देश दिया कि वह 10 साल पुरानी सिफारिश पर विचार करे, जिसमें मेइती समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी। कोर्ट ने कहा था कि 10 ...

Manipur violence: मणिपुर में क्यों उठी अलग राज्य की मांग? कुकी

डीएनए हिंदी: मणिपुर में सुलगी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्य के ज्यादातर हिस्सों में सख्त कर्फ्यू है फिर भी हिंसक घटनाओं पर लगाम नहीं लग रही है. मैतेई और कुकी समुदाय, एक-दूसरे के खिलाफ हिंसक आंदोलन कर रहे हैं. अब मणिपुर में नए मणिपुर राज्य की मांग उठ रही है. मणिपुर हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में स्थितियां संभलने का नाम नहीं ले रही हैं. हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं. दोनों समुदायों को लग रहा है कि राज्य में हालात तभी काबू में आएंगे, जब मणिपुर का स्पष्ट विभाजन होगा. दोनों समूहों को अलग-अलग राज्य मिलेंगे. इसे भी पढ़ें- मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद करीब 37,450 लोग 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं. राज्य का मैतेई समुदाय अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांग रहा है. इस मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' ने आयोजन बुलाया था. तब पहली बार 3 मई को हिंसक झड़पें हुई थीं. कर्फ्यू के बाद भी नहीं थम रही है हिंसा मैतेई समुदाय की आबादी राज्य में करीब 53 प्रतिशत है. ज्यादातर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय नागा और कुकी कुल आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं. ये ज्यादातर पहाड़ी हिस्से में रहते हैं. दोनों समुदायों के बीच एक महीने से अधिक समय से संघर्ष चल रहा. स्थानीय प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है. मणिपुर में क्यों उठी अलग राज्य की मांग? अब, कुकी समुदाय ने दावा किया है कि मणिपुर में वर्तमान स्थिति केवल इसलिए पैदा की गई, जिससे कुकी पहाड़ी हिस्सों से हट जाएं. कुकी समुदाय की मांग है कि अब उन्हें मैतेई समुदाय से अलग रहने दिया जाएगा. राज्य में मैतेई बहुमत में हैं. कुकी समुदाय की मांग है अलग राज्य कुकी समुदाय ने मां...

नहीं थम रहा मणिपुर में हिंसा का दौर, बीती रात गोलीबारी में मैतई समुदाय के 9 लोगों की मौत, दर्जनों घायल

नई दिल्ली: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलवार की रात कांगपोकी जिले में गोलीबारी में 9 लोगों की मौत हो गई. साथ ही इस घटना में दर्जन भर लोगों के घायल होने की खबर है. कांगपोकी मैतई बहुल जिला है. पुलिस के मुताबिक आधी रात को कांगपोकी के करीब एक गांव खामेलोक और इंफाल पूर्वी जिले में अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों ने हमला कर दिया. इस घटना में मारे गए सभी लोग खामेलोक गांव के निवासी थे. इससे पहले कल विष्णुपुर जिले में भी हिंसा हुई थी. यहां कुकी समुदाय के लोग मैतेई समुदाय के क्षेत्र में बंकर बनाने की कोशिश कर रहे थे जिसके बाद दोनों समुदाय के लोगों के बीच झड़प हो गई. इसके बाद कुकी उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच गोलीबारी भी हुई. मणिपुर में जारी हिंसा में अब तक 115 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 50 हजार से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा है. राज्य में लगभग 350 से अधिक विस्थापित कैंप चल रहे हैं जिसमें लोगों को रखा गया है. 3 मई को शुरू हुई हिंसा में अब तक हजारों लोग घायल हो चुके हैं. इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंसाग्रस्त मणिपुर का दौरा किया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य में शांति कायम करने के लिए एक शांति समिति बनाई थी. दरअसल मणिपुर का मैतई समुदाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है। इसके खिलाफ तीन मई को राज्य के पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था जिसके बाद राज्य में हिंसा शुरू हो गई। राज्य के 16 जिलों में से 11 में कर्फ्यू लगा हुआ है। वहीं पूरे राज्य में इंटरनेट बंद है. आज असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलेंगे. इससे पहले ह...

42 दिन में 100 से ज्यादा की जान गई, 47 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में

मैतेई लोगों पर हमले के लिए कुकी ले रहे ड्रोन का सहारा कुकी समुदाय के लोग मैतेई गांवों और जंगल में छिपे इस समुदाय के लोगों को तलाशने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह खुलासा बिष्णुपुर जिले के फोइगक्चाओ इखाई गांव में ग्रामीणों को ड्रोन मिलने से हुआ है। यह ड्रोन 8 जून को मिला था। ड्रोन में लगे कैमरे में मोइरांग और आसपास के इलाकों के वीडियो फुटेज कैद थे। दिल्ली में 7 जून को कुकी समुदाय के लोगों ने गृहमंत्री अमित शाह के घर के बाहर प्रदर्शन किया था। ये राज्य में जल्द से जल्द शांति स्थापित करने की मांग कर रहे थे। RAF के जवानों ने वाहनों और घरो के शीशे तोड़े मणिपुर में एक बार फिर RAF के जवान सिंगजमेई युमनाम लीकाई और मोइरांगखोम में मंगलवार तड़के निजी वाहनों और रिहायशी घरों की खिड़कियों को तोड़ते हुए दिखे हैं। इनकी हरकत CCTV में कैद हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार इन्होंने 10 वाहनों के शीशे और दो घरों की खिड़कियों के कांच तोड़े हैं। बताया जा रहा है कि RAF के ये जवान मंगलवार तड़के करीब 2:20 बजे सिंगाजामेई से मोइरांगखोम की ओर जा रहे थे तभी उन्होंने शीशे तोड़े। 42 दिन से जारी हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत मणिपुर में 42 दिन से जारी हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 320 घायल हैं और 47 हजार से ज्यादा लोग 272 राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। वहीं, 10 जून को राज्य के 11 अफसरों का तबादला कर दिया गया। इनमें IAS और IPS अफसर शामिल हैं। इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह इस महीने की शुरुआत में 4 दिन के दौरे पर यहां आए थे। इस दौरान राज्य के DGP पी. डोंगल को हटा दिया गया था। उनकी जगह राजीव सिंह को कमान सौंपी गई है। केंद्र सरकार ने गवर्नर की अध्यक्षता में शांति समिति बनाई कें...