मनोहर कहानियां

  1. Manohar Kahaniya in Hindi
  2. मनोहर कहानियां
  3. Author
  4. मनोहर कहानियां: ट्रेनी सीओ की 4 महीने की दुल्हन
  5. मनोहर कहानियां: अय्याशी में गई जान
  6. पत्थर दिल: प्यार की अजब कहानी
  7. मनोहर कहानियां: सर्किट हाउस में महंत की रासलीला
  8. मनोहर कहानियां: 1 मोक्ष, 5 मौतें


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Manohar Kahaniya in Hindi

एक दिन एक गरीब नौजवान जादुगर के घर के पास से गुजर रहा था। उसे किसी की कराहने की आवाज सुनाई दी। नौजवान आवाज सुन कर वहां रूक गया। और उस घर के अंदर आया, घर के अंदर जाने के बाद उसने देखा एक बुढ़ा व्यक्ति बहुत बीमार और बेड पर सोया अपनी दर्द भरी आवाज निकाल रहा था। नौजवान बुढ़े व्यक्ति के पास आकर पूछा क्या हुआ बाबा? बुढ़ा व्यक्ति बोला, “उसे भूख लगी है और उसके पैरों में बहुत पीरा भी हो रही है”। नौजवान ने तुरंत उस बुढ़े व्यक्ति के लिए उसके घर में खाने के लिए दाल-चावल बना कर उसे खिलाया और उसके पैरों में तेल की मालिश भी कर दी। Related Posts: • तेनालीराम की कहानियाँ | Tenaliram ki kahaniya in hindi |… • कहावतों की कहानियां हिंदी में। Kahavaton ki Kahaniyan in… • Panchtantra Story in hindi with Moral | पंचतंत्र की कहानियां… • Panchtantra ki Kahaniyan | पंचतंत्र की कहानियां |… • Bacchon ki Shikshaprad Kahaniyan | बच्चों की शिक्षाप्रद… • Chhote Bacchon ki Kahaniyan | छोटे बच्चों की कहानियां | सोने… • अलीबाबा और चालीस चोर की हिंदी कहानी | हिंदी कहानी फॉर किड्स • Jungle Book Story in Hindi | जंगल बुक स्टोरी इन हिंदी बुढ़े व्यक्ति ने बोला तुम दूसरे शहर क्यों जा रहे हो? काम तो इस शहर में भी कर सकते हो? नौजवान ने जवाब दिया मुझे एक शहर से दूसरे शहर घुमना बहुत पसंद है। और मुझे नये लोगों से मिलना जुलना अच्छा लगता है। में एक अनाथ हूं इसलिए मैं पूरी दुनिया को अपना परिवार मानकर सभी जगह घुमने की इच्छा रखता हूं। जादुगर को नौजवान की बातें सुनकर बहुत अच्छा लगा। उसने उस नौजवान को बताया की वह एक जादुगर है। उसके पास उड़ने वाला एक जादुई संदूक है। जिसे वह उसे देने की इच्छा रखता है ताकी वह उस संदूक में बैठ पूरी दु...

मनोहर कहानियां

ईद के अगले दिन 4 मई, 2022 की रात को करीब 9 बजे का वक्त था. तेलंगाना में हैदराबाद के सरूरनगर इलाके की मेन सड़क पर गाडि़यों का आवागमन लगातार बना हुआ था. पैदल यात्रियों की भी भीड़भाड़ थी. तहसीलदार औफिस से ठीक पहले चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल के ग्रीन होने के इंतजार में हर तरह की छोटीबड़ी गाडि़यां खड़ी थीं. कुछ पैदल लोग सड़क पार कर रहे थे, जबकि कुछ सड़क के किनारे खड़े थे. ग्रीन सिग्नल होने का इंतजार स्कूटी पर बैठे एक नवविवाहिता जोड़े को भी था. वह युवक कोई और नहीं बिलियमपुरम नागराजू था, जिस ने आशरीन सुलताना के साथ हाल ही में प्रेम विवाह किया था. शादी के बाद आशरीन ने अपना नाम पल्लवी रख लिया था. गहरे सांवले रंग के नागराजू के साथ पीछे चिपक कर बैठी गोरीचिट्टी पल्लवी साइड मिरर में अपनी सूरत निहार रही थी. तभी युवक पत्नी से मुसकराते हुए बोला, ‘‘अपनी खूबसूरती आईने को दिखा रही हो या मुझे?’‘‘अरे नहीं जी, मुहांसे देख रही हूं. कुछ ज्यादा ही निकल आए हैं,’’ पल्लवी बोली. ‘‘देसी उपाय करो, ठीक हो जाएंगे. वैसे तुम इस में भी गजब की सुंदर दिखती हो,’’ नागराजू ने मजाक किया.‘‘अच्छाजी! तुम तो दादी अम्मा की तरह बोलते हो,’’ पल्लवी भी मजाकिया लहजे में बोली. तभी सिग्नल की लाइट ग्रीन हो गई. पल्लवी ने नागराजू की कमर कस कर पकड़ ली और उस ने स्कूटी तेजी से आगे बढ़ा दी. स्कूटी के अचानक तेज होने से पल्लवी थोड़ा पीछे की ओर झुक गई और संभलती हुई बोली, ‘‘गिराने का इरादा है क्या?’’‘‘तुम्हें कैसे गिरा सकता हूं, तुम तो मेरी जान हो.’’ नागराजू प्यार जताते हुए बोला. ‘‘अच्छा ऐसा है क्या?’’पल्लवी का बोलना था कि उस के पति नागराजू ने स्कूटी को अचानक ब्रेक लगा दिया.‘‘अरे..अरे...अब क्या हुआ?’’ पल्लवी ने तेज आवाज में पूछा, लेकिन तब...

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कवि की मनोहर कहानियां कवि आत्मा है, मनुष्य शरीर है। कवि जीभ है, मनुष्य नमक है। कवि प्यास है, मनुष्य पानी है। कवि भूख है, मनुष्य रोटी है। कवि कविता की जगह एक नाव बना दे तो जनता उसमें चढ़ बैठे, ताकि जब डूबने की घड़ी आए तो जान बचाने का सामान हो। कवि कहता है, नाव बनाना मामूली काम है। वह ऐसे मामूली काम क्यों करे? वह महान काम के लिए पैदा हुआ है। नाव तो किसी ऐरे-गैरे से बनवा लो जो लकड़ी ठोंकना जानता हो, कवि तो कविता ठोंकता है। कवि इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में बैठा सोच रहा है, वह आदमी बन गया तो कविता कौन करेगा ? ​ कवि अस्पताल, बैंक, स्कूल, फिल्म, रेस्टोरेंट, देह, मेह, मोबाइल, नाचघर और क्रिकेट को भोगता है। कवि आरटीआई लगाता है और क्रांति का भुट्टा खाता है , पर कवि स्कूटी का लाइसेंस नहीं रखता। ये ऐसे ही कवि की मनोहर कहानियाँ हैं UNPARALLELED SATIRE, MASTERFUL STORYTELLING, SUPERBLY SUCCINCT.​​​​​​​​ मारक कथाओं और व्यंग्य शिल्प का अनूठा अनुभव ​ A KHATAAKK FICTION SERIES Presents KAVI KI MANOHAR KAHANIYAN नया परिवर्धित संस्करण अब राजकमल समूह से उपलब्ध। बोसकीयाना ज़रूरी नहीं कि शाम की शफ़क़ आप भी उसी तरह से देखें, जैसे मैं देखता हूँ. ज़रूरी नहीं कि उसकी सुर्खी आपके अन्दर भी वही रंग घोले , जो मेरे अन्दर घोलती है . हर लम्हा, हर इन्सान अपनी तरह खोल कर देखता है . इसलिए उन लम्हों पर मैंने कोई मुहर नहीं लगाई , कोई नाम नहीं दिया. ​ बोसकीयाना कोई तीन दहाई लम्बी मुलाक़ात से बीने हुए कुछ लम्हों का दो सौ पेजी तर्ज़ुमा है। इसकी अढ़ाई दिन की शक़्ल में गुलज़ार का मक़नातीसी जादू खुलता है... शायरी, फिल्म, ज़िन्दगी और वक़्त का जुगनू रोशन होता है। जो जानते हैं , वो जानते हैं कि गिरह से ज़्यादा रमाने वाली गिरह ...

मनोहर कहानियां: ट्रेनी सीओ की 4 महीने की दुल्हन

लखीमपुर खीरी में गोकर्णनाथ बाजार में शाम की भीड़भाड़ थी. लोगों की आवाजाही की परवाह किए बगैर मोनिका अपनी स्कूटी का हौर्न बजाती फर्राटा भरती जा रही थी. तभी सामने एक युवक आ गया. वह टकरातेटकराते बचा. उस युवक ने दोनों हाथों से स्कूटी का हैंडल पकड़ लिया. नाराजगी दिखाते हुए बोला, ‘‘स्कूटी इतनी तेज क्यों चला रही हो?’’ ‘‘तुम कौन हो मुझे रोकनेटोकने वाले?’’ मोनिका भी उसी लहजे में तपाक से बोली. ‘‘मुझे चोट लग जाती तो..? वैसे मैं पुलिस वाला हूं,’’ युवक बोला. ‘‘लगी तो नहीं न...हुंह बगैर वरदी के ड्यूटी कर रहे हैं. चलो, सामने से हटो.’’ मोनिका बोली. ‘‘गलती करती हो फिर भी इतनी ऐंठ रही हो. तुम हो कौन, जो इतने तेवर दिखा रही हो?’’ युवक बोला. ‘‘अगर कहूं कि मैं भी पुलिस वाली हूं तो...’’ ‘‘झूठ, तुम पुलिस वाली हो ही नहीं. देखो, तुम्हारा आला नीचे गिरा हुआ है,’’ युवक बोला. मोनिका ने नीचे देखा, सड़क पर उस का स्टेथेस्कोप (आला) गिरा हुआ था. तब तक सड़क पर उन के आगेपीछे कई गाडि़यां खड़ी हो गई थीं. जाम हटाने के लिए एक सिपाही वहां आया. आते ही उस ने उस युवक को सैल्यूट मारा. इस के बाद वह युवक वहां से चला गया. तब तक मोनिका अपनी स्कूटी दोबारा स्टार्ट कर चुकी थी. युवक के जाते ही उस ने सिपाही से पूछा, ‘‘तुम ने उसे सैल्यूट क्यों मारा? कौन था वह?’’ ‘‘मैडम, आप नहीं जानतीं, वह पुलिस अफसर हैं.’’ यह कहते हुए सिपाही वहां से चला गया. मोनिका कुछ पल के लिए सिपाही की बात सुन कर स्तब्ध रह गई. गलती उस की थी, भीड़ में स्कूटी तेज नहीं चलानी चाहिए थी. स्कूटी के सामने युवक की जगह कोई बुजुर्ग, बच्चा या महिला होती तो... यह सोच कर वह सिहर गई.

मनोहर कहानियां: अय्याशी में गई जान

27 फरवरी, 2022 को सुबह ही भाई सोनू कुमार का नंबर देखते ही सोनिया चहक उठी. उस ने फोन उठाया तो सोनू ने कहा, ‘‘आज रात मैं ने नीशू और उस की मां जयंती की हत्या कर दी. उन दोनों की लाशें घर में पड़ी हुई हैं. मैं बच्चों को साथ ले कर तेरे पास आ रहा हूं.’’ भाई का फोन रिसीव करते ही उस की खुशियां काफूर हो गईं. इस से पहले कि सोनिया उस से कुछ बात कर पाती, सोनू ने फोन काट दिया. भाई की बात सुनते ही उस का माथा घूम गया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस का भाई जो कह रहा था, वह सच था या वह मजाक कर रहा था. भाई की बात सुनते ही सोनिया सदमे में पहुंच गई. उस ने उस के बाद कई बार भाई के मोबाइल पर काल लगाने की कोशिश की, लेकिन उस ने रिसीव नहीं की. उस के बाद सच्चाई जानने के लिए उस ने अपने ममेरे भाई रामपाल को फोन कर भाई सोनू के घर की स्थिति जानने के लिए भेजा. ममेरा भाई रामपाल उस के घर पहुंचा तो घर पर बाहर से ताला लगा हुआ था. उस ने उस के पड़ोसियों से सोनू के बारे में जानकारी लेनी चाही तो किसी से भी कुछ जानकारी नहीं मिल पाई. उस के बाद रामपाल सिंह सीधे जसपुर कोतवाली पहुंचा. कोतवाली पहुंचते ही उस ने कोतवाल जे.एस. देऊपा के सामने सारी हकीकत रख दी. एक घर में दोहरे हत्याकांड की बात सुनते ही कोतवाल देऊपा पुलिस टीम के साथ जसपुर कस्बे में मोहल्ला नत्था सिंह पंडों वाले कुएं के पास स्थित सोनू के घर पहुंचे और उन्होंने उस के बंद घर का ताला तुड़वाया.

पत्थर दिल: प्यार की अजब कहानी

मैंने मोबाइल में समय देखा. 6 बजने में 5 मिनट बाकी थे. सुधा को अब तक आ जाना चाहिए था, वह समय की बहुत पाबंद थी. मेरी नजर दरवाजे पर टिकी थी. डेढ़, पौने 2 साल से यही क्रम चला आ रहा था. इस का क्या परिणाम होगा, मैं भी नहीं जानता था. फिर भी मैं सावधान रहता था. जो भी हो रहा था, वह उचित नहीं था, यह जानते हुए भी मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था. माना कि वह मुझ पर मुग्ध थी, पर शायद मैं कतई नहीं था. मेरा हराभरा, भरापूरा संसार था. सुंदर, सुशील, गृहस्थ पत्नी, 2 बच्चे, प्रतिष्ठित रौबदाब वाली नौकरी. 15 साल के वैवाहिक जीवन में पत्नी से कभी किसी तरह की कोई किचकिच नहीं. यह अलग बात है कि कभी पल, 2 पल के लिए किसी बात पर तूतूमैंमैं हो गई हो. फिर भी अंदर से व्यवहारिक गृहस्थ कट रहा था कि अभी समय है, यहीं रुक जाओ, वापस लौट आओ. वैसे सुधा के साथ मेरे जो संबंध थे, वे इतने छिछोरे नहीं थे कि एक झटके में तोड़े जा सकें या अलग हुआ जा सके. सब से बड़ी बात यह थी कि हम ने कभी मर्यादा लांघने की कोशिश नहीं की. हमारे रिश्ते पूरी तरह स्वस्थ और समझदारी भरे थे. कुछ हद तक मेरे बातचीत करने के लहजे और कलात्मक स्वभाव की वजह से वह मेरी ओर आकर्षित हुई थी. इस में कुछ भी अस्वाभाविक नहीं था. आप से 10 साल छोटी युवती आप से जबरदस्त रूप से प्रभावित हो और आप संन्यासी जैसा व्यवहार करें, यह संभव नहीं है. मैं ने भी खुद को काबू में रखने की कोशिश की थी, पर मेरी यह कोशिश बनावटी थी, क्योंकि शायद मैं उस से दूर नहीं रह सकता था. कोशिश की ही वजह से आकर्षण घटने के बजाय बढ़ता जा रहा था. लगता था कि यह छूटेगा नहीं. उस की नौसिखिया लेखकों जैसी कहानियां को मैं अस्वीकृत कर देता, वह शरमाती और निखालिस हंसी हंस देती. फिर फटी आंखों से मुझे देखती और अपनी ...

मनोहर कहानियां: सर्किट हाउस में महंत की रासलीला

मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के रीवा शहर में चैत्र नवरात्र के अवसर पर संकटमोचन हनुमान कथा के आयोजन की तैयारियां जोरशोर से चल रही थीं. पहली अप्रैल से 10 अप्रैल तक चलने वाले इस कार्यक्रम के आयोजक करोड़पति बिल्डर अजीत समदडि़या थे. समदडि़या ग्रुप मध्य प्रदेश का बड़ा व्यापारिक घराना है, जिस के जबलपुर और रीवा में आलीशान होटल, मौल और आधुनिक ज्वैलरी शोरूम हैं. रीवा में भी समदडि़या ग्रुप के मौल ‘समदडि़या गोल्ड’ का शुभारंभ होना था. इसी मकसद से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा के पूर्व सांसद और अयोध्या के राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट से जुड़े रामविलास वेदांती के द्वारा हनुमान कथा का वाचन किया जाना था. इस आयोजन की जिम्मेदारी समदडि़या ग्रुप द्वारा महंत सीताराम दास को सौंपी गई थी. पूरा शहर इस आयोजन के बैनर और होर्डिंग से पटा हुआ था. महंत सीताराम दास उत्तर प्रदेश के बहराइच में श्रीराम जानकी मंदिर में महंत की गद्दी संभाले हुए हैं. पिछले 2 महीने से रीवा में कई बार आ कर वह स्थानीय नेताओं, अफसरों और कारोबारियों से मिल कर इस आयोजन की तैयारियों में लगे हुए थे. पहली अप्रैल, 2022 से शुरू होने वाले इस धार्मिक आयोजन के सिलसिले में महंत सीताराम दास 28 मार्च, 2022 को ही रीवा पहुंच गए थे. वह अपने शिष्यों को साथ ले कर हनुमान कथा और यज्ञ की व्यवस्थाओं को देख रहे थे. रीवा में महंत के खास शिष्य विनोद पांडे ने उन के ठहरने के लिए सर्किट हाउस राजनिवास बुक करवाया था. सर्किट हाउस के एनेक्सी नंबर 4 में महंत ठहरे हुए थे. शाम होते ही महंत शिष्य विनोद से बोला, ‘‘आज कुछ खास इंतजाम नहीं है क्या?’’

मनोहर कहानियां: 1 मोक्ष, 5 मौतें

भारत भूषण श्रीवास्तव बात 20 दिसंबर, 2021 की सुबह के समय की है. हरियाणा के हिसार जिले की बरवाला-अग्रोहा रोड पर गांव वालों ने एक अधेड़ व्यक्ति की लाश पड़ी देखी. पहली नजर में लग रहा था कि किसी गाड़ी ने कुचला है. यानी यह सड़क हादसे का मामला लग रहा था. कुछ ही देर में वहां आनेजाने वालों की भीड़ जमा हो गई. आसपास के गांवों के लोग भी वहां जमा हो गए. भीड़ में से किसी व्यक्ति ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. वहां मौजूद लोगों में कुछ लोगों ने मृतक को पहचान लिया. वह पास के ही नंगथला गांव का रहने वाला 45 वर्षीय रमेश था. रमेश का समाज में मानसम्मान था. इसलिए आसपास के गांवों के लोग उसे अच्छी तरह जानते थे. तभी तो उस की इतनी जल्द शिनाख्त हो गई. सूचना पा कर पुलिस कुछ ही देर में वहां पहुंच गई और घटनास्थल की जांच करने लगी. इधर कुछ लोग यह खबर देने के लिए रमेश के घर की तरफ दौड़े, लेकिन जब वह घर पर पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर और सन्न रह गए. क्योंकि घर पर 4 और लाशें पड़ी थीं. इस के बाद गांव में ही नहीं, बल्कि क्षेत्र में सनसनी फैल गई. क्योंकि एक ही परिवार के 5 सदस्यों की मौत बहुत बड़ी घटना थी. रोड पर रमेश के एक्सीडेंट के मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को जब पता चला कि रमेश के घर में 4 सदस्यों की लहूलुहान लाशें पड़ी हैं तो वे भी सन्न रह गए. उन्हें मामला जरूरत से ज्यादा संगीन लगा, लिहाजा इस की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को देने के बाद वहां से कुछ पुलिसकर्मी रमेश के घर की तरफ चल दिए. उन के पीछेपीछे भीड़ भी चल दी.