नवरात्रि के चौथे दिन का भोग

  1. Chaitra Navratri 2020: Maa Kushmanda Puja Vidhi, Bhog, Mantra And Aarti
  2. नवरात्रि चौथा दिन चतुर्थी तिथि
  3. नवरात्रि में देवी मां को लगाएं ये 9 भोग और पहनें इस रंग के कपड़े
  4. Navratri 2021 Mata Kushmanda: Goddess Kushmanda Is Worshiped On The Fourth Day Of Navratri, Know Pujan Vidhi, Mantra And Bhog
  5. Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि के दौरान किस दिन क्या भोग लगाएं? जानें देवघर के ज्योतिषी से
  6. चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, आज करें मां कूष्मांडा की पूजा, जान लें पूजन विधि, मंत्र
  7. Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, देवी कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, भोग एवं आरती


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Chaitra Navratri 2020: Maa Kushmanda Puja Vidhi, Bhog, Mantra And Aarti

Chaitra Navratri 2020: नवरात्र के चौथे द‍िन पूजी जाती हैं मां कूष्‍मांडा, जानिए पूजा व‍िध‍ि, भोग, मंत्र, कवच और आरती Maa Kushmanda: चेहरे पर हल्‍की मुस्‍कान लिए मां कूष्‍मांडा की आठ भुजाएं हैं. इसलिए इन्‍हें अष्‍टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, कलश, चक्र और गदा है. नई दिल्ली: आज चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) का चौथा दिन है. नवरात्रि (Navratri) के चौथे दिन शक्ति की देवी मां दुर्गा (Maa Durga) के चौथे स्‍वरूप माता कूष्‍मांडा (Kushmanda) की पूजा की जाती है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्‍मांडा ने अपने ईश्‍वरीय हास्‍य से ब्रह्मांड की रचना की थी. यही वजह है क‍ि देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है. इसी के चलते इन्‍हें 'आदिस्‍वरूपा' या 'आदिशक्ति' कहा जाता है. नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा के पूजन का विशेष महत्‍व है. पारंपरिक मान्‍यताओं के अनुसार जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा की पूजा करता है उसे आयु, यश और बल की प्राप्‍ति होती है. यह भी पढ़ें • Chaitra Navratri 4th Day: नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की पूजा, जानिए पूजन की विधि और भोग रेसिपी • 4045 दीयों के साथ सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने मां काली की ख़ास आर्ट बनाई, देखें तस्वीर • Navratri 4th Day: कल है नवरात्रि का चौथा दिन, मां कुष्मांडा को लगाएं इस खास चीज का भोग कौन हैं मां कूष्‍मांडा? 'कु' का अर्थ है 'कुछ', 'ऊष्‍मा' का अर्थ है 'ताप' और 'अंडा' का अर्थ है 'ब्रह्मांड'. शास्‍त्रों के अुनसार मां कूष्‍मांडा ने अपनी दिव्‍य मुस्‍कान से संसार में फैले अंधकार को दूर किया था. चेहरे...

नवरात्रि चौथा दिन चतुर्थी तिथि

नवरात्रि चौथा दिन चतुर्थी तिथि-Navratri 4th Day: माँ कुष्मांडा की पूजा विधि, चतुर्थ कूष्माण्डा मंत्र, मां कुष्मांडा के मंत्र, माँ कुष्मांडा व्रत कथा, मां कुष्मांडा की आरती, माता कुष्मांडा की पूजा का महत्व, Maa Kushmanda Puja Vidhi, Maa Kushmanda Mantra, Maa Kushmanda Ki Aarti, Kushmanda Vrat Katha in Hindi - The Public नवरात्रि चौथा दिन चतुर्थी तिथि-Navratri 4th Day: माँ कुष्मांडा की पूजा विधि, चतुर्थ कूष्माण्डा मंत्र, मां कुष्मांडा के मंत्र, माँ कुष्मांडा व्रत कथा, मां कुष्मांडा की आरती, माता कुष्मांडा की पूजा का महत्व, Maa Kushmanda Puja Vidhi, Maa Kushmanda Mantra, Maa Kushmanda Ki Aarti, Kushmanda Vrat Katha in Hindi नवरात्रि चौथा दिन चतुर्थी तिथि-Navratri 4th Day नवरात्रि का चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। आदिशक्ति मां दुर्गा ने असुरों का दमन करने के लिए कुष्मांडा स्वरूप धारण किया था। कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़े। मां को बलियों में कुम्हड़े की बलि सबसे ज्यादा प्रिय है। इसलिए इन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है। इस दिन मां की विधिवत पूजा करने से आठ भुजाओं वाली मां कूष्मांडा अपने भक्तों के सभी कष्टों और दुखों को हर लेती हैं। मां कूष्मांडा को लाल फूल प्रिय है, पूजा के समय उनको गुड़हल का फूल चढ़ाएं। मां कूष्मांडा का स्वरुप कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इन सभी चीजों के अलावा हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है और इनकी भक्ति से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है। यहां जानिए नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा विधि, आरती, मंत्र, कथा के बारे में… नव...

नवरात्रि में देवी मां को लगाएं ये 9 भोग और पहनें इस रंग के कपड़े

भक्तों के लिए ये नवरात्रि के नौ दिन बहुत मायने रखते हैं। देश में हर जगह नौ विभिन्न शक्तिशाली रूपों की पूजा-अर्चना बहुत धूमधाम से की जाती हैं। माना जाता है इस पर्व पर पूरी श्रद्धा और विश्वास से माँ भगवती की आराधना करने से मनोवांछित फल मिलता है। भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए हर सम्भव कोशिश करते हैं। इस नवरात्रि ( #पहला दिन मां दुर्गा का पहला रूप हैं देवी शैलपुत्री। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। क्या भोग चढ़ाएं – नवरात्रि के पहले दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। तथा शरीर निरोगी रहता है। किस रंग के कपड़े पहनें – पूजा के दौरान और पूजा के बाद भी इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता जाता है। #दूसरा दिन मां दुर्गा का पहला रूप हैं देवी ब्रह्मचारिणी। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का मतलब होता है आचरण. यानी ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इन देवी ने घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाने लगा। क्या भोग चढ़ाएं – दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं व घर में सभी सदस्यों को दें। इससे आयु वृद्धि होती है। किस रंग के कपड़े पहनें – इस दिन भक्तों को हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए और माता के श्रृंगार में हरे रंग का प्रयोग किया जाना श...

Navratri 2021 Mata Kushmanda: Goddess Kushmanda Is Worshiped On The Fourth Day Of Navratri, Know Pujan Vidhi, Mantra And Bhog

यह भी पढ़ें • Navratri के चौथे दिन मां दुर्गा के इस स्वरूप की जाती है उपासना, यहां जानें पूजन विधि, भोग और शुभ रंग • Chaitra Navratri 4th Day: नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की पूजा, जानिए पूजन की विधि और भोग रेसिपी • 4045 दीयों के साथ सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने मां काली की ख़ास आर्ट बनाई, देखें तस्वीर नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की अलग-अलग तरह से पूजा की जाती है, और माता के हर रूप को अलग-अलग तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है. माता कूष्‍मांडा को हलवे का भोग लगाया जाता है. आप माता को कद्दू के हलवे का भोग लगा सकते हैं. कद्दू के हलवे को नवरात्रि व्रत में भी खाया जा सकता है. इसकोबनाना बहुत ही आसान है इस हलवे को बनाने के लिए कद्दू, घी, बादाम, चीनी, दालचीनी स्टिक, किशमिश और नारियल की जरूरत होती है. पूरी रेसिपी के लिए मां कूष्‍मांडा पूजा विधिः (Mata Kushmanda Pujan Vidhi) नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें. फिर मां कूष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें. अब मां कूष्मांडा को हलवा और दही का भोग लगाएं. फिर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर सकते हैं. पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें. मां कूष्माण्डा मंत्रः (Mata Kushmanda Mantra) या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: डॉक्‍टरों ने कहा था Count Your Days,अब कैंसर को हरा खुशियां गिन रहा है अमित

Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि के दौरान किस दिन क्या भोग लगाएं? जानें देवघर के ज्योतिषी से

परमजीत कुमार/देवघर. आसाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जाएगी. इस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है. इस दौरान 9 दिन में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है. प्रतिपदा से नवमी तक देवी को विशेष भोग लगाने और उस भोग को गरीबों में दान करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है. ये बातें बैद्यनाथधाम के ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल ने कहीं. ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल के मुताबिक, आसाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि 19 जून से शुरू हो रही है. नौ दिन के इस अनुष्ठान में भक्तों को चाहिए कि वे देवियों को विशेष भोग लगाएं और उस भोग को गरीबों में दान करें. इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. इन नौ दिनों में देवियों को अलग अलग फूलों की माला भी अर्पण करनी चाहिए. पहले दिन शैलपुत्री की पूजा: गुप्त नवरात्रि के पहला दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं और गरीबों में दान करें. इसके साथ ही कनेल फूल की माला माता को अर्पित करें. इससे शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी. दूसरे दिन माता ब्राह्मचारनी की पूजा: गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्राह्मचारनी की पूजा की जाती है. इस दिन शक्कर से बने प्रसाद का भोग लगाएं. साथ ही गरीबों को दान करें. पूजा में बेली फूलो से बनी माला अर्पण करें. इससे दीर्घायु होते हैं. तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा: गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन माता को दूध चढ़ाये और गरीब को दान करें. हर्श्रृंगार फूलो की माला अर्पण करें. इससे सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है. चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा: गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माता कू...

चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, आज करें मां कूष्मांडा की पूजा, जान लें पूजन विधि, मंत्र

नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. माता कूष्मांडा को दही और हलवे का भोग लगाया जाता है. Navratri Maa Kushmanda Puja: नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. माता कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों के दुख दूर होते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है. हिंदू धर्म पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि माता कूष्मांडा में समस्त सृष्टि का सृजन करने की शक्ति समाहित है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार माता कूष्मांडा सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं. माता ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड का सृजन कर दिया था. इसलिए माता के इस स्वरूप को कूष्मांडा कहा गया. माता कूष्मांडा की पूजा आराधना करने से भक्तों को रोग, शोक और तमाम तरह के दोषों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है. तो चलिए भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से जानते हैं, माता कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र और महत्व के बारे में. -मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व माता कूष्मांडा को ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार माता कूष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी. माता कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है. यदि कोई पुराना रोग या दोष आपको परेशान कर रहा है, तो ऐसे में आपको माता कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा जिन लोगों को संसार में प्रसिद्धि पाने की इच्छा होती है. उन्हें भी माता कूष्मांडा की पूजा आराधना करनी चाहिए. माता कूष्मांडा में सृजन की शक्ति है, इसलिए जीवन प्रदान करने वाली माता है. मान्यता के अनुसार माता कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति की आयु भी बढ़ती है. यह भी पढ़ें – मां कूष्मांडा पूजा मंत्र सुरासम्...

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, देवी कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, भोग एवं आरती

इन दिनों नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। नवरात्रि में चौथे दिन सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति मानी जाने वाली मां कूष्मांडा की पूजा-आराधना की जाती है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी मां कूष्माण्डा (कूष्मांडा) कहलाती हैं।