Nath sakal sampada tumhari

  1. श्री पितर चालीसा
  2. Shrimad Bhagavata Mahapurana Bhagavata Chaturth Skanda (Book Four) Chapter 8 to 12
  3. Pitar Chalisa
  4. कैलाश के निवासी
  5. Shri Ram Katha


Download: Nath sakal sampada tumhari
Size: 58.25 MB

श्री पितर चालीसा

॥ दोहा ॥ हे पितरेश्वर आपको, दे दियो आशीर्वाद। चरणाशीश नवा दियो, रखदो सिर पर हाथ॥ सबसे पहले गणपत, पाछे घर का देव मनावा जी। हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी॥ ॥ चौपाई ॥ पितरेश्वर करो मार्ग उजागर। चरण रज की मुक्ति सागर॥ परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा। मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा॥ मातृ-पितृ देव मनजो भावे। सोई अमित जीवन फल पावे॥ जै-जै-जै पित्तर जी साईं। पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं॥ चारों ओर प्रताप तुम्हारा। संकट में तेरा ही सहारा॥ नारायण आधार सृष्टि का। पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का॥ प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते। भाग्य द्वार आप ही खुलवाते॥ झुंझुनू में दरबार है साजे। सब देवों संग आप विराजे॥ प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा। कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा॥ पित्तर महिमा सबसे न्यारी। जिसका गुणगावे नर नारी॥ तीन मण्ड में आप बिराजे। बसु रुद्र आदित्य में साजे॥ नाथ सकल संपदा तुम्हारी। मैं सेवक समेत सुत नारी॥ छप्पन भोग नहीं हैं भाते। शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते॥ तुम्हारे भजन परम हितकारी। छोटे बड़े सभी अधिकारी॥ भानु उदय संग आप पुजावै। पांच अँजुलि जल रिझावे॥ ध्वज पताका मण्ड पे है साजे। अखण्ड ज्योति में आप विराजे॥ सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी। धन्य हुई जन्म भूमि हमारी॥ शहीद हमारे यहाँ पुजाते। मातृ भक्ति संदेश सुनाते॥ जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा। धर्म जाति का नहीं है नारा॥ हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई। सब पूजे पित्तर भाई॥ हिन्दु वंश वृक्ष है हमारा। जान से ज्यादा हमको प्यारा॥ गंगा ये मरुप्रदेश की। पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की॥ बन्धु छोड़ना इनके चरणाँ। इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा॥ चौदस को जागरण करवाते। अमावस को हम धोक लगाते॥ जात जडूला सभी मनाते। नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते॥ धन्य जन्म भूम...

Shrimad Bhagavata Mahapurana Bhagavata Chaturth Skanda (Book Four) Chapter 8 to 12

The synopsis has been divided into two parts because of the length. - Story - Points to Ponder Shrimad Bhagavata Mahapurana Synopsis of the Twenty-Fifth Session Bhagavata Chaturth Skanda (Book Four) Chapter 8 to 12 —————————————————— Sub Story: Once a man got lost in the desert and soon his water supply also got exhausted. He had no clue where he was and what direction to go to. At that time in a distance he saw a hut, he was worried, it could be just a mirage, but with faith in heart he walked towards the hut. To his delight the hut was there, no one was inside, but there was a water pump. He tried to work the water pump, but no water came out. He was about to give up and accept his faith, but at the time he saw a nicely sealed bottle of water. He rushed and was about to drink the water when he saw a note saying, put this water in the pump and later re-fill this bottle with the water from the pump and leave it here. This man was in a dilemma, what if, he thought, the pump did not work and this water also got wasted. He would die for sure. But, between these two difficult choices, he decided to work the pump. It did, so much water came out that he had more than he could consume. After drinking he safely filled the bottle and kept it secure for someone else to use. On the note, he added his own lines to the existing message; “Trust me, it works.” Ponder Now: When we are reading the scriptures, they are shouting out a message, only the person who has had the courage to delve...

Pitar Chalisa

पितर चालीसा ।। दोहा ।। हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद। चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ। सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी। हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी।। ।। चौपाई ।। पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर। परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा। मातृ-पितृ देव मन जो भावे, सोई अमित जीवन फल पावे। जै-जै-जै पित्तर जी साईं, पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं। चारों ओर प्रताप तुम्हारा, संकट में तेरा ही सहारा। नारायण आधार सृष्टि का, पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का। प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते, भाग्य द्वार आप ही खुलवाते। झुंझनू में दरबार है साजे, सब देवों संग आप विराजे। प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा, कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा। पित्तर महिमा सबसे न्यारी, जिसका गुणगावे नर नारी। तीन मण्ड में आप बिराजे, बसु रुद्र आदित्य में साजे। नाथ सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी। छप्पन भोग नहीं हैं भाते, शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते। तुम्हारे भजन परम हितकारी, छोटे बड़े सभी अधिकारी। भानु उदय संग आप पुजावै, पांच अँजुलि जल रिझावे। ध्वज पताका मण्ड पे है साजे, अखण्ड ज्योति में आप विराजे। सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी, धन्य हुई जन्म भूमि हमारी। शहीद हमारे यहाँ पुजाते, मातृ भक्ति संदेश सुनाते। जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा, धर्म जाति का नहीं है नारा। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब पूजे पित्तर भाई। हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा, जान से ज्यादा हमको प्यारा। गंगा ये मरुप्रदेश की, पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की। बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ, इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा। चौदस को जागरण करवाते, अमावस को हम धोक लगाते। जात जडूला सभी मनाते, नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते।...

कैलाश के निवासी

कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ | kailash ke nivasi namo baar baar hu lyrics :->सुंदर भजन भगवान शिव की स्तुति मात्र से ही प्रेम से उम्र पड़ता है भगवान शिव के चरणों की वंदना करते हुए कहता है कि मैं तेरे चरणों को प्रणाम करता हूं| अद्भुत इस भजन में की गायन की गई है कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ | kailash ke nivasi namo baar baar hu lyrics कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ, नमो बार बार हूँ आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू, आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू, भोले तार तार तू, यो शरण तिहारी भोले तार तार तू कैलाश के निवासी*1 भक्तो को कभी शिव तुने निराश ना किया माँगा जिन्हें जो चाहा वरदान दे दिया बड़ा हैं तेरा दायजा, बड़ा दातार तू, बड़ा दातार तू आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू कैलाश के निवासी*1 आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू भोले तार तार तू, तार तार तू आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू भोले तार तार तू, तार तार तू कैयो शरण तिहारी भोले तार तार तू कैलाश के निवासी*1 बखान क्या करू मै राखो के ढेर का चपटी भभूत में हैं खजाना कुबेर का हैं गंग धार, मुक्ति द्वार, ओंकार तू ओंकार तू आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ, नमो बार बार हूँ आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू भोले तार तार तू, तार तार तू कैलाश के निवासी*1 क्या क्या नहीं दिया, हम क्या प्रमाण दे बस गए त्रिलोक शम्भू तेरे दान से ज़हर पिया, जीवन दिया कितना उदार तू, कितना उदार तू, कितना उदार तू आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू कैलाश के निवासी*1 आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू भोले तार तार तू, तार तार तू कैलाश के निवासी तेरी कृपा बिना न हींले एक भी अनु लेते हैं स्वास तेरी दया से कनु कनु कहे दास एक बार, मुझको निहार तू मुझको निहा...

Shri Ram Katha

भावार्थ:-उन्हें महल के भीतर ठहरने को उत्तम स्थान दिया, जिसमें राजा और सब रनिवास उनका मन जोहता रहे (अर्थात जिसमें राजा और महल की सारी रानियाँ स्वयं उनकी इच्छानुसार उनके आराम की ओर दृष्टि रख सकें) फिर राजा ने गुरु वशिष्ठजी के चरणकमलों की पूजा और विनती की। उनके हृदय में कम प्रीति न थी (अर्थात बहुत प्रीति थी)॥4॥