नींद ना आना बेचैनी होना

  1. ज्यादा नींद आने के कारण, लक्षण और भगाने के तरीके
  2. नींद शब्द के अर्थ
  3. Sleep Disorders: नींद में बड़बड़ाने की है आदत तो इस तरह लाइफ स्‍टाइल में बदलाव कर इसे सुधारें
  4. अनिद्रा (नींद ना आना) का होम्योपैथिक इलाज, उपचार और दवा
  5. क्या आप खुद को बेचैन या भयभीत महसूस करते हैं? पहचानें इन लक्षणों को
  6. क्या आप भी रात को बेचैनी और नींद न आने की समस्या से परेशान हैं?


Download: नींद ना आना बेचैनी होना
Size: 52.80 MB

ज्यादा नींद आने के कारण, लक्षण और भगाने के तरीके

विषय सूची • • • • • • • • आपको कितनी नींद की आवश्यकता होती है? – How much sleep do you need? कई शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि उम्र के हिसाब से हर किसी की नींद की आवश्यकता अलग होती है। नीचे हम नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक उम्र के हिसाब से किसे कितनी नींद की जरूरत होती है, एक तालिका के माध्यम से बता रहे हैं ( उम्र आवश्यक नींद 0-3 महीने 14 से17 घंटे 4-11 महीने 12 से 15 घंटे 1-2 साल 11 से 14 घंटे 3-5 साल 10 से 13 घंटे 6-13 साल 9 से 11 घंटे 14-17 साल 8 से 10 घंटे 18-64 साल 7 से 9 घंटे 65 साल से अधिक 7 से 8 घंटे पढ़ते रहें लेख में आगे ज्यादा नींद आने के प्रकार से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं। ज्यादा नींद आने के प्रकार – Types of Hypersomnia in Hindi बार-बार नींद आने को हाइपरसोमनिया कहा जाता है। नीचे क्रमवार तरीके से हाइपरसोमनिया यानी ज्यादा नींद आने के प्रकार के बारे में बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं ( 1. नैरोकोलेप्सी टाइप-1 (एनटी 1) : नार्कोलेप्सी टाइप-1 एक तरह का स्लीप डिसऑर्डर हैं, जो नींद के पैटर्न को प्रभावित करता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को पूरी रात पर्याप्त नींद लेने के बावजूद दिन में अत्यधिक दिन आने की समस्या हो सकती है। यह समस्या मस्तिष्क में मौजूद हाइपोथैलेमिक हाइपोकैट्रिन न्यूरॉन्स के कम होने के कारण और कैटाप्लेक्सी के कारण हो सकती है। बता दें किअचानक मांसपेशियों में कमजोरी को कैटाप्लेक्सी कहते हैं। मजबूत भावनाएं इसे ट्रिगर करती हैं। 2. नैरोकोलेप्सी टाइप-2 : यह भी हाइपरसोमनिया का एक प्रकार है, जो आमतौर पर किशोरों में देखने को मिलता है। एनटी 1 की तरह इसमें भी व्यक्ति हर समय नींद आने की शिकायत से परेशान हो सकता है। बस इसमें कैटाप्लैक्सी की समस्या नहीं होती है। इ...

नींद शब्द के अर्थ

रेख़्ता डिक्शनरी उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए रेख़्ता फ़ाउंडेशन की एक महत्त्वपूर्ण पहल है। रेख़्ता डिक्शनरी की टीम इस डिक्शनरी के उपयोग को और सरल एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नरत है। कृपया रेख़्ता डिक्शनरी को संसार का सर्वश्रेष्ठ त्रिभाषी शब्दकोश बनाने के लिए हमें सहयोग कीजिए। दानकर्ता द्वारा दी गई योगदान-राशि भारतीय अधिनियम की धारा 80G के तहत कर-छूट के अधीन होगी।

Sleep Disorders: नींद में बड़बड़ाने की है आदत तो इस तरह लाइफ स्‍टाइल में बदलाव कर इसे सुधारें

Sleep Disorders: कुछ लोग नींद में सोते-सोते बड़बड़ाते है. बड़बड़ाने की यह आदत स्लीपिंग डिसऑर्डर (Sleep Disorders) का एक लक्षण है. यह बीमारी कई कारणों से होती है जिसका सबसे बड़ा कारण तनाव, डिप्रेशन, नींद की कमी और गलत लाइफ स्‍टाइल (Lifestyle) है. स्‍लीपिंग डिसऑर्डर की वजह से नींद पूरी नहीं होती और दिन भर थकान महसूस होती रहती है. यह समस्‍या आज पूरी दुनिया में आम होती जा रही है. क्‍या हैं लक्षण अगर इसके लक्षण की बात की जाए तो नींद ना आना, दिनभर थकान, अजीब तरीके से सांस लेना, सोते वक्‍त बड़बड़ाना, बेचैनी, वर्कप्‍लेस पर काम प्रभावित होना, एकाग्रता में कमी, डिप्रेशन और एकाएक वजन बढ़ते जाना इसके लक्षण हैं. ये लक्षण अगर एक महीने से ज्‍यादा रह जाते हैं तो इसे इग्‍नोर नहीं करना चाहिए और डॉक्‍टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिये. इसे भी पढ़ेंः क्‍या है ट्रीटमेंट मेडिकल ट्रीटमेंट और डॉक्‍टर की सलाह के बाद नींद के पैटर्न में सुधार संभव है. इसके अलावा लाइफ स्‍टाइल में बदलाव लाकर भी नींद के पैटर्न को ठीक किया जा सकता है. अगर लाइफ स्‍टाइल में बदलाव की बात करें तो इन बातों को ध्‍यान में रखने की जरूरत है. – मीठा कम खाएं और जहां तक हो सके मछली और हरी सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करें . – व्‍यायाम और स्‍ट्रेचिंग को अपनी लाइफ में शामिल करें – सोने से पहले कम पानी पिएं – कैफीन की मात्रा कम करें खास तौर पर शाम के बाद – अल्‍कोहल और तम्‍बाकू के सेवन से दूरी बनाएं – डिनर में लो कार्बोहाइड्रेड का सेवन करें – वेट कंट्रोल रखें – सोने और जागने का टाइम फिक्‍स करें . Tags: , ,

अनिद्रा (नींद ना आना) का होम्योपैथिक इलाज, उपचार और दवा

नींद न आने के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन कई जोखिम कारक (और पढ़ें - अनिद्रा का सबसे मुख्य लक्षण, केवल कुछ देर के लिए ही सो पाना, अचानक व जल्दी उठ जाना, आमतौर परव्यक्ति के लक्षणों और उसकी सोने की आदतों के बारे में जानकर अनिद्रा का निदान होता है। व्यक्ति को इस बात पर ध्यान देने के लिए कहा जा सकता है कि वह हर दिन कितने घंटे सो रहा है। कुछ मामलों में, डॉक्टर पोलीसोम्नोग्राफी (Polysomnography) भी कर सकते हैं, ताकि आराम करते समय और सोते समय शरीर के कार्यों को देखा जा सके। • • • • • अनिद्रा का इलाज करने के लिए होम्योपैथिक दवाएं बहुत असरदार हो सकती हैं। होम्योपैथी में ऐसी दवा नहीं है जिसे लेने से व्यक्ति को नींद आने लगेगी, इसमें समस्या के कारण को ठीक करने पर ध्यान दिया जाता है और जोखिम कारक को कम किया जाता जाता है। ऐसा करने से नींद आने में धीरे-धीरे काफी सुधार आता है। 18 से 31 साल के लोगों पर किए गए एक अध्ययन में ये पाया गया कि होम्योपैथिक दवाओं से होम्योपैथिक दवा का सबसे ज्यादा असर देखने के लिए व्यक्ति के नींद के तरीके और जागते समय उसके दिमाग में चल रहे ख्यालों का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे तुरंत असर के लिए सही दवा चुनने में मदद मिलती है। लंबे समय से अनिद्रा से पीड़ित 30 लोगों पर किए गए एक अध्ययन से ये सामने आया कि हर व्यक्ति को उसके लक्षणों व अन्य कारक के आधार पर दी जाने वाली होम्योपैथिक दवा से सामान्य तौर पर किए जाने वाले उपचार से अधिक असर हुआ। डॉक्टर द्वारा बताई गई होम्योपैथिक दवा को सही समय पर लेने से नींद में काफी सुधार देखा गया। (और पढ़ें - अनिद्रा से छुटकारा पाने और अच्छी नींद के लिए Melatonin Sleep Support Tablets का उपयोग करें - होम्योपैथी में नी...

क्या आप खुद को बेचैन या भयभीत महसूस करते हैं? पहचानें इन लक्षणों को

चिंता एक स्वभाविक मनोस्थिति है। जो हमारे व्यक्ति के विकास में योगदान देती है। अगर चिंता नहीं होगी तो विद्यार्थी पढाई नहीं करेगा, कर्मचारी समय पर कार्य स्थल पर नहीं पहुंचेगा और प्रतियोगी परी​क्षाओं में भाग लेने वाले लोग समयबद्ध तैयारी नहीं कर पाएंगे। इतनी चिंता होना आवश्यक है कि हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकें लेकिन यही चिंता अगर दुषचिंता में परिवर्तित हो जाती है और इतनी ज्यादा होने लगती है कि वो हमारे कार्य में बाध बन जाती हो तो इसे स्थिति को चिंता विक्षिप्त कहते हैं। जरूरत से ज्यादा बेचैनी आपकी कार्य क्षमता और शरीर दोनों के लिए नुकसानदेह है। बहुत अधिक बेचैन रहना लगातार चिंता का कारण है। बेचैनी होना शारीरिक एवं मानसिक बीमारी दोनों प्रकार के संकेत हो सकते हैं। घबराहट आपकी बेचैनी और आंतरिक तनाव की स्थिति को बताता है। चुभने वाला दर्द या बीमार होने की भावना से लेकर मनोवैज्ञानिक संकट जब कोई व्यक्ति या कोई चीज आपको परेशान करती है। यह भी बेचैनी का कारण हो सकता है। चिंता वैसे तो सामान्य मनोस्थिति है। लेकिन यही चिंता इतनी ज्यादा हो जाए कि हमारे शारीरिक और मानसिक संतुलन में बाधक हो जाए और यह स्थिति दो सप्ताह या इससे अधिक बनी रहे और चिंता का कारण भी व्यक्ति को मालूम ना हो कि यह बेचैनी क्यों हो रही है। इसे एंजायटी डिसऑर्डर की संज्ञा दी जाती है। वैसे तो यह एक नार्मल इमोशनल सिस्टम का हिस्सा है, इसलिए इसे डिसऑर्डर नहीं माना जाता है, फिर भी इसके कुछ स्तर या पैरामीटर हैं जिन पर इसे असामान्य माना जा सकता है। लगातार चिंता-ग्रस्त रहने से कई जटिल शारीरिक समस्याएं शरीर को घेर लेती हैं, जैसे ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना। आपको संक्रमण का खतरा होने की संभावना भी बढ़ सकती है। यदि आप हमेशा चिंतित रहते ...

क्या आप भी रात को बेचैनी और नींद न आने की समस्या से परेशान हैं?

नींद न आना एवं बेचैनी एक आम समस्या है जिससे दुनियां भर के लाखों लोग पीड़ित हैं। अनिद्रा मानसिक के साथ ही हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। अगर अनिद्रा का समय पर उपचार नहीं किया जाए तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम अनिद्रा के कारणों एवं लक्षणों की पहचान कर चिकित्सकीय परामर्श लें। आजकल की व्यस्ततम एवं भागदौड़ भरी जीवनशैली, तनावपूर्ण वातावरण, अकेलापन सहित कई कारणों से हमारी नींद प्रभावित होती है। नींद का सीधा संबंध हमारे मस्तिष्क से है। अगर हम पर्याप्त नींद नहीं लेंगे तो हमारे मस्तिष्क को आराम नहीं मिलेगा और हम अवसाद से ग्रसित हो जाएंगे। जिसका असर हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा और यह हमारे लिए काफी नुकसानदेह साबित होगा। ऐसे में आज के आर्टिकल में हम अनिद्रा के कारणों, लक्षणों एवं इसके उपचार के बारे में जानेंगे। नींद नहीं आने के क्या कारण हैं? आमतौर पर नींद नहीं आना हमारे दैनिक जीवन की घटनाओं, तनाव एवं आदतों पर अधिक निर्भर करता है। इसके अलावा कुछ ऐसे मेडिकल कारण भी होते हैं, जिससे हमें अनिद्रा की समस्या होती है। अब हम नींद नहीं आने के कारणों को विस्तार से समझते हैं। 1. तनाव नींद नहीं आने का एक प्रमुख कारण तनाव है। अक्सर हम ऑफिस के काम, घर की परेशानियों, आर्थिक एवं भावनात्मक कारणों से तनावग्रस्त हो जाते हैं। जिससे हमारी नींद प्रभावित होती है। हम तनाव के चलते देर रात तक अपनी समस्याओं के बारे में सोचते रहते हैं और नींद नहीं निकाल पाते। जिसका नकारात्मक प्रभाव हमारी दिनचर्या पर भी पड़ता है। 2. सोने का समय फिक्स नहीं होना समय पर नहीं सोना भी नींद नहीं आने का एक बड़ा कारण है, क्योंकि नींद आने का एक तय समय होता है, जब हमें सोना चाहिए, लेकिन हम...