Mp प्रमोशन में आरक्षण पर सुनवाई 2022

  1. MP Reservation in Pomotion पदोन्नति आरक्षण मामला
  2. Explainer: प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर आया सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, जानें क्या था पूरा मामला
  3. शिवराज सरकार छह साल बाद 3.50 लाख सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक हटाएगी, नियम तैयार
  4. reservation in promotion Controversy in mp shivraj government narottam mishra statement bhopal dsmp
  5. प्रमोशन में आरक्षण: SC में 21 अक्टूबर से सुनवाई, MP समेत अन्य राज्य दलीलें रखेंगे
  6. Reservation in promotion case Central and state governments appeal to Supreme Court hearing should be done soon said
  7. बिग ब्रेकिंग
  8. प्रमोशन में आरक्षण मामले में आज से होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, विशेष अधिवक्ता मनोज गोरखेला रखेंगे एमपी सरकार का पक्ष
  9. आज सुप्रीम कोर्ट में 1 घंटे चली सुनवाई, MP सहित अन्य राज्यों को पक्ष रखने के लिए 2 सप्ताह का समय


Download: Mp प्रमोशन में आरक्षण पर सुनवाई 2022
Size: 29.13 MB

MP Reservation in Pomotion पदोन्नति आरक्षण मामला

MP Reservation in Pomotion: पदोन्नति आरक्षण मामला- 30 मार्च से सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, जानें कब आएगा फैसला MP Reservation in Pomotion सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई 30 मार्च से होगी। इसका फैसला अप्रैल में आने की उम्‍मीद है। बता दें कि ये मामला मई 2016 से कोर्ट में लंबित है। केंद्र सरकार के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई शुरू कर चुका है। भोपाल, जेएनएन। प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई एक बार फिर शुरू हो रही है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 30 मार्च से सुनवाई शुरू कर रहा है। ऐसी उम्मीद है कि अप्रैल में फैसला आ जाएगा। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के कर्मचारी कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। ज्ञात हो कि मई 2016 से राज्य के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए कर्मचारियों की पदोन्नति रोक दी गई है। इस दौरान करीब 80 हजार कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत हो चुके हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण के मामले में फैसला सुनाते हुए मुद्दों पर फैसला सुनाया है। अब इन्हीं मुद्दों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारें प्रमोशन को लेकर फैसला लेंगी। केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है, वहीं मध्य प्रदेश के मामले में सुनवाई 30 मार्च से शुरू हो रही है। इस दौरान कोर्ट में मध्य प्रदेश के आंकड़े पेश किए जाएंगे। इसके विश्लेषण के बाद फैसला राज्य के संदर्भ में आएगा। उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आंकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय पैमाने के मुताबिक मध्यप्रदेश पूरी तरह से तैयार है। राज्य के दो बड़े अधिकारी इसी महीने सेवान...

Explainer: प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर आया सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, जानें क्या था पूरा मामला

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने पहले ही कह दिया था कि यह सच है कि आजादी के करीब 75 वर्ष बाद भी अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को उस स्तर पर नहीं लाया जा सका है, जहां अगड़ी जातियों के लोग हैं. इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उन कदमों की जानकारी मांगी थी, जो केंद्रीय नौकरियों में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का आकलन करने के लिए उठाए गए. सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत इसके लिए कोई मापदंड तय नहीं कर सकती है और अपने पूर्व के फैसलों के मानकों में बदलाव नहीं कर सकती है. जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वे एम नागराज केस में संविधान बेंच के फैसले में बदलाव नहीं कर सकते हैं. 26 अक्टूबर 2021 को तीन जजों की पीठ ने मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह और विभिन्न राज्यों के लिए उपस्थित अन्य वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए जारी की गई थी गाइडलाइंस सरकारी नौकरियों के प्रमोशन में आरक्षण देने के मामले पर केंद्र और राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की हैं और ये याचिकाएं दो फैसलों से जुड़ी हैं. इन फैसलों में सरकारों को सरकारी नौकिरयों में प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए गाइडलाइंस जारी की गई थी. लेकिन इन्हें लागू करने में केंद्र और राज्य सरकारों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को कह...

शिवराज सरकार छह साल बाद 3.50 लाख सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक हटाएगी, नियम तैयार

हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को 2002 के भर्ती नियमों में लागू आरक्षण रोस्टर को रद्द कर दिया था. तब से प्रमोशन में आरक्षण और प्रमोशन पर रोक लगी है. सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर 17 अगस्त को सुनवाई है. 2016 से अब तक 70 हजार सरकारी कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो चुके हैं. भोपाल. नगरीय निकायों और पंचायत चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन पर सवाल उठ रहे हैं. इसी बीच संघ के सर्वे ने भी शिवराज सरकार की नींद उड़ा दी है. लिहाजा डैमेज कंट्रोल करने के लिए अब सरकार ने अपना पिटारा खोल दिया है. सबसे पहले, मध्यप्रदेश सरकार कर्मचारियों को साधने में जुट गई है. महंगाई भत्ता बढ़ाने के बाद अब सरकार कर्मचारियों के प्रमोशन का विवाद सुलझाने की कवायद में है. लिहाजा, विधानसभा चुनाव से 14 महीने पहले राज्य सरकार ने प्रमोशन में रिजर्वेशन का रास्ता निकाल लिया है. सूत्रों के मुताबिक, पदोन्नति नियम 2022 तैयार हो गए हैं और इसका ड्राफ्ट विधि विभाग को भेजा है. जल्द ही इसे कैबिनेट में रखा जाएगा. कोशिश है कि इसे अगस्त में लागू कर दिया जाए. सरकार अध्यादेश का विकल्प भी देख रही है. इससे 3.50 लाख सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन पर छह साल से लगी रोक हट जाएगी. यह भी पढ़ें: Inside Story: मुख्य सचिव के करीबी की जांच करने पर महिला आईएएस नेहा मारव्या का हुआ था तबादला, बाद में सीएम के पीएस से विवाद यह है विवाद संविधान के अनुच्छेद 309 में राज्य सरकारों को कर्मचारियों की पदोन्नति से संबंधी नियम बनाने के अधिकार दिए गए हैं. इसी के तहत, 2002 के भर्ती नियमों में आरक्षण रोस्टर लागू था. लेकिन 30 अप्रैल 2016 को हाईकोर्ट ने आरक्षण रोस्टर को रद्द कर दिया था. तब से प्रमोशन में आरक्षण और प्रमोशन पर रोक लगी है. सरकार न...

reservation in promotion Controversy in mp shivraj government narottam mishra statement bhopal dsmp

Reservation In Promotion: मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों (MP Government Employee) को प्रमोशन में आरक्षण का विवाद खत्म नहीं हो रहा है. नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) भी मामले पर फिलहाल कोई हल नहीं निकाल पाए. सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh) द्वारा गठित कमेटी में कोई निर्णय नहीं बन पाया है. भोपाल: मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों (MP Government Employee) को प्रमोशन में आरक्षण (Reservation In Promotion) का विवाद खत्म नहीं हो रहा है. नरोत्तम मिश्रा भी मामले पर फिलहाल कोई हल नहीं निकाल पाए. सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा गठित मंत्री समूह में कोई निर्णय नहीं बन पाया है. आरक्षण को लेकर कांग्रेस के बाद अब बैठक में शामिल होने वाले संगठन सपाक्स ने भी सवाल उठाए हैं, जिसके बाद सरकार घिरते नजर आ रही है. 'सरकार कोर्ट के निर्णय को नहीं मान रही' सपाक्स का आरोप है कि सरकार कोर्ट के निर्णय को भी नहीं मान रही है. प्रमोशन में आरक्षण न मिले इसलिए करोडों रुपये खर्च किए हैं, इसलिए इसका कोई हल नहीं निकल रहा है. सपाक्स ने कहा कि अजाक्स के दोनों हाथों में लड्डू है इसलिए वो भी नहीं चाहते कि मामला सुलझे. वहीं प्रमोशन में आरक्षण को लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अजाक्स और सपाक्स को ये स्पष्ट कहा गया है कि दोनों पक्ष जिस विषय पर सहमत होंगे सरकार उसे मानने को तैयार है. गृह मंत्री ने कहा कर्मचारी संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार करने का भी प्रस्ताव आया है, जिसपर 90% लोगों की सहमति बनी है. 'सरकार कर्मचारियों के प्रमोशन में अड़ंगा डाल रही' प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सियासत तेज हो चुकी है. सरकार पर हमलावर कांग्रेस ने कहा कि सरकार ही कर्मचारियों के प्रमोशन में अड़ंगा ड...

प्रमोशन में आरक्षण: SC में 21 अक्टूबर से सुनवाई, MP समेत अन्य राज्य दलीलें रखेंगे

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में सरकारी पदों पर प्रमोशन (Promotion in Govt Job) पर आरक्षण (Reservation) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) 21 अक्टूबर से सुनवाई शुरू करेगा। शीर्ष अदालत की 3 सदस्यीय बेंच ने केंद्र सरकार ने पक्ष सुन लिया है। कोर्ट में छुट्टी घोषित हो गई है, आगे की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्य अपनी-अपनी दलील रखेंगे।MP सरकार की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट मनोज गोरकेला ने बताया कि SC में प्रमोशन में आरक्षण के मामले में 21 अक्टूबर को सुनवाई दोबारा शुरू होगी। सबसे पहले मध्य प्रदेश सरकार पक्ष रखेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले में 10 अक्टूबर फैसला देंगे, लेकिन छुट्टी के चलते त्योहार के बाद सुनवाई होगी। सरकार कर्मचारियों की वर्गवार संख्या कोर्ट में बताएगी इधर, मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के सूत्रों का कहना है कि सभी 52 विभागों से बैकलॉग (रिक्त पदों) की जानकारी विभागों से मंगाई है। जिनमें से अब तक 38 विभागों ने ही जानकारी भेजी है। शेष विभागों को जानकारी भेजने के लिए कहा गया है। विभागों से अभी तक आई जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में कर्मचारियों के एक लाख 15 हजार 756 पद खाली हैं। प्रमोशन में आरक्षण में सरकार को प्रदेश में कर्मचारियों की वर्गवार संख्या बतानी है। इसकी तैयारी के चलते सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से वर्गवार कर्मचारियों के स्वीकृत (Accepted), भरे (Filled) और खाली पदों (Vacant Posts) की जानकारी मांगी है। विभाग ने 20 सितंबर तक जानकारी मांगी थी, पर अब तक 38 विभागों ने जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने लिखित में पक्ष रखने को कहा था मामले में सुप्रीम कोर्ट में 15 सितंबर को सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मध्...

Reservation in promotion case Central and state governments appeal to Supreme Court hearing should be done soon said

प्रमोशन में आरक्षण विवाद: केंद्र और राज्य सरकारों की सुप्रीम कोर्ट से गुहार- जल्द हो सुनवाई, कहा- हजारों मामले पेंडिंग केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट से पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया है, क्योंकि पदोन्नति में आरक्षण लागू करने के मानदंडों में अस्पष्टता... विभिन्न राज्यों की ओर से 133 याचिकाओं को जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ के समक्ष मंगलवार को सूचीबद्ध किया गया था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अदालत को बताया कि सरकारी पदों पर 2400 नियुक्तियां पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित अनसुलझे मुद्दों के कारण 2017 से रुकी हुई हैं। क्या है विवाद? पीठ जरनैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण गुप्ता और इससे जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही है। इस मामले में कुछ मुद्दों को पहले पांच जजों की पीठ को भेजा गया था। 2018 में पांच जजों की पीठ ने एम नगराज बनाम भारत संघ के मामले में 2006 के फैसले के संदर्भ का जवाब दिया। इसमें कहा गया कि एससी / एसटी के पिछड़ेपन को दर्शाने वाला पर्याप्तता का मात्रात्मक आंकड़ा जुटाना उन्हें पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा यह आंकड़े के साथ यह देखना होगा कि उनका उच्च पदों पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं। इस स्पष्टीकरण के साथ पीठ ने नगराज के फैसले को सात जजों की पीठ के पास भेजने की याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन अनुच्छेद 16(4)(ए)(पिछड़ेपन को दूर करने के लिए उपाय करने की शक्ति- 77वां संविधान संशोधन) की वैधता बरकरार रखी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पांच जजों की बेंच ने इसमें यह भी कहा कि क्रीमी लेयर की अव...

बिग ब्रेकिंग

a2zkhabri.com बिलासपुर - प्रमोशन में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका की अंतिम सुनवाई 8 सितम्बर 2022 को निर्धारित हो गई है। ज्ञात हो की 2019 से प्रमोशन में आरक्षण के विरुद्ध हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर की गई थी। कईदौर के सुनवाई के बाद बिलासपुर हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण हेतु अंतिम सुनवाई 8 सितम्बर निर्धारित कर दी है। 8 सितम्बर को यह स्पष्ट हो जायेगा कि पदोन्नति में आरक्षण लागू होगी या नहीं। 2019 में राज्य शासन ने पदोन्नति में आरक्षण देने का जारी किया था नोटिफिकेशन - छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने 2019 में पदोन्नति में आरक्षण देने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता एस.संतोष कुमार ने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी। साथ ही इसके अतिरिक्त और कई याचिका दायर की गई थी। दायर की गई याचिका में कहा गया कि प्रमोशन के नोटिफिकेशन में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है। साथ ही याचिका में बताया गया कि क्रीमीलेयर के सिद्धांत का भी पालन नहीं हुआ है। हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी - पदोन्नति में आरक्षण के मामले की सुनवाई करते हुए माननीय हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए 8 सितम्बर को अंतिम सुनवाई करने का आदेश दे दिया। अब 8 सितम्बर को पदोन्नति में आरक्षण के मसले पर अंतिम निर्णय आ जाएगा। राज्य शासन के फैसले पर यदि हाईकोर्ट में मुहर लगेगी तो पदोन्नति में आरक्षण लागू हो जाएगी। अनु, जाति और जनजाति संवर्ग को मिलती है पदोन्नति में आरक्षण - ज्ञात हो कि पूर्व में अनु. जाति और जनजाति संवर्ग के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दिया जाता रहा है। वही सुप्रीम कोर्ट ने भी पहले ही केंद्र सरकार को कानून के अनुसार अनु.जाति और जनजाति संवर्ग के कर्मचारियों...

प्रमोशन में आरक्षण मामले में आज से होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, विशेष अधिवक्ता मनोज गोरखेला रखेंगे एमपी सरकार का पक्ष

शब्बीर अहमद, भोपाल। प्रमोशन में रिजर्वेशन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज से फाइनल सुनवाई शुरू होगी. आज से सुप्रीम कोर्ट मामले पर नियमित सुनवाई करेगा. मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से विशेष अधिवक्ता मनोज गोरखेला पक्ष रखेंगे. एमपी में 30 अप्रैल 2016 से प्रमोशन बंद है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को 30-30 मिनट का समय दिया है. 14 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को तीन हफ्तों का समय दिया था. हालांकि अब 10 अक्टूबर को मामले में कोर्ट फैसला सुनाएगा. क्यों रुके हुए हैं प्रमोशन 2002 नियम के अनुसार 2016 तक प्रमोशन में आरक्षण मिला. 2016 में हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट में रोक के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची. 2016 में प्रमोशन में आरक्षण रद्द की याचिका भी हुई. यह याचिका सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने लगाई थी. मामले में सपाक्स का तर्क था कि प्रमोशन जूनियर को मिल रहा है. जूनियर प्रमोशन में आरक्षण पाकर उनका सीनियर हो रहा है. इसे भी पढ़ेः प्रमोशन अटकने के साइड इफेक्ट- अगर प्रमोशन अटकने के साइड इफेक्ट की बता करें तो हर साल 17 से 18 हजार बिना प्रमोशन के रिटायर हो जाते हैं. अब तक 78-80 हज़ार कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हुए. रोक के कारण किसी भी वर्ग को प्रमोशन नहीं मिल रहा है. प्रमोशन नहीं मिलने से न पद बढ़ रहा है न सैलरी. बीच का रास्ता निकालने सीएम शिवराज सिंह ने 5 मंत्रियों की कमेटी बनाई है. हालांकि कमलनाथ ने भी बनाई थी कमेटी, लेकिन कोई हल नहीं निकला. इसे भी पढ़ेः • मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें • उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें • लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें • खेल की खबरें पढ़ने की ल...

आज सुप्रीम कोर्ट में 1 घंटे चली सुनवाई, MP सहित अन्य राज्यों को पक्ष रखने के लिए 2 सप्ताह का समय

मध्यप्रदेश में सरकारी पदों पर प्रमोशन पर आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट 10 अक्टूबर को फैसला देगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सहित सभी राज्यों का पक्ष सुनने के बाद कहा कि इस मामले में अब आगे सुनवाई नहीं होगी। सभी राज्य 2 सप्ताह में अपना पक्ष लिखित में पेश करें। शीर्ष अदालत ने कहा कि 5 अक्टूबर से लगातार केंद्र और राज्य सरकार को आधा-आधा घंट अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय बेंच ने कहा कि कई वर्षों से यह मामला लंबित है। इसकी वजह से कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिल पा रहा है। अब किसी भी स्थिति में आगे तारीख नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले के फैसले में इंदिरा साहनी और नागराज के केस को शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इन मामलों में फैसला दे चुका है। राज्य सरकारों की ओर से मध्यप्रदेश ने लीड किया मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से इस मामले की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट मनोज गोरकेला ने दैनिक भास्कर को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने करीब 1 घंटे सुनवाई की, जिसमें सभी राज्य सरकारों की तरफ से मध्यप्रदेश ने लीड किया। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, विशेष गुप्ता, संजय हेगड़े भी कोर्ट में उपस्थित हुए। गोरकेला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में अगली तारीख नहीं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट 10 अक्टूबर को फैसला सुनाएगा। कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। सीनियर एडवोकेट मनोज गोरकेला के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह मामला कई वर्षों से लंबित होने के कारण देश में कर...