नवाचारी शिक्षा क्या है

  1. नवाचारी शिक्षण (Innovative Teaching) पर एक नई पाठ्य सीरीज : प्राइमरी का मास्टर की नई पेशकश
  2. शिक्षा में नवाचार आखिर है क्या? नया सीखने सोचने की जरूरत आखिर क्यों?
  3. शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता क्यों है? – ElegantAnswer.com
  4. शिक्षा क्या है?, औपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा
  5. शिक्षक
  6. शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्य क्या होता है? What is education in Hindi Pdf
  7. शैक्षिक नवाचार का अर्थ एवं परिभाषा
  8. नवाचारी शिक्षा क्या है?
  9. मूल्य शिक्षा क्या है और क्या महत्व है


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नवाचारी शिक्षण (Innovative Teaching) पर एक नई पाठ्य सीरीज : प्राइमरी का मास्टर की नई पेशकश

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF ) 2005, शिक्षा के उन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आयामों की वांछनीयता पर विस्तृत चर्चा एवं तार्किक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जो बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षा के सामाजिक संदर्भ एवं शिक्षा के लक्ष्य जिसमें ‘‘बच्चों को क्या पढ़ाया जाये और कैसे पढ़ाया जाये’’ की कसौटी पर विचार करते हुए पाठ्यचर्या निर्माण में पांच निर्देशक सिद्धान्तों का प्रस्ताव रखा गया है। आर0टी0ई0 के अनुसार - • पाठ्यक्रम को गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा कराने, • बच्चों के ज्ञान, सम्भावित क्षमता और प्रतिभा का विकास, • शारीरिक एवं मानसिक योग्यताओं का पूर्णतम सीमा तक विकास, • बालकेन्द्रित और बाल सुलभ तरीके से विभिन्न क्रिया कलापों, अन्वेषण, और • खोज के माध्यम से सीख उत्पन्न करना, • मातृभाषा में पढ़ाई, तनावमुक्त शिक्षा, • बच्चे के ज्ञान की समझ एवं व्यवहार का सतत् समग्र एवं व्यापक मूल्यांकन, • किसी भी कक्षा में फेल नहीं करना, • हर बच्चों को निर्धारित प्रारूप पर प्रमाण पत्र निर्गत करना प्रमुख है। यह तथ्य है कि बालक अपने अनुभव के आधार पर नवीन ज्ञान का सृजन करता है, इसका निहितार्थ है कि पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तकें शिक्षक को इस बात के लिए सक्षम बनाये कि वे बच्चों की प्रकृति और वातावरण के अनुरूप विद्यालय में गतिविधि एवं अनुभव आधारित कार्यक्रम आयोजित करे ताकि सभी बच्चों को विकास के अवसर मिल सके। सक्रिय गतिविधि के जरिये ही बच्चे अपने आस-पास की दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं, इसलिए प्रत्येक साधन का उपयोग इस तरह किया जाना चाहिए कि बच्चे को, स्वयं को अभिव्यक्त करने में, वस्तुओं का प्रयोग करने में, अपने प्राकृतिक और सामाजिक परिवेश में, खोजबीन...

शिक्षा में नवाचार आखिर है क्या? नया सीखने सोचने की जरूरत आखिर क्यों?

प्रत्येक वस्तु या क्रिया में परिवर्तन, प्रकृति का नियम है। परिवर्तन से ही विकास के चरण आगे बढ़ते हैं। परिवर्तन एक जीवन्त, गतिशील और आवश्यक क्रिया है, जो समाज को वर्तमान व्यवस्था के अनुकूल बनाती है। परिवर्तन जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में होते हैं। इन्ही परिवर्तनों से व्यक्ति और समाज को स्फूर्ति, चेतना, ऊर्जा एवं नवीनता की उपलब्धि होती है। इस प्रकार परिवर्तन की प्रक्रिया विकासवादी (Evolutionary) संतुलनात्मक (Horeostatic) एवं नवगत्यात्मक (Heomobilistice) परिवर्तन से जुड़ी होती है। परिवर्तन एवं नवाचार एक दूसरे के अन्योन्याश्रित (Inter dependent) है। परिवर्तन समाज की मॉंग की स्वाभाविक प्रक्रिया से जुड़ा तथ्य है। इसलिए परिवर्तन, नवाचार और शिक्षा का आपसी संबंध स्पष्ट है- नवाचार का शिक्षा पर प्रभाव व्यक्ति एवं समाज में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव शिक्षा पर भी पड़ा है। शिक्षा को समयानुकुल बनाने के लिए शैक्षिक क्रियाकलापों में नूतन प्रवृत्तियों ने अपनी उपयोगिता स्वंयसिद्ध कर दी है। ट्रायटेन के अनुसार- “शैक्षिक नवाचारों का उद्भव स्वतः नहीं होता वरन् इन्हें खोजना पड़ता है तथा सुनियोजित ढंग से इन्हें प्रयोग में लाना होता है, ताकि शैक्षिक कार्यक्रमों को परिवर्तित परिवेश में गति मिल सके और परिवर्तन के साथ गहरा तारतम्य बनाये रख सकें।”

शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता क्यों है? – ElegantAnswer.com

शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता क्यों है? इसे सुनेंरोकेंशिक्षण संस्थानों खासकर, प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षा को और अधिक अर्थवत्ता प्रदान करने तथा उसे रोचक एवं आनंदपूर्ण बनाने हेतु नवाचार का प्रयोग शिक्षा के नए प्रतिमानों की स्थापना में सहायक साबित हो रहा है। इसी प्रकार नवाचार का महत्व विद्यार्थियों में उत्सुकता एवं नवचेतना के संचरण में भी सहायक सिद्ध होता है। संस्कृति मानव जाति को नवाचार को अपनाने और विकसित होने में क्या सक्षम बनाती है? इसे सुनेंरोकेंनवाचार के अन्तर्गत कुछ नया और उपयोगी तरीका अपनाया जाता है, जैसे- नयी विधि, नयी तकनीक, नयी कार्य-पद्धति, नयी सेवा, नया उत्पाद आदि। नवाचार को अर्थतंत्र का सारथी माना जाता है। अस्पताल, विश्वविद्यालय, ग्राम-पंचायतें आदि सभी संस्थायें नवाचारी हो सकती हैं। जो संस्थायें नवाचार नहीं कर पातीं वे नाश को प्राप्त होती हैं। भारतीय समाज में नवाचार क्या है बताइए? इसे सुनेंरोकेंनवाचार के अन्तर्गत कुछ नया और उपयोगी तरीका अपनाया जाता है, जैसे- नयी विधि, नयी तकनीक, नयी कार्य-पद्धति, नयी सेवा, नया उत्पाद आदि। नवाचार को अर्थतंत्र का सारथी माना जाता है। किसी संस्था के संदर्भ में नवाचार के द्वारा दक्षता, उत्पादकता, गुणवता, बाजार में पकड आदि के सुधार सम्मिलित हैं। शिक्षा तकनीकी में नवाचार से क्या आशय है? इसे सुनेंरोकेंनवाचार का सम्बन्ध नवीन तकनीकी एवं नवीन ज्ञान से होता है जिसका प्रयोग शिक्षक द्वारा शिक्षण प्रक्रिया में किया जाता है। शैक्षिक नवाचारों में क्रियाशीलता एवं प्रायोगिकता की प्रवृत्ति विद्यमान होती है। शैक्षिक नवाचार का सम्बन्ध प्रमुख रूप से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी एवं रुचिपूर्ण बनाने से होता है। नवाचार कितने प्रकार का होता है? न...

शिक्षा क्या है?, औपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा

शिक्षा क्या है? शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के ‘शिक्ष्’ धातु से हुई है जिसका अर्थ ‘सीखना और सिखाना’होता है। यदि हम देखें तो इस अर्थ मे वे सब कुछ शामिल हैं जो हम समाज मे रहकर सीखते हैं। मनुष्य मे शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा ही बालक को पशु प्रवृत्ति से निकालकर मानवीय गुणों से ओत – प्रोत करती है। उसमे भावना, संवेग, सद् प्रवृत्ति का उदय भी शिक्षा के माध्यम से किया जाता है। संसार मे जितने भी जीव हैं, उसमे सीखने की क्षमता मनुष्य मे अधिक है। शिक्षा शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों मे किया जाता है जो निम्नलिखित हैं – • शिक्षा का व्युत्पातिक अर्थ • शिक्षा का संकुचित अर्थ • शिक्षा का व्यापक अर्थ • शिक्षा का विश्लेषणात्मक अर्थ • शिक्षा का वास्तविक अर्थ शिक्षा का व्युत्पातिक अर्थ शिक्षा शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी भाषा के ‘Education’ से हुई है। Education के उत्पत्ति के संबंध मे विदद्वानों का मत है कि यह शब्द लैटिन भाषा के निम्नलिखित शब्दों से बनी है – Education :- एडुकेशन शब्द का अर्थ होता है ‘प्रशिक्षण देना या शिक्षित करना’। अर्थात शिक्षा वह है जो हमे विभिन्न क्षेत्रों मे शिक्षित एवं प्रशिक्षित करती है। Educare :- एडुकेयर शब्द का अर्थ होता है ‘आगे बढ़ाना, विकसित करना या पोषण करना’। अर्थात शिक्षा वह है जो निश्चित उद्देशों एवं लक्ष्यों को ध्यान मे रखकर बालकों का विकास करती है। Educere :- एडुसीयर शब्द का अर्थ होता है ‘बाहर की ओर अग्रसित करना’। अर्थात शिक्षा वह है जो बालक के अन्दर निहित तत्वों को बाहर की ओर अग्रसित करती है। शिक्षा का संकुचित अर्थ शिक्षा के संकुचित अर्थ का तात्पर्य विद्द्यालयी शिक्षा से है। जिसमे बालक को एक निश्चित स्थान पर शिक्षा दी जाती है। इसमे शिक्...

शिक्षक

शिक्षा देने वाले को शिक्षक ( अध्यापक ) कहते हैं। शिक्षिका ( अध्यापिका ) शब्द 'शिक्षक' ( अध्यापक ) का स्त्रीलिंग रूप है। यह एकवचन अथवा बहुवचन दोनों तरह से प्रयुक्त किया जा सकता है। शिष्य के मन में सीखने की इच्छा को जो जागृत कर पाते हैं वे ही शिक्षक कहलाते हैं। शिक्षक के द्वारा व्यक्ति के भविष्य को बनाया जाता है एवं शिक्षक ही वह सुधार लाने वाला व्यक्ति होता है। शिक्षक एक समाज सुधारक के रूप में- शिक्षक ने समाज को हमेशा ही सुधार कर एक नई दिशा दी है। शिक्षक ही हमारे अंदर समाज कल्याण की भावना जागृत करते है। एक साधारण मनुष्य को एक महान योद्धा बनाने से लेकर एक साधारण व्यक्ति को ज्ञानवान, आदर्श बनाने में शिक्षक का ही अहम योगदान है। वास्तव मे शिक्षा देना सबसे बड़ा धर्म का काम है क्योंकि शिक्षा के कारण ही कोई समाज विकसित और सम्पन्न हो सकता है। मनुष्य को अच्छे शिक्षक की विशेषता 1- छात्रो एवं शिक्षण मे रुचि 2- प्रजातंत्रात्मक मनोवृति 3- निष्पक्षता एवं स्वस्थ मनोवृति 4- विनोद का भाव 5- अच्छा शिष्टाचार 6- आत्म मूल्यांकन 7- विषयवस्तु की प्रवीणता 8- उत्तम अध्यापन विधि 9- प्रभाव शाली संचार 10- धैर्यवान एवं सहनशीलता सरकारी शिक्षक बनने के लिए आपके पास स्नातक या उच्च शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए। आपके पास B.Ed या D.El.D (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) की डिग्री भी होनी चाहिए। शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की परीक्षा देने के लिए आपको सबसे पहले राज्य स्तरीय परीक्षा देनी होगी, जो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (UPMSP) द्वारा आयोजित की जाती है। शिक्षा विभाग द्वारा भर्ती होने के लिए आपको ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन पत्र के साथ दस्तावेज जमा करें - शिक्षा विभाग में आवेदन करते समय आपको अपने शैक्ष...

शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्य क्या होता है? What is education in Hindi Pdf

शिक्षा का अर्थ, प्रकृति, परिभाषा एवं उद्देश्य क्या होता है? What is education in Hindi Pdf शिक्षा किसी भी व्यक्ति के लिए एक अमूल्य संपत्ति है। यह हमें बौद्धिक और भावनात्मक रूप से सीखने और बढ़ने का अवसर देता है। यह हमें ज्ञान प्राप्त करने, कौशल विकसित करने और अधिक सार्थक जीवन बनाने में मदद करता है। शिक्षा विभिन्न संस्कृतियों को एक साथ लाती है और हमें नई संभावनाओं का पता लगाने की अनुमति देती है जो अन्यथा अनुपलब्ध होती। यह लेख व्यक्तियों के लिए अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने में शिक्षा की भूमिका पर जोर देते हुए, शिक्षा के अर्थ और उद्देश्य की गहन खोज प्रदान करेगा। Contents • • • • • • • शिक्षा पर विद्वानों के विचार समाजशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों व नीतिकारों ने शिक्षा के सम्बन्ध में अपने विचार दिए हैं। शिक्षा के अर्थ को समझने में ये विचार भी हमारी सहायता करते हैं। कुछ शिक्षा सम्बन्धी मुख्य विचार यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैंः – • शिक्षा से मेरा तात्पर्य बालक और मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से है। (महात्मा गांधी) • मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है। (स्वामी विवेकानन्द) • शिक्षा व्यक्ति की उन सभी भीतरी शक्तियों का विकास है जिससे वह अपने वातावरण पर नियंत्रण रखकर अपने उत्तरदायित्त्वों का निर्वाह कर सके। (जॉन ड्यूवी) • शिक्षा का अर्थ अन्तःशक्तियों का बाह्य जीवन से समन्वय स्थापित करना है। (हर्बट स्पैन्सर) • शिक्षा मानव की सम्पूर्ण शक्तियों का प्राकृतिक, प्रगतिशील और सामंजस्यपूर्ण विकास है। (पेस्तालॉजी) • शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक विकास का शक्तिशाली साधन है, शिक्षा राष्ट्रीय सम्पन्नता एवं राष्ट्र कल्याण की कुंजी है।...

शैक्षिक नवाचार का अर्थ एवं परिभाषा

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नवाचारी शिक्षा क्या है?

सवाल : नवाचारी शिक्षा क्या है? जवाब= नवाचारी शिक्षा का संबंध नवीन तकनीकी और नवीन ज्ञान से होता है। नवाचारी शिक्षा जिसका प्रयोग शिक्षक द्वारा शिक्षण प्रक्रिया में किया जाता है। अध्यापकों का संबंध नवाचार से शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी रूप से रुचि पूर्ण बनाने में होता है। नवाचार और शैक्षिक को में क्रियाशीलता और प्रायोगिकता की प्रवृत्ति में विद्वान होती है। नवाचार में परिवर्तन होता है जिसमें पूर्व स्थिति और विधियों और पदार्थों में आदि में नवीनता का संचार करता है। नवाचार के द्वारा वर्तमान में परिस्थितियों में सुधार लाने का प्रयत्न किया जा रहा है। यह प्रयास किया जाने वाला कार्य होता है। नवाचार वह विचार होता है जिस को मानने वाला और स्वीकार करने वाला नवीन विचारों के रूप में देखता है और अनुभव करता है यह नवाचार शिक्षा होती है।

मूल्य शिक्षा क्या है और क्या महत्व है

मूल्य शिक्षा हमारे अंदर नैतिक मूल्यों का विकास करती है। ये सीखने के साथ-साथ हमारे व्यक्तित्व में भी विकास करती है। अमेरिकी मनोवैज्ञानिक लॉरेंस कोहलबर्ग का मानना था कि बच्चों को एक ऐसे माहौल में रहने की जरूरत है जो दिन-प्रतिदिन के संघर्षों की खुली और सार्वजनिक चर्चा के लिए अनुमति देता है। Value Education की महत्ता हमारे पर्सनालिटी डेवलपमेंट में सहायक है तथा अनुशासन के महत्व को भी बताता है। इतना ही नहीं यह हमारे अंदर समय के महत्व को समझने की क्षमता को विकसित करता है। खेल के महत्व को समझना, भी मूल्य शिक्षा को समझने तथा रोचक ढंग से व्यक्तित्व के विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। इस ब्लॉग में मूल्य शिक्षा के बारे में विस्तार से जानते हैं। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • मूल्य शिक्षा क्या है? मूल्य शिक्षा व्यक्तियों के व्यक्तित्व विकास पर जोर देती है ताकि उनका भविष्य संवर सके और कठिन परिस्थितियों से आसानी से निपटा जा सके। यह बच्चों को ढालता है, ताकि वे अपने सामाजिक, नैतिक और लोकतांत्रिक कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक संभालते हुए बदलते वातावरण से जुड़ जाएं। • Value Education की महत्ता शारीरिक और भावनात्मक पहलुओं को विकसित करता है। • यह आपको ढंग सिखाता है और भाईचारे की भावना विकसित करता है। • यह देशभक्ति की भावना पैदा करता है। • मूल्य शिक्षा धार्मिक सहिष्णुता को भी विकसित करता है। मूल्य शिक्षा की परिभाषाएं मूल्य शिक्षा को लेकर कई प्रकार की परिभाषाएं देखने को मिलती है जिनमें से कुछ नीचे दी गई है: • लेविन (1964) के अनुसार “लालच की भावना में उच्चतम रुकावट सकारात्मक रूप में शारीरिक दण्ड की प्रक्रिया से है और नकारात्मक रूप से विचार और तर्कशक्ति की प्रक्रिया है।”...