नवरात्रि के जवारे का क्या करे

  1. नवरात्रि में जवारे कैसे होने चाहिए
  2. Navratri 2022: नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें? जानें किन बातों का रखना है ध्यान
  3. Shardiya Navratri 2022:नवरात्रि में क्यों बोए जाते हैं जौ? जानिए धार्मिक महत्व और कारण
  4. नवरात्रि में जवारे का महत्व और क्यों बोते हैं जवारे
  5. navratri 2022 how to grow jowar in navratri know vidhi in hindi tvi
  6. Navratri 2020: जानिए नवरात्रि में क्या है 'नवार्ण मंत्र' के फायदे?


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नवरात्रि में जवारे कैसे होने चाहिए

क्यों बोते हैं जवारे 1 वर्ष में चार नवरात्रि होती है लेकिन हम ज्यादातर 3 नवरात्रि को ज्यादा महत्व देते हैं चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र और एक होती है गुप्त नवरात्र। नवरात्रि के दिनों में जवारे बोने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ-साथ जवारे अवश्य होना चाहिए। क्योंकि जवारे के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है। जवारे मां दुर्गा की चौकी के आसपास ही बोया जाता है। नवरात्र समाप्त होते ही जवारे को बहते पानी में प्रवाहित किया जाता है। जवारे क्या होते है जवारे मां दुर्गा की प्रतिमा या कलश के पास में बोई जाती हैं। ज्यादातर जवारे गेहूं के होते हैं इन्हें नवरात्रि के पहले दिन ही बोया जाता है। और 9 दिन तक इनकी देखरेख की जाती है। समय-समय पर पानी डाला जाता है और नवरात्रि के समापन होती ही इन्हें नदी बहते पानी में बहा दिया जाता है। जवारे का महत्व नवरात्रि में जवारे का बहुत महत्व होता है जवारे इसलिए बोये जाते हैं क्योंकि हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार गेहूं सृष्टि की पहली फसल थी। इसीलिए इन्हें जवारे के रूप में पूजा जाता है और इनकी सेवा की जाती है। एक कारण और है क्योंकि अन्न हम सभी लोग खाते हैं और हमें हमेशा पूजा करते समय अन्न देवता का सम्मान करना चाहिए इसीलिए हम जवारे के रूप इसे बोते हैं और इनकी सेवा करते हैं एक तरह से यह हमारा अन्न देवता को दिया गया सम्मान है। जवारे कैसे बोते हैं बोने की विधि जवारे बोते समय जवारे बोने के लिए ज्यादातर मिट्टी के बर्तन या फिर बांस से बनी टोकनी का उपयोग किया जाता है। जवारे को साफ काली मिट्टी में बोया जाता है। जवारे बोने के लिए साफ गेहूं का उपयोग किया जाता है। जवारे के साथ-साथ जवारे में एक दीप...

Navratri 2022: नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें? जानें किन बातों का रखना है ध्यान

नवरात्रि में आप सुबह-शाम पूजन नहीं कर सकते हैं तो सुबह और संध्या की आरती अवश्य ही करें. नवरात्रि में आपको दुर्गा चालीसा, दुर्गासप्तशती और देवीभागवत पुराण का पाठ करना चाहिए. आप अपने किसी भी व्यवहार से किसी महिला को दुखी न करें. Navratri 2022 Dos And Donts: शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर से हो चुका है, जो 05 अक्टूबर को दशहरा के दिन समापन होगा. नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. मातारानी के हर स्वरूप का अपना एक महत्व है. यदि आप नवरात्रि के व्रत रखते हैं या नहीं रखते, फिर इन 09 दिनों में आपको कुछ नियमों का पालन करना होता है. कई ऐसी गतिविधियां होती हैं जिन पर पाबंदी होती है, उनको इस समय के दौरान करना वर्जित होता है. यदि आप उन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो आप मां दुर्गा की कृपा से वंचित रह सकते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डाॅ. गणेश मिश्र कहते हैं कि सनातन धर्म से जुड़े लोगों को नवरात्रि के समय में नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए. जो व्रत रखता है, उसे तो और अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है. आइए जानते हैं नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें. ये भी पढ़ेंः मां दुर्गा के 9 अवतार कौन से हैं? जानें उनके नाम और महत्व नवरात्रि में क्या करें? 1. नवरात्रि के प्रथम दिन यानि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि अपने पूजा स्थान और घर की साफ सफाई अच्छे से करनी चाहिए. 2. पहले दिन कलश स्थापना करके मां दुर्गा की स्थापना करनी चाहिए और पूरे नौ दिनों तक उनका विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए. 3. नवरात्रि में आप दोनों समय यानि सुबह और शाम में पूजन नहीं कर सकते हैं तो सुबह और संध्या की आरती अवश्य ही करें. 4. नवरात्रि में आपको दुर्गा चालीसा, दुर्गास...

Shardiya Navratri 2022:नवरात्रि में क्यों बोए जाते हैं जौ? जानिए धार्मिक महत्व और कारण

Shardiya Navratri 2022: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। इस साल 26 सितंबर 2022 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में लोग अपने घर में अखंड ज्योति जलाते हैं। साथ ही माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना और ज्वारे यानी जौ का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना यानी कलश स्थापना के साथ ही जौ बोए जाते हैं। कहा जाता है कि इसके बिना मां अंबे की पूजा अधूरी रह जाती है। कलश स्थापना के साथ जौ बोने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। ऐसे में चलिए आज जानते हैं कि नवरात्रि में आखिर जौ क्यों बोए जाते हैं और इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है... क्यों बोए जाते हैं जौ जौ को भगवान ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की तब वनस्पतियों में जो फसल सबसे पहले विकसित हुई थी वो थी ‘जौ’। इसीलिए नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के समय जौ की सबसे पहले पूजा की जाती है और उसे कलश में भी स्थापित किया जाता है। ये संकेत देते हैं नवरात्रि में बोए गए जौ नवरात्रि में कलश स्थापना के दौरान बोए गए जौ दो-तीन दिन में ही अंकुरित हो जाते हैं, लेकिन यदि ये न उगे तो भविष्य में आपके लिए अच्छे संकेत नहीं है। ऐसी मान्यता है कि दो-तीन दिन बाद भी अंकुरित नहीं होते तो इसका मतलब ये है कि आपको कड़ी मेहनत के बाद ही उसका फल मिलेगा। इसके अलावा यदि जौ के उग गए हैं लेकिन उनका रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा हो इसका मतलब आने वाले साल का आधा समय आपके लिए ठीक रहेगा, लेकिन...

नवरात्रि में जवारे का महत्व और क्यों बोते हैं जवारे

नवरात्रि में जवारे का महत्व और क्यों बोते हैं जवारे | Navratri me jaware ka mahatva क्यों बोते हैं जवारे 1 वर्ष में चार नवरात्रि होती है लेकिन हम ज्यादातर 3 नवरात्रि को ज्यादा महत्व देते हैं चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र और एक होती है गुप्त नवरात्र। नवरात्रि के दिनों में जवारे बोने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ-साथ जवारे अवश्य होना चाहिए। क्योंकि जवारे के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है। जवारे मां दुर्गा की चौकी के आसपास ही बोया जाता है। नवरात्र समाप्त होते ही जवारे को बहते पानी में प्रवाहित किया जाता है। जवारे क्या होते है जवारे मां दुर्गा की प्रतिमा या कलश के पास में बोई जाती हैं। ज्यादातर जवारे गेहूं के होते हैं इन्हें नवरात्रि के पहले दिन ही बोया जाता है। और 9 दिन तक इनकी देखरेख की जाती है। समय-समय पर पानी डाला जाता है और नवरात्रि के समापन होती ही इन्हें नदी बहते पानी में बहा दिया जाता है। जवारे का महत्व नवरात्रि में जवारे का बहुत महत्व होता है जवारे इसलिए बोये जाते हैं क्योंकि हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार गेहूं सृष्टि की पहली फसल थी। इसीलिए इन्हें जवारे के रूप में पूजा जाता है और इनकी सेवा की जाती है। एक कारण और है क्योंकि अन्न हम सभी लोग खाते हैं और हमें हमेशा पूजा करते समय अन्न देवता का सम्मान करना चाहिए इसीलिए हम जवारे के रूप इसे बोते हैं और इनकी सेवा करते हैं एक तरह से यह हमारा अन्न देवता को दिया गया सम्मान है। जवारे कैसे बोते हैं बोने की विधि जवारे बोते समय जवारे बोने के लिए ज्यादातर मिट्टी के बर्तन या फिर बांस से बनी टोकनी का उपयोग किया जाता है। जवारे को साफ काली मिट्टी में बोया जाता है। ...

navratri 2022 how to grow jowar in navratri know vidhi in hindi tvi

नवरात्रि में जौ बोने का सही तरीका जानें, इन बातों का रखें ध्यान, तेजी से बढ़ेंगे जवारे नवरात्रि पूजा में जौ बोने का विशेष महत्व है. जौ को खास तरीके से पूरे विधि-विधान के साथ मिट्टी के पात्र में बालू की मदद से बोया जाता है. जवारे की अच्छी वृद्धि को मां दुर्गा की कृपा माना जाता है. ऐसे में जवारे की वृद्धि अच्छी हो इसके लिए जौ बोने का सही तरीका जान लें. Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही है. नवरात्रि में नौ दिनों की पूजा से पहले देवी दुर्गा का नाम लेते हुए कलश स्थापना करने और जवारे बोने की परंपरा है. जवारे बोने की सही विधि (Tips To Grow Jawara At Home) और नवरात्रि ( Navratri 2022) में जवारे बोने का क्या महत्व है? जानने के लिए आगे पढ़ें. पृथ्वी पर उगायी जाने वाली सबसे पहली फसल जौ को ही माना जाता है. पृथ्वी को मां का दर्जा दिया गया है साथ ही धरती पर उगी पहली फसल जवारे को भी शास्त्रों में मां का ही एक रूप माना गया है. नवरात्रि में अलग-अलग घरों में जौ बोने का तरीका भी अलग-अलग होता है. कुछ लोग बालू में जौ डाल कर जवारे उगाते हैं तो कुछ लोग मिट्टी में. पंडित कौशल मिश्रा के अनुसार जानें जवारे बोने का सही तरीका क्या है और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. • पूजा स्थल जहां पर जौ बोने जा रहे हैं, उसे पहले साफ करें और वहां चावल के कुछ दाने डाल दें. • मिट्टी का एक शुद्ध पात्र लें. इसे स्वच्छ जल से साफ कर लें. • अब इस पात्र में किसी पवित्र नदी की बालू डालें. बालू को अच्छी तरह से छान लें ताकि बालू में बड़े कंकड़-पत्थर न जायें. • अब इस बालू में जौ के दाने डाल दें और अच्छी तरह से फैला कर बालू से ही हल्के-हल्के ढक दें. • अब इसी पात्र में कलश स्थापना करें. कई लोग ...

Navratri 2020: जानिए नवरात्रि में क्या है 'नवार्ण मंत्र' के फायदे?

नई दिल्ली। शक्ति उपासना का पर्व शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है। देवी भगवती को प्रसन्न करके उनकी अनुकंपा प्राप्त करने के लिए साधक अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार अनेक प्रकार के प्रयास करते हैं। इनमें व्रत, उपवास, मंत्र जप, तप, हवन, पाठ, तांत्रिक क्रियाएं आदि शामिल हैं। इन्हीं में से एक है देवी के नवार्ण मंत्र का जाप। नवार्ण अर्थात् नौ वर्णो वाले इस मंत्र के जाप से सभी नौ ग्रह नियंत्रित होकर साधक को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करते हैं। कहा जाता है नवरात्रि के दौरान ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं, जिनका प्रभाव संपूर्ण सृष्टि पर होता है। नौ ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है। लेकिन यदि साधक केवल एक मंत्र 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' का नौ दिनों तक जाप करे तो नौ ग्रहों को अपने अनुकूल बना सकता है। इससे होता यह है किआपकी कुंडली में बुरे प्रभाव दे रहा ग्रह भी अनुकूल हो जाता है और उसका शुभ प्रभाव आपको मिलने लगता है। • नवार्ण मंत्र का पहला अक्षर ऐं है । यह सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है। ऐं का संबंध देवी के पहले स्वरूप शैलपुत्री है। इसकी उपासना नवरात्रि के प्रथम दिन की जाती है। ऐं के प्रभाव से मनुष्य के जीवन में सूर्य का शुभ प्रभाव देखने को मिलता है। जिससे मान-सम्मान, ऐश्वर्य, तेज, आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होती है। सूर्य के प्रभाव से जातक सर्वप्रिय हो जाता है। • नवार्ण मंत्र का दूसरा अक्षर है ह्रीं। यह चंद्र को नियंत्रित करता है। इसका संबंध देवी की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है। ह्रीं के प्रभाव से मनुष्य के जीवन में चंद्रमा का शुभ प्रभाव देखने को मिलता है। इसके फल...