नैतिक शिक्षा की परिभाषा

  1. आदत का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार एवं शिक्षा में उपयोगिता
  2. नैतिक शिक्षा की परिभाषा
  3. नैतिक शिक्षा क्या है? उद्देश्य, आवश्यकता
  4. नैतिक विकास किसे कहते हैं?
  5. शिक्षा का अर्थ, परिभाषा एवं सम्प्रत्यय
  6. नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर निबंध Moral Values For Students Hindi
  7. It is important to have moral education along with technical education Narendra Negi
  8. नैतिकता पर निबंध, अर्थ, महत्व, सदाचार पर निबंध, सदाचार का महत्व: morality essay in hindi, meaning, definition, ethics essay in hindi, ethics and values essay, essence of ethics


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आदत का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार एवं शिक्षा में उपयोगिता

आदत का अर्थ आदत को अंग्रेजी में ‘Habit’ कहते हैं। यह लैटिन भाषाके Habitus / Habere शब्द से बना है। जिसका अर्थ होता है ‘प्राप्त करना’ जब व्यक्ति किसी कार्य को अपनी इच्छा से जान – बूझ कर बार – बार करता है। तब वह क्रिया कुछ समय बाद बिना प्रयास के अपने आप होने लगती है। इसी बार – बार दोहराये गये ऐच्छिक कार्यों के परिणाम को आदत कहते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि आदत एक प्रकार का अर्जित व्यवहार है जिसमे किसी क्रिया के करने का ढंग (तरीका) निहित होता है। जैसे – खाना – पीना, उठना – बैठना, आदि एक विशेष आदत के अनुसार ही होते हैं। आदत की परिभाषाएं विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने आदत की परिभाषा निम्न प्रकार दी है – मनोवैज्ञानिक जेम्स ने आदत को मनुष्य का ‘दूसरा स्वभाव’ कहा है। विलियम जेम्स के अनुसार,“आदत प्राणी के पूर्वकृत व्यवहारों की पुनरावृति है।” गैरेट के अनुसार,“आदत उस व्यवहार को दिया गया नाम है जो प्रायः इतनी बार दोहराया जाता है कि स्वचालित हो जाता है।” आदत की विशेषताएँ आदत की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं – सरलता एवं सुगमता जिन कार्यों को हम बार – बार दोहाराते हैं वे हमारे लिए सरल हो जाते हैं। और दुबारा करने में कठिनाई नहीं होती है। जैसे – शुरुआत में टाइप करना कठिन होता है लेकिन जब अभ्यास करते – करते आदत पड़ जाती है तब हम बड़ी सुगमता से टाइप कर लेते हैं। रोचकता रोचकता के कारण आदतों का निर्माण होता है। अर्थात जिन कार्यों को करने की हमें आदत पड़ जाती है। उन कार्यों में हम रूचि लेने लगते हैं। जैसे – प्रारम्भ में बालक स्कूल जाने में रूचि नहीं लेता है लेकिन धीरे – धीरे उसे स्कूल जाने में रूचि होने लगती है और वह बालक स्वयं रोज स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाता है। एकरूपता जिन कार्य को करने क...

नैतिक शिक्षा की परिभाषा

नैतिक शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक है। इसका आंरभ मनुष्य के बाल्यकाल से ही हो जाता है। सब पर दया करना, कभी झूठ नहीं बोलना, बड़ों का आदर करना, दुर्बलों को तंग न करना, चोरी न करना, हत्या जैसा कार्य न करना, सच बोलना, सबको अपने समान समझते हुए उनसे प्रेम करना, सबकी मदद करना, किसी की बुराई न करना आदि कार्य नैतिक शिक्षा या नैतिक मूल्य कहलाते हैं। सभी धर्मग्रंथों का उद्देश्य रहा है कि मनुष्य के अंदर नैतिक गुणों का विकास करना ताकि वह मानवता और स्वयं को सही रास्ते में ले जा सके। एक बच्चे को बहुत पहले ही घरवालों द्वारा नैतिक मूल्यों से अवगत करा दिया जाता है। जैसे-जैसे उसकी शिक्षा का स्तर बढ़ता जाता है। उसके मूल्यों में विस्तार होना आवश्यक हो जाता है। ये मूल्य उसे सिखाते हैं कि उसे समाज में, बड़ों के साथ, अपने मित्रों के साथ व अन्य लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए। विद्यालय में किताबों में वर्णित कहानियों और महत्वपूर्ण घटनाओं के माध्यम से उसके मूल्यों को संवारा व निखारा जाता है। यदि एक देश का विद्यार्थी नैतिक मूल्यों से रहित होगा, तो उस देश का कभी विकास नहीं हो सकता। लेकिन विडंबना है कि यह नैतिक मूल्य हमारे जीवन से धूंधले होते जा रहे हैं। हमारी शिक्षा प्रणाली से नैतिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। क्योंकि इनमें नैतिक शिक्षा का अभाव है। अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए हम किसी भी हद तक गिर जाते हैं। ये इस बात का संकेत है कि समाज कि स्थिति कितनी हद तक गिर चुकी है। चोरी, डकैती, हत्याएँ, धोखा-धड़ी, जालसाज़ी, बेईमानी, झूठ, दूसरों और बड़ों का अनादर, गंदी आदतें नैतिक मूल्यों में आई कमी का परिणाम है। हमें चाहिए नैतिक शिक्षा के मूल्य को पहचाने और इसे अपने जीवन में विशेष स्थान दे।

नैतिक शिक्षा क्या है? उद्देश्य, आवश्यकता

नैतिक शिक्षा क्या हैं? (naitik shiksha ka arth) नैतिक शिक्षा नैतिक आचरण एवं व्यवहार के लिये दी जाने वाली वह शिक्षा है जिसके फलस्वरूप बालक में नैतिकता का विकास होता है। मानव चरित्र के सर्वमान्य मानवीय गुणों को अपनाना ही नैतिकता है। इसके धर्म, सदाचरण, नैतिक कर्तव्य और मानवीय गुण आदि सभी आते है। नैतिकता जन्मजात नही होती बल्कि इसे अर्जित किया जाता है। वास्तव में नैतिक आचरण एवं व्यवहार समाज द्वारा अर्जित या सीखा हुआ व्यवहार है। पहले बालके इसे अनुकरण से, फिर अपने विचारों और आदर्शों के अनुसार ग्रहण करता है। यह कार्य बालक परिवार, विद्यालय, मित्र-मण्डली, समाज व वातावरण आदि के मध्य रहकर ही कर सकता है। बालक को परिवार, विद्यालय, मित्र मण्डली, धर्म, सामाजिक और नैतिक मूल्यों से नैतिक शिक्षा प्राप्त होती हैं। (अ) नैतिक शिक्षा के सामान्य उद्देश्य नैतिक शिक्षा के सामान्य उद्देश्य निम्नलिखित है-- 1. शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास शिक्षा का उद्देश्य बालक की शारीरिक और मानसिक शक्तियों जैसे-- तन, मन, स्मृति, संकल्प व निर्णय शक्ति, कल्पना और चिन्तन आदि का विकास करना है। बालकों के नैतिक विकास के लिये उनकी मानसिक शक्तियों का विकास करना जरूरी हैं। 2. ज्ञानेन्द्रियों का प्रशिक्षण शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य बालक की ज्ञानेन्द्रियों जैसे-- आंख, कान आदि का प्रशिक्षण देना हैं। जब बालक की ज्ञानेन्द्रियाँ प्रशिक्षित होगी, तभी उसका समुचित नैतिक विकास संभव हो सकेगा। 2. तर्क शक्ति का विकास बालक की मानसिक शक्तियों के विकास के पश्चात तर्क-शक्ति का विकास किया जाना चाहिए। तर्क शक्ति के माध्यम से बालक अपने चारित्रिक और नैतिक विकास की ओर अग्रसर हो सकेगा। 4. नैतिकता का विकास शिक्षा का उद्देश्य बालक में नैतिक...

नैतिक विकास किसे कहते हैं?

अनुक्रम (Contents) • • • • • • • • • • • • • • • नैतिक विकास किसे कहते हैं? नैतिक-व्यवहार को परिभाषित करते हुए हरलॉक ने लिखा है— “सामाजिक समूह के नैतिक कोड के अनुरूप व्यवहार ही नैतिक व्यवहार है।” नैतिक विकास का अर्थ नैतिक मूल्यों तथा आदतों से है। नैतिक-विकास में मुख्यतः ये मूल्य अथवा तत्त्व आते हैं – 1. ईमानदारी, 2. परोपकारी, 3. विश्वास, 4. त्याग, 5. आज्ञापालन, 6. सेवा भावना, 7. साहस, 8. धैर्य, 9. दवा, 10. क्षमा, 11. स्नेह, 12. इसे भी पढ़े… • बालकों में उचित नैतिक विकास हेतु सुझाव- बालकों में उचित नैतिक विकास हेतु निम्नलिखित सुझाव व कदम उठाये जा सकते हैं 1. बालकों में उचित आदर्शों का विकास प्रत्येक बालक की अपनी मान्यतायें, मूल्य और आदर्श उसके चरित्र को प्रतिबिम्बित करते हैं। किसी एक परिस्थिति में वह जैसा व्यवहार करता है उसके पीछे उसके जीवन के लक्ष्य और आदर्शों की छाप होती है। जितने ऊँचे और अच्छे जीवन-मूल्य और *आदर्श होंगे, उसका चरित्र उतना ही सशक्त और उत्तम होगा। इसलिए बालकों को उचित आदर्श एवं जीव मूल्य अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिये। 2. उचित स्थायी भावों का विकास एवं संगठन चरित्र को स्थायी भावों की एक व्यवस्था एवं संगठन का नाम दिया जाता है। इसलिए बच्चों में स्वरूप और सुन्दर स्थायी भावों के निर्माण और उसके स्थायी संगठन के बारे में प्रयत्न किये जाने चाहिए। इसके लिए सबसे पहले अच्छे स्थायी भावों जैसे देशभक्ति का स्थायी भाव, नैतिक स्थायी भाव, सामाजिक स्थायी भाव, बौद्धिक स्थायी भाव, सौन्दर्यात्मक स्थायी भाव और आत्म-सम्मान के स्थायीभाव आदि के विकास के लिए प्रयत्न किए जाने चाहिए। 3. नैतिक और धार्मिक शिक्षा प्रदान करना चरित्र निर्माण में नैतिक और धार्मिक शिक्षा की उपयोगिता ...

शिक्षा का अर्थ, परिभाषा एवं सम्प्रत्यय

शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया हैं। व्यक्ति औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों से जीवन भर शिक्षा प्राप्त करता रहता है। वह अपने दैनिक जीवन में अपने वातावरण एवं परिवेश के साथ अन्त: क्रिया करते हुएँ अनेक अनुभव प्राप्त करता है। इन अनुभवों से जो ज्ञान उसे प्राप्त होता है वही व्यापक अर्थ में शिक्षा है। विद्यालय जीवन में प्राप्त शिक्षा भी इस व्यापक शिक्षा का एक अंग है। शिक्षा ऐसी प्रक्रिया है जो जन्म काल तथा प्रकृति प्रदत्त शक्तियों का विकास करती है। शिक्षा व्यक्ति को सभ्य एवं सुसंस्कृत नागरिक बनाती है। शिक्षा के इतने महत्वपूर्ण योगदान के कारण आज समाज में शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। शिक्षा मानव विकास का मूल साधन हैं। इससे मानव की जन्मजात शक्तियों का विकास होता है। ज्ञान कला और कौशल में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं मनुष्य के व्यवहार में भी परिवर्तन आता है। शिक्षा क्या है ? विद्या क्या है ? इस पर वेदों पुराणों उपनिषदों में कुछ लिखा हुआ मिलता है। आदिम युग के बाद जब भी मानव ने शिक्षा के अर्थ को समझा होगा और अपने को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया होगा तभी से शिक्षा का अर्थ ज्ञात हुआ होगा। वेदों में शिक्षा को एक अंग के रूप में स्वीकार किया गया है। शिक्षा शब्द संस्कृत भाषा के शिक्ष् धातु से बना है जिसका अर्थ है। ज्ञानोपार्जन अथवा सीखना है। मानव अपने अनुभव से हमेशा ही कुछ न कुछ सीखता रहा है पाषाण युग से मशीन युग तक शिक्षा के उद्देश्य , कार्य , तत्व , क्षेंत्र परिवर्तित होते रहें हैं। शिक्षा विकास का मूल साधन है। शिक्षा के जरिए मनुष्य के ज्ञान एवं कला कौशल में वृद्धि करके उसके अनुवांशिक गुणों को निखारा जा सकता है और उसके व्यवहार को परिमार्जित किया जा सकता है। शिक्षा व्यक्ति की...

नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर निबंध Moral Values For Students Hindi

Essay On Moral Values For Students In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर निबंध बता रहे हैं. आज का यह लेख कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए छोटा बड़ा हिंदी में 5,10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में इस निबंध को परीक्षा के लिहाज से याद कर सकते है. नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर निबंध Short & Big Leanth Moral Values For Students In Hindi Giving Here Free Pdf For Students & Kids. 200 शब्द जीवन को बेहतर तरीके से जीने के लिए शिक्षा एक सर्वोत्तम साधन हैं मनुष्य की क्षमताओं को विकसित करने वाली पद्धति शिक्षा ही हैं. यहाँ एक प्रश्न यह भी है कि शिक्षा कैसी हो, उसका स्वरूप क्या हो? आज हमारे बच्चों को दी जाने स्कूली शिक्षा क्या व्यक्तित्व निर्माण की अहम प्रक्रिया मानी गई शिक्षा के मानदंडों को पूरा करती हैं. एक आदर्श नागरिक के निर्माण के लिए जो शिक्षा दी जा रही है उसमें कौशल, रोजगार सृजन, अनुशासन और धर्म व नैतिकता को शामिल किया जाना ही चाहिए. सत्यम शिवम सुन्दरम् के आदर्शों को शिक्षा में सम्मिलित कर बालक को सही गलत की पहचान करने का सामर्थ्य दिलाना शिक्षा का एक उद्देश्य होना ही चाहिए. गलत को गलत कहने और अन्याय के खिलाफ लड़ने का साहस पैदा करना शिक्षा का काम हैं. पेशवर शिक्षा व्यक्ति को धन अथवा पद अर्जन में सहायता तो कर सकती है मगर चरित्र उत्थान एवं आध्यात्मिक विकास के लिए नैतिक शिक्षा को साधारण शिक्षा के साथ सम्मिलित कर देना चाहिए. अशांति एवं असंतोष के वातावरण में युवा मोह और भ्रम के बीच अपने उद्देश्यों को न भूलें, इसके लिए नैतिकता का पाठ जरूरी हैं. नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध 300 शब्दों में प्रस्तावना- प्रत्येक राष्ट्र की सामाजिक ...

It is important to have moral education along with technical education Narendra Negi

शनिवार को ग्लोबल शिक्षण एवं सेवा संस्था भानियावाला में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व प्रधान नरेन्द्र सिंह नेगी ने एक साल तक कंप्यूटर का प्रशिक्षण लेने वाले छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र एवं अंकतालिका वितरित की। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान अर्जित ज्ञान का लाभ लेते हुये इसको रोजगार एवं स्वरोजगार से जोड़ना चाहिये। आज हमारे नवयुवक व युवातियां नशे के मायाजाल में फंस रहे हैं, हमे इससे दूर रहकर अपने मित्रों को भी जागरूक करने का प्रयास करना चाहिये। तकनीकि शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा का होना भी आधुनिकता के इस काल में जरूरी है। संस्थान के चेयरमेन बीएस राणा ने कहा कि संस्थान में उत्तराखंड बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम की ओर से एक वर्षीय डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन एण्ड प्रोगामिंग, डिप्लोमा इन रिपेंरिंग, मैन्टीनेंस ऑफ इलैक्ट्रानिक्स एप्लाइंसस कोर्स संचालित किया जा रहा था। जिसमें 20 युवक युवतियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ उठाया है। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य जरूरतमद् छात्र-छात्राओं को शिक्षित कर रोजगार के प्रति प्रेरक करना है। कहा कि समय का सदु्पयोग कर सरकार कि योजनाओं का पूर्ण लाभ लेना चाहिये, तभी सरकार की कोई योजना सफल होती है। मौके गणेश रावत, सागर गुसाईं, अखिलेश कुमार, रिचा नेगी, सीमा, अंशिका, मुस्कान आदि मौजूद रहे।

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By Jul 11, 2019 नैतिकता (morality) दर्शनकीएकशाखाहैजोसमाजकेभीतरसहीऔरगलतकीअवधारणाओंकोपरिभाषितकरतीहै।विभिन्नसमाजोंद्वारापरिभाषितनैतिकतालगभगएकजैसीहै।हालांकिअवधारणासरलहैक्योंकिप्रत्येक नैतिकताऔरसौंदर्यशास्त्रदोनोंहीदर्शनशास्त्रकीशाखाकीउप-शाखाएँहैंजिन्हेंऐसियोलॉजीकहाजाताहै।नैतिकताकीअवधारणाकाफीहदतकएकसमाजकीसंस्कृतिऔरधर्मपरआधारितहै। विषय-सूचि • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • नैतिकतापरनिबंध, morality essay in hindi (200 शब्द) नैतिकतासहीऔरगलत, अच्छाईऔरबुराई, उपाध्यक्षऔरसदाचारआदिकीअवधारणाओंकेलिएएकनिर्धारितपरिभाषाप्रदानकरकेमानवनैतिकताकेसवालोंकाजवाबदेनेमेंमददकरतीहै।जबसंदेहमेंहमहमेशानैतिकऔरनैतिकमूल्योंकेबारेमेंसोचतेहैंजोहमेंअपनेशुरुआतीवर्षोंसेसिखायागयाहैऔरलगभगतुरंतविचारोंकीस्पष्टतामिलतीहै। जबकिसमाजकीभलाईऔरवहांरहनेवालेलोगोंकीसमग्रभलाईकेलिएनैतिकतानिर्धारितकीगईहै, येकुछलोगोंकेलिएनाखुशीकाकारणभीहोसकतेहैं।ऐसाइसलिएहैक्योंकिलोगइनपरसवारहोगएहैं।उदाहरणकेलिए, पहलेकेसमयमें उन्हेंबाहरजानेऔरकामकरनेयापरिवारकेपुरुषसदस्योंकेफैसलेपरसवालउठानेकीअनुमतिनहींथी।जबकिइनदिनोंमहिलाओंकोबाहरजानेऔरकामकरनेऔरअपनेदमपरविभिन्ननिर्णयलेनेकीआजादीदीजारहीहै, कईलोगअभीभीसदियोंसेपरिभाषितनैतिकताऔरमानदंडोंसेचिपकेहुएहैं।वेअबभीमानतेहैंकिमहिलाकास्थानरसोईमेंहैऔरउसकेलिएबाहरजाकरकामकरनानैतिकरूपसेगलतहै। इसलिएजबकिसमाजकेसुचारूसंचालनकेलिएलोगोंमेंनैतिकताऔरनैतिकमूल्योंकोअंतर्निहितकियाजानाचाहिएऔरव्यक्तियोंऔरसमाजकेसमुचितविकासऔरविकासकेलिएसमय-समयपरइसेफिरसेपरिभाषितकियाजानाचाहिए। नैतिकमूल्यकामहत्वपरनिबंध, ethics essay in hindi (300 शब्द) प्रस्तावना: नैतिकताशब्दप्राचीनग्रीकशब्दएथोससेलियागयाहैजिसकाअर्थहैआदत, रिवाजयाचरित्र।यहीवास्तविकअर्थोंमेंनैत...