नव दुर्गा के 9 नाम

  1. Navdurga Nine Name: क्या है मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के पीछे का आध्यात्मिक रहस्य
  2. Durga 108 Names
  3. नवदुर्गा के 9 रूप हैं यह 9 दिव्य औषधियां
  4. नवदुर्गा
  5. [PDF] नव दुर्गा की यादी
  6. Navratri Parv
  7. 9 देवी के नाम फोटो सहित
  8. माँ दुर्गा के 9 रूप
  9. नवदुर्गा के नौ रूपों की संपूर्ण जानकारी, Maa Durga Ke 9 Roop Ka Naam In Hindi
  10. Navdurga Nine Name: क्या है मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के पीछे का आध्यात्मिक रहस्य


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Navdurga Nine Name: क्या है मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के पीछे का आध्यात्मिक रहस्य

डीएनए हिंदी: Navdurga 9 Name Rahasya- Navratri के नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के 9 ( Maa Durga 9 Roop) रूप में पहला रूप मां शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवीं स्कंदमाता है औऱ देवी के छठे रूप को कात्यायनी, सातवें रूप को कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवें स्वरूप को सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है. मां दुर्गा के इन सभी नामों के पीछे कोई न कोई किस्सा जरूर सुनने को मिलता है, ऐसे में आइए जानते हैं मां दुर्गा के नौ नाम और उनसे जुड़े कुछ रहस्य के बारे में. मां दुर्गा के नौ रूपों से जुड़े 9 महा रहस्य शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्मी देवी को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया था. शैल का शाब्दिक अर्थ होता है पर्वत, इसलिए देवी का नाम शैलपुत्री रखा गया. ब्रह्मचारिणी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने कई वर्ष तक कठोर तपस्या की थी, इसलिए कठोर तपस्या का आचरण करने वाली देवी को ब्रह्मचारिणी के नाम से पुकारा जाने लगा. मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या, इसलिय मां दुर्गा के इस रूप को ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. चंद्रघंटा: माता चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्ध चंद्र के आकार का तिलक विराजमान है इस कारण देवी के इस स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है. यह भी पढ़ें- कूष्मांडा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी के इस स्वरूप में ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति व्याप्त है, साथ ही मां ने पूरे ब्रह्मांड को उदर से अंड तक अपन...

Durga 108 Names

नई दिल्ली: हिंदु भगवानों में से सबसे प्रमुख देवी हैं मां दुर्गा. इन्हें महिलाओं की शक्ति के तौर पर देखा जाता है. हर साल इन्ही मां दुर्गा के 9 रूपों को पूजा जाता है. इस बार इसकी शुरुआत 18 मार्च से चैत्र नवरात्रि पर आरंभ हो रही है. इन 9 दिनों के दौरान हर दिन मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना की जाती है. इसी अवसर पर यहां जानें इस देवी के 108 नामों के बारे में. इसके साथ ही जानिए उनके नामों के अर्थों को भी. मां दुर्गा के 108 नाम और उनके अर्थ: 1. सती- अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली 2. साध्वी- आशावादी 3. भवप्रीता-भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली 4. भवानी- ब्रह्मांड में निवास करने वाली 5. भवमोचनी- संसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली 6. आर्या- देवी 7. दुर्गा- अपराजेय 8. जया- विजयी 9. आद्य- शुरुआत की वास्तविकता 10. त्रिनेत्र- तीन आंखों वाली 11. शूलधारिणी- शूल धारण करने वाली 12. पिनाकधारिणी- शिव का त्रिशूल धारण करने वाली 13. चित्रा- सुरम्य, सुंदर 14. चण्डघण्टा-प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली 15. सुधा- अमृत की देवी 16. मन- मनन-शक्ति 17. बुद्धि- सर्वज्ञाता 18. अहंकारा- अभिमान करने वाली 19. चित्तरूपा- वह जो सोच की अवस्था में है 20. चिता- मृत्युशय्या 21. चिति- चेतना 22. सर्वमन्त्रमयी- सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली 23. सत्ता- सत-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है 24. सत्यानंद स्वरूपिणी- अनन्त आनंद का रूप 25. अनन्ता- जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं 26. भाविनी- सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत 27. भाव्या- भावना एवं ध्यान करने योग्य 28. भव्या- कल्याणरूपा, भव्यता के साथ 29. अभव्या- जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं 30. सदागति-हमेशा गति में, मोक्ष दान 31. शाम्भवी- शिवप्रिया, शंभू की...

नवदुर्गा के 9 रूप हैं यह 9 दिव्य औषधियां

नवदुर्गा, यानि मां दुर्गा के नौ रूप। इन 9 औषधि‍यों में भी विराजते हैं, मां अम्बे के यह नौ रूप, जो समस्त रोगों से बचाकर जगत का कल्याण करते हैं। नवदुर्गा के नौ औषधि स्वरूपों को सर्वप्रथम मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति के रूप में दर्शाया गया और चिकित्सा प्रणाली के इस रहस्य को ब्रह्माजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच कहा गया है। 3 तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर - नवदुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है।यह औषधि‍ मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए। 4 चतुर्थ कुष्माण्डा यानि पेठा - नवदुर्गा का चौथा रूप कुष्माण्डा है। इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है। कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। इन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पेठा का उपयोग के साथ कुष्माण्डा देवी की आराधना करना चाहिए। 6 षष्ठम कात्यायनी यानि मोइया -नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है। इससे पीड़ित रोगी को इसका सेवन व कात्यायनी की आर...

नवदुर्गा

नवरात्रि नवदुर्गा नवदुर्गा का अर्थ है, नौ दुर्गा। नवदुर्गा, माँ दुर्गा की नौ विभिन्न रूपों में अभिव्यक्ति है। नवदुर्गा की अवधारणा देवी पार्वती से उत्पन्न होती है। वैचारिक रूप से नवदुर्गा देवी पार्वती का जीवन चरण है, जिन्हें सभी देवी-देवताओं में सर्वोच्च शक्ति माना जाता है। वर्ष में सभी चार माँ दुर्गा के नौ रूपों को एनीमेशन में देखने के लिए

[PDF] नव दुर्गा की यादी

नव दुर्गा के सभी रूपों का नाम माँ दुर्गा अपने पहले स्वरूपमें ‘शैलपुत्री के नामसे जानी जाती हैं। पर्वतराज हिमालयके वहाँ पुत्रीके रूपमें उत्पन्न होनेके कारण इनका यह ‘शैलपुत्री’ नाम पड़ा था। वृषभ-स्थिता इन माताजीके दाहिने हाथमें त्रिशूल और बायें हाथमें कमल-पुष्प सुशोभित है। यही नव दुर्गाओंमें प्रथम दुर्गा हैं। अपने पूर्वजन्ममें ये प्रजापति दक्षकी कन्याके रूपमें उत्पन्न हुई थीं। तब इनका नाम ‘सती’ था। इनका विवाह भगवान् शङ्करजीसे हुआ था। एक बार प्रजापति दक्षने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया इसमें उन्होंने सारे देवताओंको अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करनेके लिये निमन्त्रित किया किन्तु शङ्करजीको उन्होंने इस यज्ञमें निमन्त्रित नहीं किया। सतीने जब सुना कि हमारे पिता एक अत्यन्त विशाल यज्ञका अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जानेके लिये उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने शङ्करजीको बतायी। सारी बातोंपर विचार करनेके बाद उन्होंने कहा-“प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञमें उन्होंने सारे देवताओंको निरमन्त्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किये हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचनातक नहीं भेजी है। ऐसी स्थितिमें तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।” शङ्करजीके इस उपदेशसे सतीका प्रबोध नहीं हुआ। पिताका यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनोंसे मिलनेकी उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान् शङ्करजीने उन्हें वहाँ जानेकी अनुमति दे दी।सतीने पिताके घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेमके साथ बात-चीत नहीं कर रहा है सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनक बहनोंकी बातों में व्यंग्य और उपहासके भाव भरे हुए थे परिजनों के ...

Navratri Parv

11.2 विभिन्न राज्यों में नवदुर्गा पर्व का महत्व Navratri Parv नवरात्रि पर्व Navratri Parv श्रद्धा, आस्था, विश्वास, उपासना और वरदान प्राप्ति का पर्व। माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद बरसने के ये नौ दिन आते ही मन भक्ति व पवित्रता से सराबोर हो जाता है। नवरात्रि पर्व भारतदेश में भक्ति, विश्वास, विशेष पूजा-अर्चना, संस्कार व क्रिया कलापों को उजागर करता हुआ प्रत्तेक वर्ष दो बार मनाया जाता है। पहला नवरात्रि पर्व आश्विन मास में और दूसरा चैत्र मास में मनाया जाता है। आश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्र तथा चैत्र नवरात्र को वासंती नवरात्र भी कहा जाता है। नवरात्रि पर्व जिसे नवदुर्गा पर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मानवजाति के लिए विशेष महत्व, उल्लास व उत्साह से परिपूर्ण होता है। भक्त माँ दुर्गा की कृपा प्राप्ति हेतु पूर्ण श्रद्धा, आस्था के साथ घरों में कलश स्थापना करके माँ दुर्गा के पूजन को नौ दिनों तक विधि-विधान से सम्पन्न करते हैं। यह पर्व प्रतिवर्ष हम हर्षौल्लास के साथ अवश्य मनाते हैं, पर क्या हम जानते हैं कि नवरात्रि के त्यौहार को क्यो मनाया जाता है, भिन्न – भिन्न राज्यों में नवरात्रि पर्व को किस प्रकार मनाते हैं, माँ दुर्गा के नौ वरदान क्या हैं और हम किस प्रकार पूजन करके माँ दुर्गा के नौ वरदान प्राप्त कर सकते हैं? सर्वप्रथम हम कल्याणकारी, सुखदायिनी, शांतिप्रदायिनी, शुभकारिणी, शक्तिस्वरूपा माँ दुर्गा के श्री चरणों में नमन करते हैं- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ तो आइए इस पर्व से संबन्धित सभी महत्वपूर्ण जानकारी को जानें और माँ दुर्गा को प्रसन्न करके वरदानों की प्राप्ति करें। सर्वप्रथम हम नवरात्रि पर्व मनाए जाने के कारण के विषय में...

9 देवी के नाम फोटो सहित

9 देवी के नाम फोटो सहित | माँ दुर्गा के 9 रूप के नाम इन हिंदी | Maa Durga ke 9 (Nav) roop name in Hindi with images (photos) | Nav Durga Names in Hindi with photo | Navratri 9 Devi Names in Hindi हिन्दू धर्म की अपनी कई शाखाएं हैं| इन्हें मुख्यतः हिन्दू सम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है| इनमे प्रमुख हैं वैष्णव, शैव, और शक्ति नवरात्रों का पर्व भारत में एक प्रमुख त्यौहार है| इस नौ दिन के महोत्सव में लोग व्रत रखते हैं और माता शक्ति के नौ प्रमुख रूपों की पूजा करते हैं| आइये आज हम माता के नवरात्री के त्यौहार में पूजे जाने वाले माता दुर्गा (पारवती) के 9 देवी के नाम के बारे में संक्षिप्त में बताते हैं 9 देवी के नाम फोटो सहित Navratri 9 Durga Names in Hindi with Images मुख्यतः पुरे साल में दो नवरात्रे आते हैं| एक चैत्र माह में है और एक अश्विन माह में| लेकिन हिंदी कैलेंडर के अनुसार साल में चार नवरात्रे आते हैं| चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ माह में इन चार नवरात्रों का वर्णन है| लेकिन आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों को गुप्त नवरात्रे माना जाता है| चैत्र और अश्विन माह के नवराते बहुत लोकप्रिय हैं| अश्विन माह के नवरात्रों को माह नवरात्र के नाम से जाना जाता है| यह दशहरे से ठीक पहले आते हैं| इन नवरात्रों में माता के 9 रूपों की पूजा की जाती है| हर एक रूप का अपना अलग महत्त्व है| दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ के अंतर्गत देवी कवच स्तोत्र में निम्नांकित श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं– प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।। नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। उ...

माँ दुर्गा के 9 रूप

देश के विभिन्न मंदिरों व पूजा के प्रकारों में देवों के साथ– साथ देवियों की भक्ति भी महत्वपूर्ण मानी गई है। वेद, पुराणों व पौराणिक कथाओं में देवी स्वरूप का भी एक विशेष स्थान है जो नारी की शक्ति व संवेदनशीलता, दोनों को दर्शाती है। जहाँ देवी की पूजा धन व ज्ञान की स्वामिनी के रूप में की जाती है, वहीं काली और आदि– शक्ति रूप भी पूजनीय है। नवरात्रि में देवी के 9 विस्तृत रूप माँ दुर्गा, आदि शक्ति व माँ पार्वती का ही स्वरूप हैं, जो धरती पर अनेक रूपों में पूजनीय हैं। हमारे ग्रंथों में इनके हर रूप को विस्तार से बताया गया है। नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक अलग रूप का महत्व होता है। आइए जानते हैं नवरात्रि के हर दिन की विशेषता को। 1. माँ शैलपुत्री नवरात्रि का सबसे पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित किया गया है। इनकी पूजा की शुरुआत घटस्थापना के साथ की जाती है। ग्रंथों के अनुसार, शिव की अर्द्धांगिनी माता उमा ने पर्वतों के राजा हिमावत और रानी मैनावती की बेटी के रूप में जन्म लिया था। शैलराज ( पर्वतराज) हिमालय के यहाँ जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा, यह ‘देवी पार्वती’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। कमल समान नयन और अधरों पर मुस्कान लिए माता शैलपुत्री के माथे पर अर्द्धचंद्र दमकता है और वह अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल व बाएं हाथ में कमल पकड़े हुए हैं। अपने इस स्वरूप में बैल पर सवार होकर माँ शैलपुत्री अपने भक्तों का उद्धार करती हैं। 2. माँ ब्रह्मचारिणी नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित किया गया है। हाथ में जप की माला व कमंडल पकड़े माँ ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित रहती हैं। मुख पर तेज लिए माँ दुर्गा का यह रूप तप व साधना के लिए जाना जाता है । देवी का यह स्वरू...

नवदुर्गा के नौ रूपों की संपूर्ण जानकारी, Maa Durga Ke 9 Roop Ka Naam In Hindi

हर वर्ष नवरात्र का पर्व चार बार आता हैं जिनमें से हम दो मनाते हैं (Maa Durga Ke 9 Roop Ka Naam)। इन्हें चैत्र तथा अश्विन मास के नवरात्र के नाम से जाना जाता हैं। बाकि दो नवरात्र गुप्त नवरात्र होते हैं जो तांत्रिक विद्या के लिए होते हैं व उस दिन माँ पार्वती की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती हैं (Nav Durga Ke Nav Roop In Hindi)। जिन नवरात्र को हम मनाते हैं उस दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने का विधान हैं। इसलिये आज हम आपको माँ दुर्गा के हर एक रूप (Navratri 9 Devi Names In Hindi) का विस्तार से वर्णन करेंगे व उनकी महत्ता को समझाएंगे। आइये जानते हैं। नवरात्र पर नवदुर्गा के 9 रूप (Maa Durga Ke 9 Roop Name In Hindi) #1. माँ शैलपुत्री (Maa Shailputri In Hindi) अपने पूर्व जन्म में इनका वाहन वृषभ होता हैं तथा दोनों भुजाओं में त्रिशूल और कमल का पुष्प होता हैं। माँ श्वेत वस्त्र धारण किये हुए व हल्की मुस्कान लिए हुए रहती हैं। इनकी पूजा करने से मन को स्थिरता मिलती हैं व एकाग्रता में बढ़ोत्तरी होती है। #2. माँ ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmcharini In Hindi) नवदुर्गा का द्वितीय रूप माँ के दाहिने हाथ में जप माला व बाए हाथ में कमंडल होता हैं। वे सीधी खड़ी रहती है तथा तपस्या पर बल देती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों में ध्यान एकत्रित करने में सहायता मिलती हैं तथा विश्वास में बढ़ोत्तरी होती हैं। #3. माँ चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta In Hindi) नवदुर्गा का तृतीय रूप माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के मन में किसी प्रकार की शंका तथा भय दूर होता हैं। साथ ही हमारे अंदर वीरता व साहस की बढ़ोत्तरी होती हैं। #4. माँ कूष्मांडा (Maa Kushmanda In Hindi) नवदुर्गा का चतुर्थ रूप माँ का वाहन सिं...

Navdurga Nine Name: क्या है मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के पीछे का आध्यात्मिक रहस्य

डीएनए हिंदी: Navdurga 9 Name Rahasya- Navratri के नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा के 9 ( Maa Durga 9 Roop) रूप में पहला रूप मां शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवीं स्कंदमाता है औऱ देवी के छठे रूप को कात्यायनी, सातवें रूप को कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवें स्वरूप को सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है. मां दुर्गा के इन सभी नामों के पीछे कोई न कोई किस्सा जरूर सुनने को मिलता है, ऐसे में आइए जानते हैं मां दुर्गा के नौ नाम और उनसे जुड़े कुछ रहस्य के बारे में. मां दुर्गा के नौ रूपों से जुड़े 9 महा रहस्य शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्मी देवी को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया था. शैल का शाब्दिक अर्थ होता है पर्वत, इसलिए देवी का नाम शैलपुत्री रखा गया. ब्रह्मचारिणी: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने कई वर्ष तक कठोर तपस्या की थी, इसलिए कठोर तपस्या का आचरण करने वाली देवी को ब्रह्मचारिणी के नाम से पुकारा जाने लगा. मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या, इसलिय मां दुर्गा के इस रूप को ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. चंद्रघंटा: माता चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्ध चंद्र के आकार का तिलक विराजमान है इस कारण देवी के इस स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है. यह भी पढ़ें- कूष्मांडा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी के इस स्वरूप में ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति व्याप्त है, साथ ही मां ने पूरे ब्रह्मांड को उदर से अंड तक अपन...