मोहम्मद रफी की आवाज में गाने

  1. Mohammed Aziz Birth Anniversary: मोहम्मद रफी के गाने सुन
  2. Mohammed rafi birthday special unknown stories of mohammed rafi you should not miss read here
  3. मोहम्मद रफी के 10 फेमस गाने
  4. हर बेटी की विदाई में बजता है ये गाना, छलक पड़ती हैं आंखे, दर्द में डूबे सिंगर ने रो
  5. bilaspur newsअपनी मधुर आवाज से एसपी बाला सुब्रमण्यम के गीतों में बांधा समां
  6. मोहम्मद रफ़ी
  7. 'तुम मुझे यूं भुला न पाओगे': कायम है मोहम्मद रफी की आवाज की दीवानगी
  8. How Singer Mohammed Rafi Got His First Bollywood Hit Song, Know In Details


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Mohammed Aziz Birth Anniversary: मोहम्मद रफी के गाने सुन

मोहम्मद अजीज (Mohammed Aziz) एक ऐसे सिंगर के रुप में जाने जाते हैं, जिसे हिंदी के साथ-साथ बंगाली और उड़िया फिल्मों में गाने का रिकॉर्ड बनाया. मोहम्मद अजीज को अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की सुपरहिट फिल्म ‘मर्द’ के गाने ‘मर्द तांगेवाला’ ने मशहूर किया, और ये मौका उन्हें इस फिल्म के संगीतकार अनु मलिक ने दिया था. इस गाने के बाद तो अजीज संगीत की दुनिया के चर्चित गायक में शुमार हो गए. 2 जुलाई 1954 में कोलकाता में मोहम्मद अजीज का जन्म हुआ था. इस मौके पर बताते हैं हम आपको सिंगर की जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्से. हिंदी सिनेमा को कई शानदार गानें देने वाले दिग्गज गायक मोहम्मद अजीज को बचपन से ही गायिकी का शौक था. मोहम्मद रफी के जबरदस्त प्रशंसक थे. रेडियो पर जब भी उन्हें रफी साहब के गाने सुनने का मौका मिलता, सब काम छोड़ गाने के साथ-साथ गुनगुनाते लगते है. कह सकते हैं कि यही उनकी प्रैक्टिस थी. धीरे-धीरे मोहम्मद रफी के गाने ही उनकी रोजी-रोटी का जरिया बन गया. रेस्टोरेंट में गाते थे मोहम्मद अजीज मोहम्मद अजीज जब थोड़े बड़े हुए तो कोलकाता (उस समय का कलकत्ता) के एक रेस्टोरेंट में मोहम्मद रफी के गाने सुनाने लगे. रफी के गाने मोहम्मद अजीज की आवाज में लोगों को इतनी पसंद आती थी कि खुश होकर उन्हें बख्शीश भी दिया करते थे. इसी रेस्टोरेंट में उस दौर के कई फिल्ममेकर भी खाना खाने के लिए आते थे. कहते हैं कि एक बार मोहम्मद अजीज की आवाज एक बंगाली फिल्म निर्माता को बेहद पसंद आई और उन्हें अपनी फिल्म में गाने का ऑफर दे दिया. बस यही से उनका संगीतमय सुहाना सफर शुरू हो गया था. 80-90 के दशक में मशहूर सिंगर बन गए. मोहम्मद रफी की दीवानगी से मिला ‘मुन्ना’ नाम मोहम्मद रफी के दीवाने इस सिंगर को लोग प्यार से मुन्ना ब...

Mohammed rafi birthday special unknown stories of mohammed rafi you should not miss read here

Birthday Special: इस गाने के बाद टूट गई थी मोहम्मद रफी की आवाज, 15 दिनों तक करते रहे थे रियाज कहा जाता है कि रफी की आवाज में जितना जादू था, उतना ही बड़ा उनका व्यक्तित्व भी था. वह हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे रहते थे. इसलिए लोगों के दिलों में उनके लिए एक खास जगह थी. आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़े कुछ ऐसे किस्से बताने जा रहे हैं जो आपने शायद ही सुने होेगे. भारतीय सिनेमा के दिग्गज गायक मोहम्मद रफी का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 24 दिसबंर 1924 को हुआ था. रफी की आवाज में एक ऐसा जादू था जो सीधे दिल तक पहुंचता था, शायद यही वजह है कि आज भी उनके गीत लोगों की दिलों पर छाए रहते हैं. कहा जाता है कि रफी की आवाज में जितना जादू था, उतना ही बड़ा उनका व्यक्तित्व भी था. वह हमेशा लोगों की मदद के लिए आगे रहते थे. इसलिए लोगों के दिलों में उनके लिए एक खास जगह थी. आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़े कुछ ऐसे किस्से बताने जा रहे हैं जो आपने शायद ही सुने होेगे- दरअसल कहा जाता है कि जब रफी बुलंदियों के शिखर पर थे तभी उन्होंने गायकी छोड़ने का फैसला कर लिया था. इसकी वजह थे मौलवी. मौलवियों के कहने पर ही उन्होंने फिल्मों में गाना बंद कर दिया. बताया जाता है कि जब वह हज से लौटकर आए तो कुछ लोगों ने उनसे कहा कि अब आप हाजी हो गए हैं, इसलिए आपको गाना बजाना बंद कर देना चाहिए. इसके बाद रफी ने गाना छोड़ दिया. ये बात जैसे ही फैली, सब परेशान हो गए. उनके परिवार ने उन्हें काफी समझाया कि अगर उन्होंने गाना बंद कर दिया तो घर नहीं चल पाएगा. काफी लोगों के समझाने के बाद रफी मानें और उन्होंने फिर गाना शुरू कर दिया. रफी को पहला ब्रेक पंजाबी फिल्म ‘गुलबलोच’ से मिला था. वहीं मुंबई में उनकी पहली फिल्म ‘ग...

मोहम्मद रफी के 10 फेमस गाने

नई दिल्ली: Mohammed Rafi Birthday: 'तेरी प्यारी-प्यारी सूरत' और 'ये रेशमी जुल्फें' जैसे सदाबहार गानों को अपनी आवाज देने वाले हिंदी सिनेमाजगत के महान फनकार मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) का आज जन्मदिन है. इस खास मौके पर दुनियाभर के लोग मोहम्मद रफी को याद कर रहे हैं. 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में जन्में मोहम्मद रफी ने बॉलीवुड में तीन दशको तक अपनी आवाज का जादू बिखेरा है. मोहम्मद रफी ने कव्वाली, सूफी, रोमांटिक और दर्दभरे गाने (Mohammed Rafi Songs) गाए हैं. हम आपके लिए मोहम्मद रफी के 10 मशहूर गाने लेकर आए हैं. यह भी पढ़ें: गाना- 'तेरी प्यारी-प्यारी सूरत' गाना- 'ये रेशमी जुल्फें' गाना- 'मुझे तेरी मोहब्बत का' गाना- 'क्या हुआ तेरा वादा' गाना- 'ओ दुनिया के रखवाले' गाना- 'चौदहवीं का चांद' गाना- 'चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे' गाना- 'अभी न जाओ छोड़ के' गाना- 'दिल में छुपाकर प्यार' गाना- 'आप के हसीं रुख पे' अपने करियर में अनगिनत हिट गाने देने वाले मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) ने फिल्म बैजू बावरा का 'ओ दुनिया के रखवाले' गीत को गाने से पहले 15 दिन तक रियाज किया था. लेकिन जब इस गीत को गाने की बारी आई तो उनकी आवाज ने साथ नहीं दिया और बुरी तरह टूट गई. कहा जाता है कि ऐसा लगने लगा था कि अब मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) दोबारा कभी गा नहीं पाएंगे. लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने फिर इस गाने को रिकार्ड किया और पहले से ज्यादा स्केल पर इसे गाया. वहीं एक किस्सा ये भी है कि एक कैदी को फांसी पर चढ़ाने पहले जब उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उसने मोहम्मद रफी का गाना 'ओ दुनिया के रखवाले' गीत को सुनने की इच्छा जाहिर की. इसके बाद कैदी के लिए टेप रिकार्डर लाकर यह गाना बजाया गया था.

हर बेटी की विदाई में बजता है ये गाना, छलक पड़ती हैं आंखे, दर्द में डूबे सिंगर ने रो

मुंबई: कहते हैं कि सिनेमा समाज का आईना होता है. आम जिंदगी हो, क्राइम हो या फिर शादी-ब्याह, फिल्मों में जीवन का हर रंग देखने को मिलता है. हर दौर में ऐसे फिल्मी गाने बने हैं जो शादी-ब्याह में खूब बजते हैं. चाहे मेहंदी-फेरे की रस्में हो या विदाई की. आज एक ऐसे ही गाने की बात कर रहे हैं जो साल 1968 में पहली बार सुनने को मिली थी. वहीदा रहमान, राज कुमार, मनोज कुमार स्टारर फिल्म ‘नील कमल’ का एक गाना ‘बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले’ एक ऐसा गाना है,जो लगभग हर बेटी की विदाई पर जरूर सुना जाता है. इस गाने में इतना दर्द है कि न चाहते हुए सुनने वालों की आंखे छलक जाती हैं. लेकिन मोहम्मद रफी की आवाज में इतना दर्द आया कैसे, इसका किस्सा बेहद दिलचस्प है. जब किसी गाने की रिकॉर्डिंग होती है तो डायरेक्टर तो बताते ही हैं कि गाना किस मूड का है, बोल से भी सिंगर्स को पता चल जाता है. कुछ गाने मस्ती भरे होते हैं, कुछ रोमांटिक होते हैं तो कुछ दर्द भरे होते हैं. हर गाने का अपना मूड होता है और जो सिंगर्स गाने के मूड के हिसाब से अपनी आवाज ढाल लेते हैं, उसका जिक्र बरसों बाद भी होता है, जैसे आज ‘बाबुल की दुआएं लेती जा’ का हो रहा है. PELE के सवाल पर फंस गए अमोल पालेकर, उत्पल दत्त के सामने बोलती हो गई बंद, ‘गोलमाल’ का मजेदार किस्सा मोहम्मद रफी के दिल से निकला एक-एक लफ्ज मोहम्मद रफी की आवाज में इस गाने को जब भी सुनिए तो ऐसा लगता है कि गाने का एक-एक लफ्ज दिल की गहराइयों से निकला है. मशहूर सिंगर जब इस गाने को रिकॉर्ड कर रहे थे तो गाने के हर शब्द अपनी बेटी की विदाई से जुड़े हुए लग रहे थे. अपनी बेटी की शादी और विदाई की कल्पना कर रफी साहब भावुक हो रहे थे. दरअसल, रफी साहब की बेटी की शादी इस गाने की...

bilaspur newsअपनी मधुर आवाज से एसपी बाला सुब्रमण्यम के गीतों में बांधा समां

bilaspur newsबिलासपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। उत्तर प्रदेश के मशहूर पार्श्वगायक गायक एसपी बालसुब्रमण्यम की यादों को अपनी समुधुर आवाज और गीतों के माध्यम से कलाकारों ने सजीव कर दिया। पार्श्वगायक एसपी के गाए गीतों को उनके अंदाज में गाकर कार्यक्रम को कलाकारों ने आकर्षक तो बनाया है साथ ही जीवंत प्रस्तुति देकर एसपी की यादों को चिरस्थायी बना दिया। सेवन स्टार म्यूजिकल ग्रुप एवं आंध्र समाज के तत्वाधान में बीते दिनों होटल एमराल्ड में आयोजित किया गया। एसपी बालासुब्रमण्यम एवं अन्य गायक कलाकारों के गीत एक से बढ़कर एक प्रस्तुत किए। सेवन स्टार म्यूजिकल ग्रुप के डायरेक्टर राकेश रोशन शाह ने बताया कितेलुगू आंध्र समाज एवं सेवन स्टार म्यूजिकल ग्रुप की तरफ से आज बालु साहब का यह कार्यक्रम कर रहे हैं हम देश के जितने भी मशहूर गायक हैं उनके जन्मदिवस एवं पुण्यतिथि के अवसर पर यादें कार्यक्रम करते हैं आम जनता को उनकी मधुर आवाज में यादें कार्यक्रम के तहत सुनाते हैं हमारी टीम में एक से बढ़कर एक गायक कलाकार हैं हुबहू उन्हीं की आवाज में गाते हैं। मुख्य अतिथि की आसंदी से अनिल टाह ने कहा कि एसपी बालासुब्रमण्यम जैसे अच्छे गायक कलाकार इस दुनिया से विदा हो गए। यह हमारे देश के लिए अपूरणीय क्षति है लेकिन उनकी आवाज उनके गीत हमेशा हमारे कानों में एवं देश में सुनी जाएगी। वे भारतीय पार्श्वगायक अभिनेता संगीत निर्देशक एवं फिल्म निर्माता थे। कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किए हैं। आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा 25 बार तेलुगू सिनेमा में नंदी पुरस्कार भी जीते हैं। आंध्र समाज के सचिव पी श्रीनिवास राव ने कहा कि बालासुब्रमण्यम जी ने शास्त्रीय गायन में औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था लेकिन उसके बाद भी उन्होंने संगीत के क्षेत्र ...

मोहम्मद रफ़ी

अनुक्रम • 1 आरंभिक दिन • 2 ख्याति • 3 गायन सफर • 4 अवरोहन • 5 व्यक्तिगत जीवन • 6 गीतों की संख्या • 7 पुरस्कार एवं सम्मान • 7.1 फिल्मफेयर एवॉर्ड (नामांकित व विजित) • 7.2 भारत सरकार द्वारा प्रदत्त • 8 जिन अभिनेताओं के लिए पार्श्वगायन किया • 8.1 हिन्दी अभिनेता • 8.2 अन्य भाषाओं में • 9 कुछ लोकप्रिय गीत • 9.1 हिन्दी • 9.2 अन्य भाषाएं • 9.2.1 मराठी • 9.2.2 तेलगू • 9.2.3 असमिया • 10 इन्हें भी देखें • 11 सन्दर्भ • 11.1 टीका-टिप्पणी • 11.2 ग्रन्थसूची • 12 बाहरी कड़ियाँ आरंभिक दिन [ ] मोहम्मद रफ़ी का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। आरंभिक स्कूली पढ़ाई कोटला सुल्तान सिंह में हुई। जब मोहम्मद रफी करीब सात साल के हुए तब उनका परिवार रोजगार के सिलसिले में लाहौर आ गया। इनके परिवार का संगीत से कोई खास सरोकार नहीं था। जब रफ़ी छोटे थे तब इनके बड़े भाई की नाई की दुकान थी, रफ़ी का काफी वक्त वहीं पर गुजरता था। कहा जाता है कि रफ़ी जब सात साल के थे तो वे अपने बड़े भाई की दुकान से होकर गुजरने वाले एक मोहम्मद रफ़ी का प्रथम गीत एक ख्याति [ ] तेरा खिलौना टूटा (फ़िल्म बैजू बावरा के गानों ने रफ़ी को मुख्यधारा गायक के रूप में स्थापित किया। इसके बाद नौशाद ने रफ़ी को अपने निर्देशन में कई गीत गाने को दिए। लगभग इसी समय संगीतकार जोड़ी चाहे कोई मुझे जंगली कहे ( एहसान तेरा होगा मुझपर ( जंगली), ये चांद सा रोशन चेहरा ( दीवाना हुआ बादल (आशा भोंसले के साथ, कश्मीर की कली) शम्मी कपूर के ऊपर फिल्माए गए लोकप्रिय गानों में शामिल हैं। धीरे-धीरे इनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी कि अभिनेता इन्हीं से गाना गवाने का आग्रह करने लगे। राजेन्द्र कुमार, दिलीप कुमार और धर्मेन्द्र तो मानते ही नहीं थे कि कोई और गायक उ...

'तुम मुझे यूं भुला न पाओगे': कायम है मोहम्मद रफी की आवाज की दीवानगी

-जन्मदिन- बहुत कम ऐसे कलाकार होते हैं, जिनकी कला को बिना की भेदभाव दिलों में इतनी जगह मिलती हो। महान गायक मोहम्मद रफी की आवाज और गायक की दीवानगी भी कुछ इसी तरह है। उनके गाने जाने कब से लोगों की जुबान पर हैं और नई पीढ़ी भी जज्बाती होने पर उनके गाने में खो जाती है। वह ऐसे गायक थे, जो भाव के साथ गाने में माहिर थे, दृश्य कैसा है और कलाकार कौन है, उसी अंदाज में गा देने जैसा। जैसे कि अभिनय करने वाले के हिसाब से ही लिखा गया गाना हो या फिर उस दृश्य को सोचकर ही फिल्माया गया हो। भजन, कव्वाली, रोमांस, मजाकिया, गंभीर, दुख, पीड़ा, आवारगी, देशभक्ति….सब सिर्फ मुहम्मद रफी के गानों को सुनकर ही महसूस किया जा सकता है। सुहानी रात ढल चुकी…न जाने तुम कब आओगे, चाहे मुझे कोई जंगली कहे…कहता है तो कहता रहे, पुकारता चला हूं मैं…, परदेसियों से न अंखियां मिलाना, सर जो तेरा चकराए..या दिल डूबा जाए, कर चले हम फिदा जानो तन साथियो…अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो….(Craze For Mohammad Rafi) भारत में पैदा हुए सबसे महान पार्श्व गायकों में से एक मोहम्मद रफ़ी को संगीत की विभिन्न शैलियों में गाने वाला जीनियस माना जाता है। बैजू बावरा के शास्त्रीय रूप से झुकाव वाले गीत हों या कश्मीर की कली के फुट टैपिंग गीत, मुहम्मद रफ़ी ने हर गीत को वह अंदाज दिया जिसका वह हकदार था। हिंदी फिल्म उद्योग में शायद आज तक कोई भी मोहम्मद रफी की तरह प्रशंसकों के दिलों पर कब्जा करने में कामयाब नहीं हुआ है। लगभग बीस साल तक रफ़ी हिंदी फिल्म उद्योग में जलवा कायम रहा। अपने शानदार कॅरियर में उन्हें छह फिल्मफेयर पुरस्कार मिले और एक बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिंदी के अलावा उन्होंने कोंकणी, भोजपुरी, बंगाली, उड़िया, पंजाबी, मरा...

How Singer Mohammed Rafi Got His First Bollywood Hit Song, Know In Details

Mohammed Rafi Trivia: मोहम्मद रफी की आवाज़ का जादू किस पर नहीं चला, जिसने उन्हें सुना वो हमेशा के लिए उनका दीवाना हो गया. उन्होंने अपने फिल्मी करियर (Career) में एक से बढ़कर एक सुपर हिट गाने (Songs) गाए हैं. रफी अपने दौर के हर बड़े अभिनेता की आवाज बने, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब रफी साहब एक एक पैसे के लिए मोहताज थे. उस बुरे वक्त में संगीतकार (Music Director) नौशाद (Naushad) ने रफी को ब्रेक देकर उनको फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) में एंट्री दिलवाई. नौशाद के दिए हुए उस मौके के बाद रफी ने फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. रफी की तंगहाली और नौशाद की मदद रफी साहब को सिनेमा में पहली बार एक कोरस गायक के तौर पर केएल सहगल की फिल्म शाहजहां में काम मिला. रिकॉर्डिंग पूरी करने के बाद वो फिल्म के सेट पर बैठ गए. उस बैठे हुए इंसान पर संगीतकार नौशाद की नजर पड़ी. नौशाद ने रफी से घर जाने के बारे में पूछा. इसके जवाब में रफी ने बताया कल भी काम करना है और जाकर वापस आने के पैसे नहीं हैं तो बैठ गया. नौशाद ने कहा कि पैसे ले लेते तो रफी ने जवाब दिया कि बिना पूरा काम किए पैसे कैसे लेता. रफी के इस उत्तर से नौशाद बहुत इम्प्रेस हुए उन्होंने उनको पैसों के साथ अपनी एक फिल्म में गाना गाने का मौका भी दे दिया. रफी के फिल्मी करियर का पहला हिट गाना 'दिल हो काबू में तो दिलदार की ऐसी तैसी गाया' नौशाद का दिया हुआ ही था. जब गले से आ गया था खून इसके बाद नौशाद (Naushad) ने कई और फिल्मों में मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) से गाने गवाए. इसके बाद फिल्म बैजू बावरा (Baiju Bawra) में गाए हुए गानों से मोहम्मद रफी हिंदी सिनेमा के महान गायक (Great Singer) बन गये. बैजू बावरा में रफी ने इतनी मेहनत की कि उनके गले से खून तक आ ग...