नाभिकीय विखंडन क्या है

  1. [Solved] नाभिकीय विखंडन क्या होता है?
  2. नाभिकीय विखंडन तथा संलयन क्या अंतर है
  3. नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) क्या है ?
  4. नाभिकीय शक्ति
  5. रेडियोएक्टिव विघटन और नाभिकीय विघटन में अंतर


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[Solved] नाभिकीय विखंडन क्या होता है?

धारणा: • भारी परमाणु (जैसे यूरेनियम, प्लूटोनियम या थोरियम) के नाभिक को, जब कम ऊर्जा वाले न्यूट्रॉन के साथ बमबारी की जाती है, हल्के नाभिकों में अलग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को परमाणु विखंडनकहा जाता है। • विखंडनतब होता है जब एक न्यूट्रॉन एक बड़े परमाणु पर प्रहारकरता है, यह इसे उत्तेजित करके और दो हल्के परमाणुओं में विभाजित करता है - इन्हे विखंडन उत्पाद भी कहा जाता है। • एक श्रृंखलाअभिक्रिया उस प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसमें विखंडन अभिक्रिया में मुक्त न्यूट्रॉन कम से कम एक और नाभिक पर एक अतिरिक्त विखंडन अभिक्रियाकरता है। परिणामस्वरूप यह नाभिक न्यूट्रॉन उत्पादित करताहैऔर प्रक्रिया दोहराई जाती है। व्याख्या: • उपरोक्त चर्चा सेएक भारी नाभिक परमाणु विखंडन में छोटे नाभिक में विभाजित होता है। तो विकल्प 2 सही है।

नाभिकीय विखंडन तथा संलयन क्या अंतर है

जब दो हल्के नाभिक परस्पर संयुक्त होकर एक भारी तत्व के नाभिक की रचना करते हैं तो इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं। नाभिकीय संलयन के फलस्वरूप जिस नाभिक का निर्माण होता है उसका द्रव्यमान संलयन में भाग लेने वाले दोनों नाभिकों के सम्मिलित द्रव्यमान से कम होता है। द्रव्यमान में यह कमी ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है। जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन के समीकरण E = mc 2 से ज्ञात करते हैं। तारों के अन्दर यह क्रिया निरन्तर जारी है। सबसे सरल संयोजन की प्रक्रिया है चार हाइड्रोजन परमाणुओं के संयोजन द्वारा एक हिलियम परमाणु का निर्माण। 4 1H 1 → 2He 4 + 2 पोजिट्रान + ऊर्जा 1H 2 + 1H 2 → 2He 4 + 23.6 MeV 1H 3 + 1H 2 → 2He 4 + 0n1 + 17.6 MeV 1H 1 + 1H 1 + 1H 1 + 1H 1 = 2He 4 + 2 1β 0 + 2V + 26.7 MeV इसी नाभिकीय संलयन के सिद्धान्त पर हाइड्रोजन बम का निर्माण किया जाता है। नाभिकीय संलयन उच्च ताप (107 से 1080 सेंटीग्रेड) एवं उच्च दाब पर सम्पन्न होता है जिसकी प्राप्ति केवल नाभिकीय विखण्डन से ही संभव है। सूर्य से निरन्तर प्राप्त होने वाली ऊर्जा का स्रोत वास्तव में सूर्य के अन्दर हो रही नाभिकीय संलयन प्रक्रिया का ही परिमाण है। सर्वप्रथम मार्क ओलिफेंट निरन्तर परिश्रम करके तारों में होने वाली इस प्रक्रिया को 1932 में पृथ्वी पर दोहराने में सफल हुए, परन्तु आज तक कोई भी वैज्ञानिक इसको नियंत्रित नहीं कर सका है। इसको यदि नियंत्रित किया जा सके तो यह ऊर्जा प्राप्ति का एक अति महत्त्वपूर्ण तरीका होगा। पूरे विश्व में नाभिकीय संलयन की क्रिया को नियंत्रित रूप से सम्पन्न करने की दिशा में शोध कार्य हो रहा है। ◆ श्रृंखला अभिक्रिया (Chain Reaction) : जब यूरेनियम पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है तो एक यूरेनियम नाभिक क...

नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) क्या है ?

यह अभिक्रिया सूर्य और अन्य तारों में संपन्न होती है और अत्यधिक उर्जा उत्पन्न करती है l सूर्य से प्राप्त प्रकाश और ऊष्मा उर्जा का स्त्रोत नाभिकीय संलयन ही है l जब अत्यधिक और अति उच्च ताप (जो सूर्य के केंद्रीय भाग में उपलब्ध है ) पर एक ड्यूटेरियम नाभिक ट्रीटियम नाभिक (दोनों हल्के नाभिक) से संयुक्त होता है, तो वे एक हीलियम नाभिक (अपेक्षाकृत भारी नाभिक) बनाते है तथा एक न्यूट्रॉन व अत्यधिक ऊर्जा (17.6 मिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट) विमुक्त होती है। सूर्य की असीमित ऊर्जा का कारण नाभिकीय संलयन है। सूर्य में हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटेरियम (HP) के परमाणु नाभिकों के संलयन के फलस्वरूप हीलियम नाभिक का निर्माण होता है। इस दौरान प्रचुर ऊर्जा उत्सर्जित होती है। सबसे सफल संलयन रिएक्टर जिसे ‘टोकामक’ के नाम से जाना जाता है, मूलतः सोवियत वैज्ञानिकों द्वारा डिजाइन किया गया था। रशियन भाषा में टोकामक का अर्थ है-शक्तिशाली धारा। भारत ने अनुसंधान के उद्देश्य से इंस्टीटयूट ऑफ प्लाज्मा रिसर्च, अहमदाबाद में ‘आदित्य’ नामक टोकामक विकसित कर लिया है। नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) के उदाहरण जब दो भारी हाइड्रोजन का नाभिक (ड्यूट्रॉन 1H 2) संलयित होते हैं। तो एक ट्राॅइटियम का नाभिक (ट्राइटॉन) तथा एक प्रोटोन ( 1H 1) प्राप्त होता है। तथा इस प्रक्रिया में 4.0 MeV ऊर्जा निकलती है। 1H 2+ 1H 2⟶⟶ 1H 3+ 1H 1+ 4.0 MeV ऊर्जा अब ट्राॅइटियम का नाभिक एक तीसरे ड्यूट्रॉन के साथ संलयित होकर एक हीलियम नाभिक ( 2He 4) का निर्माण करती हैं। तथा इस प्रक्रिया में 17.6 MeV ऊर्जा मुक्त होती है। 1H 3+ 1H 2⟶⟶ 2He 4+ 0n 1+ 17.6 MeV ऊर्जा Fusion of deuterium with tritium creating helium-4, freeing a neutron, and releasing 17.59 MeV as kin...

नाभिकीय शक्ति

अनुक्रम • 1 प्रयोग • 1.1 नाभिकीय संलयन • 1.2 अंतरिक्ष में प्रयोग • 2 इतिहास • 2.1 उत्पत्ति • 2.2 प्रारंभिक वर्ष • 2.3 विकास • 3 उद्योग का भविष्य • 4 परमाणु रिएक्टर प्रौद्योगिकी • 5 जीवन चक्र • 5.1 परंपरागत ईंधन संसाधन • 5.1.1 प्रजनन • 5.1.2 विलय • 5.2 ठोस अपशिष्ट • 5.2.1 उच्च-स्तरीय रेडियोधर्मी अपशिष्ट • 5.2.2 निम्न-स्तरीय रेडियोधर्मी अपशिष्ट • 5.2.3 रेडियोधर्मी अपशिष्ट की औद्योगिक विषाक्त अपशिष्ट से तुलना • 5.3 पुनर्संसाधन • 5.3.1 रिक्त यूरेनियम • 6 अर्थशास्त्र • 6.1 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का लचीलापन • 7 सुरक्षा रिएकटर से कई प्रकार की तीव्र विकिरण निकलती • 8 परमाणु ऊर्जा के पर्यावरणीय प्रभाव • 8.1 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जीवन-चक्र की तुलना • 9 परमाणु ऊर्जा पर बहस • 10 इन्हें भी देखें • 11 पादटिप्पणी • 12 सन्दर्भ • 13 अतिरिक्त पठन • 14 बाहरी कड़ियाँ • 14.1 परमाणु समाचार वेबसाइटें • 14.2 विरुद्ध • 14.3 सहायक प्रयोग [ ] इन्हें भी देखें: यथा 2005, परमाणु ऊर्जा ने विश्व की ऊर्जा का 6.3% और विश्व की कुल बिजली का 15% प्रदान किया और जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे अधिक परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करता है, जिसके तहत वह विद्युत् की अपनी खपत का 19% परमाणु ऊर्जा से प्राप्त करता है अमेरिका में, जबकि कई अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान, सुरक्षा सुधार को आगे बढ़ा रहा है, जैसे नाभिकीय संलयन [ ] अंतरिक्ष में प्रयोग [ ] इतिहास [ ] इन्हें भी देखें: उत्पत्ति [ ] इस खोज ने अमेरिका में, जहां फर्मी और शीलार्ड, दोनों ने प्रवास किया था, मानव निर्मित प्रथम रिएक्टर को प्रेरित किया, जो [ [ [ [ [ [ [ 20 दिसम्बर 1951 को पहली बार एक परमाणु रिएक्टर द्वारा बिजली उत्पन्न की गई, द प्रेसिडेंट्स मेटिरिअल्स पॉलिसी कमीशन) ...

रेडियोएक्टिव विघटन और नाभिकीय विघटन में अंतर

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