नवरात्रि के पांचवें दिन

  1. Skandamata Pujan Day: Tomorrow Is The 5 Day Of Navratri, Note The Pujan Vidhi, Mantra And Prasad Recipe
  2. पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, जानिए कथा, आरती, मंत्र और सभी संबंधित जानकारी
  3. Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन दिल्ली के छतरपुर के मंदिर में सुबह हुई आरती, देखें वीडियो
  4. Chaitra Navratri 2022 5th Day Maa Skandmata Worship Know Puja Vidhi Mantra And Katha
  5. नवरात्रि पाँचवाँ दिन: शुभ योग में की जाएगी स्कंदमाता की पूजा, नोट कर लें शुभ मुहूर्त!
  6. Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि के दौरान किस दिन क्या भोग लगाएं? जानें देवघर के ज्योतिषी से
  7. Chaitra Navratri 2023 Day 5 Maa Skandamata /चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा
  8. Navratri Fifth Day: माता के पांचवें स्वरूप स्कन्दमाता की ये है विशेषता, जानें महात्म्य
  9. Chaitra Navratri 2022 5th Day Maa Skandmata Worship Know Puja Vidhi Mantra And Katha
  10. पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, जानिए कथा, आरती, मंत्र और सभी संबंधित जानकारी


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Skandamata Pujan Day: Tomorrow Is The 5 Day Of Navratri, Note The Pujan Vidhi, Mantra And Prasad Recipe

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पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, जानिए कथा, आरती, मंत्र और सभी संबंधित जानकारी

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता (skandamata) की पूजा होती की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजमान है। इन माता की चार भुजाएं हैं। माता ने अपने दो हाथ में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। इनकी एक भुजा ऊपर की तरफ उठी हुई है। एक हाथ से अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। सिंह इनका वाहन है। जानिए मां अम्बे के इस स्वरूप की कैसे करें पूजा, ये हैं मंत्र, आरती और कथा… स्कंदमाता की आरती (Skanda Mata Ki Aarti) : जय तेरी हो अस्कंध माता पांचवा नाम तुम्हारा आता सब के मन की जानन हारी जग जननी सब की महतारी तेरी ज्योत जलाता रहू मै हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै कई नामो से तुझे पुकारा मुझे एक है तेरा सहारा कही पहाड़ो पर है डेरा कई शेहरो मै तेरा बसेरा हर मंदिर मै तेरे नजारे गुण गाये तेरे भगत प्यारे भगति अपनी मुझे दिला दो शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो इन्दर आदी देवता मिल सारे करे पुकार तुम्हारे द्वारे दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये तुम ही खंडा हाथ उठाये दासो को सदा बचाने आई ‘चमन’ की आस पुजाने आई पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता। नवरात्रि में पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्...

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन दिल्ली के छतरपुर के मंदिर में सुबह हुई आरती, देखें वीडियो

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन दिल्ली के छतरपुर के मंदिर में सुबह हुई आरती, देखें वीडियो दिल्ली: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन छतरपुर के एक मंदिर में सुबह की आरती की गई. नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता कार्तिकेय यानी कि स्कंद कुमार की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है. भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं. कहते हैं कि नवरात्रि में निसंतान दंपत्ति को स्कंदमाता की विशेष उपासना करनी चाहिए... दिल्ली: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन छतरपुर के एक मंदिर में सुबह की आरती की गई. नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता कार्तिकेय यानी कि स्कंद कुमार की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है. भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं. कहते हैं कि नवरात्रि में निसंतान दंपत्ति को स्कंदमाता की विशेष उपासना करनी चाहिए. देखें वीडियो: — ANI (@ANI) (SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)

Chaitra Navratri 2022 5th Day Maa Skandmata Worship Know Puja Vidhi Mantra And Katha

Navratri 2022 5th Day: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए यूं करें पूजा, जानें मंत्र और कथा नवरात्रि के पवित्र दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. हर दिन मां के अलग स्वरूप को समर्पित होता है. नवरात्रि को शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं और आज मां की भक्ति का पांचवां दिन है. नवरात्रि के पवित्र दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की अलग-अलग दिन पूजा-अर्चना की जाती है. हर दिन मां के अलग स्वरूप को समर्पित होता है. नवरात्रि को शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं और आज मां की भक्ति का पांचवा दिन है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है. मां स्कंदमाता को मां दुर्गा का मातृत्व परिभाषित करने वाला स्वरूप माना जाता है. बता दें कि मां स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें दांयी तरफ की ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद गोद में लिए हैं और नीचे की भुजा में कमल पुष्प थामे हैं. वहीं, बांयी तरफ की ऊपरी भुजा वरमुद्रा में और नीचे की भुजा में कमल है. स्कंदमाता का वाहन शेर है. आइए जानते हैं मां की पूजा विधि और भोग के बारे में. मां स्कंदमाता की पूजन विधि और भोग प्रात: काल उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा के स्थान पर स्कंदमाता की मूर्ति स्थापित कर पूजन आरंभ करें. सर्वप्रथम मां की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें और मां के सम्मुख पुष्प अर्पित करें. मिष्ठान और 5 प्रकार के फलों का भोग लगाएं. साथ ही 6 इलायची भी भोग में अर्पित करें. कलश में पानी भरकर उसमें कुछ सिक्के डाल दें और इसके बाद पूजा का संकल्प लें. मां को रोली-कुमकुम का तिलक लगाएं और पूजा के बाद मां की आरती उतारें और मंत्र जाप करें. मां स्कंदमाता की कथा पौराणिक मान्यता के अनुसार तारक...

नवरात्रि पाँचवाँ दिन: शुभ योग में की जाएगी स्कंदमाता की पूजा, नोट कर लें शुभ मुहूर्त!

नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू हो चुकी है और इसी दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। अभी तक आपने चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के चार स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की होगी। नवरात्रि आपके लिए शुभ और फलदायी हो इसी कामना के साथ आगे बढ़ते हैं और जानते हैं नवरात्रि के पांचवें दिन यानी कि माँ दुर्गा के पांचवें स्वरूप माँ स्कंदमाता के बारे में। इस साल चैत्र नवरात्रि 2023 में स्कंदमाता की पूजा 26 मार्च 2023 पंचमी तिथि को की जाएगी। शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप की पूजा भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में की जाती है। स्कंदमाता चार भुजाधारी हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। मान्यता है कि नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की विधिवत पूजा से धन, यश, शांति और बल की प्राप्ति होती है। तो आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं नवरात्रि के पांचवें दिन श्रद्धालुओं को किस पूजा विधि का पालन करना चाहिए और क्या-क्या उपाय, धार्मिक अनुष्ठान, कर्मकांड, करने चाहिए लेकिन इससे पहले जान लेते हैं इस दिन कौन सा शुभ योग बन रहा है। दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और जानें करियर संबंधित सारी जानकारी शुभ योग में पड़ेगी नवरात्रि की पंचमी तिथि नवरात्रि की पंचमी तिथि का प्रारंभ प्रीति योग में हो रहा है। प्रीति योग परस्पर प्रेम का विस्तार करता है और इस योग के स्वामी भगवान विष्णु हैं। इसे मंगल दायक योग भी कहते हैं। यदि विवाह के समय सही लग्न, मुहू...

Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि के दौरान किस दिन क्या भोग लगाएं? जानें देवघर के ज्योतिषी से

परमजीत कुमार/देवघर. आसाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जाएगी. इस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है. इस दौरान 9 दिन में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है. प्रतिपदा से नवमी तक देवी को विशेष भोग लगाने और उस भोग को गरीबों में दान करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है. ये बातें बैद्यनाथधाम के ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल ने कहीं. ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल के मुताबिक, आसाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि 19 जून से शुरू हो रही है. नौ दिन के इस अनुष्ठान में भक्तों को चाहिए कि वे देवियों को विशेष भोग लगाएं और उस भोग को गरीबों में दान करें. इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. इन नौ दिनों में देवियों को अलग अलग फूलों की माला भी अर्पण करनी चाहिए. पहले दिन शैलपुत्री की पूजा: गुप्त नवरात्रि के पहला दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं और गरीबों में दान करें. इसके साथ ही कनेल फूल की माला माता को अर्पित करें. इससे शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी. दूसरे दिन माता ब्राह्मचारनी की पूजा: गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्राह्मचारनी की पूजा की जाती है. इस दिन शक्कर से बने प्रसाद का भोग लगाएं. साथ ही गरीबों को दान करें. पूजा में बेली फूलो से बनी माला अर्पण करें. इससे दीर्घायु होते हैं. तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा: गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन माता को दूध चढ़ाये और गरीब को दान करें. हर्श्रृंगार फूलो की माला अर्पण करें. इससे सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है. चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा: गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माता कू...

Chaitra Navratri 2023 Day 5 Maa Skandamata /चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा

Chaitra Navratri 2023 Day 5 Maa Skandamata: चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के 5वें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। मां स्कंदमाता का रूप मातृत्व को परिभाषित करता है। मान्यता है कि मां भगवती के इस स्वरूप की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति की हर कामना पूरी होती है। आइए जानते हैं मां स्कंदमाता की पूजा विधि, भोग, मंत्र, स्तोत्र सहित अन्य चीजें। कैसा है मां स्कंदमाता का स्वरूप स्कंदमाता की स्वरूप बहुत ही मनमोहक है। मां के चार भुजा है। दो हाथों में कमल, एक हाथ में बाल रूप में कार्तिकेय और देवी मां चौथे हाथ से आशीर्वाद देते हुई नजर आ रही हैं। मां कमल में विराजमान है। इसके साथ ही मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता का पूजा विधि (Skandmata Mata Puja Vidhi) चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश की पूजा करें। इसके बाद मां दुर्गा और नौ रूपों की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले जल से आचमन करें। फिर मां को फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत आदि अर्पित करें। इसके बाद एक पान में सुपारी, इलायची, बताशा, लौंग, एक रूपए का सिक्का रखकर चढ़ा दें। भोग में केला और अन्य मिठाई चढ़ाएं। फिर बाद जल अर्पित कर दें। इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाकर मां के मंत्र, दुर्गा चालीसा के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में आरती कर लें। मां स्कंदमाता मंत्र (Skandmata Mata Mantra) सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया. शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥ ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥ स्कंदमाता का स्तोत्र पाठ (Maa Skandmata Strotra) नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्। समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥ शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्। ललाटरत...

Navratri Fifth Day: माता के पांचवें स्वरूप स्कन्दमाता की ये है विशेषता, जानें महात्म्य

डॉ. रीना रवि मालपानी: नवरात्रि का आज पांचवां दिन है। मां की स्तुति के क्रम में नवरात्रि के पांचवें दिन हम स्कन्दमाता का ध्यान करते हैं। ‘स्कन्द’ भगवान कार्तिकेय का नाम है और उनकी माता होने के कारण ही इन्हें स्कन्दमाता कहा जाता है। शक्ति एवं ज्ञान के प्रतीक स्कन्दमाता की गोद में उनके पुत्र स्कन्द विराजमान है। स्कन्द को देवताओं का सेनापति भी बोला जाता है। यदि राक्षस तम और अंधकार का रूप है, तो स्कन्द प्रकाश स्वरूप है। असुर अगर नाश है तो स्कन्द अमृत स्वरूप है। असुर असत्य का बोध है तो स्कन्द सत्य का साक्षात्कार है। स्कन्दमाता हमें आशीर्वाद देती है कि स्कन्द को अपना सेनापति बनाकर जीवन के युद्ध में विजय की ओर अग्रसर हों। माता ने अपनी दो भुजाओं में कमल का पुष्प धारण किया हुआ है। उनके एक भुजा ऊपर की ओर आशीर्वाद मुद्रा में एवं अन्य भुजा से पुत्र स्कन्द को लिया हुआ है। उनका वाहन सिंह है। अभी पढ़ें – Navratri 2022: नवरात्रि के पांचवें दिन इस मंत्र के साथ करें स्कंदमाता की पूजा, पूरी होगी हर कामना मां का स्वरूप इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति एवं क्रियाशक्ति का समन्वय है। स्कन्दमाता की आराधना से आदिशक्ति माता और उनके पुत्र दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है। इनकी कान्ति का अलौकिक आशीर्वाद साधक को इनकी उपासना से प्राप्त होता है। इनकी उपासना सुख-शांति प्रदायनी है। माता अपने भक्त की सर्वस्व इच्छाओं की पूर्ति करती है। उसकी कोई भी लौकिक कामना निष्फल नहीं होती। जब ब्रह्माण्ड में व्याप्त शिव-तत्व का मां की शक्ति से एकाकार होता है तब स्कन्द का जन्म होता है। मां स्कन्दमाता भक्त को ज्ञान की सही दिशा देकर उचित कर्मों द्वारा सफलता एवं समृद्धि प्रदान करती है। मां कमल के आसन पर विराजमान है इसलिए इन्हें प...

Chaitra Navratri 2022 5th Day Maa Skandmata Worship Know Puja Vidhi Mantra And Katha

Navratri 2022 5th Day: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए यूं करें पूजा, जानें मंत्र और कथा नवरात्रि के पवित्र दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. हर दिन मां के अलग स्वरूप को समर्पित होता है. नवरात्रि को शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं और आज मां की भक्ति का पांचवां दिन है. नवरात्रि के पवित्र दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की अलग-अलग दिन पूजा-अर्चना की जाती है. हर दिन मां के अलग स्वरूप को समर्पित होता है. नवरात्रि को शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं और आज मां की भक्ति का पांचवा दिन है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है. मां स्कंदमाता को मां दुर्गा का मातृत्व परिभाषित करने वाला स्वरूप माना जाता है. बता दें कि मां स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें दांयी तरफ की ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद गोद में लिए हैं और नीचे की भुजा में कमल पुष्प थामे हैं. वहीं, बांयी तरफ की ऊपरी भुजा वरमुद्रा में और नीचे की भुजा में कमल है. स्कंदमाता का वाहन शेर है. आइए जानते हैं मां की पूजा विधि और भोग के बारे में. मां स्कंदमाता की पूजन विधि और भोग प्रात: काल उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा के स्थान पर स्कंदमाता की मूर्ति स्थापित कर पूजन आरंभ करें. सर्वप्रथम मां की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें और मां के सम्मुख पुष्प अर्पित करें. मिष्ठान और 5 प्रकार के फलों का भोग लगाएं. साथ ही 6 इलायची भी भोग में अर्पित करें. कलश में पानी भरकर उसमें कुछ सिक्के डाल दें और इसके बाद पूजा का संकल्प लें. मां को रोली-कुमकुम का तिलक लगाएं और पूजा के बाद मां की आरती उतारें और मंत्र जाप करें. मां स्कंदमाता की कथा पौराणिक मान्यता के अनुसार तारक...

पांचवें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा, जानिए कथा, आरती, मंत्र और सभी संबंधित जानकारी

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता (skandamata) की पूजा होती की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजमान है। इन माता की चार भुजाएं हैं। माता ने अपने दो हाथ में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। इनकी एक भुजा ऊपर की तरफ उठी हुई है। एक हाथ से अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। सिंह इनका वाहन है। जानिए मां अम्बे के इस स्वरूप की कैसे करें पूजा, ये हैं मंत्र, आरती और कथा… स्कंदमाता की आरती (Skanda Mata Ki Aarti) : जय तेरी हो अस्कंध माता पांचवा नाम तुम्हारा आता सब के मन की जानन हारी जग जननी सब की महतारी तेरी ज्योत जलाता रहू मै हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै कई नामो से तुझे पुकारा मुझे एक है तेरा सहारा कही पहाड़ो पर है डेरा कई शेहरो मै तेरा बसेरा हर मंदिर मै तेरे नजारे गुण गाये तेरे भगत प्यारे भगति अपनी मुझे दिला दो शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो इन्दर आदी देवता मिल सारे करे पुकार तुम्हारे द्वारे दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये तुम ही खंडा हाथ उठाये दासो को सदा बचाने आई ‘चमन’ की आस पुजाने आई पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता। नवरात्रि में पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्...