Nautanki kis rajya ka lok nritya hai

  1. रामखेलिया किस राज्य का लोक नृत्य है?
  2. राजस्थान के लोक नृत्य
  3. बिहार का लोक नृत्य कौनसा है?
  4. Rajasthan Ke Lok Nritya
  5. भारतीय लोकनृत्य और लोकगीत


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रामखेलिया किस राज्य का लोक नृत्य है?

Explanation : रामखेलिया किस राज्य का लोक नृत्य है। रामखेलिया यह एक लोक नृत्य है जो हरियाणा राज्य का मशहूर नृत्य है। लोक नृत्य हरियाणा में झूमर, फाग डाफ, धामाल, लुर, गुणा, खोर, गागोर इत्यादि ये सब नृत्य प्रसिद्ध हैं। बता दे​ कि इस प्रश्न से जुड़े सामान्य ज्ञान के प्रश्न रेलवे की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते रहे है। जो छात्र भारतीय रेलवे की वि​भिन्न जोनल रेलवे और उत्पादन इकाईयों में गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों जैसे कनिष्ठ सह टंकक, लेखा लिपिक सह टंकक, ट्रेन लिपिक, वाणिज्यिक सह टिकट लिपिक, यातायात सहायक, गुड्स गार्ड, वरिष्ठ वाणिज्यिक सह टिकट लिपिक, वरिष्ठ लिपिक सह टंकक, कनिष्ठ लेखा सहायक सह टंकक, वरिष्ठ समयपाल कमर्शियल अपरेंटिस और स्टेशन मास्टर के पदों के लिए तैयारी कर रहे है। उन्हें इन प्रश्नों को विशेषतौर पर याद कर लेना चाहिए। Tags :

राजस्थान के लोक नृत्य

भवाई नृत्य मूलत: मटका नृत्य था, किंतु भवाई जाति के व्यक्तियों द्वारा किया जाने के कारण इसका नाम भवाई नृत्य पड़ा। इस भवाई नत्य के प्रवर्तक केकड़ी (अजमेर) के नागोजी/बाघोजी जाट को माना जाता है तो इस नृत्य को विशिष्ट ख्याती भारतीय लोक कला मंडल (उदयपुर) के संस्थापक देवीलाल सांभर ने दयाराम भील के माध्यम से दिलाई। इस नृत्य का मुख्य पात्र भगवान शिव को माना जाता है तथा शिव की पत्नी गौरी (पार्वती) के नाम के कारण ही इस नृत्य नाटक का नाम 'गवरी नृत्य' पड़ा। पार्वती को ही इस नृत्य नाटक में राई नाम से पुकारा जाता है इसी कारण इस नृत्य को राई नृत्य भी कहा जाता है। शिव का रूप धारण करने वाले नर्तक को 'पुरिया' कहा जाता है, तो अन्य पात्र 'खेल्ये' कहलाते हैं।

बिहार का लोक नृत्य कौनसा है?

लोक नृत्य बिहार की संस्कृति के सबसे दिलचस्प पहलुओं में से एक हैं। अधिकांश लोक नृत्य आम जीवन, लोगों के दुखों, उपलब्धियों और समस्याओं को दर्शाते हैं। महत्वपूर्ण सामाजिक समारोहों में, इन नृत्यों को गायकों के साथ टेबल, ढोलक और हारमोनियम जैसे संगीत वाद्ययंत्रों के साथ समूह में किया जाता है। यहां बिहार के 6 सबसे लोकप्रिय लोक नृत्यों की सूची दी गई है। बिदेसिया: बिहार के लोक नृत्यों में सबसे प्रमुख हैबिदेसिया नृत्य नाटिका का एक रूप है जो बिहार के लोक नृत्यों में एक अद्वितीय स्थान रखता है। यह भिखारी ठाकुर द्वारा बनाया गया माना जाता है, एक ऐसा व्यक्ति जो पेशे से नाई था और नाटक के अपने जुनून के लिए उसने सब कुछ छोड़ दिया। Bidesia सामाजिक मुद्दों और पारंपरिक और आधुनिक, अमीर और गरीब और भावनात्मक लड़ाई की तरह नाजुक मामलों के बीच संघर्ष से संबंधित है। पुराने दिनों में, बिदेसिया प्रसिद्ध था क्योंकि इसने गरीब मजदूरों के कारण जैसे कई सामाजिक संबंधित विषयों के लिए आवाज दी और भोजपुरी समाज में महिलाओं की खराब स्थिति के बारे में जागरूकता पैदा करने की कोशिश की। कभी-कभी, बिदेसिया का स्वर व्यंग्यात्मक होता है, लेकिन यह भावनात्मक कहानियों के साथ जीवंत नृत्य चाल और संगीत का उपयोग करता है। • • जाट जतिन जाट जतिन आमतौर पर कोशी और मिथिला के लोक नर्तकियों द्वारा किया जाता है। यह उन जोड़ों द्वारा किया जाता है जो एक कहानी का प्रदर्शन करते हैं। कभी-कभी, यह बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे सामाजिक कारणों को भी दर्शाता है। वास्तविक तस्वीर दिखाने के लिए, कभी-कभी नर्तकियों द्वारा मुखौटा भी पहना जाता है। पति पत्नी के रिश्ते को इस नृत्य रूप में खूबसूरती से चित्रित किया गया है। झिझिया लंबे समय तक बारिश नहीं होने ...

Rajasthan Ke Lok Nritya

राजस्थान के लोकनृत्य – Rajasthan Ke Lok Nritya मानव का यह मूल स्वभाव है कि वह आनन्द के क्षणों में प्रसन्नता से झूम कर अपनी अंग-भंगिमाओं का अनियोजित प्रदर्शन करता है। उमंग में भरकर सामूहिक रूप में किये जाने वाले नृत्य जो किसी नियम से बँधे हुए नहीं होते, न ही इनमें मुद्रायें निर्धारित होती है, लोक नृत्य कहलातेहैं। वीर भूमि राजस्थान विविध कलाओं के साथ-साथ विभिन्न नृत्यों की भी रंगस्थली रही है। जयपुर घराना कथक नृत्य शैली का आदिम घराना माना जाता है, इसके प्रवर्तक भानूजी थे। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि समस्त भारत में जयपुर एकमात्र ऐसा केन्द्र है जहाँ के गायन, वादन और नृत्य घराने प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के प्रमुख लोक-नृत्य : • गींदङ नृत्य • डांडिया नृत्य • ढोल नृत्य • अग्नि नृत्य • बम नृत्य • घूमर नृत्य • गैर नृत्य • गवरी नृत्य • वालर नृत्य • चरी नृत्य • भवाई नृत्य • तेरहताली नृत्य राजस्थानी लोक नृत्य को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है – (अ) क्षेत्रीय लोक नृत्य (1) गींदङ नृत्य – • राजस्थान के शेखावटी क्षेत्र (सुजानगढ़, चूरू, रामगढ़, लक्ष्मणगढ़, सीकर आदि) में होली के दिनों में गींदङ नृत्य का सामूहिक कार्यक्रम लगभग एक सप्ताह तक चलता है। • होली के त्यौहार पर प्रहलाद की स्थापना (डांडा रोपना) के बाद यह नृत्य प्रारम्भ हो जाता है। • नृत्य में डण्डों का टकराव, पैरों की गति तथा नगाङे की ताल, इन तीनों का साम्य रखते हुए, नर्तक पहले अपने पासा वाले नर्तक के नीचे झुक कर दाहिने हाथ के डंडे से आघात करता है तथा दूसरा आघात ऊपर चेहरे के सामने होता है। • विशुद्ध रूप से पुरुषों के इस नृत्य में कुछ पुरुष जो महिलाओं के वस्त्र धारण कर नृत्य में भाग लेते हैं, उन्हें गणगौर कहा जाता है। • वाद्य य...

भारतीय लोकनृत्य और लोकगीत

Bharatiya Lok Nritya Aur Lokgeet लोकनृत्य (Folk dance) उन नृत्यों को कहते हैं जिनमें प्राय: निम्न विशेषताएँ पायी जाती हैं- प्राय: ये नृत्य उन्नीसवीं शताब्दी या उसके पहले के हैं जिन्हे पेटेन्ट नहीं कराया गया है। इन नृत्यों का ढ़ंग पारम्परिक होता है न कि किसी एक व्यक्ति द्वारा नवाचार द्वारा सृजित। इसके नृत्यकार आम आदमी होते हैं, न कि समाज के कुलीन वर्ग। इसको नियन्त्रित करने वाली कोई एक संस्था नहीं होती। Lok Nritya Aur Lokgeet प्रदेश का नाम लोकनृत्य और लोकगीत हरियाणा धमाल, घोड़ी नाच, स्वाँग, डंडा नाच । हिमाचल प्रदेश नाटी, सांगला, बोयांग्चू, झाँझर, अँगी, घोड़ायी, थाली, छपेली। मेघालय नौगक्रेम, बंगला, कुशवलीम्मोह, कशव-वस्तिएई। मिजोरम चेरोकान, पाखुलिया, इखतला। नागालैण्ड केदोहोह, यचुभि, अकहजी, चोंग, अंगोकगु, गोयायारि, तसंगसंग, नूरालिम, युद्धनृत्य। असोम बीहू, मॅवरिया, बगुरुम्बा, देवधानी, भाओन, अमरू, माडूभागी, खेल गोपाल माखन लीला, लवल चोंगयी। मणिपुर बसंत रस (कृष्णलीला से सम्बन्धित), संकीर्तन, राखाल, लाईट्टरीबा नृत्य। प. बंगाल गंभीरा, काठी, खेमटा, धूप-जारी और मरसिया, राय वेश । (वीरभूम, वर्धमान और मुर्शिदाबाद में प्रचलित), जात्रा। आंध्र प्रदेश मथुरी, बातकम्पा, कुम्मी डप्पू घण्टा माली, छड़ी नृत्य। महाराष्ट्र पोवाड़ा, गोधल गीत. ढोलचा, डंडर, गौरीचा, गोफ, दशावतार, फुगड़ी, दिंडी, तमाशा, लैझिम, गणेश चतुर्थी नृत्य। कर्नाटक. यक्षगान, वीरगास्से, कुनीता कीडवास। केरल कालारी कायतु, भद्रकाली, थुलाल, पादयानी, थायामबाका, उत्तमतुताल, काईकोट्टिकलि, तपत्तिक्कलि, मोहनीअट्टम, कालीअट्टम, कुटीअट्टम। ओडिशा छाँऊ, बहका नाता व दण्डा नाता। तमिलनाडु कोलट्टम, बसन्त, आत्म, कुम्मी, करागम। पंजाब कीकली, गिद्दा, भाँगड...