नाव के पीछे लगी तिकोनी लकड़ी का नाम

  1. 180 लेटेस्ट लड़कियों के नाम अर्थ के साथ
  2. Meaning of patwar in English
  3. नाव
  4. कोच्चि
  5. मंदाकिनी की अल्हड़ लहरों से लड़ने वाले अब सोलर नाव चलाते हैं


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विक्षनरी:हिन्दी

इस लेख में विक्षनरी के गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरने हेतु अन्य लेखों की कड़ियों की आवश्यकता है। आप इस लेख में प्रासंगिक एवं उपयुक्त कड़ियाँ जोड़कर इसे बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। ( मार्च २०१४) हिन्दी शब्दसागर संकेतावली देखें ⋙ खिंकिर संज्ञा पुं० [सं० खिङ्किर] लोमड़ी [को०] । ⋙ खिंखिर संज्ञा पुं० [सं० खिंङ्खिर] १. लोमड़ी । २. खटिया का पावा । ३. एक प्रकार का गंधद्रव्य [को०] । ⋙ खिंग संज्ञा पुं० [फा़० ख़िंग] वह सफेद रंग का घोड़ा जिसके मुंह पर का पट्टा और चारों सुम गुलाबीपन लिए सफेद हों । नुकरा । उ०—हरे हरदिया हंस खिंग गर्रा फुलवारी ।— सुजान, पृ० ८ । ⋙ खिंगरो संज्ञा स्त्री० [देश०] मैदे की बनी हुई बहुत पतली और छोटी खस्ता पूरी या मठरी । ⋙ खिंचना क्रि० अ० [सं० कर्षण] १. किसी वस्तु का इस प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना कि वह गति के समय अपने आधार से लगी रहै । घसिटना । जैसे,—यह लकड़ी कुछ उधर खिंच गई है । २. किसी कोश, थैले आदि में से किसी वस्तु का बाहर निकलना । जैसे,—दोनों तरफ से तलवारें खिंच गई । ३. किसी वस्तु के एक या दोनों छोरों का एक या दोनों ओर बढ़ना । तनना । ४. किसी ओर बढ़ना या जाना । आकर्षित होना । प्रवृत्त होना । मुहा०—चित्त खिंचना = मन मोहित होना । ५. सोखा जाना । खपना । चुसना । जैसे,—सोखता रखते ही उसमें सारी स्याही खिंच आई । ६. भमके आदि से अर्क या शराब आदि तैयार होना । ७. किसी वस्तु के गुण या तत्व का निकल जाना । जैसे,—उसकी सारी शक्ति खिंच गई । मुहा०—पोड़ा या दर्द खिंचना = (औषध आदि से) दर्द दूर होना । जैसे,—उस लेप के लगाते ही सारा दर्द खिंच गया । ८. कलम आदि से बनकर तैयार होना । चित्रित होना । जैसे,— तसवीर खिंचना । ९. रुक रहना । रुकना । मुहा०—हाथ खिंचना = देना आदि बं...

180 लेटेस्ट लड़कियों के नाम अर्थ के साथ

अपनी प्यारी बच्ची के लिए नाम चुनना इतना आसान नहीं है जितना कि लगता है। नाम रखने के दौरान कई बातों का ध्यान रखना पड़ता जैसे कि नाम का अर्थ अच्छा होना चाहिए। यह बच्चों के व्यक्तित्व पर असर डालता है , दूसरा यह कि वे सुनने में अलग और अच्छा लगे तीसरा यह कि नाम इतना कठिन नहीं होना चाहिए कि लोगों को उसे पुकारने में परेशानी हो। तो अब जाहिर है की इन सारी बातों का ध्यान रखते हुए अपनी नन्ही सी बच्ची के लिए प्यारा सा नाम रखना एक चुनौती बन जाता है । आपकी इस समस्या का समाधान करने के लिए हमने बच्चियों के लिए विभिन्न नामों की अर्थ समेत एक सूची तैयार की है , आप यहाँ से उनके लिए सुंदर व आकर्षक नाम चुन सकती हैं । अर्थ सहित लड़कियों के नवीनतम नामों की सूची हमने यहाँ पर अर्थ सहित लड़कियों के लिए बेहतरीन नामों की एक व्यापक सूची तैयार की है , जिससे आप अपनी कोमल सी खूबसूरत बच्ची का नाम चुने सके । यहाँ दी गई नामों की सूची आपको इधर – उधर तलाशने के बजाय एक ही जगह पर बहुत सारे विकल्प देते हैं , जिससे आपको ज्यादा मेहनत किए बगैर ही अपनी बच्ची के लिए बेहतरीन नाम मिल जाएंगे । नाम अर्थ आध्या प्रथम शक्ति आदिता ब्रह्मांड मेंसभी चीज़ों की उत्पत्ति करने वाली आद्रिका जो आसमान को छूने वाले पहाड़ जितनी ऊँची है आगम वह लड़की जिसका जन्म अच्छे समय के आगमन का द्योतक है आहाना उगते हुए सूरज से निकलने वाले पहली किरण आकृति आकार , एक लड़की में मौजूद उसका स्त्री रूप आलिया प्रशंसा और तालियां आर्वी जिस लड़की का जन्म शांति और सुकून लाता है आरज़ू तमन्ना आशी लोगों के जीवन में मुस्कान और खुशी लाने वाली आशनी जो अपनी उपस्थिति से रौशनी भर दे आत्मिका जो अपनी आत्मा से सब से जुड़ जाती है आयात कुरान के पद्य अबिरामी / अभिरामी परंपरा और आधुनिकत...

Meaning of patwar in English

संज्ञा, स्त्रीलिंग • क्षति का रुख़ फेरने या मोड़ने का हता जो क्षति के सिरे पर लगा होता है इस के निचले सिरे की धार जिस तरफ़ फेरी जाए उसी रुख़ कशती मुड़ जाती है • ऐसा सहारा या साधन जो कठिन समय में भवसागर से पार उतारे। पुं० [हिं० पत्ता] १. पौधों विशेषतः सरकंडों आदि की सूखी पत्तियाँ। २. कूड़ा-करकट। जैसे-खर-पतवार • चप्पूओ • बजरे की किस्म की सामने से चौड़ी और पीछे से तिकोनी शक्ल की नाव • बड़ी नावों और विशेषतः पुराने देशी समुद्री जहाजों का वह तिकोना पिछला अंग या उपकरण जो आधा जल में और आधा जल के बाहर रहता है और जिसके संचालन से नाव का रुख दूसरी ओर घुमाया जाता है। कर्ण • हवाई जहाज़ के पर और दम का वो हिस्सा जिस से रुख़ बदला जाता है • ۔ (ह) मुअन्नस १। वो लक्कड़ी जिस से क्षति को मोड़ते हैं। २। खम उड़ दाढ़ • • डाँड; नाव खेने का डंडा • नाव में पीछे की ओर लगी तिकोनी लकड़ी • पार उतारने का साधन اسم، مؤنث • کشتی کا رخ پھیرنے یا موڑنے کا ھتا جو کشتی کے سرے پر لگا ہوتا ہے اس کے نچلے سرے کی دھار جس طرف پھیری جاے اسی رخ کشتی مڑ جاتی ہے . • ہوائی جہاز کے پر اور دم کا وہ حصہ جس سے رخ بدلا جاتا ہے . • بجرے کی قسم کی سامنے سے چوڑی اور پیچھے سے تکونی شکل کی ناؤ . • کھم ، ارواڑ . • چَپُّو . • ۔ (ھ) مونث ۱۔ وہ لکڑی جس سے کِشتی کو موڑتے ہیں۔ ۲۔ کھم اڑ داڑ۔

नाव

अनुक्रमणिका • १ हिन्दी • १.१ उच्चारण • १.२ प्रकाशितकोशों से अर्थ • १.२.१ शब्दसागर [ ] उच्चारण [ ] ( प्रकाशितकोशों से अर्थ [ ] शब्दसागर [ ] नाव संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ नौ का बहुब॰ फा॰] लकड़ी लोहे आदि की बनी हुई जल के ऊपर तैरने या चलनेवाली सवारी । जलयान । नौका । किश्ती । विशेष—नावें बहुत प्राचीन काल से बनती आई हैं । भारतवर्ष, मिस्र, चीन इत्यादि देशों के निवासी व्यापार के लिये समुद्रयात्रा करते थे । ऋग्वेद में समुद्र मे चलनेवाली नावों का उल्लेख है । प्राचीन हिंदू सुमात्रा, जावा, चीन आदि की ओर बराबर अपने जहाज लेकर जाते थे । ईसा से तीन सौ वर्ष पहले कलिंग देश से लगा हुआ ताम्रलिप्त नगर भारत के प्रसिद्ध बंदरहगाहों में था । वहीं जहाज पर चढ़ सिंहल के राजा ने प्रसिद्ध बोधिद्रुम को लेकर स्वदेश की ओर प्रस्थान किया था । ईशा की पाँचवी शताब्दी में चीनी यात्री फाहियान बौद्ध ग्रंथों की नकल आदि लेकर ताम्रलिप्त ही से जहाज पर बैठ सिंहल गया था । पश्चिम में फिनीशिया के निवासियों ने बहुत पहले समुद्रयात्रा आरंभ की थी । टायर, कार्थेज आदि उनके स्थापित बड़े प्रसिद्ध बंदरगाह थे जहाँ ईसा से हजारों वर्ष पहले युरोप तथा उत्तरी अफ्रीका से व्यापार होता था । उनके पीछे यूनान और रोमवालों का जलयात्रा में नाम हुआ । पूर्वीय और पश्चिमी देशों के बीच का व्यापार बहुत दिनों तक अरबवालों के हाथ में भी रहा है । भारतवर्ष में यान दो प्रकार के कहे जाते थे—स्थलपान और जलपान । जलपान को निष्पद यान भी कहते ते । युक्तिकल्प- तरु नामक ग्रंथ में नौका बनाने की युक्ति का वर्णन है । सबसे पहले लकड़ी का विचार किया गया है । काष्ठ की भी चार जातियाँ स्थिर की गई हैं—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ओर शूद्र । जो लकड़ी हलकी मुलायम और गढ़ने योग्य हो उसे ...

कोच्चि

निर्देशांक: 9°58′N 76°17′E / 9.97°N 76.28°E / 9.97; 76.28 9°58′N 76°17′E / 9.97°N 76.28°E / 9.97; 76.28 देश शासन •सभा •महापौर ( •पुलिस आयुक्त एम आर अजीत कुमार, आईपीएस क्षेत्रफल • 94.88किमी 2 (36.63वर्गमील) •महानगर 440किमी 2 (170वर्गमील) ऊँचाई 0मी (0फीट) जनसंख्या (2012) • 612,343 •घनत्व 6340किमी 2 (16,400वर्गमील) • 21,17,990 भाषाएं •आधिकारिक 682 XXX दूरभाष कूट 91-(0)484-XXX XXXX KL-7,KL-39,KL-41,KL-42,KL-43,KL-63 तटरेखा 48 किलोमीटर (30मील) 1.028 साक्षरता 98.5% 2,594 किलोमीटर (1,612मील) NE ( 1,384 किलोमीटर (860मील) NW ( 539 किलोमीटर (335मील) N ( ( 3,228.3 मिलीमीटर (127.10इंच) वेबसाइट .corporationofcochin .net कोच्चि (Kochi), जिसे कोचीन भी कहा जाता था, कोच्चि १४वीं शताब्दी से ही भारत की पश्चिमी तटरेखा का मसालों का व्यापार केन्द्र रहा है और इसे अरब सागर की रानी के नाम से जाना जाता था। १५०३ में यहाँ भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसैनिक कमान का केन्द्र तथा भारतीय तटरक्षक का राज्य मुख्यालय भी इसी शहर में स्थित है, एयर स्क्वैड्रन ७४७ नाम की एक वायु टुकड़ी भी जुड़ी है। अनुक्रम • 1 व्युत्पत्ति • 2 इतिहास • 3 भूगोल एवं जलवायु • 3.1 भूगोल • 3.2 जलवायु • 4 नागर प्रशासन • 4.1 विधि एवं व्यवस्था • 5 अर्थ व्यवस्था • 5.1 o १ • 6 आवागमन • 6.1 वायु • 6.2 सड़क • 6.2.1 राष्ट्रीय राजमार्ग • 6.2.2 राज्य राजमार्ग • 6.2.3 नगर की सड़कें • 6.3 सार्वजनिक परिवहन • 6.3.1 सड़क • 6.3.2 रेल • 6.3.3 कोच्चि मेट्रो • 6.3.4 जल • 7 जनसांख्यिकी • 8 स्वास्थ्य सेवाएं • 9 संस्कृति • 10 मुख्य आकर्षण • 10.1 डच महल • 10.2 बोलघाट्टी महल • 10.3 हिल महल • 10.4 बेशन बंगला • 10.5 मरीन ड्राइव • 10.6 चेराई बीच • 10.7 सेन्ट फ्रान...

मंदाकिनी की अल्हड़ लहरों से लड़ने वाले अब सोलर नाव चलाते हैं

सौर शक्ति ने बदली चित्रकूट के नाविकों की ज़िंदगी। सोलर पैनल अब सिर्फ़ घरो के लिए नहीं बल्कि नाविकों के लिए भी फायदेमंद है। मंदाकिनी नदी के तट पर बैटरी चालित नाव। महावीर चित्रकूट का रहने वाला है। महावीर का पुश्तैनी घर भी चित्रकूट में ही है। मंदाकिनी नदी के रामघाट से रोज़ाना महावीर की ज़िंदगी शुरू होती है। प्रतिदिन सुबह 5 बजे तीर्थ यात्रियों को घाट घाट का भ्रमण करवाना ही उसका पेशा है। और यही उसकी कमाई का एक मात्र ज़रिया है। नाविकि का यह काम उसके पूर्वजों के वक़्त से चला आ रहा है। महावीर को भी इस काम में महारत हासिल है। उसका परिवार महावीर के इस ज़ज़्बे का कायल है। महावीर का परिवार ज़्यादा बड़ा नहीं है, माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे। बरसात के दिनों में भी महावीर पहाड़ी नालों से उफनती मंदाकिनी की अल्हड़ लहरों से बेख़ौफ़ रहता था। लेकिन बदलते परिवेश में महावीर के सामने कम कमाई की दिक्कतें शुरू होने लगी। उसके पास घर के निर्वाह का कोई अन्य ज़रिया भी नहीं है। बढ़ती महंगाई में परिवार का खर्च उठाना चुनौती बनने लगा था। गर्मी का मौसम और ऊपर से कड़ी धूप में तीर्थ यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने में महावीर के प्राण सूखने लगते। इसके कारण महावीर का स्वास्थ्य भी धीरे धीरे बिगड़ने लगा। महावीर के बिगड़ते स्वास्थ्य और घटती आमदनी ने उसको यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर यही सब जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब परिवार की आजीविका चलाना मुश्किल होगा। इसी उधेड़बुन के बीच, एक दिन महावीर जब मंदाकिनी के तट पर अपने स्वास्थ्य और पारिवारिक ज़िंदगी की बदहाली को लेकर चिंतित बैठा था तभी कुछ लोग उसके पास आए और बोले "दादा हमें आपसे कुछ बात करनी है।" महावीर उनकी सादगी भरी बातों से प्रभावित होकर "जय कामतानाथ" कहते हुए उनसे मुखातिब हुआ। ...