नोटबंदी सुप्रीम कोर्ट

  1. SC verdict on Demonetisation: नोटबंदी को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने बताया सही, सभी याचिका खारिज
  2. SC To Hear Pleas Challenging Constitutional Validity Of Notes Ban Tomorrow
  3. सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के आलोचकों को दिया जवाब, मोदी सरकार को जारी करना चाहिए वाइट पेपर
  4. Supreme Court Hearing On Demonetisation Case
  5. Central Governments Decision On Demonetisation Is Correct, Supreme Court Answers 6 Important Questions
  6. Supreme Court:नोटबंदी पर फैसले की समीक्षा करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका
  7. Supreme Court:नोटबंदी पर फैसले की समीक्षा करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका
  8. SC To Hear Pleas Challenging Constitutional Validity Of Notes Ban Tomorrow
  9. Central Governments Decision On Demonetisation Is Correct, Supreme Court Answers 6 Important Questions
  10. Supreme Court Hearing On Demonetisation Case


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SC verdict on Demonetisation: नोटबंदी को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने बताया सही, सभी याचिका खारिज

SC verdict on Demonetisation: नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सही ठहराया है। नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज पांच जजों की बेंच ने इस मामले पर अपना फैसला देते हुए नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी के ऐलान के बाद 52 दिन का समय नोट को बदलने के लिए दिया गया था, लिहाजा इसे गलत नहीं कहा जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी के लक्ष्य की प्राप्ति हुई या नहीं यह मायने नहीं रखता है। बता दें कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में नोटबंदी का ऐलान किया था, जिसके बाद 500 और 1000 की नोटो को प्रतिबंधित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी के फैसले से पहले केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच इसको लेकर चर्चा हुई थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह का फैसला लेने के लिए केंद्र और आरबीआई ने उचित चर्चा की थी और हमारा मानना है कि यह मनमाना फैसला नहीं था। गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी के फैसले के खिलाफ जो याचिकाएं दायर की गई थीं उसमे कहा गया था कि यह गैरकानूनी थी और संविधान के खिलाफ थी। लेकिन कोर्ट ने केंद्र के फैसले को सही ठहराते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया। जस्टिस बीआर गवाई ने फैसला सुनाते हुए कहा कुल 9 मसले हमारे सामने आए थे, जिन्हें हमने 6 में तब्दील किया। इसमे मुख्य रूप से सवाल यह था कि क्या केंद्र के पास यह अधिकार था कि वह आरबीआई एक्ट के तहत यह फैसला ले सके। जस्टिस गवई ने ...

SC To Hear Pleas Challenging Constitutional Validity Of Notes Ban Tomorrow

यह भी पढ़ें • "फिर से उत्पीड़न का स्पष्ट मामला.." : पूर्व जज ने पहलवानों के मामले को लेकर दिल्ली पुलिस की आलोचना की • दिल्‍ली में फिलहाल बाइक टैक्सी नहीं चलेगी, SC ने दिल्ली हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक लगाई • मणिपुर में लगातार इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ जनहित याचिका पर SC ने जल्द सुनवाई से किया इंकार सुप्रीम कोर्ट में गठित नई संविधान पीठ में पहला मामला नोटबंदी के आदेश को चुनौती का आया है. इस बारे में याचिका 2016 में ही दाखिल हुई थी. उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में सरकार ने तब प्रचलित पांच सौ और हजार रुपये का चलन बंद कर दिया था. तब विवेक नारायण शर्मा ने याचिका दाखिल कर सरकार के इस कदम को चुनौती दी थी. इस याचिका के बाद 57 और याचिकाएं दाखिल की गई थीं. अब इन सब पर एक साथ सुनवाई चलेगी. 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे समूचे देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी, और देश में उस समय तक चल रहे 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को उसी रात 12 बजे से रद्द कर दिया गया था. इसके बाद 500 रुपये का नई सीरीज़ का नोट तो जारी कर दिया गया, लेकिन 1,000 रुपये का कोई नोट अब भारत में प्रचलित नहीं है. उसके स्थान पर रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2,000 रुपये का नई सीरीज़ का नोट जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट में एक नई संविधान पीठ का गठन किया गया है. जिसके सामने पहला मामला नोटबंदी के आदेश को चुनौती देने का है. इस हफ्ते में यह चौथी संविधान पीठ है. चीफ जस्टिस यूयू ललित ने एक और संविधान पीठ का गठन किया है. इसकी अगुआई जस्टिस एस अब्दुल नजीर करेंगे. इस संविधान पीठ में अन्य जज जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामा सुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना होंगे. इस स...

सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के आलोचकों को दिया जवाब, मोदी सरकार को जारी करना चाहिए वाइट पेपर

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ थपथपाने के बाद अब नरेंद्र मोदी सरकार यह उम्मीद कर सकती है कि उनपर लगाए गए आरोप मायने नहीं रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अन्य कारणों के अलावा काले धन और आतंकी फंडिंग को लक्षित करने के लिए सरकार के नवंबर 2016 नोटबंदी के फैसले को बरकरार रखा है. नोटबंदी की घोषणा करते हुए राष्ट्र को की गई अपनी अपील में, प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद पर विकास की धीमी गति और चलन में बेहिसाब धन को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने नोटबंदी के आलोचकों ने सरकार की कार्रवाई के पीछे के कारणों पर संदेह किया और इसके इरादों पर सवाल उठाया था. भ्रष्टाचार को ख़त्म करना उन प्रमुख मुद्दों में से एक था, जिस पर भाजपा ने कांग्रेस को चुनौती दी थी और 2014 में सत्ता में आई थी. मोदी ने 8 नवंबर 2016 की अपनी घोषणा में काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया, वह 2016 में आय घोषणा योजना (आईडीएस) थी, जिसमें उन लोगों को कुछ कर माफी देने की मांग की गई थी, जिन्होंने स्वेच्छा से काले धन की घोषित की थी. यह पहली बार नहीं था हालांकि अतीत में कई सरकारों ने भी ऐसी योजनाओं की घोषणा की थी. आईडीएस 2016 ने शायद अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं दी और भ्रष्टाचार फैलाने वालों की पहचान करने के अपने लक्ष्य को पूरा करने में असफल रही. यह संभव है कि सरकार ने योजना का आकलन किया और नोटबंदी की घोषणा की. अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें. अभी सब्सक्राइब करें यह भी पढ़ें: व्हाइट पेपर अब जब ...

Supreme Court Hearing On Demonetisation Case

नोटबंदी की संवैधानिक वैधता केस : SC ने केंद्र से पूछा नोटबंदी के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र से सवाल पूछा है. कोर्ट ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय नहीं करना चाहिए? क्या RBI एक्ट के तहत नोटबंदी (Demonetisation) की जा सकती है? नई दिल्ली: 2016 में नोटबंदी की संवैधानिक वैधता सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ इस मामले में सुनवाईकर रही है.नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट केंद्र से सवाल पूछा है. कोर्ट ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय नहीं करना चाहिए? क्या RBI एक्ट के तहत नोटबंदी की जा सकती है? नोटबंदी के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं. जिस तरह से नोटबंदी को अंजाम दिया गया इस प्रक्रिया के पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है. पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस नज़ीर ने पूछा- अब इस मामले में कुछ बचा है?जस्टिस गवई ने कहा, अगर कुछ नहीं बचा तो आगे क्यों बढ़ना चाहिए? याचिकाकर्ता में से एक के लिए प्रणव भूषण ने कहा कुछ मुद्दे हैं. बाद की सभी अधिसूचनाओं की वैधता; असुविधा से संबंधित मामले; क्या नोटबंदी ने समानता के अधिकार और बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है?इस पर SG ने कहा कि मुझे लगता है कि कुछ अकादमिक मुद्दों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है. क्या अकादमिक मुद्दों पर फैसला करने के लिए पांच जजों को बैठना चाहिए. बता दें कि पिछली सुनवाई में नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि था कि इस मामले में अब क्या ब...

Central Governments Decision On Demonetisation Is Correct, Supreme Court Answers 6 Important Questions

नोटबंदी पर केंद्र सरकार का फैसला सही, सुप्रीम कोर्ट ने 6 अहम सवालों के दिए जवाब केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अचानक देश में नोटबंदी लागू की थी. इसके तहत 1000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था. इस फैसले के बाद पूरे देश को नोट बदलवाने के लिए लाइनों में लगना पड़ा था. नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अचानक देश में नोटबंदी लागू की थी. इसके तहत 1000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था. इस फैसले के बाद पूरे देश को नोट बदलवाने के लिए लाइनों में लगना पड़ा था. नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. 5 न्यायमूर्तियों की बेंच में 4 ने बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला दिया. वहीं जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग रही. 1. क्याबैंक नोटों की सभी श्रृंखलाओं का केंद्र विमुद्रीकरण कर सकता है? आदेश: केंद्र की शक्ति को केवल "एक" या "कुछ" बैंक नोटों की श्रृंखला के विमुद्रीकरण तक सीमित नहीं किया जा सकता है. इसके पास बैंक नोटों की सभी श्रृंखलाओं के लिए ऐसा करने की शक्ति है. 2. विमुद्रीकरण के लिए आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) अधिनियम के तहत एक अंतर्निहित सुरक्षा है? आदेश: आरबीआई अधिनियम अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल के लिए प्रदान नहीं करता है. एक अंतर्निहित सुरक्षा है कि केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ऐसी शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए. इसलिए इसे गिराया नहीं जा सकता है. 3. निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई दोष नहीं? आदेश: 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना में निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं है. 4. विमुद्रीकरण अधिस...

Supreme Court:नोटबंदी पर फैसले की समीक्षा करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका

Supreme Court: नोटबंदी पर फैसले की समीक्षा करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका विस्तार सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के 2 जनवरी को दिए फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई है। याचिका वकील एमएल शर्मा ने दाखिल की है। एमएल शर्मा उन 58 याचिकाकर्ताओं में शामिल थे, जिन्होंने बीते साल नवंबर में भी सुप्रीम कोर्ट में सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि बेंच ने नोटबंदी पर अपने फैसले में उनके लिखित तर्कों पर विचार नहीं किया था, जिससे न्याय नहीं हुआ। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार का विनम्र निवेदन किया गया है। बता दें कि विवेक नारायण शर्मा के नेतृत्व में नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 58 याचिकाएं दाखिल की गईं थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बीती 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 4-1 से नोटबंदी के फैसले में कहा था कि सरकार का फैसला दोषपूर्ण और जल्दबाजी में लिया गया फैसला नहीं था। अपने फैसले में जस्टिस एसए नजीर ने कहा कि आर्थिक मामलों पर सरकार की नीति में कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा जब तक यह तथ्यों और विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर आधारित ना हो।

Supreme Court:नोटबंदी पर फैसले की समीक्षा करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका

Supreme Court: नोटबंदी पर फैसले की समीक्षा करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका विस्तार सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के 2 जनवरी को दिए फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई है। याचिका वकील एमएल शर्मा ने दाखिल की है। एमएल शर्मा उन 58 याचिकाकर्ताओं में शामिल थे, जिन्होंने बीते साल नवंबर में भी सुप्रीम कोर्ट में सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि बेंच ने नोटबंदी पर अपने फैसले में उनके लिखित तर्कों पर विचार नहीं किया था, जिससे न्याय नहीं हुआ। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार का विनम्र निवेदन किया गया है। बता दें कि विवेक नारायण शर्मा के नेतृत्व में नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 58 याचिकाएं दाखिल की गईं थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बीती 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने 4-1 से नोटबंदी के फैसले में कहा था कि सरकार का फैसला दोषपूर्ण और जल्दबाजी में लिया गया फैसला नहीं था। अपने फैसले में जस्टिस एसए नजीर ने कहा कि आर्थिक मामलों पर सरकार की नीति में कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा जब तक यह तथ्यों और विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर आधारित ना हो।

SC To Hear Pleas Challenging Constitutional Validity Of Notes Ban Tomorrow

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नोटबंदी पर केंद्र सरकार का फैसला सही, सुप्रीम कोर्ट ने 6 अहम सवालों के दिए जवाब केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अचानक देश में नोटबंदी लागू की थी. इसके तहत 1000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था. इस फैसले के बाद पूरे देश को नोट बदलवाने के लिए लाइनों में लगना पड़ा था. नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अचानक देश में नोटबंदी लागू की थी. इसके तहत 1000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था. इस फैसले के बाद पूरे देश को नोट बदलवाने के लिए लाइनों में लगना पड़ा था. नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. 5 न्यायमूर्तियों की बेंच में 4 ने बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला दिया. वहीं जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग रही. 1. क्याबैंक नोटों की सभी श्रृंखलाओं का केंद्र विमुद्रीकरण कर सकता है? आदेश: केंद्र की शक्ति को केवल "एक" या "कुछ" बैंक नोटों की श्रृंखला के विमुद्रीकरण तक सीमित नहीं किया जा सकता है. इसके पास बैंक नोटों की सभी श्रृंखलाओं के लिए ऐसा करने की शक्ति है. 2. विमुद्रीकरण के लिए आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) अधिनियम के तहत एक अंतर्निहित सुरक्षा है? आदेश: आरबीआई अधिनियम अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल के लिए प्रदान नहीं करता है. एक अंतर्निहित सुरक्षा है कि केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर ऐसी शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए. इसलिए इसे गिराया नहीं जा सकता है. 3. निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई दोष नहीं? आदेश: 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना में निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं है. 4. विमुद्रीकरण अधिस...

Supreme Court Hearing On Demonetisation Case

नोटबंदी की संवैधानिक वैधता केस : SC ने केंद्र से पूछा नोटबंदी के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र से सवाल पूछा है. कोर्ट ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय नहीं करना चाहिए? क्या RBI एक्ट के तहत नोटबंदी (Demonetisation) की जा सकती है? नई दिल्ली: 2016 में नोटबंदी की संवैधानिक वैधता सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ इस मामले में सुनवाईकर रही है.नोटबंदी की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट केंद्र से सवाल पूछा है. कोर्ट ने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को भविष्य के लिए कानून तय नहीं करना चाहिए? क्या RBI एक्ट के तहत नोटबंदी की जा सकती है? नोटबंदी के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं. जिस तरह से नोटबंदी को अंजाम दिया गया इस प्रक्रिया के पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है. पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस नज़ीर ने पूछा- अब इस मामले में कुछ बचा है?जस्टिस गवई ने कहा, अगर कुछ नहीं बचा तो आगे क्यों बढ़ना चाहिए? याचिकाकर्ता में से एक के लिए प्रणव भूषण ने कहा कुछ मुद्दे हैं. बाद की सभी अधिसूचनाओं की वैधता; असुविधा से संबंधित मामले; क्या नोटबंदी ने समानता के अधिकार और बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है?इस पर SG ने कहा कि मुझे लगता है कि कुछ अकादमिक मुद्दों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है. क्या अकादमिक मुद्दों पर फैसला करने के लिए पांच जजों को बैठना चाहिए. बता दें कि पिछली सुनवाई में नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि था कि इस मामले में अब क्या ब...